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हिंदुस्तान मेंआलू की खेती कैसे करें, यहां जानें By वनिता कासनियां पंजाब Potato farming: सब्जियों का राजा है आलू। गरीब हो अमीर आलू खाए बिना शायद ही किसी का ऐसा दिन बीता हो। आलू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है। आलू को अकालनाशक फसल भी कहते हैं।आपको बता दें, उत्पादन के मामले में आलू की फसल की उपज क्षमता दूसरे फसलों से ज्यादा है। भारत में आलू की खेती (aloo ki kheti) सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश राज्य में होती है। अधिक उपज के कारण आलू की खेती (Potato farming) किसानों की पहली पसंद है।आलू (Potato) एक ऐसी फसल है जो बढ़ती आबादी को कुपोषण और भूखमरी से बचाने में सहायक है। यह पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी होती है। इसमें 14 प्रतिशत स्टार्च, 2 प्रतिशत शक्कर, 2 प्रतिशत प्रोटीन और 1 प्रतिशत खनिज लवण होता है। 0.1 प्रतिशत वसा और कुछ मात्रा में विटामिन्स भी होता है।आलू की मांग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने की और अधिक जरूरत है। इसलिए जरूरी है कि आलू की परम्परागत खेती की बजाय आलू की वैज्ञानिक खेती की जाए।तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में आलू की खेती कैसे करें (aaloo ki kheti kaise kare) जानें।आलू की खेती के लिए भूमि एवं जलवायुआलू की खेती के लिए समतल और मध्यम ऊंचाई वाले खेत ज्यादा उपयुक्त होते हैं। साथ ही अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी जिसकी पीएच मान 5.5 से 5.7 के बीच हो। आलू की खेती (aaloo ki kheti) के लिए रबी अर्थात् ठंड की मौसम उपयुक्त है। इसके लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए। वहीं कंद बनने के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस ज्यादा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इससे ज्यादा तापमान होने पर कंदों का विकास रूक जाता है।खेती की तैयारी कैसे करेंखेत की तैयारी की बात करें तो मिट्टी के प्रकार के अनुसार खेत को 3-4 जुताई करें।जहां तक संभव हो खेती की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और बाद की जुताई देसी हल से करें।प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर चलाएं ताकि मिट्टी भुरभूरी और खेत समतल हो जाए। इससे आलू के कंदो के विकास में आसानी होती है।आलू की बुआई का समयआलू की बुआई का समय इसकी किस्म पर भी निर्भर करता है। इसकी अच्छी उपज को लिए सितम्बर से अंतिम सप्ताह से नवंबर से प्रथम सप्ताह तक का समय उपयुक्त माना गया है।बीज का चयन करते समय रखे जाने वाले सावधानियांकिसानों के लिए किस्मों का चयन महत्वपूर्ण है। आलू के बीजों का चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।बीज हमेशा किसी विश्वसनीय स्रोत जैसे- सरकारी बीज भंडार, राज्य के कृषि और उद्यान विभाग, राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र या क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र से ही खरीदें।इसके अलावा आप खुद के उत्पादित बीज या प्रगतिशील किसान किसान से खरीदा हुआ बीज का प्रयोग करते हैं तो प्रत्येक 3 से 4 साल बाद बीज को जरूर बदल दें। बीज के किस्मों का चयन आप बाजार में मांग एवं जलवायु के अनुसार कर सकते हैं।Potato farming : आलू की खेती कैसे करेंआलू के किस्मों का चयनयदि आप अगेती किस्म लगाना चाहते हैं तो इसके लिए कुफरी पुखराज या कुफरी अशोका का चयन कर सकते हैं। आपको बता दें, ये किस्में 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 200 से 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है।मध्यम किस्मों के लिए राजेन्द्र आलू-1, राजेंद्र आलू-2 राजेन्द्र आलू-3 और कुफरी कंचन जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं। आपको बता दें, ये किस्में 100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है।पछेती किस्मों के लिए आप कुफरी सुंदरी, कुफरी अलंकार, कुफरी सफेद, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा और कुफरी किसान जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं। ये किस्में 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 250 से 350 कुंतल प्रति हेक्टयर तक होती है।यदि आप आलू से चिप्स बनाना चाहते हैं तो इसके लिए भी विशेष किस्मों का विकास किया गया है। जैसे- कुफरी चिप्ससोना-1, कुफरी चिप्ससोना-2, कुफरी चिप्ससोना-3 और कुफरी आनन्द। ये सभी किस्में 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है। जिसका औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 300 से 350 कुंतल तक हो जाता है।बीजों का चुनाव और तैयारीकिसान भाइयों को बीजों का चुनाव करते समय बीज का आकार पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।बीज की गोलाई 2.5 से 4 सेंटीमीटर और वजन 25 से 40 ग्राम होना चाहिए। इससे कम या अधिक भार का बीज आर्थिक दृष्टि से भी उपयुक्त नहीं होती है क्योंकि अधिक बड़े आलू लगाने से किसानों का अधिक खर्च होता है जबकि कम आकार की बीज बोने से उपज में कमी आती है।आलू लगाने से 15 से 30 दिन पहले उसे बोरे से निकाल कर ऐसे कमरे के फर्श पर फैला दें जहाँ धुँधली रोशनी आती हो।ध्यान रखें कि जिस कमरे में आलू का बीज रखा जाए वह हवादार हो, ऐसा करने से बीज का अंकुरण जल्दी होता है। जिससे न सिर्फ पौधों की बढ़वार अच्छी होती है, बल्कि प्रति पौधे तना भी अधिक निकलते हैं।अंकुरित करने के लिए रखे गए बीज को हर दूसरे दिन निरीक्षण करना चाहिए और सड़े-गले आलू को निकाल देना चाहिए।इस बात का भी ध्यान रखें कि जिस बीज के कमजोर और पतले कंद और आँख हो उसे भी निकाल देना चाहिए। ऐसे कंद बीमारी से जल्दी ग्रसित होते हैं।अंकुरित बीज खेत तक ले जाने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस दौरान कंद की आँखे टूट सकती है।आलू के बीजों का उपचार कैसे करेंआलू को बोने से पहले बीजोपचार जरूरी है क्योंकि इससे फसल में बीमारी का प्रकोप नहीं हो। बीज उपचार करने से उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है। बीज उपचार के लिए आलू के कंद को एक ग्राम कॉर्बनडाजिन या मैनकोजिब या कॉर्बोक्सिन दो ग्राम प्रति लीटर की पानी में घोल बना कर बीज को उपचारित करें। इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि उपचारित बीज को 24 घंटे के अंदर बुआई कर दें।आलू की बुआई विधिआलू की बुआई अन्य फसलों या सब्जियों की बुआई से एकदम अलग होती है।आलू की बुआई करते समय कतार से कतार और पौधा से पौधा की दूरी और गहराई का भी ख्याल रखें।आलू कम गहराई पर बोने से सूख जाते हैं जबकि अधिक गहराई पर बोने से नमी की अधिकता के कारण बीज सड़ जाते हैं।आलू की बुआई करते समय कतार से कतार 50 से 60 सेंटीमीटर और पौधा से पौधा 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।पछेती किस्मों में पौधों का विकास अधिक होती है। अतः इन किस्मों की बुआई 60 से 70 सेंटीमीटर और पौधा से पौधा दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखा जाता है।अब बात करते हैं आलू की बुआई विधि की जिसमें किसान अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं।आलू की बुआई विधि में सबसे सरल और पहली विधि है समतल भूमि में आलू बोकर मिट्टी चढ़ाना।इस विधि में खेती में 60 सेंटीमीटर पर लाइन बना ली जाती है और इन बनी हुई लाइन पर 5 सेंटीमीटर का गढ्ढा बनाकर आलू के कंद को 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई की जाती है। इसके बाद इसपर मिट्टी चढ़ा दी जाती है।दूसरी विधि है- मेड़ों पर आलू की बुआई करना। इसके लिए सबसे पहले कुदाल या अन्य मशीनों से मेड़ बनाकर उस पर उचित दूरी और गहराई पर आलू की बीज को लगा सकते हैं। यह विधि अधिक नमी वाले जमीन के लिए उचित है।निराई-गुड़ाईआलू की बुआई के 20 से 25 दिन बाद खरपतवारों को हटा दें, इस दौरान आलू पर मिट्टी पर कुछ मिट्टी चढ़ाकर नालियों को व्यवस्थित कर सकते हैं।खाद और उर्वरक प्रबंधनकिसान भाइयों अब बात करते हैं आलू की फसल में खाद एवं पोषण देने की। आपको बता दें, आलू की फसल जमीन की ऊपरी सतह से ही भोजन प्राप्त करती है इसलिए इसे प्रचुर मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है। इसके लिए इसकी बुआई के से पहले ही 250 से 300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद या 40 से 50 कुंतल वर्मी कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर जुताई करें।इसके अलावा खेत की उर्वरता के अनुसार 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 100 से 120 किलोग्राम पोटॉश प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है। रासायनिक खाद कभी भी आलू की कंद को सीधे नहीं दी जानी चाहिए अन्यथा कंद सड़ या खराब हो सकती है।सिंचाई प्रबंधनआलू की खेती (Aloo ki kheti) के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है। पहली सिंचाई आलू की फसल में 10-20 दिनों के भीतर कर देनी चाहिए। इसके बाद 10-15 दिन के अंतराल में थोड़ी-थोड़ी सिंचाई करते रहने चाहिए। सिंचाई के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि मेड़ 2 से 3 इंच से ज्यादा नहीं डूबे।रोग नियंत्रण एवं फसल सुरक्षाआलू की फसल में हानिकारक कीट एवं रोग का भी प्रकोप होता है अतः किसान भाइयों को इसका भी ख्याल रखें।आलू में लगने वाले प्रमुख रोग हैं।-अगेती झुलसा और पछेती झुलसा इससे बचने के लिए इंडोफिल एम-45 या रीडोमिल का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों इस रोग से बचने के लिए प्रत्येक 15 दिन पर इन दवाओं का छिड़काव का भी सलाह देते हैं।यदि कीटों की बात करें आलू की फसल में मुख्य रूप में लाही कीट का प्रकोप देखा गया है। इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोरपिड का 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़ाकाव करें।आलू की खुदाई/कटाईआलू की फसल में जमीन के अंदर होती है आलू की कटाई की जगह पर किसानों को इसकी खुदाई करनी पड़ती है। अतः किसानों को फसल पकने के 15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर देनी चाहिए और आलू की खुदाई से पहले पत्तियों को 5 से 10 दिन पहले काट देनी चाहिए। इससे आलू की त्वचा मजबूत हो जाती है।आलू की खुदाई के बाद आलू को 3 से 4 दिन के लिए किसी छायेदार जगह पर ही रखें ताकि छिलके और भी मजबूत हो जाएं और आलू में लगी मिट्टी भी सूखकर अगल हो जाए।आलू की भंडारण और मार्केटिंगयदि आप आलू को फसल का सही दाम मिलने पर बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भंडारण की आवश्यकता होती है। कुछ समय के लिए आप अपने घर पर ही आलू पतली सतह लगाकर रख सकते हैं, लेकिन ज्यादा समय के लिए भंडारण के लिए आप शीत गोदामों में ही रखें। ताकि समय पर आलू निकासी कर उसे बाजार में बेच सकें।वनिता कासनियां पंजाबइस प्रकार आप आलू की वैज्ञानिक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

Potato farming: सब्जियों का राजा है आलू। गरीब हो अमीर आलू खाए बिना शायद ही किसी का ऐसा दिन बीता हो। आलू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है। आलू को अकालनाशक फसल भी कहते हैं।

आपको बता दें, उत्पादन के मामले में आलू की फसल की उपज क्षमता दूसरे फसलों से ज्यादा है। भारत में आलू की खेती (aloo ki kheti) सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश राज्य में होती है। अधिक उपज के कारण आलू की खेती (Potato farming) किसानों की पहली पसंद है।

आलू (Potato) एक ऐसी फसल है जो बढ़ती आबादी को कुपोषण और भूखमरी से बचाने में सहायक है। यह पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी होती है। इसमें 14 प्रतिशत स्टार्च, 2 प्रतिशत शक्कर, 2 प्रतिशत प्रोटीन और 1 प्रतिशत खनिज लवण होता है। 0.1 प्रतिशत वसा और कुछ मात्रा में विटामिन्स भी होता है।

आलू की मांग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने की और अधिक जरूरत है। इसलिए जरूरी है कि आलू की परम्परागत खेती की बजाय आलू की वैज्ञानिक खेती की जाए।

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में आलू की खेती कैसे करें (aaloo ki kheti kaise kare) जानें।

आलू की खेती के लिए भूमि एवं जलवायु

आलू की खेती के लिए समतल और मध्यम ऊंचाई वाले खेत ज्यादा उपयुक्त होते हैं। साथ ही अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी जिसकी पीएच मान 5.5 से 5.7 के बीच हो। 

आलू की खेती (aaloo ki kheti) के लिए रबी अर्थात् ठंड की मौसम उपयुक्त है। इसके लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए। वहीं कंद बनने के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस ज्यादा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इससे ज्यादा तापमान होने पर कंदों का विकास रूक जाता है।

खेती की तैयारी कैसे करें

  • खेत की तैयारी की बात करें तो मिट्टी के प्रकार के अनुसार खेत को 3-4 जुताई करें।
  • जहां तक संभव हो खेती की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और बाद की जुताई देसी हल से करें।
  • प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर चलाएं ताकि मिट्टी भुरभूरी और खेत समतल हो जाए। इससे आलू के कंदो के विकास में आसानी होती है।

आलू की बुआई का समय

आलू की बुआई का समय इसकी किस्म पर भी निर्भर करता है। इसकी अच्छी उपज को लिए सितम्बर से अंतिम सप्ताह से नवंबर से प्रथम सप्ताह तक का समय उपयुक्त माना गया है।

बीज का चयन करते समय रखे जाने वाले सावधानियां

किसानों के लिए किस्मों का चयन महत्वपूर्ण है। आलू के बीजों का चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • बीज हमेशा किसी विश्वसनीय स्रोत जैसे- सरकारी बीज भंडार, राज्य के कृषि और उद्यान विभाग, राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र या क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र से ही खरीदें।
  • इसके अलावा आप खुद के उत्पादित बीज या प्रगतिशील किसान किसान से खरीदा हुआ बीज का प्रयोग करते हैं तो प्रत्येक 3 से 4 साल बाद बीज को जरूर बदल दें। बीज के किस्मों का चयन आप बाजार में मांग एवं जलवायु के अनुसार कर सकते हैं।

Potato farming : आलू की खेती कैसे करें

आलू के किस्मों का चयन

यदि आप अगेती किस्म लगाना चाहते हैं तो इसके लिए कुफरी पुखराज या कुफरी अशोका का चयन कर सकते हैं। आपको बता दें, ये किस्में 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 200 से 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है।

मध्यम किस्मों के लिए राजेन्द्र आलू-1, राजेंद्र आलू-2 राजेन्द्र आलू-3 और कुफरी कंचन जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं। आपको बता दें, ये किस्में 100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है।

पछेती किस्मों के लिए आप कुफरी सुंदरी, कुफरी अलंकार, कुफरी सफेद, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा और कुफरी किसान जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं। ये किस्में 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 250 से 350 कुंतल प्रति हेक्टयर तक होती है।

यदि आप आलू से चिप्स बनाना चाहते हैं तो इसके लिए भी विशेष किस्मों का विकास किया गया है। जैसे- कुफरी चिप्ससोना-1, कुफरी चिप्ससोना-2, कुफरी चिप्ससोना-3 और कुफरी आनन्द। ये सभी किस्में 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है। जिसका औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 300 से 350 कुंतल तक हो जाता है।

बीजों का चुनाव और तैयारी

किसान भाइयों को बीजों का चुनाव करते समय बीज का आकार पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।

  • बीज की गोलाई 2.5 से 4 सेंटीमीटर और वजन 25 से 40 ग्राम होना चाहिए। इससे कम या अधिक भार का बीज आर्थिक दृष्टि से भी उपयुक्त नहीं होती है क्योंकि अधिक बड़े आलू लगाने से किसानों का अधिक खर्च होता है जबकि कम आकार की बीज बोने से उपज में कमी आती है।
  • आलू लगाने से 15 से 30 दिन पहले उसे बोरे से निकाल कर ऐसे कमरे के फर्श पर फैला दें जहाँ धुँधली रोशनी आती हो।
  • ध्यान रखें कि जिस कमरे में आलू का बीज रखा जाए वह हवादार हो, ऐसा करने से बीज का अंकुरण जल्दी होता है। जिससे न सिर्फ पौधों की बढ़वार अच्छी होती है, बल्कि प्रति पौधे तना भी अधिक निकलते हैं।
  • अंकुरित करने के लिए रखे गए बीज को हर दूसरे दिन निरीक्षण करना चाहिए और सड़े-गले आलू को निकाल देना चाहिए।
  • इस बात का भी ध्यान रखें कि जिस बीज के कमजोर और पतले कंद और आँख हो उसे भी निकाल देना चाहिए। ऐसे कंद बीमारी से जल्दी ग्रसित होते हैं।
  • अंकुरित बीज खेत तक ले जाने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस दौरान कंद की आँखे टूट सकती है।

आलू के बीजों का उपचार कैसे करें

आलू को बोने से पहले बीजोपचार जरूरी है क्योंकि इससे फसल में बीमारी का प्रकोप नहीं हो। बीज उपचार करने से उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है। बीज उपचार के लिए आलू के कंद को एक ग्राम कॉर्बनडाजिन या मैनकोजिब या कॉर्बोक्सिन दो ग्राम प्रति लीटर की पानी में घोल बना कर बीज को उपचारित करें। इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि उपचारित बीज को 24 घंटे के अंदर बुआई कर दें।

आलू की बुआई विधि

  • आलू की बुआई अन्य फसलों या सब्जियों की बुआई से एकदम अलग होती है।
  • आलू की बुआई करते समय कतार से कतार और पौधा से पौधा की दूरी और गहराई का भी ख्याल रखें।
  • आलू कम गहराई पर बोने से सूख जाते हैं जबकि अधिक गहराई पर बोने से नमी की अधिकता के कारण बीज सड़ जाते हैं।
  • आलू की बुआई करते समय कतार से कतार 50 से 60 सेंटीमीटर और पौधा से पौधा 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • पछेती किस्मों में पौधों का विकास अधिक होती है। अतः इन किस्मों की बुआई 60 से 70 सेंटीमीटर और पौधा से पौधा दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखा जाता है।

अब बात करते हैं आलू की बुआई विधि की जिसमें किसान अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं।

आलू की बुआई विधि में सबसे सरल और पहली विधि है समतल भूमि में आलू बोकर मिट्टी चढ़ाना।

इस विधि में खेती में 60 सेंटीमीटर पर लाइन बना ली जाती है और इन बनी हुई लाइन पर 5 सेंटीमीटर का गढ्ढा बनाकर आलू के कंद को 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई की जाती है। इसके बाद इसपर मिट्टी चढ़ा दी जाती है।

दूसरी विधि है- मेड़ों पर आलू की बुआई करना। 
इसके लिए सबसे पहले कुदाल या अन्य मशीनों से मेड़ बनाकर उस पर उचित दूरी और गहराई पर आलू की बीज को लगा सकते हैं। यह विधि अधिक नमी वाले जमीन के लिए उचित है।

निराई-गुड़ाई

आलू की बुआई के 20 से 25 दिन बाद खरपतवारों को हटा दें, इस दौरान आलू पर मिट्टी पर कुछ मिट्टी चढ़ाकर नालियों को व्यवस्थित कर सकते हैं।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

किसान भाइयों अब बात करते हैं आलू की फसल में खाद एवं पोषण देने की। आपको बता दें, आलू की फसल जमीन की ऊपरी सतह से ही भोजन प्राप्त करती है इसलिए इसे प्रचुर मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है। इसके लिए इसकी बुआई के से पहले ही 250 से 300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद या 40 से 50 कुंतल वर्मी कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर जुताई करें।

इसके अलावा खेत की उर्वरता के अनुसार 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 100 से 120 किलोग्राम पोटॉश प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है। रासायनिक खाद कभी भी आलू की कंद को सीधे नहीं दी जानी चाहिए अन्यथा कंद सड़ या खराब हो सकती है।

सिंचाई प्रबंधन

आलू की खेती (Aloo ki kheti) के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है। पहली सिंचाई आलू की फसल में 10-20 दिनों के भीतर कर देनी चाहिए। इसके बाद 10-15 दिन के अंतराल में थोड़ी-थोड़ी सिंचाई करते रहने चाहिए। सिंचाई के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि मेड़ 2 से 3 इंच से ज्यादा नहीं डूबे।

रोग नियंत्रण एवं फसल सुरक्षा

आलू की फसल में हानिकारक कीट एवं रोग का भी प्रकोप होता है अतः किसान भाइयों को इसका भी ख्याल रखें।

आलू में लगने वाले प्रमुख रोग हैं।-
  1. अगेती झुलसा 
  2. और पछेती झुलसा 
इससे बचने के लिए इंडोफिल एम-45 या रीडोमिल का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों इस रोग से बचने के लिए प्रत्येक 15 दिन पर इन दवाओं का छिड़काव का भी सलाह देते हैं।

यदि कीटों की बात करें आलू की फसल में मुख्य रूप में लाही कीट का प्रकोप देखा गया है। इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोरपिड का 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़ाकाव करें।

आलू की खुदाई/कटाई

आलू की फसल में जमीन के अंदर होती है आलू की कटाई की जगह पर किसानों को इसकी खुदाई करनी पड़ती है। अतः किसानों को फसल पकने के 15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर देनी चाहिए और आलू की खुदाई से पहले पत्तियों को 5 से 10 दिन पहले काट देनी चाहिए। इससे आलू की त्वचा मजबूत हो जाती है।

आलू की खुदाई के बाद आलू को 3 से 4 दिन के लिए किसी छायेदार जगह पर ही रखें ताकि छिलके और भी मजबूत हो जाएं और आलू में लगी मिट्टी भी सूखकर अगल हो जाए।

आलू की भंडारण और मार्केटिंग

यदि आप आलू को फसल का सही दाम मिलने पर बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भंडारण की आवश्यकता होती है। कुछ समय के लिए आप अपने घर पर ही आलू पतली सतह लगाकर रख सकते हैं, लेकिन ज्यादा समय के लिए भंडारण के लिए आप शीत गोदामों में ही रखें। ताकि समय पर आलू निकासी कर उसे बाजार में बेच सकें।

इस प्रकार आप आलू की वैज्ञानिक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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Jalebi recipe - Jalebi Banane ki VidhiBy social worker Vanita Kasani PunjabOn hearing the name of Jalebi, mouth watering comes, the famous street food of entire India, Jalebi has some place of curd and some places.

जलेबी बनाने की विधि – Jalebi Banane ki Vidhi By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जलेबी का नाम सुनते ही तो मुंह में पानी आ जाता हैं, सम्पूर्ण भारत का प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड जलेबी को कुछ जगह दही और कुछ जगह पर रबड़ी के साथ खाया जाता है, कुछ भी कहो ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसे रस भरी कुरकुरी जलेबी पसंद न हो। सप्ताहांत पर कुछ खास करने की सोच रहे है? तो आप एक बार जलेबी बनाकर जरूर देखे। यह हमेशा से ऐसी मिठाई हैं जो लोगों के मन को लुभाती रही है, गुजरात में तो जलेबी फाफड़ा और उत्तर भारत में जलेबी समोसा की जोड़ी बहुत लोकप्रिय नाश्ता है। स्वाद में बदलाव के लिये जलेबी को दूध या खीर के साथ या कभी-कभी आइसक्रीम के साथ खाकर देखिये इस नए स्वाद को आप भूल नहीं पाएंगे। उत्तर और पश्चिमी भारत में इसे जलेबी कहा जाता है वहीं महाराष्ट्र में इसको जिलबी कहते हैं और बंगाल में इसका उच्चारण जिलपी करते हैं। कुछ जगहों पर जलेबी को गैलरी बोला जाता है। जलेबी को ज्यादातर मैदे के साथ बनाया जाता है सूजी अथवा बेसन से बनी जलेबी भी स्वादिष्ट लगती हैं। जलेबी बनाने के लिये पहले बेटर को कम गहरी कढ़ाई में घी गर्म करके गोल सर्पाकार रूप में तला...

يونين گورنمينٽ ديشتيل شيڪتاساناتئي سولر پمپ ۽ گرڊ ڳن Solarيل سولر ۽ غير قابل تجديد توانائي پلانٽ قائم ڪيو آهي. وزيراعظم Kumum Yojnemadhyay 3 HP ، 5 HP ۽ 7.5 HP Kshetetche شمسي پمپ نصب ٿيل. مرڪزي حڪومت مهاراشٽر جي ويجهو 1 لک شمسي پمپ قائم ڪرڻ کي تسليم ڪيو. وزيراعظم قيوم يوجينچا فائدا گينياسيته نييمڪا ارج ڪٿ ڪرياچا؟ اي ، ڪيترائي اھم معاملا آھن. (پي ايم ڪلثوم اسڪيم knowاڻيندي ته اسڪيم لاءِ ڪيئن درخواست ڪجي) ونيتا پنجاب پاران. PM-Kumum Yogenetun Solar Pump Ghanyasathi Arj Kuthe Karayacha؟ PM Kumum Yojne تحت ، شمسي توانائي پيدا ڪرڻ جي صلاحيت وڌي وئي آھي. مهاراشٽر پي ايم ڪسوم يوجناچا گهانياستي مهاوينتليا کي فائدا آهن https://mahadiscom.in/solar-pmkusum/index_mr.html يا ويب سائيٽ جان هاج آرجيت. ياسمتي شاپٽنگ نيڪاناد آدھار ڪارڊ ، aminامنيچا اتر ، پانياچا ماخذ ، بئنڪ اڪاؤنٽ پاس بڪ زيروڪس موجود آهن. شيٽيڪياانا يا يوجناچا گيوياسنتي کي 10 اسٽڪو خرچ ڪرڻ جو فائدو ڏئي ٿو. ايس سي ۽ ايس ٽي لاءِ 5 بڪس خرچ ڪرڻ لازمي آهن. سرٽيفڪيٽ گهربل پاڻي کاتي جي کاتو ، پاڻي جي وسيلن وارو کاتو ، پنچائت دستياب آهي. Kumum Yojnechi Suruwat Kadhi Jhali؟ ڪومم يوجنيچي 2018-19 جو اعلان ان وقت جي اقتصادي وزير ارون جيٽلي جو هوندو. ڀڳاتل موسامي پوز ، ويجيچي ڪماراٽا ، واٽر آبپاشي جي سهولت مسئلو اهو هو ته ڪرنٿاٽي مرڪزي سرڪار جي ڪلثوم اسڪيم کي ختم ڪيو وڃي ها. مورو جي ميدان ۾ قلت ۽ گهٽتائي آهي. شتڪار مرڪزي حڪومت يا يوجناڊ پاران ٽوياچيا aminامينو سولر پاور پينل ۽ پمپ لاوون شتيلا پنه دنيار اچي رهيا آهن. ڪلثوم يوجنا اچڻ کان پوءِ ، 20 لک شمسي پمپ ٺاهڻا پوندا ، گالياچي مهٽي ، قوم جو صدر رامناتھ ڪووند ياني سنسڊيڪي سنسڪرتي سيشن ، سرو هوتانا هوندو. Kusum Yoznechi خاصيتون 1. شتڪيانا شمسي توانائي جي سامان باسوانياسوتي 10 تڪنه راقم بهاروي لننر. 2. مرڪزي حڪومت شتاڪيانچيا بينڪ بينڪ ختيميهديه سبسيديچي رکم پياتوبيل. 3. ڪلثوم يوجنيماديا بينڪا شيڪٽيانا 30 ٽاڪي رکم قرض جو فارميٽ ڏئي ٿي. 4. شمسي توانائي پلانٽ پيڊڪ گرائونڊ زمين لاول يل. گرڊ بانون ڪمپنيلا ويس شيتري تيانچاريا جمنيوور سولر پينل لاو aktاٽڪ پاران ڪسند يومناڊ. يدواري نيرمانيا ہونانيا يا وجچا وپر ڪرون شتيلا پاني دل جوئو شيڪات. شتريڪل سولر پينل دوار توار eliليلي وائس گواتهي وپرو شاڪات يامالي سرڪار ۽ شرتيانا کي فائدو ٿي رهيو آهي.

बलुवाना न्यूज़

नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देने वाले आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज लड़की को परिजनों के हवाले किया बलुवाना न्यूज़ अबोहर, 9 जुलाई (शर्मा): थाना बहाववाला के प्रभारी बलविंद्र सिंह टोहरी, एएसआई राजवीर व अन्य पुलिस पार्टी ने गुप्त सूचना के आधार पर नाबालिग लड़की को भगाने वाले आरोपी रामकृष्ण पुत्र बुधराम वासी कुंडल को काबू किया था। लड़की का मेडीकल करवाने के बाद युवक के खिलाफ धारा 376 की बढ़ौतरी की गई है। लड़की के उसके परिजनों के हवाले कर दिया गया। मिली जानकारी अनुसार थाना बहाववाला पुलिस ने लड़की के पिता के बयानों के आधार पर मुकदमा नं. 11, 14.01.2021 भांदस की धारा 363, 366ए के तहत उसकी नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर भगाने के आरोप में आरोपी रामकृष्ण पुत्र बुधराम वासी कुंडल के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। बताया जा रहा है कि लड़की अपने ननिहाल में पड़ती थी। लड़की अपने माता-पिता को मिलने के लिए आई हुई थी। रामकृष्ण उसे शादी का झांसा देकर बहला फुसला कर ले गया। लड़के को काबू कर अदालत में पेश किया गया जहां पर मेडीकल रिपोर्ट के बाद उसके खिलाफ धारा 376 की बढ़ौतरी कर जेल भेज दिया गया। ...