#बेसहाराबाल वनिता वृद्ध महिला आश्रमखोया है उसने अपनों को किन बेदर्द हालातों में।भरपेट खाना खाकर सुकून की नींद लेने वालोंकभी #महसूस करके देखो किसी बेसहारा का दर्द बातों में। By *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब*जो फुटपाथ पर अपनी हर एक रात बितातें हैं,एक हल्की सी आहट से ही जाग जाते हैं।और जब पातें हैं तन्हा खुद को बेबसी की इस जंग में,तो घुटनों से दबा के खाली पेट भूख और ठण्ड दोनों को मिटाते हैं।सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं,बाँध लो एक डोर इनसे रिश्ते-नातों मेंकभी महसूस करके देखो किसी बेसहारा का दर्द बातों में।लगाओ तुम गले उनको,इंतजार छोड़ दो,किसी बेसहारा के लिए थोडा सा प्यार छोड़ दो।फिर देखना उसकी एक #मुस्कुराहट कितनासुकून देती है,खून के रिश्तों से बड़ा, #इंसानियत का #रिश्ता जोड़ दो।#जिन्दगी का #मकसद सफल हो जायेगा थाम लो एक मजबूर हाथअपने हाथों में,कभी #महसूस करके देखो किसी #बेसहारा_का #दर्द #बातों में।
#बेसहारा
बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम
खोया है उसने अपनों को किन बेदर्द हालातों में।
भरपेट खाना खाकर सुकून की नींद लेने वालों
कभी #महसूस करके देखो किसी बेसहारा का दर्द बातों में।
By *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब*
जो फुटपाथ पर अपनी हर एक रात बितातें हैं,
एक हल्की सी आहट से ही जाग जाते हैं।
और जब पातें हैं तन्हा खुद को बेबसी की इस जंग में,
तो घुटनों से दबा के खाली पेट भूख और ठण्ड दोनों को मिटाते हैं।
सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं,बाँध लो एक डोर इनसे रिश्ते-नातों में
कभी महसूस करके देखो किसी बेसहारा का दर्द बातों में।
लगाओ तुम गले उनको,इंतजार छोड़ दो,
किसी बेसहारा के लिए थोडा सा प्यार छोड़ दो।
फिर देखना उसकी एक #मुस्कुराहट कितनासुकून देती है,
खून के रिश्तों से बड़ा, #इंसानियत का #रिश्ता जोड़ दो।
#जिन्दगी का #मकसद सफल हो जायेगा थाम लो एक मजबूर हाथ
अपने हाथों में,
कभी #महसूस करके देखो किसी #बेसहारा_का #दर्द #बातों में।
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