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Baluwana News

ਕਿਸਾਨ ਪਰੇਸ਼ਾਨ:ਖਰਾਬ ਮੌਸਮ ਅਤੇ ਗੜੇਮਾਰੀ ਕਾਰਨ ਕਣਕ ਦੀ ਫਸਲ ਖਰਾਬ ਹੋ ਗਈ, ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਹੰਕਾਰ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ

ਸਾਲਾਹਵਾਸਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ
  • ਝੋਨੇ ਦੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਉੱਤੇ ਗੜੇ ਪੈਣ ਕਾਰਨ ਜ਼ਮੀਨ ‘ਤੇ ਡਿੱਗ ਗਿਆ
  • ਵਿਗੜਦਾ ਮੌਸਮ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਹੰਕਾਰ ਨੂੰ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ 
  • ਹੈ.
  • By Vnita Kasnia Punjab

ਓਲੇ ਸੋਮਵਾਰ ਦੇਰ ਰਾਤ ਤੇਜ਼ ਹਵਾ ਅਤੇ ਬਾਰਸ਼ ਨਾਲ ਡਿੱਗਿਆ. ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਭਾਰੀ ਬਾਰਸ਼ ਹੋਈ. ਇਸ ਨਾਲ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਕਟਾਈ ਵਾਲੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਵਿਗੜ ਰਹੇ ਮੌਸਮ ਨੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਹੰਕਾਰ ਨੂੰ ਬਦਲ ਦਿੱਤਾ। ਖੇਤਰ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਹੈ ਕਿ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਗਿਰਦਾਵਰੀ ਕਰਵਾ ਕੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮੁਆਵਜ਼ੇ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ। ਖੇਤਰ ਦੇ ਪਿੰਡਾਂ, ਸਸਰੋਲੀ, ਮਾਲੀਆਵਾਸ, ਨੌਗਾਵਾ, ਸੁੰਦਰੀਹੇਤੀ, ਆਦਿ ਵਿੱਚ, ਰਾਤ ​​ਨੂੰ ਤੇਜ਼ ਹਵਾ ਅਤੇ ਮੀਂਹ ਨਾਲ ਗੜੇ ਪਏ। ਮੀਂਹ ਦੇ ਸਮੇਂ, ਗੜੇ ਫਸਲਾਂ ਤੇ ਡਿੱਗ ਪਏ ਅਤੇ ਕੰਨਾਂ ਦੀਆਂ ਤੋੜ ਭੰਨ੍ਹ ਕੇ ਜ਼ਮੀਨ ਉੱਤੇ ਡਿੱਗ ਪਈ.

ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਵਾਰ ਵਾਰ ਤਬਦੀਲੀ ਆਉਣ ਕਾਰਨ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਕਿਸਾਨ

ਕਿਸਾਨ ਸੁਰੇਂਦਰ, ਜਲੇ ਸਿੰਘ ਨੰਬਰਦਾਰ, ਰੋਹਤਾਸ, ਓਮਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨੰਬਰਦਾਰ, ਸਾਬਕਾ ਸਰਪੰਚ ਸੁਖਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਭੈਲਰਾਮ, ਰਾਜੇਸ਼, ਪ੍ਰਦੀਪ, ਧਰਮਪਾਲ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਕਿ ਕਣਕ, ਸਰ੍ਹੋਂ, ਜੌਂ ਦੀ ਰਕਬੇ ਵਿੱਚ ਕਾਸ਼ਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਕਿਸਾਨਾਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ 'ਤੇ ਅਧਾਰਤ ਹੈ. ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਆਉਣ ਕਾਰਨ ਕਿਸਾਨ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਨੀਂਦ ਵਿੱਚ ਸਨ। ਕਿਸਾਨ ਮੀਂਹ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਸਨ। ਮੀਂਹ ਅਤੇ ਗੜੇ ਨੇ ਫਸਲਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਨੁਕਸਾਨ ਕੀਤਾ ਹੈ.

ਸਰ੍ਹੋਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਚੱਲ ਰਹੀ ਹੈ

ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸਰ੍ਹੋਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਨੇ ਸਰ੍ਹੋਂ ਦੀ ਫ਼ਸਲ ਦਾ ਤਕਰੀਬਨ 50 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਘੱਟ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਕਣਕ ਦੀ ਫਸਲ ਲਗਭਗ ਤਿਆਰ ਹੈ. ਮੀਂਹ ਅਤੇ ਗੜੇਮਾਰੀ ਦੇ ਤੂਫਾਨ ਕਾਰਨ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਮੌਸਮ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ। ਵਾvestੀ ਦਾ ਮੌਸਮ ਚੱਲ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲੀ ਕਾਰਨ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪਹੁੰਚਿਆ ਹੈ।

ਹੁਣ ਸਰ੍ਹੋਂ ਦਾ ਪਲਵਰ ਤਿਆਰ ਹੈ, ਕਿਸਾਨ ਕੰਬਾਈਨ ਮਸ਼ੀਨ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ

ਸਰ੍ਹੋਂ ਦਾ ਪੱਕਾ ਤਿਆਰ ਹੋਈ ਕੰਬਾਈਨ ਮਸ਼ੀਨ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ. ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਮੀਂਹ ਪੈਣ ਕਾਰਨ ਕਿਸਾਨ ਸੁਰੇਂਦਰ, ਜਲੇ ਸਿੰਘ ਨੰਬਰਦਾਰ, ਰੋਹਤਾਸ ਓਮਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨੰਬਰਦਾਰ, ਸਾਬਕਾ ਸਰਪੰਚ ਸੁਖਵਿੰਦਰ, ਭੈਲਰਾਮ, ਰਾਜੇਸ਼, ਪ੍ਰਦੀਪ, ਧਰਮਪਾਲ ਆਦਿ ਪਿੰਡ ਸਸਰੋਲੀ, ਮੱਲੀਆਂ, ਸੁੰਦਰਹੇਟੀ, ਨੌਗਾਵਾ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਸਰ੍ਹੋਂ ਦੀ ਫਸਲ 70 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਨੁਕਸਾਨ ਹੈ ਹੈ.

ਇਹ ਸੱਚ ਹੈ ਕਿ ਹੁਣ ਤੱਕ 25 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਘਾਟਾ ਹੋਇਆ ਹੈ. ਪਿੰਡ ਸਸਰੋਲੀ, ਮਾਲੀਆਵਾਸ, ਨੌਗਾਵਾ, ਸੁੰਦਰਹੇਟੀ ਵਿੱਚ ਗੜੇ ਤੇ ਮੀਂਹ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਹਨ।


By Vnita Kasnia Punjab


Farmers upset: Wheat crop damaged due to bad weather and hailstorm, water on farmers' arrogance

 The day before the salutation

 

 Paddy crops fell to the ground due to hail

 Bad weather would change the pride of the farmers

 Is.

 

 By Vnita Kasnia Punjab

 Hail fell late Monday night with strong winds and rain.  There was heavy rain during this time.  This has damaged the harvested crops of the farmers.  Deteriorating weather changed the pride of the farmers.  The farmers of the area have demanded special compensation for the farmers by making special girdavri as soon as possible.  In the villages of the area, Sasroli, Maliawas, Naugawa, Sundariheti, etc., hail with strong winds and rain at night.  During the rains, hail fell on the crops and broke the ears and fell to the ground.

 Disturbed farmers due to frequent changes in weather

 Farmers Surender, Jale Singh Nambardar, Rohtas, Omprakash Nambardar, former Sarpanch Sukhwinder Singh, Bhailram, Rajesh, Pradeep, Dharampal say that wheat, mustard and barley are cultivated in the area.  Farmers' livelihood is based entirely on agriculture.  The farmers had been asleep for two days due to frequent changes in the weather.  Farmers were afraid of rain.  Rains and hailstorms have damaged crops by one percent.

 Mustard is being harvested

 Farmers said that mustard harvesting has reduced the mustard crop by about 50 per cent.  The wheat crop is almost ready.  Rains and hailstorms have affected farmers.  The rainy season is in full swing, with farmers suffering due to climate change.

 Now the mustard pulver is ready, the farmers are waiting for the combine machine

 The mustard plant was waiting for the ready-made combine machine.  Due to two days of rains, farmers Surender, Jale Singh Nambardar, Rohtas Omprakash Nambardar, former Sarpanch Sukhwinder, Bhailram, Rajesh, Pradeep, Dharampal, etc., farmers of villages Sasroli, Mallian, Sundarheti, Naugawa said that the mustard crop was 70 per cent damaged.

 True, there has been a 25 percent loss so far.  Hail and rain have affected villages Sasroli, Maliawas, Naugawa and Sundarheti.

 


 By Vnita Kasnia Punjab

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बढ़ना ही हमारी फितरत है.. तो आखिर सुकून क्या है.. #अपने_अहंकार, #अपनी_ज़िद्द से कहीँ दूर किसी कोने में बैठकर.. खुद में और दूसरों में घटते बढ़ते इस चांद को देखना.. उसे महसूस करना.. इस कुदरत को समझना. उसके कायदों को समझना..#फिर_हल्के_से_मुस्कुराना.. बस यही सुकून है..🙏🙏 (ये पोस्ट वनिता कासनियां पंजाब किसी ने भेजा था l) ॐ। 9 अक्तूबर २०२२ रविवार #शरद #पूर्णिमा है , #अश्विन मास की शरद पूर्णिमा बेहद खास होती है क्योंकि साल में एक बार आने वाली ये पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है. इसे कुछ लोग #रास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि #श्रीकृष्ण ने महारास किया था। कहा जाता है कि इस रात में #खीर को खुले आसमान में चंद्रमा के प्रकाश में रखा जाता है और उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है. बता दें इस बार शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर गुरुवार आज है. सनातन परंपरा के अनुसार कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. मान्यता है की शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है. जो स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होती है. इस रात लोग मान्यता के अनुसार खुले में खीर बनाकर रखते हैं और सुबह उसे सब के बीच में बांटा जाता है. यही कारण है कि इस रात लोग अपनी छतों पर या चंद्रमा के आगे खीर बनाकर रखते हैं और प्रसाद के रूप में खीर को बांटा जाता है। बड़ी ही उत्तम तिथि है शरद पूर्णिमा. इसे #कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है. कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां #लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है. इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते है शरद पूर्णिमा का महत्व - शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है. - इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और #सोलह कलाओं से युक्त होता है. - इस दिन चन्द्रमा से #अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है. - #प्रेम और #कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था. - इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन #सेहत, अपार #प्रेम और खूब सारा #धन पाया जा सकता है - पर #प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों के पालन की आवश्यकता है. इस बार शरद पूर्णिमा 05 अक्टूबर को होगी शरद पूर्णिमा पर यदि आप कोई महाप्रयोग कर रहे हैं तो पहले इस तिथि के नियमों और सावधानियों के बारे में जान लेना जरूरी है. शरद पूर्णिमा #व्रत विधि - पूर्णिमा के दिन सुबह में #इष्ट #देव का पूजन करना चाहिए. - #इन्द्र और #महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. - #गरीब बे #सहारा को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए. - लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. - रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए. - #गरीबों में खीर आदि #दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है. शरद पूर्णिमा की सावधानियां - इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखने का प्रयास करें. - उपवास ना भी रखें तो भी इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए. - इस दिन काले रंग 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पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है. पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है. उसने हिंदू धर्म की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया. बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ. जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया. उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया. फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया. बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे को छू गया. बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा. तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. मेरे बैठने से यह मर जाता. तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था. तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है. तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है. उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया. . #शरद_पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व रोगियों के लिए वरदान हैं शरद पूर्णिमा की रात एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है। रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। लंकाधिपति रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी। चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है। अध्ययन के अनुसार दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। हल्दी का उपयोग निषिद्ध है। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए। रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय उपयुक्त रहता है। वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा की रात दमा रोगियों के लिए वरदान बनकर आती है। इस रात्रि में दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे चांदनी रात में रखकर प्रात: 4 बजे सेवन किया जाता है। रोगी को रात्रि जागरण करना पड़ता है और औ‍षधि सेवन के पश्चात 2-3 किमी पैदल चलना लाभदायक रहता है।

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समस्त देशवासियों को ‘विजयादशमी’ की हार्दिक शुभकामनाएं।बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का यह महापर्व सभी के जीवन में नई ऊर्जा व प्रेरणा का संचार करे। देशवासियों को विजय के प्रतीक-पर्व विजयादशमी की बहुत-बहुत बधाई। मेरी कामना है कि यह पावन अवसर हर किसी के जीवन में साहस, संयम और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आए।#बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम #संगरिया #राजस्थान #पंजाब #हरियाणा#देखना साथ हीं छूटे न #बुजुर्गों 👴👵का कहीं ,पत्ते🌿☘️ पेड़ों पर लगे हों तो हरे रहते हैं |🌳#अंतर्राष्ट्रीय_वृद्धजन_दिवस 🌺पर सभी देवतुल्य बुजुर्गों को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं |🌹सुख ,समृद्धि और स्वाभिमान को संजोनेवाले बुजुर्ग हमारे समाज की धरोहर है उनका सम्मान करें।नतमस्तक नमन🌺💐☘️🌹💐🎖️🙏🙏🙏

समस्त देशवासियों को ‘विजयादशमी’ की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का यह महापर्व सभी के जीवन में नई ऊर्जा व प्रेरणा का संचार करे।  देशवासियों को विजय के प्रतीक-पर्व विजयादशमी की बहुत-बहुत बधाई। मेरी कामना है कि यह पावन अवसर हर किसी के जीवन में साहस, संयम और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आए। #बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम #संगरिया #राजस्थान #पंजाब #हरियाणा #देखना साथ हीं छूटे न #बुजुर्गों 👴👵का कहीं , पत्ते🌿☘️ पेड़ों पर लगे हों तो हरे रहते हैं |🌳 #अंतर्राष्ट्रीय_वृद्धजन_दिवस 🌺 पर सभी देवतुल्य बुजुर्गों को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं |🌹 सुख ,समृद्धि और स्वाभिमान को संजोनेवाले बुजुर्ग हमारे समाज की धरोहर है उनका सम्मान करें। नतमस्तक नमन🌺💐☘️🌹💐🎖️🙏🙏🙏

लोहड़ी 2021: आज देशभर में मनाई जा रही लोहड़ी, जानिए क्या है इस त्यौहार का महत्व ये त्योहार सुबह से शुरू होकर शाम तक चलता है. लोग पूजा के दौरान आग में मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ चढ़ाते हैं. आग में ये चीजें चढ़ाते समय 'आधार आए दिलाथेर जाए' बोला जाता है. इसका मतलब होता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी जाए. किसान सूर्य देवता को भी नमन कर धन्यवाद देते हैं. ये भी माना जाता है कि किसान खेतों में आग जलाकर अग्नि देव से खेतों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रार्थना करते हैं.इसके बाद मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं. लोहड़ी के दिन पकवान के तौर पर मीठे गुड के तिल के चावल, सरसों का साग, मक्के की रोटी बनाई जाती है. लोग इस दिन गुड़-गज्जक खाना शुभ मानते हैं. पूजा के बाद लोग भांगड़ा और गिद्दा करते हैं.लोहड़ी का महत्वलोहड़ी का भारत में बहुत महत्व है. लोहड़ी एक ऐसे पर्व के रूप में मनाई जाती है जो सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत है. लोहड़ी यूं तो आग लगाकर सेलिब्रेट की जाती है लेकिन लकड़ियों के अलावा उपलों से भी आग लगाना शुभ माना जाता है.लोहड़ी के पावन मौके पर लोग रबी की फसल यानि गेहूं, जौ, चना, मसूर और सरसों की फसलों को आग को समर्पित करते हैं. इस तरीके से देवताओं को चढ़ावा और धन्यवाद दिया जाता है. ये वही समय होता है जब रबी की फसलें कटघर घर आने लगती हैं. आमतौर लोहड़ी का त्योहार सूर्य देव और अग्नि को आभार प्रकट करने, फसल की उन्नति की कामना करने के लिए मनाया जाता है.लोहड़ी का महत्व एक और वजह से हैं क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि से गुजर कर उत्तर की ओर रूख करता है. ज्योतिष के मुताबिक, लोहड़ी के बाद से सूर्य उत्तारायण बनाता है जिसे जीवन और सेहत से जोड़कर देखा जाता है.आखिर क्यों मनाते हैं लोहड़ीआपने लोहड़ी तो खूब मनाई होगी लेकिन क्या असल में आप जानते हैं क्यों मनाई जाती है लोहड़ी. बहुत से लोग लोहड़ी को साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे लंबी के तौर पर मनाते हैं. पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है. लोहड़ी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था. बेशक होलिका का दहन हो गया था. किसान लोहड़ी के दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं.,