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नई दिल्ली, एएनआइ। संसद के बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन शनिवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पास हो गया। राज्‍यसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका था। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब इससे पहले अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार काम गिनाए और विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के काम गिनाते हुए कहा कि आपकी चार पीढ़ी ने जितना काम किया है उतना काम हमने डेढ़ साल के अंदर किया है। 17 महीने में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम हुए। पनबिजली परियोजनाओं में 3490 मेगवाट का काम हुआ। 100 फीसद लोगों को घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त हो गया है। 3,57,405 लोगों को 70 साल से बिजली नहीं मिली थी, उनको 17 महीने में बिजली देने का काम किया गया।अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में वर्षों तक शासन करने वाले तीन परिवार बताएं कि उन्होंने वहां के लोगों के स्वास्थ्य के लिए क्या किया? मैं सदन को गौरव के साथ बताना चाहता हूं कि 17 महीने में हमने जम्मू कश्मीर में पीएमडीपी के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय से 881 करोड़ रुपये की धनराशि भेज दी है। 75 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं, 2022 तक 39 अन्य परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी।- गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के उद्योग में सबसे बड़ी बाधा थी कि वहां कोई भी उद्योग लगाना चाहे तो उन्हें जमीन नहीं मिलती थी। 370 हटने के बाद, जमीन के कानून में हमने परिवर्तन किया और अब ऐसी स्थिति हुई है कि कश्मीर के अंदर उद्योग लग पाएंगे।- शाह ने बताया कि बैक टू विलेज कार्यक्रम के तहत जम्मू कश्मीर बैंक को 15,000 छोटे छोटे ऋण के मामले दिए गए हैं। मुझे बताते हुए आनंद है कि इनमें से लगभग 4600 महिला सहित 13,000 मामलों को ऋण देने का काम भी पूरा कर लिया गया है, वो अपनी छोटी छोटी इकाइयां स्थापित कर रहे हैं।- अमित शाह ने कहा कि 44,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को जिनके पास राहत कार्ड है, उन्हें 13,000 रुपये प्रति महीने सरकार देती है। निशुल्क राशन देते हैं। ये हमारे समय में विस्थापित नहीं हुए। कांग्रेस इन्हें सुरक्षा नहीं दे पाई, इसलिए ये विस्थापित हुए। 3000 नौकरियां दे दी गईं हैं। 6,000 लोगों को कश्मीर घाटी में 2022 तक घर देकर हम बसा देंगे।- शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीति का हिस्सा हम न बनाएं। बहुत सारी चीजें हैं राजनीति करने के लिए। मगर ये देश का संवेदनशील हिस्सा है, उनको कई घाव लगे हैं। उनको मरहम लगाना हमारा काम है।- शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 जाने के बाद जम्मू कश्मीर में किसी के साथ भी अन्याय हो, ऐसी आशंका को ही समाप्त कर दिया गया है। 2014-15 से 2019 तक 4,164 करोड़ रुपये की राशि लद्दाख में भेजी गई है। 31-10-2019 से 31-03-2020 तक 3,518 करोड़ रुपये हम लद्दाख के लिए भेज चुके हैं। मैं फिर से जम्मू कश्मीर के लोगों से वादा करता हूं कि पूर्ण राज्य का स्टेटस आपको निश्चित मिलेगा। आपके राज्य का विकास जो अटक गया है, उसे पटरी पर चढ़ाकर पूर्ण राज्य का दर्जा जरूर वापस देंगे।- अमित शाह ने कहा कि कोरोना के कारण पूरी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है। मनीष तिवारी आप पंजाब से आते हैं, वहां से आंकड़े देख लें। वहां आपकी सरकार (कांग्रेस) है या राजस्थान, छत्तीसगढ़ से के आंकड़े देख लें। जहां तक मंदी का सवाल है, तो जम्मू-कश्मीर इन सभी से बेहतर कर रहा है।- अमित शाह ने यह भी कहा कि कोई भी नहीं, हमारे प्रतिद्वंद्वी भी नहीं कह सकते कि चुनाव (डीडीसी) के दौरान धोखाधड़ी या अशांति हुई। सभी ने निडर और शांति से मतदान किया। पंचायत चुनाव में 51% वोट पड़े। जिन्होंने अनुच्छेद 370 वापस लाने के आधार पार चुनाव लड़ा, वो साफ हो गए।- गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सही समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि किसके दबाव में अनुच्छेद 370 को इतने समय तक जारी रखा? आप 17 महीने में हिसाब मांगते हैं, 70 साल तक जब अस्थायी अनुच्छेद 370 चली उस वक्त हिसाब क्यों नहीं मांगते थे? अस्थायी प्रावधान को खत्म नहीं किया क्योंकि वोट बैंक की राजनीति करनी थी।- इससे पहले अमित शाह ने कांग्रेस पर अनुच्छेद 370 को लकेर निशाना साधते हुए कहा कि हमसे पूछा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे उसकी दिशा में क्या किया गया? अनुच्छेद 370 हटे हुए 17 महीने हुए और आप हमसे हिसाब मांग रहे हैं, 70 साल आपने क्या किया इसका हिसाब लेकर आए हो? अगर 70 साल ढंग से चलाते तो हमसे हिसाब मांगने का समय ही नहीं आता। जिनको पीढ़ियों तक शासन करने का मौका दिया वो अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि हम हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं।- अमित शाह ने यह भी बताया कि जम्मू कश्मीर की पंचायतों को हमने अधिकार दिया है, बजट दिया है। पंचायतों को सुदृढ़ किया है। प्रशासन के 21 विषयों को पंचायतों को दे दिया है। करीब 1500 करोड़ रुपये सीधे बैंक खातों में डालकर जम्मू कश्मीर के गांवों के विकास का रास्ता प्रशस्त किया है। हमने जम्मू कश्मीर में 50,000 परिवारों को स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर किया है। 10,000 युवाओं को रोजगार योजना में कवर किया है। 6,000 नए कार्य शुरु किए। मेरा शहर-मेरा गौरव के तहत शहरी विकास के कार्य किए गए हैं।- अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री विकास पैकेज पीएम योजना की जो घोषणा हुई , उसका पुनर्निर्माण और मेगा विकास का जो पैकेज था, इसके तहत 58,627 करोड़ रुपये परिव्यय की 54 योजनाएं थी और उसे लगभग 26% और बढ़ाया गया है। आइआइटी जम्मू ने अपने परिसर में शिक्षण शुरु कर दिया है। दोनों एम्स का निर्माण कार्य शुरु हो गया है। 8.45 किमी बनिहाल सुरंग को इस साल खोलने की योजना है। 2022 तक हम कश्मीर घाटी को रेलवे से जोड़ने का काम भी करने वाले हैं।- अमित शाह ने कहा कि 54 में से 20 परियोजनायें, जिनमें से 7 केंद्रीय और 13 संघ राज्य की थी, ये काफी हद तक पूरी हो चुकी है और बाकी 8 परियोजनाएं मार्च के अंत तक पूरी हो जाएगी । यानी 54 में से 28 परियोजनाओं को काम हमने पूरा कर दिया है। जबसे राष्ट्रपति शासन मिला तबसे लगभग हर घर को बिजली देने का काम पूरा हो गया है। उज्ज्वला योजना के तहत 12,60,685 माताओं को गैस का सिलेंडर देने का काम हमने पूरा कर दिया है।- अमित शाह ने कहा कि मनीष तिवारी कांग्रेस के दिनों को याद करें। हजारों लोग मारे जाते थे, कर्फ्यू लगा दिया जाता था। डेटा के आधार पर स्थिति का आंकलन करें। कश्मीर में शांति एक बड़ी बात है। मैं अशांति के दिनों को याद नहीं करना चाहता। ऐसे दिन नहीं वहां फिर नहीं होंगे अब हमारी सरकार है।- अमित शाह ने कहा कि कई सांसदों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 लाने का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे इस बिल को लेकर लाए हैं। कहीं नहीं लिखा है कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। आप कहां से निष्कर्ष निकाल रहे हैं? गृह मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने सदन में पहले भी कहा है और फिर से कह रहे हैं कि इस विधेयक को जम्मू और कश्मीर के राज्य के दर्जे के साथ कोई लेना-देना नहीं है। सही समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा।- अमित शाह ने इस दौरान कहा कि हमारी सरकार आने के बाद जम्मू कश्मीर में पंचायती राज की शुरुआत हुई है। मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार पर भी निशाना साधा और कहा कि पहले जम्मू कश्मीर में तीन लोग परिवार के लोग ही शासन कर रहे थे। इसलिए वो अनुच्छेद 370 के पक्ष में रहते थे। दिसंबर 2018 में जम्मू कश्मीर की निचली पंचायत के चुनाव हुए, जिसमें 74% लोगों ने मतदान किया। कश्मीर के इतिहास में इतना मतदान कभी नहीं हुआ था। वहां करीब 3650 सरपंच निर्वाचित हुए, 33,000 पंच निर्वाचित हुए। अब वहां राजा-रानी के पेट से नेता नहीं बनेंगे, वोट से नेता चुने जाएंगे। क्या कश्मीरी युवा को देश की ऑल इंडिया कैडर में आने का अधिकार नहीं है? अगर स्कूल न जलाए होते तो कश्मीर के बच्चे भी आज आइएएल और आइपीएस बने होते।- अमित शाह ने इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि 2जी से 4जी विदेशियों के दबाव में किया है। उनको पता नहीं है कि ये यूपीए सरकार नहीं है, जिसे वो समर्थन करते थे। ये नरेंद्र मोदी सरकार है। इसमें देश की सरकार, देश की संसद, देश के लिए फैसले करती है। औवेसी साहब अफसरों का भी हिन्दू मुस्लिम में विभाजन करते हैं। एक मुस्लिम अफसर हिन्दू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिन्दू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता क्या? अफसरों को हिन्दू मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को सेक्युलर कहते हैं।- जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 में मौजूदा जम्मू कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों का अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम केंद्र शासित प्रदेशों में विलय करने का प्रावधान है। इस दौरान गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद जम्मू और कश्मीर में लगभग 170 केंद्रीय कानूनों को लागू किया जा रहा है। सरकार जम्मू और कश्मीर में विभिन्न विकास परियोजनाओं और योजनाओं को लागू कर रही है।- लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद जो सपने दिखाए थे, वे पूरे नहीं हुए हैं। जम्मू और कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हुए। 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक का स्थानीय व्यापार खत्म हो गया। हम चाहते हैं कि आप हमें बताएं कि आप जम्मू-कश्मीर में चीजों को कैसे सुधारेंगे। उन्होंने यह बात जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक,2021 पर चर्चा के दौरान कही।- अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि अमित शाह जी, आपने कहा था कि आप ब्राह्मणों को वापस लाएंगे। क्या आप पंडितों को वापस लाने में सफल रहे? आप कहते हैं कि आप गिलगित बाल्टिस्तान वापस लाएंगे। यह बाद की बात है। लेकिन कम से कम उन लोगों को वापस लेकर आएं, जो आंतरिक रूप से विस्थापित हुए, जो लोग कश्मीर घाटी नहीं जा सकते।- दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए सीआरपीएफ के महानिदेशक एपी माहेश्वरी संसद भवन पहुंचे।- अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आप कश्मीरी पंडितों को 200-300 एकड़ जमीन देने में सफल नहीं हुए। अपने चुनाव घोषणा पत्र में, आपने वादा किया था कि आप कश्मीरी पंडितों को वापस लाएंगे। क्या आप सफल हुए? आपको कम से कम कहना चाहिए, 'रात गई तो बात गई। चुनाव गया तो वादा गया'। आपको अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में शनिवार को बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए एक बार फिर कांग्रेस और विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस क्यों पहले कृषि कानूनों का समर्थन करती थी? अब बदल गई? किसानों को इतना ज्ञान देने वाली कांग्रेस बहुत से राज्यों में चुनाव जीतने के लिए कहती थी कि हम कृषि लोन देंगे, लेकिन मध्य प्रदेश में यह लागू नहीं हुआ। कांग्रेस ने वोट लिया और किसानों को गुमराह किया। कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में कर्ज माफ नहीं किया। उम्मीद थी कि कांग्रेस इस पर बयान देगी, लेकिन नहीं दिया। उम्मीद थी कि कांग्रेस पराली के विषय पर पंजाब में कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों को कुछ राहत दिलाएगी, मगर ये भी नहीं किया।- सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि उम्मीद थी की हमारे तीन कानूनों में से कम से कम एक बिंदु निकालकर वे बोलेंगे कि इसकी वजह से किसानों को नुकसान होगा, मगर यह भी नहीं हुआ। उन्होंने एक बार फिर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस बोल सकती थी कि 'हम दो हमारे दो' में दामाद को आदेश देकर आए हैं कि जमीन वापस करो, लेकिन वह भी नहीं किया। तीनों कृषि कानूनों के आने के बाद एपीएमसी देशभर में कहीं भी बंद हुआ है क्या? कहीं भी बंद नहीं हुआ। यह साबित करें कि कहीं भी एक भी एपएमसी मंडी बंद हुई हो। हम एपीएमसी का ढांचा बढ़ाने के लिए राज्यों को फंड भी दे रहे हैं।- राहुल गांधी की टिपण्णी पर जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि 'हम दो हमारे दो' आपके यहां है। इसका मतलब है कि हम दो लोग पार्टी संभालेंगे और दो अन्य लोग ( बेटी और दामाद) अन्य चीजों का ध्यान रखेंगे। हम ऐसा नहीं करते हैं। 50 लाख स्ट्रीट ट्रेडर्स को एक वर्ष के पूंजी के रूप में 10,000 रुपये दिए गए हैं। वे कोई पूंजीपति नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग हम लगातार पूंजीपतियों के लिए काम करने का आरोप लगाते हैं उनके लिए पीएम स्वनिधि योजना एक उदाहरण है। पीएम स्वनिधि योजना पूंजीपतियों के लिए नहीं है। कुछ राज्यों (राजस्थान और हरियाणा) में जब एक पार्टी की सरकार थी तब दमाद को वहां भूमि दी गई। हमारे क्रोनी कौन हैं?-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आज बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि महामारी जैसी चुनौतीपूर्ण स्थिति भी सरकार को उन सुधारों को लाने से नहीं रोक सकी, जो इस देश के दीर्घकालिक विकास के लिए आवश्यक हैं। ये सुधार भारत को विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे। इस बजट ने भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की गति निर्धारित की है।-सीतारमण ने आगे कहा कि यह बजट नीतियों पर आधारित है। हमने अर्थव्यवस्था को खोला और कई सुधार किए। भाजपा ने लगातार भारत, भारतीय व्यवसाय और अर्थव्यवस्था की मजबूती पर विश्वास किया। यह जनसंघ से लेकर अभी तक चल रहा है। भारतीय उद्यम जिस सम्मान के हकदार थे हमने वह दिया।- निर्मला सीतारमण ने कहा कि कुछ सदस्यों ने सवाल किया है कि क्या अल्पसंख्यक मामलों के लिए आवंटन, एससी और एसटी के लिए आवंटन कम कर दिया गया है। नहीं, ऐसा नहीं है। 2021-22 में अल्पसंख्यक मामलों के लिए कुल आवंटन 4,811 करोड़ रुपये है, जो मंत्रालय के लिए 8.6% की वृद्धि है। यह वास्तविक व्यय से अधिक है। एससी के कल्याण के लिए प्रदान किए गए कुल आवंटन में 2020-21 में 83,257 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि 2021-22 में यह 1,26,259 रुपये थी। एसटी के कल्याण के लिए प्रदान किए गए कुल आवंटन में भी वृद्धि हुई है। यह 2020-21 में 53,653 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 79,942 करोड़ रुपये हो गई।- निर्मला सीतारमण ने कहा,' कहा गया कि भाषण में रक्षा क्षेत्र के बारे में कोई उल्लेख नहीं था। रक्षा के बारे में जानकारी क्यों छिपाई गई? 2013-14 में 1,16,931 करोड़ रुपये का रक्षा खर्च इतना बड़ा है कि जब तक कि हम इसे तीन भाग में नहीं करते तब तक राजस्व, पूंजी, पेंशन के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती।' 2013-14 में राजस्व के तहत 1,16,931 करोड़ रुपये , पूंजी के तहत 86,741 करोड़ और 44,500 करोड़ रुपये पेंशन के तहत आवंटित किए गए थे। अब राजस्व के तहत 2,09,319 करोड़, पूंजी के तहत 1,13,734 करोड़ और पेंशन के तहत 1,33,825 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में शनिवार को बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बजट भाषण में, मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा था कि हम स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण ले रहे हैं। इसमें प्रिवेंटिव हेल्थ, क्यूरेटिव हेल्थ और वेल-बीइंग शामिल हैं। मैं दृढ़ता से यह कहना चाहूंगी कि इसमें पानी और स्वच्छता लाने के बावजूद, स्वास्थ्य के लिए आवंटन में कमी नहीं आई है। इसके विपरीत, यह बढ़ गया है।'- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में शनिवार को बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सवाल था कि आपने कृषि बजट को 10 हजार करोड़ क्यों कम किया? आपको किसानों की चिंता नहीं है? इसे ठीक से नहीं समझा गया क्योंकि पीएम किसान सम्मान योजना के शुरू होने से लेकर 10.75 करोड़ किसानों के बैंक खातो में 1.15 लाख करोड़ ट्रांसफर किया गया।,

 
New Delhi, ANI. The Jammu and Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2021 passed in the Lok Sabha on Saturday, the last day of the first phase of the budget session of Parliament. This bill was already passed in the Rajya Sabha. By social worker Vanita Kasani Punjab, before this, Amit Shah counted the central government's work in Jammu and Kashmir and targeted the opposition. Counting the work of the central government in Jammu and Kashmir, he said that the work that your four generations have done, we have done within a year and a half. Worked in the health sector for 17 months. 3490 MW of work was done in hydro projects. The target of providing electricity to 100 percent of the people has been achieved. 3,57,405 people who had not received electricity for 70 years, were given electricity in 17 months. Amit Shah said that three families who ruled in Jammu and Kashmir for years should tell what they did for the health of the people there. did? I want to tell the House with pride that in 17 months we have sent an amount of 881 crores from the Ministry of Health under PMDP in Jammu and Kashmir. 75 projects have been completed, 39 other projects will be completed by 2022.

 - The Home Minister also said that the biggest obstacle in the industry of Jammu and Kashmir was that if they wanted to set up any industry there, they did not get land. After the withdrawal of 370, we changed the law of the land and now such a situation has happened that industries will be established inside Kashmir.

 - Shah informed that under the back to village program, 15,000 small loans have been given to Jammu and Kashmir Bank. I am happy to state that the work of lending to 13,000 cases including about 4600 women has also been completed, they are setting up their own small units.

 - Amit Shah said that the government provides Rs 13,000 per month to the families of 44,000 Kashmiri Pandits who have relief cards. Gives free ration. They were not displaced in our time. The Congress could not protect them, so they were displaced. 3000 jobs have been given. We will give 6,000 people a home in the Kashmir Valley by 2022.

 Shah said that we should not make Jammu and Kashmir and Ladakh a part of politics. There are many things to do politics. But this is a sensitive part of the country, he has suffered many wounds. It is our job to heal them.

 Shah said that after going to Article 370, there should be an injustice to anyone in Jammu and Kashmir, such a fear has been eliminated. An amount of Rs 4,164 crore has been sent to Ladakh from 2014-15 to 2019. From 31-10-2019 to 31-03-2020, we have sent Rs 3,518 crore to Ladakh. I again promise the people of Jammu and Kashmir that you will get full state status. Whatever development has been stuck in your state, you will definitely give it back to full state status.

 - Amit Shah said that the whole world is going through a recession due to Corona. Manish Tiwari You come from Punjab, see the figures from there. There is your government (Congress) or see the figures from Rajasthan, Chhattisgarh. As far as recession is concerned, Jammu and Kashmir is doing better than all these.

 Amit Shah also said that no one, not even our rivals, can say that fraud or unrest occurred during the election (DDC). All voted fearlessly and peacefully. Panchayat elections accounted for 51% of the votes. Those who contested elections on the basis of bringing Article 370 back, became clear.

 - Home Minister Amit Shah said that Jammu and Kashmir will be given state status at the right time. During this, he targeted the Congress and said that under whose pressure did Article 370 continue for so long? You ask for the account in 17 months, why did not you ask for the account when the temporary Article 370 lasted for 70 years? The provisional provision was not abolished as vote bank politics was to be done.

 Earlier, Amit Shah targeted Article 370 on the Congress, saying that we were asked what was done in the direction of the promises made while removing Article 370? It has been 17 months since Article 370 was removed and you are asking us to calculate your account, what have you done for 70 years? If we had run 70 years properly, there would have been no time to ask for our account. Those who have been given the opportunity to rule for generations, look into their downtrodden to see if we deserve to be accounted for.

 - Amit Shah also informed that we have given the right to the panchayats of Jammu and Kashmir, and given the budget. Panchayats have been strengthened. Has given 21 subjects of administration to the panchayats. Putting nearly 1500 crore rupees directly into bank accounts has paved the way for the development of villages in Jammu and Kashmir. We have covered 50,000 families under health insurance in Jammu and Kashmir. 10,000 youth have been covered under the employment scheme. 6,000 new works started. Urban development works have been done under Mera Shahar-Mera Gaurav.

 - Amit Shah said that the Prime Minister's Development Package was announced for the PM scheme, the reconstruction and mega development package, under which there were 54 schemes with an outlay of Rs 58,627 crore and has been increased by about 26%. IIT Jammu has started teaching in its campus. Construction work of both AIIMS has started. The 8.45 km Banihal tunnel is planned to be opened this year. By 2022, we are also going to connect the Kashmir Valley with the railways.

 - Amit Shah said that 20 out of 54 projects, of which 7 were from Central and 13 Union Territories, have been substantially completed and the remaining 8 projects will be completed by the end of March. That is, we have completed 28 out of 54 projects. Ever since President's rule, the work of providing electricity to almost every house has been completed. We have completed the delivery of gas cylinders to 12,60,685 mothers under the Ujjwala scheme.

 - Amit Shah said that Manish Tiwari should remember the days of Congress. Thousands of people were killed, curfew was imposed. Evaluate the situation based on the data. Peace is a big thing in Kashmir. I do not want to remember the days of unrest. There will not be such days again, now our government is there.

 - Amit Shah said that many MPs said that the introduction of Jammu and Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2021 meant that Jammu and Kashmir would not get the status of the state. They said that they have brought this bill. Nowhere is it written that Jammu and Kashmir will not get statehood. Where are you concluding? The Home Minister further said that he has spoken before in the House and is again saying that the Bill has nothing to do with the state status of Jammu and Kashmir. Jammu and Kashmir will be given state status at the right time.

 - Amit Shah said during this period that after the coming of our government, Panchayati Raj has started in Jammu and Kashmir. The Mufti and Abdullah families were also targeted and said that earlier three people in Jammu and Kashmir were ruling the family. Therefore, he was in favor of Article 370. The elections to the lower panchayat in Jammu and Kashmir were held in December 2018, with 74% of the people voting. There was never so much voting in the history of Kashmir. Around 3650 sarpanches were elected there, 33,000 panchs were elected. Now there will not be a leader from the stomach of the king and queen, the leader will be elected by vote. Does the Kashmiri youth not have the right to join the All India cadre of the country? Had the schools not been lit, the children of Kashmir would have also become IAL and IPS today.

 During this time, Amit Shah targeted Asaduddin Owaisi, saying that he said that 2G to 4G has been done under pressure from foreigners. They do not know that it is not the UPA government, which they used to support. This is the Narendra Modi government. In this, the country's government, the country's parliament, makes decisions for the country. Owaisi Sahab also divides officers into Hindu Muslims. Can a Muslim officer not serve the Hindu people or a Hindu officer cannot serve the Muslim people? The officers divide Hindus into Muslims and call themselves secular.

 - The Jammu Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2021 provides for the merger of existing Jammu and Kashmir cadre officers of the Indian Administrative Service, the Indian Police Service and the Indian Forest Service into the Union Territories of Arunachal Pradesh, Goa, Mizoram. During this, Minister of State for Home Affairs Kishan Reddy said that the government is working to take Jammu and Kashmir on the path of development. He said that after the abolition of Article 370, about 170 central laws are being implemented in Jammu and Kashmir. The government is implementing various development projects and schemes in Jammu and Kashmir.

 - Congress leader in Lok Sabha Adhir Ranjan Chaudhary targeted the government on Jammu and Kashmir. He said that the dreams that the government had shown after abolishing Article 370 have not been fulfilled. Things were not normal in Jammu and Kashmir. Local business of over 90 thousand crores rupees. We want you to tell us how you will improve things in Jammu and Kashmir. He said this during the discussion on Jammu and Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2021.

 - Adhir Ranjan Chaudhary further said that Amit Shah, you said that you will bring back the Brahmins. Did you succeed in bringing the Pandits back? You say that you will bring back to Gilgit Baltistan. This is the latter. But at least bring back those who were internally displaced, those who cannot go to Kashmir Valley.

 - Delhi: CRPF Director General AP Maheshwari reached Parliament House to meet Union Home Minister Amit Shah.

 - Adhir Ranjan Chaudhary said that you did not succeed in giving 200-300 acres of land to Kashmiri Pandits. In your election manifesto, you promised that you would bring back the Kashmiri Pandits. did you succeed? You should at least say, 'If it is night, then there is talk. If the election goes, the promise goes. You should make your stand clear.

 Finance Minister Nirmala Sitharaman responded to the discussion on the budget in the Lok Sabha on Saturday, again targeting the Congress and the opposition. He said that why Congress used to support agricultural laws earlier? Now changed The Congress, which gave such knowledge to farmers, used to win elections in many states that we will give agricultural loans, but this did not apply in Madhya Pradesh. The Congress took votes and misled the farmers. The Congress did not waive debts in Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhattisgarh. The Congress was expected to give a statement on this, but did not. It was expected that the Congress government in Punjab would provide some relief to the farmers on the subject of Parali, but it did not.

 Sitharaman said in the Lok Sabha that it was expected that by extracting at least one point from our three laws, they would say that it would harm farmers, but it did not happen. He once again lashed out, saying that the Congress could have said that 'we have come to our two' by ordering the son-in-law to return the land, but he did not. After the introduction of the three agricultural laws, has APMC been closed anywhere in the country? Nowhere closed. Prove that a single APMC market is closed anywhere. We are also giving funds to states to increase the structure of APMC.

 Responding to Rahul Gandhi's comment, Sitharaman said that 'Hum do hamare do' is with you. This means that we two people will handle the party and two other people (daughter and son-in-law) will take care of other things. We do not do this. 50 lakh street traders have been given Rs 10,000 as capital for one year. They are not capitalists. He further said that PM Swanidhi scheme is an example for those who constantly accuse us of working for the capitalists. PM Swanidhi scheme is not for the capitalists. In some states (Rajasthan and Haryana), when one party was in government, Damad was given land there. Who is our crony?

 Finance Minister Nirmala Sitharaman responded to the discussion on the budget in the Lok Sabha today, saying that even a challenging situation like epidemic could not stop the government from bringing the reforms which are necessary for the long-term development of this country. These reforms will pave the way for making India one of the top economies in the world. This budget has set the pace for India to become self-sufficient.

 Sitharaman further said that this budget is based on policies. We opened up the economy and made many reforms. The BJP consistently believed in the strength of India, Indian business and economy. It has been going on since Jan Sangh. We gave the Indian enterprise the respect it deserved.

 - Nirmala Sitharaman said that some members have questioned whether the allocation for minority affairs, allocation for SC and ST has been reduced. No. It's not like that. The total allocation for minority affairs in 2021-22 is Rs 4,811 crore, an increase of 8.6% for the ministry. This is more than the actual expenditure. The total allocation provided for the welfare of SC has increased by Rs 83,257 crore in 2020-21 as against Rs 1,26,259 in 2021-22. The total allocation provided for the welfare of STs has also increased. It increased from Rs 53,653 crore in 2020-21 to Rs 79,942 crore in 2021-22.

 - Nirmala Sitharaman said, 'It was said that there was no mention about defense sector in the speech. Why was information about defense hidden? In 2013-14, the defense expenditure of Rs 1,16,931 crore is so large that unless we do it in three parts, the correct information about revenue, capital, pension is not available. In 2013-14, Rs 1,16,931 crore was allocated under revenue, 86,741 crore under capital and Rs 44,500 crore under pension. 2,09,319 crore has now been allocated under revenue, 1,13,734 crore under capital and 1,33,825 crore under pension.

 - Finance Minister Nirmala Sitharaman while answering the discussion on the budget in Lok Sabha on Saturday said that in the budget speech, I had said very clearly that we are taking a holistic approach to health. This includes preventive health, curative health and well-being. I would like to say strongly that despite bringing water and sanitation into it, the allocation for health has not decreased. On the contrary, it has increased. '

 - Finance Minister Nirmala Sitharaman while answering the discussion on the budget in Lok Sabha on Saturday said that the question was why did you reduce the agriculture budget by 10 thousand crores? You are not worried about the farmers? This was not properly understood as 1.15 lakh crores were transferred to the bank accounts of 10.75 crore farmers since the inception of PM Kisan Samman Yojana.

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लोहड़ी 2021: आज देशभर में मनाई जा रही लोहड़ी, जानिए क्या है इस त्यौहार का महत्व ये त्योहार सुबह से शुरू होकर शाम तक चलता है. लोग पूजा के दौरान आग में मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ चढ़ाते हैं. आग में ये चीजें चढ़ाते समय 'आधार आए दिलाथेर जाए' बोला जाता है. इसका मतलब होता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी जाए. किसान सूर्य देवता को भी नमन कर धन्यवाद देते हैं. ये भी माना जाता है कि किसान खेतों में आग जलाकर अग्नि देव से खेतों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रार्थना करते हैं.इसके बाद मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं. लोहड़ी के दिन पकवान के तौर पर मीठे गुड के तिल के चावल, सरसों का साग, मक्के की रोटी बनाई जाती है. लोग इस दिन गुड़-गज्जक खाना शुभ मानते हैं. पूजा के बाद लोग भांगड़ा और गिद्दा करते हैं.लोहड़ी का महत्वलोहड़ी का भारत में बहुत महत्व है. लोहड़ी एक ऐसे पर्व के रूप में मनाई जाती है जो सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत है. लोहड़ी यूं तो आग लगाकर सेलिब्रेट की जाती है लेकिन लकड़ियों के अलावा उपलों से भी आग लगाना शुभ माना जाता है.लोहड़ी के पावन मौके पर लोग रबी की फसल यानि गेहूं, जौ, चना, मसूर और सरसों की फसलों को आग को समर्पित करते हैं. इस तरीके से देवताओं को चढ़ावा और धन्यवाद दिया जाता है. ये वही समय होता है जब रबी की फसलें कटघर घर आने लगती हैं. आमतौर लोहड़ी का त्योहार सूर्य देव और अग्नि को आभार प्रकट करने, फसल की उन्नति की कामना करने के लिए मनाया जाता है.लोहड़ी का महत्व एक और वजह से हैं क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि से गुजर कर उत्तर की ओर रूख करता है. ज्योतिष के मुताबिक, लोहड़ी के बाद से सूर्य उत्तारायण बनाता है जिसे जीवन और सेहत से जोड़कर देखा जाता है.आखिर क्यों मनाते हैं लोहड़ीआपने लोहड़ी तो खूब मनाई होगी लेकिन क्या असल में आप जानते हैं क्यों मनाई जाती है लोहड़ी. बहुत से लोग लोहड़ी को साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे लंबी के तौर पर मनाते हैं. पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है. लोहड़ी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था. बेशक होलिका का दहन हो गया था. किसान लोहड़ी के दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं.,

ਭਾਰਤBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबਭਾਸ਼ਾPDF ਡਾ Downloadਨਲੋਡ ਕਰੋਦੇਖੋਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਇਹ ਲੇਖ ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰ ਬਾਰੇ ਹੈ। ਹੋਰ ਉਪਯੋਗਾਂ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਵੇਖੋ (ਅਪਮਾਨ) ."ਭਾਰਤ" ਇੱਥੇ ਰੀਡਾਇਰੈਕਟ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਸ਼ਬਦ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਲਈ ਨਾਮ ਵੇਖੋ . ਹੋਰ ਵਰਤੋਂ ਲਈ, ਭਰਤ ਨੂੰ ਵੇਖੋ .ਭਾਰਤ ( ਹਿੰਦੀ : ਭਰਤ ), ਅਧਿਕਾਰਤ ਤੌਰ 'ਤੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਣਤੰਤਰ (ਹਿੰਦੀ: ਭਰਤ ਗੌਰਜਾਯ ), [23] ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦਾ ਇੱਕ ਦੇਸ਼ ਹੈ । ਇਹ ਦੂਜਾ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼, ਜ਼ਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸੱਤਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ। ਇਹ 28 ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . ਦੱਖਣ ਵਿਚ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ , ਦੱਖਣ -ਪੱਛਮ ਵਿਚ ਅਰਬ ਸਾਗਰ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ ਵਿਚ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਇਹ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿਚ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਜ਼ਮੀਨੀ ਸਰਹੱਦਾਂ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦਾ ਹੈ ;[f] ਉੱਤਰ ਵੱਲ ਚੀਨ , ਨੇਪਾਲ ਅਤੇ ਭੂਟਾਨ ; ਅਤੇਪੂਰਬ ਵੱਲ ਬੰਗਲਾਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਮਿਆਂਮਾਰ . ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਸ਼੍ਰੀਲੰਕਾ ਅਤੇ ਮਾਲਦੀਵ ਦੇ ਆਸ ਪਾਸ ਹੈ ; ਇਸਦਾ ਅੰਡੇਮਾਨ ਅਤੇ ਨਿਕੋਬਾਰ ਆਈਲੈਂਡਜ਼ ਥਾਈਲੈਂਡ , ਮਿਆਂਮਾਰ ਅਤੇ ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ ਨਾਲ ਸਮੁੰਦਰੀ ਸਰਹੱਦ ਸਾਂਝੀ ਕਰਦਾ ਹੈ.ਗਣਤੰਤਰਭਰਤ ਗਾਰਜੀਆ( ਹੋਰ ਸਥਾਨਕ ਨਾਮ ਵੇਖੋ )ਖਿਤਿਜੀ ਤਿਰੰਗਾ ਝੰਡਾ ਬੇਅਰਿੰਗ, ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ, ਡੂੰਘੇ ਭਗਵੇਂ, ਚਿੱਟੇ ਅਤੇ ਹਰੇ ਹਰੀਜੱਟਲ ਬੈਂਡ. ਚਿੱਟੇ ਬੈਂਡ ਦੇ ਮੱਧ ਵਿਚ ਇਕ ਨੇਵੀ-ਨੀਲਾ ਚੱਕਰ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 24 ਸਪੋਕਸ ਹਨ.ਝੰਡਾਖੱਬੇ, ਸੱਜੇ ਅਤੇ ਦਰਸ਼ਕ ਵੱਲ ਤਿੰਨ ਸ਼ੇਰ ਮੂੰਹ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ, ਇਕ ਝੁਕਿਆ ਹੋਇਆ ਘੋੜਾ, 24 ਬੋਲੀ ਵਾਲਾ ਚੱਕਰ, ਅਤੇ ਇਕ ਹਾਥੀ ਵਾਲੇ ਇਕ ਝੁੰਡ ਦੇ ਉੱਪਰ. ਹੇਠਾਂ ਇੱਕ ਆਦਰਸ਼ ਹੈ: "सत्यमेव जयते".ਰਾਜ ਨਿਸ਼ਾਨਆਦਰਸ਼: " ਸਤਯਮੇਵ ਜਯਤੇ " ( ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ )"ਸੱਚ ਇਕੱਲਿਆਂ ਜਿੱਤ" [1]ਗੀਤ: " ਜਨ ਗਣਾ ਮਨ " [2] [3]"ਤੁਸੀਂ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਹੋ" []] [2]ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ" ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ " ( ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ )"ਮੈਂ ਝੁਕਦਾ ਹਾਂ ਤੈਨੂੰ, ਮਾਂ" [ਏ] [1] [2]ਭਾਰਤ 'ਤੇ ਕੇਂਦਰਤ ਇਕ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਤਸਵੀਰ, ਜੋ ਕਿ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਉਜਾਗਰ ਕਰਦੀ ਹੈ.ਹਨੇਰੇ ਹਰੇ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਭਾਰਤ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਖੇਤਰ; ਖੇਤਰਾਂ ਨੇ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਪਰ ਨਿਯੰਤ੍ਰਿਤ ਨਹੀਂ ਹਲਕੇ ਹਰੇ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆਰਾਜਧਾਨੀ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ28 ° 36′50 ″ N 77 ° 12′30 ″ Eਵੱਡਾ ਸ਼ਹਿਰ ਮੁੰਬਈ (ਸ਼ਹਿਰ ਸਹੀ)ਦਿੱਲੀ (ਮਹਾਨਗਰ ਖੇਤਰ)ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਹਿੰਦੀਅੰਗਰੇਜ਼ੀ [ਬੀ] []]ਮਾਨਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ [8] [9] [10]ਮਾਨਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਖੇਤਰੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਰਾਜ ਪੱਧਰੀ ਅਤੇ ਅੱਠਵੀਂ ਸੂਚੀ [11]ਅਸਾਮੀਬੰਗਾਲੀਬੋਡੋਡੋਗਰੀਗੁਜਰਾਤੀਹਿੰਦੀਕੰਨੜਕਸ਼ਮੀਰੀਕੋਕਬਰੋਕਕੋਂਕਣੀਮੈਥਿਲੀਮਲਿਆਲਮਮਨੀਪੁਰੀਮਰਾਠੀਮਿਜ਼ੋਨੇਪਾਲੀਓਡੀਆਪੰਜਾਬੀਸੰਸਕ੍ਰਿਤਸੰਤਾਲੀਸਿੰਧੀਤਾਮਿਲਤੇਲਗੂਉਰਦੂਮੂਲ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ 447 ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ [ਸੀ]ਧਰਮ (2011)79.8% ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ14.2% ਇਸਲਾਮ2.3% ਈਸਾਈਅਤ1.7% ਸਿੱਖ ਧਰਮ0.7% ਬੁੱਧ ਧਰਮ0.4% ਜੈਨ ਧਰਮ0.23% ਅਨਲਿਫਟਿਡ0.65% ਹੋਰ [14]ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਧਰਮ ਦੇਖੋਦਾਮਨ ਭਾਰਤੀਸਦੱਸਤਾ ਯੂ.ਐੱਨਡਬਲਯੂ ਟੀ ਓਬ੍ਰਿਕਸਸਾਰਕਐਸਸੀਓਜੀ 4 ਰਾਸ਼ਟਰਪੰਜ ਦਾ ਸਮੂਹਜੀ 8 + 5ਜੀ 20ਰਾਸ਼ਟਰ ਮੰਡਲਸਰਕਾਰ ਸੰਘੀ ਸੰਸਦੀ ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਗਣਰਾਜ• ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਰਾਮ ਨਾਥ ਕੋਵਿੰਦ• ਉਪ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਵੈਂਕਈਆ ਨਾਇਡੂ• ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ• ਚੀਫ਼ ਜਸਟਿਸ ਐਨਵੀ ਰਮਾਨਾ• ਲੋਕ ਸਭਾ ਦੇ ਸਪੀਕਰ ਓਮ ਬਿਰਲਾਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਸੰਸਦPper ਉੱਪਰਲਾ ਘਰ ਰਾਜ ਸਭਾ• ਲੋਅਰ ਹਾ houseਸ ਲੋਕ ਸਭਾਆਜ਼ਾਦੀ ਤੱਕ ਯੁਨਾਈਟਡ ਕਿੰਗਡਮ• ਡੋਮੀਨੀਅਨ 15 ਅਗਸਤ 1947• ਗਣਤੰਤਰ 26 ਜਨਵਰੀ 1950ਖੇਤਰ• ਕੁੱਲ 3,287,263 [2] ਕਿਮੀ 2 (1,269,219 ਵਰਗ ਮੀਲ) [ਡੀ] ( 7 ਵਾਂ )• ਪਾਣੀ (%) .6..6ਆਬਾਦੀEsti 2018 ਦਾ ਅਨੁਮਾਨ ਨਿਰਪੱਖ ਵਾਧਾ1,352,642,280 [15] [16] ( ਦੂਜਾ )• 2011 ਦੀ ਜਨਗਣਨਾ 1,210,854,977 [17] [18] ( ਦੂਜਾ )Ens ਘਣਤਾ 410.6 / ਕਿਮੀ 2 (1,063.4 / ਵਰਗ ਮੀਲ) ( 19 ਵਾਂ )ਜੀਡੀਪੀ ( ਪੀਪੀਪੀ ) 2021 ਅਨੁਮਾਨ• ਕੁੱਲ ਵਧਾਓ 20 10.207 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ [19] ( ਤੀਜਾ )• ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਅ ਵਧਾਓ$ 7,333 [19] ( 122 ਵਾਂ )ਜੀਡੀਪੀ (ਨਾਮਾਤਰ) 2021 ਅਨੁਮਾਨ• ਕੁੱਲ ਵਧਾਓ 50 3.050 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ [19] ( 6 ਵਾਂ )• ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਅ ਵਧਾਓ19 2,191 [19] ( 138 ਵਾਂ )ਗਿਨੀ (2013) 33.9 [20]ਦਰਮਿਆਨੇ · 79 ਵੇਂHDI (2019) ਵਧਾਓ .6..645 [[] 21]ਦਰਮਿਆਨੇ · 131stਮੁਦਰਾ ਭਾਰਤੀ ਰੁਪਿਆ (₹) ( INR )ਸਮਾਂ ਖੇਤਰ UTC +05: 30 ( IST )ਡੀਐਸਟੀ ਨਹੀਂ ਵੇਖੀ ਜਾਂਦੀਤਾਰੀਖ ਦਾ ਫਾਰਮੈਟ dd - ਮਿਲੀਮੀਟਰ - yYy [ਈ]ਮੁੱਖ ਬਿਜਲੀ 230 ਵੀ – 50 ਹਰਟਜਡਰਾਈਵਿੰਗ ਸਾਈਡ ਖੱਬੇ [22]ਕਾਲਿੰਗ ਕੋਡ +91ਆਈਐਸਓ 3166 ਕੋਡ ਵਿੱਚਇੰਟਰਨੈਟ ਟੀ.ਐਲ.ਡੀ. .in ( ਹੋਰ )ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖ 55,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ 'ਤੇ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ. [२ 24] ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲੰਬੇ ਕਿੱਤੇ, ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਕਾਰੀ-ਇਕੱਤਰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਅਲੱਗ-ਥਲੱਗ ਰੂਪਾਂ ਵਿਚ, ਇਸ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਿਭਿੰਨ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਮਨੁੱਖੀ ਜੈਨੇਟਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਵਿਚ ਇਹ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੂਸਰਾ ਹੈ . [].] 9,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਸਿੰਧ ਨਦੀ ਦੇ ਪੱਛਮੀ ਹਾਸ਼ੀਏ ਵਿੱਚ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਉੱਤੇ ਸਥਾਪਤ ਜੀਵਨ ਉੱਭਰਿਆ ਸੀ, ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਤੀਸਰੀ ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਬੀਸੀਈ ਦੀ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਤ ਹੋਇਆ । [26] 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ., ਇੱਕ ਕਰ ਕੇ ਪੁਰਾਣੇ ਫਾਰਮ ਦੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ , ਇੱਕ ਇੰਡੋ-ਯੂਰਪੀ ਭਾਸ਼ਾ , ਸੀ ਨੂੰ ਨਕਾਰਾਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ, [२ 27] ਰਿਗਵੇਦ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਜੋਂ ਪ੍ਰਗਟ ਹੋਇਆ , ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਡਿੱਗਣ ਨੂੰ ਰਿਕਾਰਡ ਕਰਨਾ । [28] [ ਵਿਵਾਦਿਤ - 'ਤੇ ਚਰਚਾ ] The ਦ੍ਰਵਿੜ ਭਾਸ਼ਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਧੋਖਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. [29 B] BCECE ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਵਿੱਚ, ਜਾਤੀ ਦੁਆਰਾ ਤਸਦੀਕੀਕਰਨ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਕੱ Hinduਣ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸਾਹਮਣੇ ਆਈ ਸੀ, [30०] ਅਤੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਅਤੇ ਜੈਨ ਧਰਮ ਉੱਭਰਿਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨੇ ਵਿਰਾਸਤ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਸਮਾਜਿਕ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਸੀ । []१] ਮੁ politicalਲੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਇਕਸੁਰਤਾ ਨੇ ਗੰਗਾ ਬੇਸਿਨ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਮੋਰਿਆ ਅਤੇ ਗੁਪਤਾ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ gaveਿੱਲੇ .ੰਗ ਨਾਲ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ . []२] ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਮੂਹਿਕ ਯੁੱਗ ਵਿਆਪਕ ਰਚਨਾਤਮਕਤਾ ਨਾਲ ਗ੍ਰਸਤ ਸੀ, [] 33] ਪਰ womenਰਤਾਂ ਦੀ ofਹਿ ਰਹੀ ਸਥਿਤੀ, [] 34] ਅਤੇ ਅਛੂਤਤਾ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸੰਗਠਿਤ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਵੀ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ . [g] [35] ਵਿੱਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ , ਮੱਧ ਰਾਜ ਦੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਨਿਰਯਾਤ ਦ੍ਰਵਿੜ-ਭਾਸ਼ਾ ਸਕਰਿਪਟ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ . [] 36]ਮੱਧਯੁਗ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ ਯੁੱਗ ਵਿਚ, ਈਸਾਈ , ਇਸਲਾਮ , ਯਹੂਦੀ ਅਤੇ ਜ਼ੋਰਾਸਟ੍ਰਿਸਟਿਜ਼ਮ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ .ੇ 'ਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਸੁੱਟੀਆਂ. [. 37] ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਦੀਆਂ ਮੁਸਲਮਾਨ ਫ਼ੌਜਾਂ ਰੁਕ-ਰੁਕ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਮੈਦਾਨੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ, [38 38] ਆਖਰਕਾਰ ਦਿੱਲੀ ਸਲਤਨਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ , ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਮੱਧਯੁਗੀ ਇਸਲਾਮ ਦੇ ਬ੍ਰਹਿਮੰਡ ਨੈਟਵਰਕ ਵਿੱਚ ਖਿੱਚ ਲਿਆ । [39]] 15 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਵਿਜਯਾਨਗਰ ਸਾਮਰਾਜ ਨੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਲੰਮੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਚੱਲਣ ਵਾਲਾ ਸੰਯੁਕਤ ਹਿੰਦੂ ਸਭਿਆਚਾਰ ਬਣਾਇਆ. [40] ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ , ਸਿੱਖ ਧਰਮਸੰਸਥਾਗਤ ਧਰਮ ਨੂੰ ਰੱਦ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਉਭਰੇ. [] १ ] ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ , ਸੰਨ 1526 ਵਿੱਚ, ਦੋ ਸਦੀਆਂ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀਪੂਰਵਕ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਹੋਇਆ, [42२] ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ .ਾਂਚੇ ਦੀ ਵਿਰਾਸਤ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ. [ਐਚ] [ ] 43] ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਫੈਲਾਉਣ ਦੇ ਨਿਯਮਾਂ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਨ ਨਾਲ, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੱਤਾ, ਪਰੰਤੂ ਇਸਦੀ ਪ੍ਰਭੂਸੱਤਾ ਨੂੰ ਵੀ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕੀਤਾ . [] 44] ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਤਾਜ ਰਾਜ 1858 ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ। ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ, [] 45] ਪਰ ਤਕਨੀਕੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ, ਅਤੇ ਸਿੱਖਿਆ, ਆਧੁਨਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਜੀਵਨ ਦੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦੀ ਜੜ ਫੜ ਗਈ। [] 46] ਇਕ ਮੋਹਰੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦੀ ਲਹਿਰ ਉੱਭਰੀ ਜੋ ਅਹਿੰਸਾਵਾਦੀ ਵਿਰੋਧ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੀ ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ਾਸਨ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰਨ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕਾਰਕ ਬਣ ਗਈ। [] 47] 1947 ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਇੰਡੀਅਨ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਦੋ ਸੁਤੰਤਰ ਸ਼ਾਸਨ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ , ਇੱਕ ਹਿੰਦੂ-ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਇੱਕ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ , ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਜਾਨ ਦਾ ਘਾਟਾ ਅਤੇ ਬੇਮਿਸਾਲ ਪ੍ਰਵਾਸ ਸੀ, ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ । [] 48] [] 49]ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਸੰਸਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਅਧੀਨ 1950 ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਸੰਘੀ ਗਣਤੰਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਬਹੁਲਵਾਦੀ , ਬਹੁ-ਭਾਸ਼ਾਈ ਅਤੇ ਬਹੁ-ਜਾਤੀ ਵਾਲਾ ਸਮਾਜ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਬਾਦੀ 1951 ਵਿਚ 361 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵਧ ਕੇ 2011 ਵਿਚ 1.211 ਅਰਬ ਹੋ ਗਈ। []०] ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ, ਇਸਦੀ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਆਮਦਨ ਆਮਦਨੀ $$ ਡਾਲਰ ਤੋਂ ਸਾਲਾਨਾ $ १49$8 ਡਾਲਰ ਹੋ ਗਈ, ਅਤੇ ਇਸ ਦੀ ਸਾਖਰਤਾ ਦਰ .6 16.%% ਤੋਂ 74 to% ਹੋ ਗਈ। 1951 ਵਿਚ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ ਤੇ ਨਿਰਾਸ਼ਾਜਨਕ ਦੇਸ਼ ਬਣਨ ਤੋਂ, [ 51१ ] ਭਾਰਤ ਇੱਕ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਵੱਡੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਅਤੇ ਸੂਚਨਾ ਟੈਕਨਾਲੋਜੀ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ , ਇੱਕ ਵਧ ਰਹੇ ਮੱਧ ਵਰਗ ਦੇ ਨਾਲ. []२] ਇਸਦਾ ਇੱਕ ਸਪੇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਹੈਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕਈ ਯੋਜਨਾਬੱਧ ਜਾਂ ਪੂਰੇ ਕੀਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਮਿਸ਼ਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . ਭਾਰਤੀ ਫਿਲਮਾਂ, ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਅਧਿਆਤਮਕ ਉਪਦੇਸ਼ ਗਲੋਬਲ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਭੂਮਿਕਾ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ. [] 53] ਭਾਰਤ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗਰੀਬੀ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਹੱਦ ਤੱਕ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਆਰਥਿਕ ਅਸਮਾਨਤਾ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਦੀ ਕੀਮਤ 'ਤੇ. [] 54] ਭਾਰਤ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ-ਹਥਿਆਰ ਵਾਲਾ ਰਾਜ ਹੈ , ਜੋ ਕਿ ਫੌਜੀ ਖਰਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਉੱਚਾ ਹੈ । 20 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੱਧ ਤੋਂ ਇਸ ਦੇ ਗਵਾਂ .ੀਆਂ, ਗੁਆਂ .ੀਆਂ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਚੀਨ ਨਾਲ ਕਸ਼ਮੀਰ ਬਾਰੇ ਵਿਵਾਦ ਹਨ । [55 55] ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਚੁਣੌਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਲਿੰਗ-ਅਸਮਾਨਤਾ , ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਕੁਪੋਸ਼ਣ , [] 56] ਅਤੇ ਵੱਧ ਰਹੇ ਪੱਧਰ ਹਨਹਵਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ . [57] ਭਾਰਤ ਦੇ ਧਰਤੀ ਹੈ megadiverse ਚਾਰ ਨਾਲ, ਜੈਵ ਹੌਟਸਪੌਟ . [] 58] ਇਸ ਦੇ ਜੰਗਲ ਦੇ coverੱਕਣ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੇ ਖੇਤਰ ਦੇ 21.4% ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. [59]] ਭਾਰਤ ਦਾ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਣ , ਜਿਸ ਨੂੰ ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿੱਚ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਨਾਲ ਵੇਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ , [60]] ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਿਤੇ ਵੀ, ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਬਸੇਰੇ ਵਿੱਚ ਸਹਿਯੋਗੀ ਹੈ ।ਸ਼ਬਦਾਵਲੀਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਨਾਮਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਆਕਸਫੋਰਡ ਇੰਗਲਿਸ਼ ਡਿਕਸ਼ਨਰੀ (ਤੀਜੇ ਐਡੀਸ਼ਨ 2009), ਨਾਮ 'ਭਾਰਤ' ਤੱਕ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਕਲਾਸੀਕਲ ਲਾਤੀਨੀ , ਭਾਰਤ , ਦਾ ਹਵਾਲਾ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਇੱਕ ਅਨਿਸ਼ਚਿਤ ਖੇਤਰ ਨੂੰ; ਅਤੇ ਬਦਲੇ ਵਿੱਚ ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਆਇਆ: ਹੇਲੇਨਿਸਟਿਕ ਯੂਨਾਨੀ ਭਾਰਤ ( Ἰνδία ); ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨੀ ਇੰਡੋਸ ( Ἰνδός ); ਪੁਰਾਣੀ ਫ਼ਾਰਸੀ ਹਿੰਦੂਸ਼ , ਅਚਮੇਨੀਡ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਪੂਰਬੀ ਪ੍ਰਾਂਤ ; ਅਤੇ ਆਖਰਕਾਰ ਇਸ ਦਾ ਗਿਆਨ , ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਿੰਧੂ ਜਾਂ "ਨਦੀ" ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਿੰਧ ਨਦੀ ਹੈਅਤੇ, ਉਲਝਣ ਨਾਲ, ਇਸ ਦੀ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੈਟਲ ਕੀਤੀ ਦੱਖਣੀ ਬੇਸਿਨ. [ ] १ ] [] २ ] ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਇੰਡੋਈ ( Ἰνδοί ) ਕਿਹਾ ਸੀ, ਜਿਹੜਾ “ਸਿੰਧ ਦੇ ਲੋਕਾਂ” ਵਜੋਂ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰਦਾ ਹੈ। [] 63]ਮਿਆਦ ਭਾਰਤ ( ਭਾਰਤ ; ਉਚਾਰੇ [bʱaːɾət] (About this soundਸੁਣੋ )), ਦੋਹਾਂਭਾਰਤੀ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਕਵਿਤਾਵਾਂਅਤੇਭਾਰਤਦੇਸੰਵਿਧਾਨਵਿਚ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆਹੈ,[] 64][] 65]ਇਸ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚਕਈ ਭਾਰਤੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂਦੁਆਰਾ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾਹੈ. ਇਤਿਹਾਸਕ ਨਾਮਭਾਰਤਵਰਸ਼ਦਾ ਇੱਕ ਆਧੁਨਿਕ ਪੇਸ਼ਕਾਰੀ, ਜੋ ਅਸਲ ਵਿੱਚਗੰਗਾ ਵਾਦੀਦੇ ਇੱਕ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ,[] 66][] 67] ਭਾਰਤਨੇ 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੱਧ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਲਈ ਇੱਕ ਮੂਲ ਨਾਮ ਵਜੋਂ ਮੁਦਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ। [] 64][] 68]ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ([ɦɪndʊˈstaːn] (About this soundਸੁਣੋ ))ਭਾਰਤਦਾ ਇੱਕਮੱਧ ਫ਼ਾਰਸੀਨਾਮ ਹੈ,ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇਸਮੇਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆਅਤੇ ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਵਿਆਪਕ ਤੌਰ ਤੇ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਦੇ ਅਰਥ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਹਨ, ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਖੇਤਰ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਜੋ ਮੌਜੂਦਾ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਅਤੇਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈਜਾਂ ਇਸ ਦੇ ਨੇੜਲੇ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ. [] 64][]68][] 69]ਇਤਿਹਾਸਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਅਤੇ ਗਣਤੰਤਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਪ੍ਰਾਚੀਨ ਭਾਰਤ(ਸਿਖਰਲਾ) 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦਾ ਰਿਗਵੇਦ ਦਾ ਇਕ ਖਰੜਾ , ਜੋ 1500–1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. []०] ਖਰੜਾ ਇੱਕ 14 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੀ ਸਕ੍ਰਿਪਟ ਸ਼ੈਲੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦਾ ਹੈ. (ਹੇਠਾਂ) ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਰਮਾਇਣ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ-ਆਧੁਨਿਕ ਖਰੜੇ ਦਾ ਇਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟਾਂਤ , ਜੋ ਕਹਾਣੀ-ਦੱਸਣ ਵਾਲੇ ਫੈਸ਼ਨ ਸੀ.  400 ਬੀ ਸੀ ਈ - ਸੀ.  300 ਈਸਵੀ . []१]55,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ, ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖ, ਜਾਂ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨ , ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਭਾਰਤੀ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ 'ਤੇ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ, ਜਿਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਹਿਲਾਂ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ਸੀ. []२] [ ] 73] [ ] 74] ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਤਕਰੀਬਨ 30,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੀ ਤਾਰੀਖ ਹੈ. [] 75] ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਤੋਂ 00 6500 B ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਮੇਹਰਗੜ ਅਤੇ ਹੋਰ ਥਾਵਾਂ ਤੇ, ਜੋ ਹੁਣ ਬਲੋਚਿਸਤਾਨ, ਵਿੱਚ ਹੈ, ਵਿੱਚ ਖਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਅਤੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਪਸ਼ੂ ਪਾਲਣ, ਸਥਾਈ structures ਾਂਚਿਆਂ ਦੀ ਉਸਾਰੀ, ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਸਰਪਲੱਸਾਂ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਦੇ ਸਬੂਤ ਸਾਹਮਣੇ ਆਏ । [] 76] ਇਹ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਤ ਹੋ ਗਏ , [] 77] [] 76] ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾ ਸ਼ਹਿਰੀ ਸਭਿਆਚਾਰ, [] 78]ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ ਦੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 2500–1900 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੌਰਾਨ ਫੈਲਿਆ ਸੀ। [.]] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮੋਹੇਂਜੋ-ਦਾਰੋ , ਹੜੱਪਾ , ਧੋਲਾਵੀਰਾ ਅਤੇ ਕਾਲੀਬੰਗਨ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਦੇ ਆਸ ਪਾਸ ਕੇਂਦਰਤ ਹੈ ਅਤੇ ਅਨੇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਿਰਭਰਤਾ ਉੱਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਿਆਂ, ਸਭਿਅਤਾ ਕਾਰੀਗਰਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਅਤੇ ਵਿਆਪਕ ਵਪਾਰ ਵਿੱਚ ਮਜਬੂਤ engagedੰਗ ਨਾਲ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ। [] 78]2000 ਤੋਂ 500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਅਰਸੇ ਦੌਰਾਨ, ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਖੇਤਰ ਚੈਲਕਾਲੀਥਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰਾਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਆਇਰਨ ਯੁੱਗ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲ ਹੋ ਗਏ. [80] , The ਵੇਦ , ਨਾਲ ਸਬੰਧਿਤ ਸਭ ਹਵਾਲੇ ਹਿੰਦੂ , [81] ਇਸ ਮਿਆਦ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, [82] ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਇਹ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕੀਤਾ ਹੈ ਕਿ ਇੱਕ posit ਦਾ ਵੈਦਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਗੰਗਾ ਪਲੇਨ . [. 80] ਬਹੁਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਇਸ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਤੋਂ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿੱਚ ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ ਪਰਵਾਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਲਹਿਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਮੰਨਦੇ ਹਨ । [81] , Theਜਾਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ , ਜਿਸਨੇ ਪੁਜਾਰੀਆਂ, ਯੋਧਿਆਂ ਅਤੇ ਅਜ਼ਾਦ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ ਖੰਡਨ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ, ਪਰ ਜਿਸ ਨੇ ਸਵਦੇਸ਼ੀ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਕਿੱਤਿਆਂ ਨੂੰ ਅਯੋਗ ਠਹਿਰਾਉਂਦਿਆਂ, ਇਸ ਅਵਧੀ ਦੌਰਾਨ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ. [83] 'ਤੇ ਡੈਕਨ ਪਠਾਰ , ਇਸ ਮਿਆਦ ਤੱਕ ਪੁਰਾਤੱਤਵ ਸਬੂਤ ਸਿਆਸੀ ਸੰਗਠਨ ਦੇ ਇੱਕ chiefdom ਪੜਾਅ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਸੁਝਾਅ ਦਿੰਦਾ ਹੈ. [80] ਵਿੱਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ , ਸੁਸ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਨਾਲ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ megalithic ਇਸ ਮਿਆਦ ਤੱਕ ਡੇਟਿੰਗ ਸਮਾਰਕ, [84] ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਨੇੜਲੇ ਟਰੇਸ ਕਰਕੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ , ਸਿੰਚਾਈ ਕੁੰਡ , ਅਤੇ ਕਰਾਫਟ ਪਰੰਪਰਾ. [] 84]ਉੱਪਰਲੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਘੜੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ: ()) ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ , ਸੀ.  250 ਬੀਸੀਈ ; (ਅ) ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ, ਸੀ.  350 ਸੀਈ ; (c) ਚੱਟਾਨ-ਕੱਟ ਅਜਨਤਾ ਗੁਫਾਵਾਂ ਦੀ 26 ਗੁਫਾ , ਪੰਜਵੀਂ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ.6 ਵੇਂ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਅਖੀਰ ਵਿਚ, ਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਦੇ ਸਮੇਂ, ਗੰਗਾ ਮੈਦਾਨ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਖੇਤਰਾਂ ਦੇ ਛੋਟੇ ਰਾਜ ਅਤੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਰਾਜਾਂ ਨੇ 16 ਵੱਡੀਆਂ-ਵੱਡੀਆਂ ਅਮੀਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਜਸ਼ਾਹੀਆਂ ਨੂੰ ਇਕੱਤਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਜਨਪਦ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ . [] 85] [ ] 86] ਉੱਭਰ ਰਹੀ ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਨੇ ਗੈਰ-ਵੈਦਿਕ ਧਾਰਮਿਕ ਲਹਿਰਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਦੋ ਸੁਤੰਤਰ ਧਰਮ ਬਣ ਗਏ। ਜੈਨ ਧਰਮ ਇਸ ਦੇ ਮਿਸਾਲ ਮਹਾਂਵੀਰ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੌਰਾਨ ਪ੍ਰਮੁੱਖਤਾ ਵਿੱਚ ਆਇਆ . [] 87] ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਉੱਤੇ ਅਧਾਰਤ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਨੇ ਮੱਧ ਵਰਗ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਸਾਰੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਤ ਕੀਤਾ; ਬੁੱਧ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਦਰਜ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਰਿਹਾ। [] 88] []]] []]]ਸ਼ਹਿਰੀ ਦੌਲਤ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਦੇ ਯੁੱਗ ਵਿਚ, ਦੋਵਾਂ ਧਰਮਾਂ ਨੇ ਤਿਆਗ ਨੂੰ ਆਦਰਸ਼ ਮੰਨਿਆ, [] १] ਅਤੇ ਦੋਵਾਂ ਨੇ ਚਿਰ ਸਥਾਈ ਮੱਠ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ. ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਤੀਜੀ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਤੱਕ, ਮਗਧ ਦੇ ਰਾਜ ਨੇ ਮੌਰਯਾਨ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉੱਭਰਨ ਲਈ ਦੂਜੇ ਰਾਜਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਜੋੜ ਲਿਆ ਸੀ ਜਾਂ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ . [92]] ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮੇਂ ਦੂਰ ਦੱਖਣ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਬਾਰੇ ਸੋਚਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ, ਪਰੰਤੂ ਇਸ ਦੇ ਮੁ regionsਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਹੁਣ ਵੱਡੇ ਖੁਦਮੁਖਤਿਆਰ ਖੇਤਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵੱਖ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. []]] []]] ਮੌਰੀਅਨ ਰਾਜਿਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ-ਨਿਰਮਾਣ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਜੀਵਨ ਦੇ ਪੱਕੇ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਲਈ ਜਿੰਨੇ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇਫੌਜੀਵਾਦ ਦਾ ਤਿਆਗ ਅਤੇ ਬੋਧੀ ਧਾਮ ਦੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤੱਕ ਵਕਾਲਤ . []]] []]]ਸੰਗਮ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਦੇ ਤਮਿਲ ਭਾਸ਼ਾ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ, 200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 200 ਈਸਵੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ, ਦੱਖਣੀ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦਾ ਰਾਜ ਸੀ Cheras , Cholas , ਅਤੇ Pandyas , ਘਰਾਣਿਆ ਹੈ ਕਿ ਰੋਮੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਨਾਲ ਵਿਆਪਕ ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਨਾਲ ਪੱਛਮੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ . []]] []]] ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ, ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ, ਜਿਸ ਨਾਲ ofਰਤਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੋ ਗਏ। [] 99] []]] ਚੌਥੀ ਅਤੇ ਪੰਜਵੀਂ ਸਦੀ ਤਕ, ਗੁਪਤਾ ਸਾਮਰਾਜਵਿਸ਼ਾਲ ਗੰਗਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਅਤੇ ਟੈਕਸ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਇਕ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਬਣਾਈ ਸੀ; ਇਹ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਬਾਅਦ ਦੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਨਮੂਨਾ ਬਣ ਗਈ. [१०]] [१०१] ਗੁਪਤਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ, ਰੀਤ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਕਰਨ ਦੀ ਬਜਾਏ ਸ਼ਰਧਾ ਦੇ ਅਧਾਰ 'ਤੇ ਇਕ ਨਵਾਂ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ, ਆਪਣੇ ਆਪ' ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ। [१०२] ਇਹ ਨਵੀਨੀਕਰਣ ਸ਼ਿਲਪਕਾਰੀ ਅਤੇ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਦੇ ਫੁੱਲ ਵਿੱਚ ਝਲਕਦਾ ਸੀ , ਜਿਸ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿਰੀ ਕੁਲੀਨ ਵਰਗ ਦੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਮਿਲੇ ਸਨ. [101] ਕਲਾਸੀਕਲ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਾਹਿਤ ਵੀ ਫੁੱਲਿਆ, ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਵਿਗਿਆਨ , ਖਗੋਲ ਵਿਗਿਆਨ , ਦਵਾਈ ਅਤੇ ਗਣਿਤ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤਰੱਕੀ ਕੀਤੀ। [101]ਮੱਧਕਾਲੀਨ ਭਾਰਤ(ਖੱਬੇ) 1022 ਸਾ.ਯੁ. ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ; (ਸੱਜੇ) ਬ੍ਰਿਹਦੇਸ਼ਵਰ ਮੰਦਰ , ਤੰਜਾਵਰ , 1010 ਈਸਵੀ ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਹੋਇਆਭਾਰਤੀ ਮੱਧਯੁਗੀ ਯੁੱਗ, 600 ਈਸਵੀ ਤੋਂ 1200 ਸਾ.ਯੁ. ਤੱਕ, ਖੇਤਰੀ ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਭਾਸ਼ਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ. [103] ਜਦ ਹਰਸ਼ਾ ਦੇ ਕਨੌਜ , ਜੋ 606 ਤੱਕ 647 ਈਸਵੀ ਨੂੰ ਭਾਰਤ-ਗੰਗਾ ਪਲੇਨ ਦੇ ਬਹੁਤ ਰਾਜ ਕੀਤਾ, southwards ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਹੈ, ਉਹ ਕਰ ਕੇ ਹਾਰ ਗਿਆ Chalukya ਡੈਕਨ ਦਾ ਸਰਦਾਰ ਸੀ. [104] ਜਦੋਂ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨੇ ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ ਬੰਗਾਲ ਦੇ ਪਾਲਾ ਰਾਜੇ ਨੇ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ . [१०4] ਜਦੋਂ ਚਾਲੁਕਾਂ ਨੇ ਦੱਖਣ ਵੱਲ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਦੱਖਣ ਤੋਂ ਪੱਲਵਾਸ ਦੁਆਰਾ ਹਰਾਇਆ ਗਿਆ , ਜਿਸਦਾ ਬਦਲੇ ਵਿੱਚ ਪਾਂਡਿਆਂ ਅਤੇ ਚੋਲਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆਅਜੇ ਵੀ ਦੂਰ ਦੱਖਣ ਤੋਂ. [१०4] ਇਸ ਸਮੇਂ ਦਾ ਕੋਈ ਵੀ ਸ਼ਾਸਕ ਕੋਈ ਸਾਮਰਾਜ ਨਹੀਂ ਬਣਾ ਸਕਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂਲ ਖੇਤਰ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜ਼ਮੀਨਾਂ ਉੱਤੇ ਨਿਰੰਤਰ ਨਿਯੰਤਰਣ ਕਰ ਸਕਿਆ ਸੀ। [१०3] ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ, ਪੇਸਟੋਰਲ ਲੋਕ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਧ ਰਹੀ ਖੇਤੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਲਈ ਰਾਹ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਸਾਫ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਨੂੰ ਜਾਤੀ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਨਵੀਂ ਗੈਰ-ਰਵਾਇਤੀ ਸ਼ਾਸਕ ਜਮਾਤਾਂ ਸਨ। [१० 105] ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਖੇਤਰੀ ਭਿੰਨਤਾ ਦਿਖਾਉਣ ਲੱਗੀ। [१०]]6 ਵੀਂ ਅਤੇ 7 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ, ਤਮਿਲ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪਹਿਲੀ ਭਗਤੀ ਬਾਣੀ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੀ. [१०6] ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਨਕਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਪੁਨਰ-ਉਭਾਰ ਅਤੇ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ । [१०6] ਭਾਰਤੀ ਰਾਇਲਟੀ, ਵੱਡੇ ਅਤੇ ਛੋਟੇ, ਅਤੇ ਉਹ ਮੰਦਰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਕੀਤੀ ਸੀ, ਨੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵੱਲ ਖਿੱਚਿਆ, ਜੋ ਕਿ ਆਰਥਿਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਬਣ ਗਏ. [१०7] ਵੱਖ ਵੱਖ ਅਕਾਰ ਦੇ ਮੰਦਰ ਕਸਬੇ ਹਰ ਪਾਸੇ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਲੱਗੇ ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਨੇ ਇਕ ਹੋਰ ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਕੀਤਾ। [१०7] ਅੱਠਵੀਂ ਅਤੇ ਨੌਵੀਂ ਸਦੀ ਤਕ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦੱਖਣੀ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੇ ਗਏ, ਕਿਉਂਕਿ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਨਿਰਯਾਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਜੋ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣ ਗਏ ਸਨਮਿਆਂਮਾਰ , ਥਾਈਲੈਂਡ , ਲਾਓਸ , ਕੰਬੋਡੀਆ , ਵੀਅਤਨਾਮ , ਫਿਲੀਪੀਨਜ਼ , ਮਲੇਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਜਾਵਾ . [१० 108] ਇਸ ਵਪਾਰੀ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਵਪਾਰੀ, ਵਿਦਵਾਨ ਅਤੇ ਕਈ ਵਾਰ ਫ਼ੌਜਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਸਨ; ਦੱਖਣੀ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਅਨਜ਼ ਨੇ ਵੀ ਪਹਿਲ ਕੀਤੀ, ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਸੈਮੀਨਾਰਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹੋਏ ਅਤੇ ਬੋਧੀ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਪਾਠਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿਚ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰਦੇ ਹੋਏ. [108](ਖੱਬੇ) ਭਾਰਤ ਨੇ 1398 ਸਾ.ਯੁ. ਵਿਚ, ਦਿੱਲੀ ਸੁਲਤਾਨਤ ਦੇ ਸਮੇਂ (ਲੇਬਲ '' ਅਫਗਾਨ ਸਾਮਰਾਜ ''); (ਸੱਜਾ) ਕੁਤੁਬ ਮੀਨਾਰ , 73 ਮੀਟਰ (240 ਫੁੱਟ) ਲੰਬਾ, ਸੁਲਤਾਨ, ਦਿੱਲੀ ਦੁਆਰਾ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ , ਇਲਤੁਤਮਿਸ਼10 ਵੀਂ ਸਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਮੁਸਲਿਮ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆਈ ਖਾਨਾਬਦੋਸ਼ ਕਬੀਲੇ, ਤਿੱਖੀ ਘੋੜੇ ਘੋੜਸਵਾਰਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਅਤੇ ਜਾਤੀ ਅਤੇ ਧਰਮ ਨਾਲ ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਵੱਡੀਆਂ ਫੌਜਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏ, ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਮੈਦਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਕਬਜ਼ੇ ਵਿਚ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਅਤੇ ਆਖਰਕਾਰ 1206 ਵਿਚ ਇਸਲਾਮੀ ਦਿੱਲੀ ਸਲਤਨਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਵੱਲ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦਾ ਸੀ. [109] ] ਸੁਲਤਾਨ ਨੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਕਰਨਾ ਸੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰਾਹ ਬਣਾਏ ਹੋਏ ਸਨ. ਹਾਲਾਂਕਿ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਰਤੀ ਕੁਲੀਨ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਵਿਘਨ ਪਾਉਣ ਵੇਲੇ, ਸੁਲਤਾਨ ਨੇ ਆਪਣੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਗੈਰ-ਮੁਸਲਿਮ ਵਿਸ਼ਾ ਅਬਾਦੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਅਤੇ ਰਿਵਾਜਾਂ ਤੇ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਸੀ. [110] [111] ਮੰਗੋਲ ਰੇਡਰਾਂ ਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਭਜਾ ਕੇ13 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ, ਸੁਲਤਾਨ ਨੇ ਪੱਛਮੀ ਅਤੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਕੀਤੀ ਤਬਾਹੀ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਬਚਾਇਆ ਅਤੇ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਭੱਜ ਰਹੇ ਸਿਪਾਹੀ, ਵਿਦਵਾਨ ਆਦਮੀ, ਰਹੱਸਮਈ, ਵਪਾਰੀ, ਕਲਾਕਾਰ ਅਤੇ ਕਾਰੀਗਰਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਖੇਤਰ ਦੇ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵਾਸ ਕਰਨ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਬਣਾਇਆ. ਉੱਤਰ ਵਿਚ ਇਕ ਸਿੰਕਰੇਟਿਕ ਇੰਡੋ-ਇਸਲਾਮਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ. [११२] [११3] ਸੁਲਤਾਨ ਦੀ ਛਾਪੇਮਾਰੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਖੇਤਰੀ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਵਦੇਸ਼ੀ ਵਿਜਯਨਗਰ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਰਾਹ ਪੱਧਰਾ ਹੋਇਆ ਸੀ । [११4] ਇਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ਸ਼ੈਵੀ ਪਰੰਪਰਾ ਨੂੰ ਅਪਣਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਅਤੇ ਸੁਲਤਾਨ ਦੀ ਫੌਜੀ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ 'ਤੇ, ਸਾਮਰਾਜ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਕਰਨ ਆਇਆ। [११]]ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਕਰਨਾ ਸੀ. [114]ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤਉਪਰਲੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸਿਓਂ ਘੜੀਸਾਈ ਗਈ (ਅ) ਮੁਗਲ ਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਵੇਲੇ 1525 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ; (ਅ) ਅਕਬਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦੌਰਾਨ 1605 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ; (c) ਆਗਰਾ ਕਿਲ੍ਹੇ ਤੋਂ ਤਾਜ ਮਹਿਲ ਦਾ ਦੂਰ ਦ੍ਰਿਸ਼16 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿੱਚ, ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ, ਫਿਰ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ, [116] ਦੁਬਾਰਾ ਕੇਂਦਰੀ ਏਸ਼ੀਅਨ ਯੋਧਿਆਂ ਦੀ ਨਵੀਂ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੀ ਉੱਤਮ ਗਤੀਸ਼ੀਲਤਾ ਅਤੇ ਫਾਇਰਪਾਵਰ ਦੇ ਹੱਥ ਪੈ ਗਿਆ। [११7] ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਨੇ ਸਥਾਨਕ ਸਮਾਜਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੇ ਰਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਨਹੀਂ ਮੋਹਰਿਆ। ਇਸ ਦੀ ਬਜਾਏ, ਇਸਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਅਭਿਆਸਾਂ [118] [११]] ਅਤੇ ਵਿਭਿੰਨ ਅਤੇ ਸੰਮਿਲਿਤ ਸ਼ਾਸਕ ਕੁਲੀਨ ਰਾਹੀ ਸੰਤੁਲਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਾਂਤ ਕੀਤਾ , [120] ਜਿਸ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਵਿਵਸਥਿਤ, ਕੇਂਦਰੀਕਰਨ ਅਤੇ ਇਕਸਾਰ ਸ਼ਾਸਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [१२१] ਕਬਾਇਲੀ ਬੰਧਨਾਂ ਅਤੇ ਇਸਲਾਮੀ ਪਛਾਣ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਅਕਬਰ ਦੇ ਅਧੀਨ , ਮੁਗਲਾਂ ਨੇ ਵਫ਼ਾਦਾਰੀ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਆਪਣੇ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਏਕਤਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ, ਇੱਕ ਫਾਰਸੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤਾ, ਇੱਕ ਸਮਰਾਟ ਜਿਸਦਾ ਨੇੜੇ-ਇਲਾਹੀ ਰੁਤਬਾ ਸੀ।[१२०] ਮੁਗਲ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਆਰਥਿਕ ਨੀਤੀਆਂ, ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਾਲੀਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ [१२२] ਅਤੇ ਇਹ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਿਯਮਤ ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਕਰੰਸੀ ਵਿਚ ਟੈਕਸ ਅਦਾ ਕੀਤੇ ਜਾਣ, [१२3] ਕਾਰਨ ਕਿਸਾਨੀ ਅਤੇ ਕਾਰੀਗਰ ਵੱਡੇ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਹੋ ਗਏ। [१२१] 17 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਾਮਰਾਜ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੰਬੰਧਤ ਸ਼ਾਂਤੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਰਥਿਕ ਵਿਸਥਾਰ ਦਾ ਇੱਕ ਕਾਰਕ ਸੀ, [121] ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪੇਂਟਿੰਗ , ਸਾਹਿਤਕ ਰੂਪਾਂ, ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਅਤੇ architect ਾਂਚੇ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਹੋਈ. [१२4] ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਇਕਸਾਰ ਸਮਾਜਿਕ ਸਮੂਹ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮਰਾਠਿਆਂ , ਰਾਜਪੂਤਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖ, ਮੁਗਲ ਸ਼ਾਸਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਫੌਜੀ ਅਤੇ ਰਾਜ ਕਰਨ ਦੀਆਂ ਅਭਿਲਾਸ਼ਾਵਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀਆਂ, ਜਿਸ ਨੇ ਮਿਲਵਰਤਣ ਜਾਂ ਮੁਸੀਬਤਾਂ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਨਤਾ ਅਤੇ ਸੈਨਿਕ ਤਜਰਬੇ ਦੋਵੇਂ ਦਿੱਤੇ. [१२ 125] ਮੁਗਲ ਰਾਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਪਾਰ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਨਾਲ ਦੱਖਣੀ ਅਤੇ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਭਾਰਤੀ ਵਪਾਰਕ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਕੁਲੀਨਗਰਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਮਿਲਿਆ. [१२ 125] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਾਮਰਾਜ ਟੁੱਟ ਗਿਆ, ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕੁਲੀਨ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਖੁਦ ਦੇ ਮਾਮਲਿਆਂ ਨੂੰ ਲੱਭਣ ਅਤੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਸਨ. [126]ਉੱਪਰੋਂ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਘੜੀਸਾਰੀ: ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਧੀਨ ਭਾਰਤ (ਏ) 1795 ਵਿਚ; (ਅ) 1848 ਵਿਚ; (ੲ) ਇਕ ਦੋ Mohur ਕੰਪਨੀ ਸੋਨੇ ਦਾ ਸਿੱਕਾ, 1835 ਵਿਚ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ, obverse ਦਿਖਾ ਵਿਲੀਅਮ IV, ਰਾਜਾ18 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿਚ, ਵਪਾਰਕ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਬਦਬੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਦੀਆਂ ਲਾਈਨਾਂ ਵਧਦੇ ਧੁੰਦਲੇ ਹੋਣ ਨਾਲ, ਇੰਗਲਿਸ਼ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਸਣੇ ਕਈ ਯੂਰਪੀਅਨ ਵਪਾਰਕ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰalੇ ਦੀਆਂ ਚੌਕੀਆਂ ਸਥਾਪਤ ਕਰ ਲਈਆਂ ਸਨ. [१२7] [१२8] ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਸਮੁੰਦਰਾਂ, ਵਧੇਰੇ ਸਰੋਤਾਂ ਅਤੇ ਵਧੇਰੇ ਉੱਨਤ ਸੈਨਿਕ ਸਿਖਲਾਈ ਅਤੇ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸੈਨਿਕ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਬਦਲਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਾਇਆ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਅਮੀਰ ਵਰਗ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਲਈ ਆਕਰਸ਼ਕ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ; ਇਹ ਕਾਰਕ 1765 ਤਕ ਕੰਪਨੀ ਨੂੰ ਬੰਗਾਲ ਖਿੱਤੇ ਉੱਤੇ ਕੰਟਰੋਲ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਦੀ ਇਜਾਜ਼ਤ ਦੇਣ ਅਤੇ ਹੋਰ ਯੂਰਪੀਅਨ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੂੰ ਨੱਥ ਪਾਉਣ ਲਈ ਅਹਿਮ ਸਨ। [129] [127] [130] [131]ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਅਮੀਰਾਂ ਤਕ ਇਸ ਦੀ ਹੋਰ ਪਹੁੰਚ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਵੱਧਦੀ ਤਾਕਤ ਅਤੇ ਅਕਾਰ ਨੇ ਇਸਨੂੰ 1820 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਤਕ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਗਿਰਫਤਾਰ ਕਰਨ ਜਾਂ ਇਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਇਆ. [132] ਉਸ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਨਿਰਮਿਤ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬਰਾਮਦ ਨਹੀਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਇਹ ਪਹਿਲਾਂ ਸੀ, ਪਰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਕੱਚੇ ਮਾਲ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ . ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਇਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਦੌਰ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਮੰਨਦੇ ਹਨ. [१२7] ਇਸ ਸਮੇਂ ਤਕ, ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੰਸਦ ਦੁਆਰਾ ਇਸਦੀ ਆਰਥਿਕ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ Britishੰਗ ਨਾਲ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਇਕ ਤਾਕਤ ਬਣ ਗਈ, ਕੰਪਨੀ ਨੇ ਵਿੱਦਿਆ, ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਰਗੇ ਗੈਰ-ਆਰਥਿਕ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਹੋਣ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਚੇਤੰਨਤਾ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ. [133]ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਗਣਤੰਤਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ1909 ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਭਾਰਤੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਮੰਨਦੇ ਹਨ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਯੁੱਗ 1848 ਅਤੇ 1885 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਜਨਰਲ ਵਜੋਂ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ 1848 ਵਿਚ ਨਿਯੁਕਤੀ ਨੇ ਇਕ ਆਧੁਨਿਕ ਰਾਜ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਰੱਖੀ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਰਵਸੱਤਾ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਅਤੇ ਹੱਦਬੰਦੀ, ਆਬਾਦੀ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਅਤੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ। ਤਕਨਾਲੋਜੀਕ ਤਬਦੀਲੀਆਂ - ਉਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ, ਰੇਲਵੇ, ਨਹਿਰਾਂ ਅਤੇ ਤਾਰ - ਯੂਰਪ ਵਿਚ ਆਉਣ ਤੋਂ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ . [१44] [१55] [१66] [१77] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਕੰਪਨੀ ਨਾਲ ਨਿਰਾਸ਼ਾ ਵੀ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਵਧਿਆ ਅਤੇ 1857 ਦੇ ਭਾਰਤੀ ਬਗਾਵਤ ਨੂੰ ਅਲਵਿਦਾ ਕਹਿ ਦਿੱਤਾ. ਅਨੇਕ ਨਾਰਾਜ਼ਗੀ ਅਤੇ ਧਾਰਨਾਵਾਂ ਤੋਂ ਪਰੇਸ਼ਾਨ, ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ੈਲੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ, ਸਖ਼ਤ ਜ਼ਮੀਨੀ ਟੈਕਸਾਂ ਅਤੇ ਕੁਝ ਅਮੀਰ ਜ਼ਿਮੀਂਦਾਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਜਕੁਮਾਰਾਂ ਨਾਲ ਸੰਖੇਪ ਸਲੂਕ ਸਮੇਤ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੇ ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਮੱਧ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਹਿਲਾ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕੰਪਨੀ ਰਾਜ ਦੀ ਨੀਂਹ ਹਿਲਾ ਦਿੱਤੀ। [१88] [१]]] ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੂੰ 1858 ਦੁਆਰਾ ਦਬਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਇਸ ਨਾਲ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਭੰਗ ਹੋ ਗਿਆ। ਇਕ ਏਕਤਾ ਰਾਜ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਪਰ ਸੀਮਤ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ੈਲੀ ਦੀ ਸੰਸਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰਦਿਆਂ, ਨਵੇਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਵੀ ਰਾਜਕੁਮਾਰਾਂ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਭਵਿੱਖ ਦੀ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਜਗੀਰਦਾਰੀ ਦੀ ਰਾਖੀ ਵਜੋਂ ਨਰਮੀ ਭਰੇ। [140] [141]ਅਗਲੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ, ਜਨਤਕ ਜੀਵਨ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਉੱਭਰਿਆ, ਅਤੇ ਆਖਰਕਾਰ 1885 ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ. [१ 14२] [१ 143] [१ 144] [१ 145]19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਦੂਜੇ ਅੱਧ ਵਿਚ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਦੀ ਭੀੜ ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਦਾ ਵਪਾਰੀਕਰਨ ਆਰਥਿਕ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀ ਦਾ ਕਾਰਨ ਸੀ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਛੋਟੇ ਕਿਸਾਨ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਨਿਰਭਰ ਹੋ ਗਏ ਸਨ। [१66] ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਅਕਾਲ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਅਕਾਲਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਸੀ , [१77] ਅਤੇ, ਭਾਰਤੀ ਕਰਦਾਤਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਬੁਨਿਆਦੀ developmentਾਂਚੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਜੋਖਮਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਭਾਰਤੀਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਉਦਯੋਗਿਕ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਸੀ. [१88] ਇਸ ਦੇ ਵਧੀਆ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵੀ ਸਨ: ਵਪਾਰਕ ਫਸਲਾਂ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਨਵੇਂ ਨਹਿਰ ਵਾਲੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ, ਅੰਦਰੂਨੀ ਖਪਤ ਲਈ ਅਨਾਜ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ। [१9]] ਰੇਲਵੇ ਨੈਟਵਰਕ ਨੇ ਭਿਆਨਕ ਅਕਾਲ ਤੋਂ ਰਾਹਤ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ, [१ 150०] ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਕੀਮਤ ਘਟਾ ਦਿੱਤੀ,[150] ਅਤੇ ਅਜੌਕੀ ਭਾਰਤੀ ਮਾਲਕੀਅਤ ਉਦਯੋਗ ਦੀ ਮਦਦ ਕੀਤੀ. [149]ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਮੋਹਨਦਾਸ ਕਰਮਚੰਦ ਗਾਂਧੀ , ਮੁੰਬਈ, 6 ਜੁਲਾਈ 1946 ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਲਾਂ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏਪਹਿਲੇ ਵਿਸ਼ਵ ਯੁੱਧ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਤਕਰੀਬਨ ਇਕ ਮਿਲੀਅਨ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੇ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ , [151] ਇਕ ਨਵਾਂ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ. ਇਹ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੁਧਾਰ , ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਦਮਨਕਾਰੀ ਕਾਨੂੰਨ , ਸਵੈ-ਸ਼ਾਸਨ ਦੇ ਲਈ ਹੋਰ strident ਭਾਰਤੀ ਕਾਲ ਕੇ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਦੇ ਕੇ ਅਹਿੰਸਕ ਗੈਰ-ਸਹਿ-ਕਾਰਵਾਈ ਦੀ ਲਹਿਰ, ਜਿਸ ਦੇ ਮੋਹਨਦਾਸ ਕਰਮਚੰਦ ਰਾਹੁਲ ਨੇਤਾ ਅਤੇ ਸਹਿ ਪ੍ਰਤੀਕ ਬਣ ਜਾਵੇਗਾ. [152] 1930 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਦੌਰਾਨ, ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਹੌਲੀ ਵਿਧਾਨਕ ਸੁਧਾਰ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ; ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਹੋਈਆਂ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਜਿੱਤੀਆਂ। [153] ਅਗਲਾ ਦਹਾਕਾ ਸੰਕਟ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ: ਦੂਜੇ ਵਿਸ਼ਵ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਭਾਗੀਦਾਰੀ, ਅਸਹਿਯੋਗ ਲਈ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਅੰਤਮ ਧੱਕਾ ਅਤੇ ਮੁਸਲਿਮ ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦ ਦਾ ਉਭਾਰ। ਸਭ 1947 ਵਿਚ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਆਗਮਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਸਨ, ਪਰੰਤੂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਦੋ ਰਾਜਾਂ: ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ ਭੜਕਾਇਆ ਗਿਆ . [154]ਇਕ ਸੁਤੰਤਰ ਰਾਸ਼ਟਰ ਵਜੋਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਵੈ-ਰੂਪ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਇਸ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸੀ, ਜੋ 1950 ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨੇ ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ ਅਤੇ ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਗਣਤੰਤਰ ਰੱਖਿਆ ਸੀ। [155] ਇਹ ਨਾਗਰਿਕ ਅਜ਼ਾਦੀ, ਇੱਕ ਸਰਗਰਮ ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਸੁਤੰਤਰ ਪ੍ਰੈਸਾਂ ਵਾਲਾ ਲੋਕਤੰਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। [१66] ਆਰਥਿਕ ਉਦਾਰੀਕਰਨ, ਜਿਸਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ 1990 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਸੀ, ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸ਼ਹਿਰੀ ਮੱਧਵਰਗ ਬਣਾਇਆ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧਣ ਵਾਲੀ ਅਰਥਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ , [157] ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਭੂ-ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਰੁਖ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਭਾਰਤੀ ਫਿਲਮਾਂ, ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਅਧਿਆਤਮਕ ਉਪਦੇਸ਼ ਗਲੋਬਲ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਭੂਮਿਕਾ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ. [१66] ਫਿਰ ਵੀ, ਭਾਰਤ ਪੇਂਡੂ ਅਤੇ ਸ਼ਹਿਰੀ ਦੋਵਾਂ, ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦੀ ਬੇਲੋੜੀ ਗਰੀਬੀ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ; [156] ਧਾਰਮਿਕ ਦੁਆਰਾਅਤੇ ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹਿੰਸਾ ; [158] ਨੇ ਮਾਓਵਾਦੀ-ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਨਕਸਲੀ insurgencies ; [159] ਅਤੇ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵੱਖਵਾਦ ਦੁਆਰਾ । [160] ਇਹ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੱਲ ਖੇਤਰੀ ਵਿਵਾਦ ਹੈ ਚੀਨ [161] ਅਤੇ ਨਾਲ ਪਾਕਿਸਤਾਨ . [161] ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਸਥਾਈ ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਨਵੇਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਲੱਖਣ ਹਨ; ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਸਦੀਆਂ ਹਾਲ ਹੀ ਦੀਆਂ ਆਰਥਿਕ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਇਸ ਤੋਂ ਵਾਂਝੀ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਲਈ ਚਾਹਤ ਤੋਂ ਆਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਅਜੇ ਇੱਕ ਟੀਚਾ ਹੈ. [162]ਭੂਗੋਲਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਭੂਗੋਲਭਾਰਤ ਦੀਆਂ orਰਗੋਗ੍ਰਾਫਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਗਰਮੀਆਂ ਦਾ ਮੌਨਸੂਨਨੂੰ ਇੱਕ ਮਾਨਸੂਨ ਤੂਫ਼ਾਨ ਅੱਗੇ, ਫੜਨ ਕਿਸ਼ਤੀਆ ਲਈ ਇੱਕ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਬਾਰਸ਼ ਰਹੇ ਹਨ ਤਰੰਗਾ ਨਦੀ ਵਿਚ Anjarle ਪਿੰਡ, ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ.ਭਾਰਤ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਹਿੱਸਾ ਹੈ, ਇਹ ਇੰਡੋ-ਆਸਟਰੇਲੀਆਈ ਪਲੇਟ ਦਾ ਇਕ ਹਿੱਸਾ, ਭਾਰਤੀ ਟੈਕਟੋਨੀਕ ਪਲੇਟ ਦੇ ਉਪਰ ਪਿਆ ਹੈ . [१33] ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਤਮਕ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਆਵਾਂ million 75 ਮਿਲੀਅਨ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਉਦੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈਆਂ ਜਦੋਂ ਇੰਡੀਅਨ ਪਲੇਟ, ਤਤਕਾਲੀ ਦੱਖਣੀ ਸੁਪਰ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਗੋਂਡਵਾਨਾ ਦਾ ਇੱਕ ਹਿੱਸਾ , ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਵਗਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰloੇ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ, ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ, ਦੱਖਣ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲਣ ਕਾਰਨ . [163] ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ, ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਵੱਲ, ਵਿਸ਼ਾਲ ਟੇਥੀਅਨ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ , ਯੂਰਸੀਅਨ ਪਲੇਟ ਦੇ ਅਧੀਨ ਆਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ . [163] ਇਹ ਦੋਹਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ, ਧਰਤੀ ਦੇ ਪਰਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਸੰਚਾਲਿਤ, ਦੋਵਾਂ ਨੇ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਦੀਪੀਲੀ ਛਾਲੇ ਨੂੰ ਆਖਰਕਾਰ ਯੂਰਸ਼ਿਆ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਾਇਆ . [१33] ਉੱਭਰ ਰਹੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੇ ਤੁਰੰਤ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ, ਪਲੇਟ ਦੀ ਲਹਿਰ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਖੂਹ ਬਣਾਇਆ ਜੋ ਕਿ ਜਲਦੀ ਨਾਲ ਨਦੀ-ਰਹਿਤ ਤਲਵਾਰ ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੋਈ ਹੈ [164] ਅਤੇ ਹੁਣ ਇੰਡੋ-ਗੈਂਗੇਟਿਕ ਮੈਦਾਨ ਦਾ ਗਠਨ ਕਰਦਾ ਹੈ . [165] ਕੱਟੋ ਬੰਦ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕੇ ਸਧਾਰਨ ਤੱਕ Aravalli ਸੀਮਾ ਪਿਆ ਥਾਰ ਮਾਰੂਥਲ . [166]ਅਸਲ ਇੰਡੀਅਨ ਪਲੇਟ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਕਾਇਮ ਹੈ , ਜੋ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣਾ ਅਤੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਸਥਿਰ ਹਿੱਸਾ ਹੈ. ਇਹ ਉੱਤਰ ਤੱਕ ਉੱਤਰ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੈ ਜਿੰਨਾ ਕੇਂਦਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਤਪੁਰਾ ਅਤੇ ਵਿੰਧਿਆ ਦਾਇਰਾ ਹੈ. ਇਹ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਚੇਨ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਗੁਜਰਾਤ ਵਿੱਚ ਅਰਬ ਸਾਗਰ ਦੇ ਤੱਟ ਤੋਂ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਝਾਰਖੰਡ ਵਿੱਚ ਕੋਲਾ-ਅਮੀਰ ਛੋਟੇ ਨਾਗਪੁਰ ਪਠਾਰ ਤੱਕ ਚਲਦੀਆਂ ਹਨ . [167] ਦੱਖਣ ਵੱਲ, ਬਾਕੀ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦਾ ਲੈਂਡਮਾਸ, ਡੈਕਨ ਪਠਾਰ , ਪੱਛਮੀ ਅਤੇ ਪੂਰਬੀ ਘਾਟ ਵਜੋਂ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ ranੇ ਦੁਆਰਾ ਪੱਛਮ ਅਤੇ ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਫਲੰਕ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ; [168]ਪਠਾਰ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਚੱਟਾਨਾਂ ਹੈ, ਕੁਝ ਇਕ ਅਰਬ ਸਾਲ ਪੁਰਾਣੀ. ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੈਸ਼ਨ ਵਿਚ ਬਣਿਆ, ਭਾਰਤ ਭੂਮੱਧ ਭੂਮੀ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿਚ 6 ° 44 ′ ਅਤੇ 35 ° 30 ′ ਉੱਤਰੀ अक्षांश [i] ਅਤੇ 68 ° 7 ′ ਅਤੇ 97 ° 25 ′ ਪੂਰਬ રેખાંશ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸਥਿਤ ਹੈ. [169]ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 7,517 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (4,700 ਮੀਲ) ਹੈ; ਇਸ ਦੂਰੀ ਦਾ, 5,423 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (3,400 ਮੀਲ) ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਭਾਰਤ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹੈ ਅਤੇ ਅੰਡੇਮਾਨ, ਨਿਕੋਬਾਰ ਅਤੇ ਲਕਸ਼ਦਵੀਪ ਟਾਪੂ ਚੇਨਜ਼ ਨਾਲ 2,094 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (1,300 ਮੀਲ) ਹੈ. [170] ਭਾਰਤੀ ਜਲ ਸੈਨਾ ਦੇ ਹਾਈਡ੍ਰੋਗ੍ਰਾਫਿਕ ਚਾਰਟਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਮੁੱਖ ਭੂਮੀ ਦੇ ਤੱਟ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: 43% ਰੇਤਲੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ ;ੇ; 11% ਪੱਥਰ ਦੇ ਕਿਨਾਰੇ, ਚੱਟਾਨਾਂ ਸਮੇਤ; ਅਤੇ 46% ਮੂਡਫਲੈਟਸ ਜਾਂ ਮਾਰਸ਼ਿਅਲ ਕਿਨਾਰੇ. [170]Tungabhadra , ਪੱਥਰੀਲੀ outcrops ਨਾਲ, Peninsular ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦਾ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਨਦੀ . [171]ਵੱਡੀਆਂ ਹਿਮਾਲੀਅਨ ਮੂਲ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ ਜੋ ਕਾਫ਼ੀ ਹੱਦ ਤਕ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘਦੀਆਂ ਹਨ, ਵਿਚ ਗੰਗਾ ਅਤੇ ਬ੍ਰਹਮਾਪੁੱਤਰ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ , ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਵਿਚ ਵਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ . [172] ਗੰਗਾ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਸਹਾਇਕ ਨਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਯਮੁਨਾ ਅਤੇ ਕੋਸੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ; ਬਾਅਦ ਦਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਘੱਟ ientਾਲਵਾਂ, ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਕਾਰਨ, ਗੰਭੀਰ ਹੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਰਾਹ ਬਦਲਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦਾ ਹੈ. [173] [174] ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪਾਂ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ epੱਕੇ gradਾਂਚੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਹੜ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਰੋਕਦੇ ਹਨ, ਗੋਦਾਵਰੀ , ਮਹਾਨਦੀ , ਕਾਵੇਰੀ ਅਤੇ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ , ਜੋ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਵਗਦੀਆਂ ਹਨ;[175] ਅਤੇ ਨਰਮਦਾ ਅਤੇ ਤਪਤੀ , ਜੋ ਅਰਬ ਸਾਗਰ ਵਿੱਚ ਵਗਦਾ ਹੈ . [१66] ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟਵਰਤੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੱਛ ਦਾਮਾਰਸ਼ਿਕ ਰਣ ਅਤੇਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੁੰਦਰ ਸੁੰਦਰਨ ਡੈਲਟਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ; ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਬੰਗਲਾਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ. [177] ਭਾਰਤ ਦਾ ਦੋ ਹਨ archipelagos : ਲਕਸ਼ਦੀਪ , Coral atolls ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮੀ ਤਟ; ਅੰਡੇਮਾਨ ਅਤੇ ਨਿਕੋਬਾਰ ਆਈਲੈਂਡਜ਼, ਅੰਡੇਮਾਨ ਸਾਗਰ ਵਿਚ ਜੁਆਲਾਮੁਖੀ ਦੀ ਚੇਨ ਹੈ. [178]ਭਾਰਤੀ ਮਾਹੌਲ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਹਿਮਾਲਿਆ ਅਤੇ ਥਾਰ ਮਾਰੂਥਲ, ਜਿਸ ਦੀ ਦੋਨੋ ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਅਹਿਮ ਗਰਮੀ ਅਤੇ ਸਰਦੀ ਗੱਡੀ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਮਾਨਸੂਨ . [179] ਹਿਮਾਲਿਆ ਠੰਡੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆਈ ਕਾਟਾਬੈਟਿਕ ਹਵਾਵਾਂ ਨੂੰ ਵਗਣ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ , ਜਿਸ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਹਿੱਸੇ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਵਿਥਾਂ 'ਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗਰਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. [180] [181] ਥਾਰ ਦਾ ਮਾਰੂਥਲ ਨਮੀ ਨਾਲ ਭਰੀ ਦੱਖਣੀ-ਪੱਛਮੀ ਗਰਮੀ ਦੀਆਂ ਮੌਨਸੂਨ ਹਵਾਵਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਭੂਮਿਕਾ ਅਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਜੂਨ ਤੋਂ ਅਕਤੂਬਰ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਬਾਰਸ਼ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ. [179] ਚਾਰ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਮੌਸਮ ਦੇ ਸਮੂਹ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹਨ: ਗਰਮ ਗਰਮ , ਗਰਮ ਖੰਡੀ ,subtropical ਨਮੀ , ਅਤੇ montane . [182]ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਜੰਗਲਾਤ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਈਲਡ ਲਾਈਫਇੱਕ 1909 ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ, ਝਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਛੋਟੀ ਲੱਕੜ, ਕਾਸ਼ਤ ਵਾਲੀਆਂ ਜ਼ਮੀਨਾਂ, ਸਟੈਪ ਅਤੇ ਰੇਗਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ.2010 ਦਾ ਇੱਕ ਨਕਸ਼ਾ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਹਰ ਰਾਜ ਦਾ India'sਸਤਨ India'sਸਤਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ coverੱਕਣ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈਭਾਰਤ ਇਕ ਮੈਗਾਡੀਵਰਸੀ ਦੇਸ਼ ਹੈ , ਇਹ ਸ਼ਬਦ 17 ਦੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਉੱਚ ਜੈਵਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ 'ਤੇ ਦੇਸੀ , ਜਾਂ ਸਥਾਨਕ ਤੌਰ' ਤੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ . [183] ਭਾਰਤ 8.3% ਜੀਵੀਆਂ ਸਭ ਥਣਧਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਦਾ, 13.7% ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ, 7.9% ਸਰੀਨ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ, 6% उभਯ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਦਾ, 12.2% ਮੱਛੀ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਦਾ, ਅਤੇ ਸਾਰੀਆਂ ਫੁੱਲਾਂ ਵਾਲੀਆਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ 6.0% ਦਾ ਇੱਕ ਰਿਹਾਇਸ਼ੀ ਇਲਾਕਾ ਹੈ । [184] [185] ਪੂਰੀ ਤਰਾਂ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ ਤੀਸਰਾ ਹਿੱਸਾ ਸਧਾਰਣ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [186]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦੁਨੀਆ ਦੇ 34 ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੇ ਗਰਮ ਸਥਾਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚਾਰ ਵੀ ਹਨ , [] regions ] ਜਾਂ ਉਹ ਖੇਤਰ ਜੋ ਉੱਚ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਿਵਾਸ ਸਥਾਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ. [ਜੇ] [187]ਭਾਰਤ ਦਾ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ cover ੱਕਣ 701,673 ਕਿਲੋਮੀਟਰ 2 (270,917 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਹੈ, ਜੋ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੁਲ ਜ਼ਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦਾ 21.35% ਹੈ। ਇਸ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਛਾਉਣੀ ਦੀ ਘਣਤਾ ਦੀਆਂ ਵਿਆਪਕ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ , ਜਾਂ ਜੰਗਲ ਦੇ ਰਕਬੇ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਦੇ byੱਕਣ ਨਾਲ coveredੱਕੇ ਹੋਏ ਖੇਤਰ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ . [188] ਬਹੁਤ ਸੰਘਣੀ ਜੰਗਲ , ਜਿਸਦੀ ਛੱਤ ਦੀ ਘਣਤਾ 70% ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਦੇ 2.61% ਹਿੱਸੇ ਤੇ ਕਾਬਜ਼ ਹਨ. [188] ਇਹ ਅੰਡੇਮਾਨ ਟਾਪੂ , ਪੱਛਮੀ ਘਾਟ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਰਮ ਗਰਮ ਗਣਿਤ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹੈ . [189] ਮੱਧਮ ਸੰਘਣੀ ਜੰਗਲ ਜਿਸਦੀ ਛਾਉਣੀ ਦੀ ਘਣਤਾ 40% ਅਤੇ 70% ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਦੇ 9.59% ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਉੱਤੇ ਕਾਬਜ਼ ਹਨ. [188] ਇਹ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹੈ temperate coniferous ਜੰਗਲ ਦੇ ਹਿਮਾਲਿਆ , ਗਿੱਲੇ deciduous ਸਾਲ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲ, ਅਤੇ ਖੁਸ਼ਕ deciduous ਬਲੌਰੀ ਮੱਧ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲ. [189] ਓਪਨ ਜੰਗਲ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਗੱਡਣੀ ਘਣਤਾ 10% ਅਤੇ 40% ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਜਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦਾ 9.14% ਹੈ, [188] ਅਤੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹੈ ਵਿੱਚ ਬਾਬੁਲ -dominated ਕੰਡਾ ਜੰਗਲ ਮੱਧ ਦੇ ਡੈਕਨ ਪਠਾਰ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਗੰਗਾ ਸਧਾਰਨ . [189]ਭਾਰਤੀ ਉਪਮਹਾਦਵੀਪ ਦੇ ਪ੍ਰਤੱਖ ਦੇਸੀ ਰੁੱਖ ਦਾ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਹਨ astringent Azadirachta ਇੰਡੀਕਾ , ਜ ਨਿੰਮ , ਜਿਸ ਨੂੰ ਵਿਆਪਕ ਦਿਹਾਤੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਦੀ ਦੇਸੀ ਦਵਾਈ ਦਾ , [190] ਅਤੇ ਹਰੇ ficus religiosa , ਜ peepul , [191] ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸੀਲ 'ਤੇ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਮੋਹਿੰਜੋਦੜੋ -ਦਾਰੋ , [192] under ] ਅਤੇ ਜਿਸ ਦੇ ਤਹਿਤ ਬੁਧ ਨੂੰ ਗਿਆਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਨ ਲਈ ਪਾਲੀ ਕੈਨਨ ਵਿੱਚ ਦਰਜ ਹੈ. [193]ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਜੰਗਲੀ ਟਾਈਗਰਾਂ ਦੀ ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਹੈ, 2019 ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 3,000. [194]ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਮਾਂ ਦੱਖਣੀ ਸੁਪਰ ਮਹਾਂਦੀਪ , ਗੋਂਡਵਾਨਾ ਤੋਂ ਆਈਆਂ ਹਨ ਜਿਥੋਂ ਭਾਰਤ ਸੌ ਮਿਲੀਅਨ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਵੱਖ ਹੋਇਆ ਸੀ। [195] ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੀ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਟੱਕਰ ਨੇ ਸਪੀਸੀਜ਼ ਦਾ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਹਾਲਾਂਕਿ, ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਅਤੇ ਜਲਵਾਯੂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਧਾਰਣ ਭਾਰਤੀ ਰੂਪਾਂ ਦੇ ਖਤਮ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣੀਆਂ. [१ 6]] ਫਿਰ ਵੀ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ, ਥਣਧਾਰੀ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਦੋ ਚਿੜੀਆਘਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਏਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ । [१9]] ਇਸ ਦਾ ਅਸਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਥਣਧਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨੂੰ ਹੋਇਆ, ਜੋ ਕਿ 12.6% ਉੱਤੇ ਖੜ੍ਹਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਸਰੀਪਨ ਵਿੱਚ .8 45. and% ਅਤੇ ਦੋਨੋਂ ਉੱਚ ਪੱਧਰਾਂ ਵਿੱਚ .8 55..8% ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ ਹੈ। [185] ਕਮਜ਼ੋਰ ਐਂਡਮਿਕਸ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹਨ[197] ਪੱਛੜ ਵਾਲੇ ਬਾਂਦਰ [198] ਅਤੇਪੱਛਮੀ ਘਾਟ ਦੇ [199] ਬੈੱਡਡਮ ਦੀ ਡੱਡੀ [199] [200] ਦੀਧਮਕੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ.ਇੱਕ Chital ( ਐਕਸਿਸ ਧੁਰਾ ) stag ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਵਿਚ ਾਊਜ਼ ਕਰਨ ਲਈ Nagarhole ਨੈਸ਼ਨਲ ਪਾਰਕ ਇੱਕ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਦੁਆਰਾ ਕਵਰ ਵਿਚ ਔਸਤਨ ਸੰਘਣੀ [K] ਜੰਗਲ. [189]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 172 ਆਈਯੂਸੀਐਨ- ਡਿਜਾਈਨਡ ਧਮਕੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ , ਜਾਂ 2.9% ਖ਼ਤਰੇ ਵਿੱਚ ਹਨ. [201] ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿੱਚ ਪਈ ਬੰਗਾਲ ਟਾਈਗਰ ਅਤੇ ਗੰਗਾ ਨਦੀ ਡੌਲਫਿਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਨਾਜ਼ੁਕ ਖ਼ਤਰੇ ਵਾਲੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਘੜਿਆਲ , ਇੱਕ ਮਗਰਮੱਛ ; ਮਹਾਨ ਭਾਰਤੀ bustard ; ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਚਿੱਟੇ-rumped ਚੀਲ , ਜਿਸ ਦੇ ਲਾਸ਼ ਇੰਜੈਸਟੇਡ ਕੇ ਕਰੀਬ ਦਿਸਦੇ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ diclofenac ਪਸ਼ੂ -treated. [202]ਪਿਛਲੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੇ ਵਿਆਪਕ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਣ ਪੱਖੋਂ ਵਿਨਾਸ਼ਕਾਰੀ ਮਨੁੱਖੀ ਕਬਜ਼ੇ ਨੇ ਅਨੇਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਭਾਰਤੀ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਣ ਨੂੰ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਜਵਾਬ ਵਿਚ, ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਾਰਕਾਂ ਅਤੇ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਖੇਤਰਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ , ਪਹਿਲਾਂ 1935 ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ, ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਵਿਸਥਾਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. 1972 ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ ਸੁਰੱਖਿਆ ਐਕਟ [203] ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਜੈਕਟ ਟਾਈਗਰ ਨੂੰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਉਜਾੜ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ; ਜੰਗਲਾਤ ਸੰਭਾਲ ਐਕਟ 1980 ਵਿੱਚ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਸੋਧ 1988 ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ [204] ਭਾਰਤ ਵੱਧ ਹੋਰ ਪੰਜ ਸੌ ਵਣ ਪਾਰਕ ਅਤੇ ਤੀਹ biosphere ਭੰਡਾਰ , [205] ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਚਾਰ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਹਨ biosphere ਦੇ ਭੰਡਾਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ਵ ਨੈੱਟਵਰਕ; ਰਾਮਸਰ ਕਨਵੈਨਸ਼ਨ ਅਧੀਨ 25 ਪੰਜੇ ਜ਼ਮੀਨਦਾਰ ਰਜਿਸਟਰਡ ਹਨ । [206]बाल वनिता महिला आश्रमਰਾਜਨੀਤੀ ਅਤੇ ਸਰਕਾਰਰਾਜਨੀਤੀਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤੀਸਮਾਜਿਕ ਅੰਦੋਲਨ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਲੋਕਤੰਤਰ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਰਿਹਾ ਹੈ . 25,000 ਦਾ ਇੱਕ ਭਾਗ ਤਸਵੀਰ ਸ਼ੋਅ ਬੇਜ਼ਮੀਨੇ ਦੇ ਰਾਜ 'ਚ ਲੋਕ ਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਸੁਣਨ ਰਾਜਗੋਪਾਲ ਪੀ ਅੱਗੇ ਆਪਣੇ 350 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (220 ਮੀਲ) ਮਾਰਚ, Janadesh 2007 , ਤੱਕ ਗਵਾਲੀਅਰ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਦੇ ਲਈ ਦੀ ਮੰਗ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਜ਼ਮੀਨ ਸੁਧਾਰ . [207]ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ । [208] ਇੱਕ ਬਹੁ-ਪਾਰਟੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਾਲਾ ਸੰਸਦੀ ਗਣਰਾਜ , [209] ਇਸ ਕੋਲ ਅੱਠ ਮਾਨਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਹਨ , ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਜਨਤਾ ਪਾਰਟੀ (ਬੀਜੇਪੀ), ਅਤੇ 40 ਤੋਂ ਵੱਧ ਖੇਤਰੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । [210] ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ , [211] ਅਤੇ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਸੱਜਾ-ਪੱਖ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । [212] [213] [214] 1950 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ- ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਗਣਤੰਤਰ ਬਣਿਆ — ਅਤੇ 1980 ਵਿਆਂ ਦੇ ਆਖਰੀ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ, ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਸੰਸਦ ਵਿੱਚ ਬਹੁਮਤ ਹਾਸਲ ਕੀਤਾ। ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੋਂ, ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਸ ਨੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪੜਾਅ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਭਾਜਪਾ, [215] ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਖੇਤਰੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ ਹੈ ਜੋ ਅਕਸਰ ਕੇਂਦਰ ਵਿੱਚ ਬਹੁ-ਪਾਰਟੀ ਗੱਠਜੋੜ ਸਰਕਾਰਾਂ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ . [216]ਗਣਤੰਤਰ ਦੇ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਪਹਿਲੀਆਂ ਤਿੰਨ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿਚ, 1951, 1957 ਅਤੇ 1962 ਵਿਚ, ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਾਲੀ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਅਸਾਨ ਜਿੱਤੀਆਂ। 1964 ਵਿਚ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਮੌਤ ਤੇ ਲਾਲ ਬਹਾਦੁਰ ਸ਼ਾਸਤਰੀ ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ; 1966 ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਅਚਾਨਕ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਧੀ ਇੰਦਰਾ ਗਾਂਧੀ , ਜੋ 1967 ਅਤੇ 1971 ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਦੀਆਂ ਚੋਣਾਂ ਜਿੱਤੀਆਂ ਸਨ , ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਹ ਸਫਲ ਹੋ ਗਏ ਸਨ। ਐਮਰਜੈਂਸੀ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਤੋਂ ਜਨਤਕ ਅਸੰਤੁਸ਼ਟੀ ਦੇ ਬਾਅਦ , ਉਸਨੇ 1975 ਵਿਚ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਸੀ, ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਵੋਟ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ 1977 ਵਿਚ ਸੱਤਾ ਤੋਂ ਬਾਹਰ; ਉਸ ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਵੀਂ ਜਨਤਾ ਪਾਰਟੀਜਿਸਨੇ ਐਮਰਜੈਂਸੀ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਸੀ, ਵਿੱਚ ਵੋਟ ਪਾਈ ਗਈ ਸੀ। ਇਸਦੀ ਸਰਕਾਰ ਸਿਰਫ ਦੋ ਸਾਲ ਚੱਲੀ। 1980 ਵਿਚ ਸੱਤਾ ਵਿਚ ਵਾਪਸ ਆਉਣ ਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ 1984 ਵਿਚ ਲੀਡਰਸ਼ਿਪ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲੀ ਵੇਖੀ ਸੀ, ਜਦੋਂ ਇੰਦਰਾ ਗਾਂਧੀ ਦਾ ਕਤਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ; ਉਸਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਉਸ ਦੇ ਬੇਟੇ ਰਾਜੀਵ ਗਾਂਧੀ ਨੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ, ਜਿਸਨੇ ਉਸ ਸਾਲ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸਾਨ ਜਿੱਤ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ। 1989 ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਮੁੜ ਵੋਟਾਂ ਪਈਆਂ, ਜਦੋਂ ਖੱਬੇ ਮੋਰਚੇ ਨਾਲ ਗੱਠਜੋੜ ਵਿਚ ਨਵੀਂ ਬਣੀ ਜਨਤਾ ਦਲ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿਚ ਇਕ ਨੈਸ਼ਨਲ ਫਰੰਟ ਦਾ ਗੱਠਜੋੜ ਚੋਣਾਂ ਜਿੱਤ ਗਿਆ; ਉਹ ਸਰਕਾਰ ਵੀ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਸਾਬਤ ਹੋਈ, ਸਿਰਫ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਘੱਟ ਚੱਲੀ. [217] 1991 ਵਿਚ ਦੁਬਾਰਾ ਚੋਣਾਂ ਹੋਈਆਂ; ਕਿਸੇ ਵੀ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਪੂਰਨ ਬਹੁਮਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ। ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਇਕੱਲੇ ਪਾਰਟੀ ਵਜੋਂ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਏਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਪੀ ਵੀ ਨਰਸਿਮ੍ਹਾ ਰਾਓ . [218]ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੰਸਦ ਵਿਚ , ਯੂਐਸ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਬਰਾਕ ਓਬਾਮਾ ਨੂੰ 8 ਨਵੰਬਰ, 2010 ਨੂੰ ਇਕ ਸੰਯੁਕਤ ਇਜਲਾਸ ਵਿਚ, ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ , ਲੋਕ ਸਭਾ ਅਤੇ ਉਪਰਲੇ ਰਾਜ ਸਭਾ ਦੇ ਦੋਵਾਂ ਸਦਨਾਂ ਦੀ ਸੰਸਦ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਸੰਬੋਧਿਤ ਕਰਦੇ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਉਥਲ-ਪੁਥਲ ਦੀ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਮਿਆਦ 1996 ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਈ। ਕਈ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਦੇ ਗੱਠਜੋੜ ਨੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿਚ ਸੱਤਾ ਸਾਂਝੀ ਕੀਤੀ। ਬੀਜੇਪੀ ਨੇ 1996 ਵਿਚ ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰ ਬਣਾਈ; ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੋ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ ਤੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਯੂਨਾਈਟਿਡ ਫਰੰਟ ਗੱਠਜੋੜ, ਜੋ ਬਾਹਰੀ ਸਹਾਇਤਾ 'ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਸਨ. 1998 ਵਿਚ, ਭਾਜਪਾ ਇਕ ਸਫਲ ਗੱਠਜੋੜ, ਨੈਸ਼ਨਲ ਡੈਮੋਕਰੇਟਿਕ ਅਲਾਇੰਸ (ਐਨ.ਡੀ.ਏ.) ਬਣਾਉਣ ਵਿਚ ਕਾਮਯਾਬ ਰਹੀ । ਅਟਲ ਬਿਹਾਰੀ ਵਾਜਪਾਈ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ , ਐਨਡੀਏ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦਾ ਕਾਰਜਕਾਲ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਪਹਿਲੀ ਗੈਰ-ਕਾਂਗਰਸ, ਗੱਠਜੋੜ ਦੀ ਸਰਕਾਰ ਬਣ ਗਈ । [२१]] ਫੇਰ 2004 ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ , ਕਿਸੇ ਵੀ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਪੂਰਨ ਬਹੁਮਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ, ਪਰ ਇੱਕ ਵੱਡੀ ਸਫਲ ਗੱਠਜੋੜ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੀ ਕਾਂਗਰਸ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਇੱਕਲੀ ਪਾਰਟੀ ਵਜੋਂ ਉੱਭਰੀ:ਸੰਯੁਕਤ ਪ੍ਰਗਤੀਸ਼ੀਲ ਗੱਠਜੋੜ (ਯੂ ਪੀ ਏ). ਇਸ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਪੱਖੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਅਤੇ ਸੰਸਦ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੀ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਸਾਲ 2009 ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ ਯੂਪੀਏ ਸੱਤਾ ਵਿੱਚ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਗਈ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਹੁਣ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਕਮਿ communਨਿਸਟ ਪਾਰਟੀਆਂ ਤੋਂ ਬਾਹਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਸੀ । [220] ਉਸ ਸਾਲ, ਮਨਮੋਹਨ ਸਿੰਘ 1957 ਅਤੇ 1962 ਵਿਚ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ, ਜੋ ਲਗਾਤਾਰ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਕਾਲ ਲਈ ਦੁਬਾਰਾ ਚੁਣੇ ਗਏ ਸਨ। [221] ਵਿੱਚ 2014 ਆਮ ਚੋਣ , ਭਾਜਪਾ ਬਹੁਮਤ ਜਿੱਤਣ ਲਈ 1984 ਦੇ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੀ ਸਿਆਸੀ ਪਾਰਟੀ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਹੋਰ ਧਿਰ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਦੇ ਬਿਨਾ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ. [222]ਮੌਜੂਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਹਨ । 20 ਜੁਲਾਈ 2017 ਨੂੰ, ਰਾਮ ਨਾਥ ਕੋਵਿੰਦ ਭਾਰਤ ਦੇ 14 ਵੇਂ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਚੁਣੇ ਗਏ ਅਤੇ 25 ਜੁਲਾਈ 2017 ਨੂੰ ਅਹੁਦੇ ਦੀ ਸਹੁੰ ਚੁੱਕੀ। [२२3] [२२4] [२२5]ਸਰਕਾਰਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਭਵਨ , ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੀ ਸਰਕਾਰੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ , 1911 ਅਤੇ 1931 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰਾਜ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਆਰਕੀਟੈਕਟ ਐਡਵਿਨ ਲੂਟਿਯਨਜ਼ ਅਤੇ ਹਰਬਰਟ ਬੇਕਰ ਦੁਆਰਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਾਇਸਰਾਏ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ . [226]ਭਾਰਤ ਇਕ ਹੈ ਫੈਡਰੇਸ਼ਨ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਾਲ ਸੰਸਦੀ ਸਿਸਟਮ ਤਹਿਤ ਲਾਗੂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਯਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸੁਪਰੀਮ ਕਾਨੂੰਨੀ ਦਸਤਾਵੇਜ਼. ਇਹ ਇੱਕ ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਗਣਤੰਤਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ , ਜਿਸ ਵਿੱਚ " ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਰਾਜ ਕਾਨੂੰਨ ਦੁਆਰਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਘੱਟਗਿਣਤੀ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸ਼ਾਂਤ ਹੈ " ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸੰਘਵਾਦ ਸੰਘ ਅਤੇ ਰਾਜਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਬਿਜਲੀ ਵੰਡ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ, ਜਿਹੜਾ 26 ਜਨਵਰੀ 1950 ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਹੋਇਆ ਸੀ, [227] ਨੇ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਇੱਕ " ਪ੍ਰਭੂਸੱਤਾ , ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਗਣਤੰਤਰ" ਦੱਸਿਆ ; "ਇਸ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਤਬਦੀਲੀ 1971 ਵਿੱਚ" ਇੱਕ ਪ੍ਰਭੂਸੱਤਾ, ਸਮਾਜਵਾਦੀ, ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ , ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਗਣਤੰਤਰ "ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ। [२२8] ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਰੂਪ, ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਇੱਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਕੇਂਦਰ ਅਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਨਾਲ" ਅਰਧ-ਸੰਘੀ "ਵਜੋਂ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ, [२२]] ਵੱਡਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ 1990 ਦੇ ਅਖੀਰ ਤੋਂ ਸੰਘੀ ਵੱਧ ਰਹੇ ਹਨ. [230] [231]ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਚਿੰਨ੍ਹ[1]ਝੰਡਾ ਤਿਰੰਗਾ (ਤਿਰੰਗਾ)ਚਿੰਨ੍ਹ ਸਾਰਨਾਥ ਸ਼ੇਰ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀਗੀਤ ਜਾਨ ਗਾਨਾ ਮਨਗਾਣਾ " ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ "ਭਾਸ਼ਾ ਕੋਈ ਨਹੀਂ [8] [9] [10]ਮੁਦਰਾ ₹ ( ਭਾਰਤੀ ਰੁਪਏ )ਕੈਲੰਡਰ ਸਾਕਾਜਾਨਵਰ ਬੰਗਾਲ ਟਾਈਗਰਨਦੀ ਡੌਲਫਿਨਇੰਡੀਅਨ ਮੋਰਫੁੱਲ ਕਮਲਫਲ ਅੰਬਰੁੱਖ ਬਨਯਾਨਨਦੀ ਗੰਗਾਖੇਡ ਘੋਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ [232]ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਤਿੰਨ ਸ਼ਾਖਾ ਬਣਿਆ ਹੈ: [233]ਕਾਰਜਕਾਰੀ : ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਇਕ ਰਸਮੀ ਰਾਜ ਦਾ ਰਾਜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ , [234] ਜੋ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅਤੇ ਰਾਜ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾਵਾਂ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਾਲੇ ਇੱਕ ਚੋਣਵੇਂ ਕਾਲਜ ਦੁਆਰਾ ਅਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ਤੇ ਪੰਜ ਸਾਲ ਦੀ ਮਿਆਦ ਲਈ ਚੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । [235] [236] , The ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਹੈ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਿਰ ਅਤੇ ਸਭ ਦਾ ਸਬੂਤ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ . [237] ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੁਕਤ, [238] ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਪਾਰਟੀ ਜਾਂ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਗੱਠਜੋੜ ਦੁਆਰਾ ਸਮਰਥਤ ਸੰਮੇਲਨ ਦੁਆਰਾ ਸੰਸਦ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਵਿਚ ਬਹੁਮਤ ਸੀਟਾਂ ਵਾਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। [237]ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਕਾਰਜਕਾਰਨੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ, ਉਪ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰੀ ਮੰਤਰੀ ਮੰਡਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ- ਜਿਸ ਵਿਚ ਮੰਤਰੀ ਮੰਡਲ ਦੀ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਕਮੇਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ- ਜਿਸ ਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਪੋਰਟਫੋਲੀਓ ਰੱਖਣ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਵੀ ਮੰਤਰੀ ਪਾਰਲੀਮੈਂਟ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਸਦਨ ​​ਦਾ ਮੈਂਬਰ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। [234] ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦਾ ਅਧੀਨ ਹੈ; ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕੌਂਸਲ ਸੰਸਦ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਲਈ ਸਿੱਧੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸਿਵਲ ਸੇਵਕ ਸਥਾਈ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਅਤੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਫ਼ੈਸਲੇ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਕੇ ਲਾਗੂ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ. [239]ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ : ਭਾਰਤ ਦੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੋ-ਪੱਖੀ ਸੰਸਦ ਹੈ । ਵੈਸਟਮਿੰਸਟਰ ਸ਼ੈਲੀ ਦੀ ਪਾਰਲੀਮਾਨੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਅਧੀਨ ਕੰਮ ਕਰਦਿਆਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਰਾਜ ਸਭਾ ( ਰਾਜ ਸਭਾ ) ਅਖਵਾਉਣ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਉੱਚ ਸਦਨ ਅਤੇ ਇੱਕ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਨੂੰ ਲੋਕ ਸਭਾ ( ਲੋਕ ਸਭਾ ) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। [240] ਰਾਜ ਸਭਾ 245 ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਸਥਾਈ ਸੰਸਥਾ ਹੈ ਜੋ ਛੇ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਮਿਆਦ ਵਿੱਚ ਸੇਵਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । [241] ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਅਸਿੱਧੇ ਤੌਰ 'ਤੇ ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਰਾਜ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਅਨੁਸਾਰ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਚੁਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ . [238] ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਸਭਾ ਦੇ 545 ਵਿਚੋਂ ਦੋ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਵੋਟਾਂ ਦੁਆਰਾ ਚੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ; ਉਹ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਕਾਲ ਲਈ ਇਕ-ਮੈਂਬਰੀ ਚੋਣ ਹਲਕਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ. [242] ਲੇਖ 331 ਵਿਚ ਐਂਗਲੋ-ਇੰਡੀਅਨ ਲਈ ਰਾਖਵੀਂ ਸੰਸਦ ਦੀਆਂ ਦੋ ਸੀਟਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। [243] [244]ਨਿਆਂਪਾਲਿਕਾ : ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਇੱਕ ਤਿੰਨ-ਪੱਧਰੀ ਇਕਮਾਤਰ ਸੁਤੰਤਰ ਨਿਆਂਪਾਲਿਕਾ ਹੈ [245] ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਹੈ , ਜਿਸਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਚੀਫ਼ ਜਸਟਿਸ , 25 ਹਾਈ ਕੋਰਟਾਂ , ਅਤੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠਲੀ ਅਦਾਲਤਾਂ ਕਰਦੇ ਹਨ। [245] ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਕੋਲ ਮੌਲਿਕ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਦਰਮਿਆਨ ਵਿਵਾਦਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਕੇਸਾਂ ਦਾ ਅਸਲ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਚ ਅਦਾਲਤਾਂ ਉੱਤੇ ਅਪੀਲ ਕਰਨ ਦਾ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਹੈ । [२66] ਇਸ ਵਿੱਚ ਯੂਨੀਅਨ ਜਾਂ ਰਾਜ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ ਜੋ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ, [२ 247] ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਰਕਾਰੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੂੰ ਗ਼ੈਰ-ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਮੰਨਣ ਨੂੰ ਅਯੋਗ ਠਹਿਰਾਉਂਦੇ ਹਨ। [248]ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਵਿਭਾਗਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਵਿਭਾਗਇਹ ਵੀ ਵੇਖੋ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਏਕੀਕਰਨਭਾਰਤ ਇਕ ਸੰਘੀ ਸੰਘ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 28 ਰਾਜ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ (ਹੇਠਾਂ ਕ੍ਰਮਵਾਰ 1-28 ਅਤੇ ਏ – ਐਚ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸੂਚੀਬੱਧ). [249] ਸਾਰੇ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ , ਪੁਡੂਚੇਰੀ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦਿੱਲੀ , ਨੇ ਵੈਸਟਮਿੰਸਟਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦਿਆਂ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਰਕਾਰਾਂ ਚੁਣੀਆਂ ਹਨ। ਬਾਕੀ ਪੰਜ ਕੇਂਦਰੀ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਸ਼ਾਸਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. 1956 ਵਿਚ, ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਪੁਨਰਗਠਨ ਐਕਟ ਦੇ ਅਧੀਨ ਰਾਜਾਂ ਨੂੰ ਭਾਸ਼ਾਈ ਅਧਾਰ 'ਤੇ ਪੁਨਰਗਠਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. [250]ਸ਼ਹਿਰ, ਕਸਬੇ, ਬਲਾਕ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਅਤੇ ਪਿੰਡ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਇਕ ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਥਾਨਕ ਸਰਕਾਰਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਹਨ. [251]ਭਾਰਤ ਦੇ 28 ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਕਲਿਕ ਕਰਨ ਯੋਗ ਨਕਸ਼ਾਆਂਧਰਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਅਰੁਣਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਅਸਾਮਬਿਹਾਰਛੱਤੀਸਗੜਗੋਆਗੁਜਰਾਤਹਰਿਆਣੇਹਿਮਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਝਾਰਖੰਡਕਰਨਾਟਕਕੇਰਲਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰਮਨੀਪੁਰਮੇਘਾਲਿਆਮਿਜ਼ੋਰਮਨਾਗਾਲੈਂਡਓਡੀਸ਼ਾਪੰਜਾਬਰਾਜਸਥਾਨਸਿੱਕਮਤਾਮਿਲਨਾਡੂਤੇਲੰਗਾਨਾਤ੍ਰਿਪੁਰਾਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਉਤਰਾਖੰਡਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲਅੰਡੇਮਾਨ ਅਤੇ ਨਿਕੋਬਾਰ ਟਾਪੂਚੰਡੀਗੜ੍ਹਦਾਦਰਾ ਅਤੇ ਨਗਰ ਹਵੇਲੀ ਅਤੇ ਦਮਨ ਅਤੇ ਦਿਉਜੰਮੂ ਕਸ਼ਮੀਰਲੱਦਾਖਲਕਸ਼ਦਵੀਪਰਾਸ਼ਟਰੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦਿੱਲੀਪੁਡੂਚੇਰੀਵਿਦੇਸ਼ੀ, ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਰਣਨੀਤਕ ਸੰਬੰਧਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਆਰਮਡ ਫੋਰਸਿਜ਼ ਦੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਸੰਬੰਧ1950 ਅਤੇ 60 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਦੌਰਾਨ, ਗੈਰ-ਗੱਠਜੋੜ ਅੰਦੋਲਨ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੇ ਮੁੱਖ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ । [252] ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ: ਯੂਨਾਈਟਿਡ ਅਰਬ ਰੀਪਬਲਿਕ (ਹੁਣ ਮਿਸਰ) ਦੇ ਗਾਮਲ ਅਬਦੈਲ ਨਸੀਰ , ਯੂਗੋਸਲਾਵੀਆ ਦੇ ਜੋਸਿਪ ​​ਬ੍ਰੋਜ਼ ਟਿੱਟੋ ਅਤੇ ਬੈਲਗ੍ਰੇਡ ਵਿਚ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ , ਸਤੰਬਰ 1961.1950 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਅਤੇ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਡੀਕਲੋਨਾਈਜ਼ੇਸ਼ਨ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਗੈਰ-ਗਠਜੋੜ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਮੋਹਰੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ । [२33] ਗੁਆਂ .ੀ ਦੇਸ਼ ਚੀਨ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ ਸੁਲਝੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਭਾਰਤ 1962 ਵਿੱਚ ਚੀਨ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਗਿਆ ਸੀ , ਅਤੇ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ਕਿ ਬੇਇੱਜ਼ਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਗੁਆਂ ;ੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਤਣਾਅਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਰਹੇ ਹਨ ; ਦੋਵੇਂ ਰਾਸ਼ਟਰ ਚਾਰ ਵਾਰ ਯੁੱਧ ਲੜ ਚੁੱਕੇ ਹਨ: 1947 , 1965 , 1971 ਅਤੇ 1999 ਵਿਚ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਤਿੰਨ ਯੁੱਧ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਵਿਵਾਦਤ ਖੇਤਰ ਉੱਤੇ ਲੜੇ ਗਏ ਸਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਚੌਥਾ, 1971 ਦਾ ਯੁੱਧ, ਬੰਗਲਾਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੋਇਆ ਸੀ । [254] 1980 ਵਿਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਫੌਜ ਨੇ ਮੇਜ਼ਬਾਨ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸੱਦੇ 'ਤੇ ਦੋ ਵਾਰ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਦਖਲ ਦਿੱਤਾ: 1987 ਅਤੇ 1990 ਦਰਮਿਆਨ ਸ਼੍ਰੀਲੰਕਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ; ਅਤੇ ਮਾਲਦੀਵ ਵਿਚ 1988 ਦੇ ਬਗ਼ਾਵਤ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਇਕ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਦਖਲਅੰਦਾਜ਼ੀ . ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ 1965 ਦੀ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਸੋਵੀਅਤ ਯੂਨੀਅਨ ਨਾਲ ਨੇੜਲੇ ਫੌਜੀ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਸੰਬੰਧ ਬਣਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ; 1960 ਵਿਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਤੱਕ, ਸੋਵੀਅਤ ਯੂਨੀਅਨ ਇਸਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਹਥਿਆਰ ਸਪਲਾਇਰ ਸੀ. [255]ਰੂਸ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ , [256] ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਜ਼ਰਾਈਲ ਅਤੇ ਫਰਾਂਸ ਨਾਲ ਵਿਆਪਕ ਰੱਖਿਆ ਸੰਬੰਧ ਹਨ । ਹਾਲ ਹੀ ਦੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ, ਇਸ ਨੇ ਖੇਤਰੀ ਸਹਿਕਾਰਤਾ ਲਈ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਅਨ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਵਪਾਰ ਸੰਗਠਨ ਵਿਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਭੂਮਿਕਾਵਾਂ ਨਿਭਾਈਆਂ ਹਨ . ਰਾਸ਼ਟਰ ਨੇ ਚਾਰ ਮਹਾਂਦੀਪਾਂ ਵਿਚ 35 ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਰੱਖਿਅਕ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿਚ ਸੇਵਾ ਲਈ 100,000 ਫੌਜੀ ਅਤੇ ਪੁਲਿਸ ਕਰਮਚਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੇ ਹਨ. ਇਹ ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਸੰਮੇਲਨ , ਜੀ 8 + 5 ਅਤੇ ਹੋਰ ਬਹੁਪੱਖੀ ਫੋਰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ. [257] ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਨੇੜਲੇ ਆਰਥਿਕ ਸੰਬੰਧ ਹਨਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ , [258] ਏਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਅਫਰੀਕਾ; ਇਹ "ਲੁਕ ਈਸਟ" ਨੀਤੀ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਏਸੀਆਨ ਦੇਸ਼ਾਂ, ਜਾਪਾਨ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਕੋਰੀਆ ਨਾਲ ਸਾਂਝੇਦਾਰੀ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੁੱਦਿਆਂ ਦੇ ਆਲੇ ਦੁਆਲੇ ਘੁੰਮਦੀ ਹੈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਆਰਥਿਕ ਨਿਵੇਸ਼ ਅਤੇ ਖੇਤਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਨਾਲ ਜੁੜੇ. [259] [260]ਭਾਰਤੀ ਹਵਾਈ ਸੈਨਾ 221st 'ਤੇ ਟੁਕੜੀ ਮਾਰਚ Bastille ਦਿਵਸ ਫੌਜੀ ਪਰੇਡ ਪਾਰਿਸ ਵਿੱਚ,' ਤੇ 14 ਜੁਲਾਈ 2009 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਪਰੇਡ, ਜਿਸ 'ਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮਹਿਮਾਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਭ ਪਲਟਨ, ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਮਰਾਠਾ ਲਾਈਟ , ਵਿੱਚ ਸਥਾਪਤ 1768. [261]ਚੀਨ ਨੇ 1964 ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪਰੀਖਣ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ 1965 ਦੀ ਜੰਗ ਵਿਚ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ਵਿਚ ਦਖਲਅੰਦਾਜ਼ੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਧਮਕੀਆਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਪਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰ ਵਿਕਸਤ ਕਰਨ ਲਈ ਯਕੀਨ ਦਿਵਾਇਆ ਸੀ। [262] ਭਾਰਤ ਨੇ ਆਪਣਾ ਪਹਿਲਾ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦਾ ਟੈਸਟ 1974 ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਸੀ ਅਤੇ 1998 ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਭੂਮੀਗਤ ਪਰੀਖਣ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਅਲੋਚਨਾ ਅਤੇ ਫੌਜੀ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਨਾ ਤਾਂ ਵਿਆਪਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ-ਟੈਸਟ-ਬਾਨ ਸੰਧੀ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਪਰਮਾਣੂ ਗੈਰ-ਪ੍ਰਸਾਰ- ਸੰਧੀ ' ਤੇ ਹਸਤਾਖਰ ਕੀਤੇ ਹਨ , ਨੁਕਸਦਾਰ ਅਤੇ ਪੱਖਪਾਤੀ ਬਣੋ. [263] ਭਾਰਤ ਇੱਕ " ਪਹਿਲਾਂ ਨਹੀਂ ਵਰਤੋਂ " ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਨੀਤੀ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਹਿੱਸੇ ਵਜੋਂ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਤਿਕੋਣੀ ਸਮਰੱਥਾ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ "ਘੱਟੋ ਘੱਟ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਡਿਟਰੇਂਸ "ਸਿਧਾਂਤ. [264] [265] ਇਹ ਇੱਕ ਬੈਲਿਸਟਿਕ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਰੱਖਿਆ shਾਲ ਅਤੇ ਪੰਜਵੀਂ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦਾ ਲੜਾਕੂ ਜਹਾਜ਼ ਵਿਕਸਤ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ . [266] [267] ਹੋਰ ਦੇਸੀ ਸੈਨਿਕ ਪ੍ਰਾਜੈਕਟਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਕਰਾਂਤ- ਕਲਾਸ ਦੇ ਜਹਾਜ਼ ਕੈਰੀਅਰਾਂ ਦਾ ਡਿਜ਼ਾਇਨ ਅਤੇ ਲਾਗੂ ਕਰਨਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ. ਅਤੇ ਅਰਿਹੰਤ- ਕਲਾਸ ਪਰਮਾਣੂ ਪਣਡੁੱਬੀ . [268]ਸ਼ੀਤ ਯੁੱਧ ਦੇ ਅੰਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ , ਭਾਰਤ ਨੇ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਅਤੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਯੂਨੀਅਨ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਆਰਥਿਕ, ਰਣਨੀਤਕ ਅਤੇ ਸੈਨਿਕ ਸਹਿਯੋਗ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ . [269] 2008 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇੱਕ ਨਾਗਰਿਕ ਪਰਮਾਣੂ ਸਮਝੌਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਹਾਲਾਂਕਿ ਉਸ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰ ਸਨ ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਗੈਰ-ਪ੍ਰਸਾਰ ਸੰਧੀ ਦੀ ਧਿਰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਨੂੰ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਰਮਾਣੂ Energyਰਜਾ ਏਜੰਸੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਸਪਲਾਇਰ ਗਰੁੱਪ ਤੋਂ ਮੁਆਫੀ ਮਿਲੀ ਸੀ , ਜਿਸ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੀ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਅਤੇ ਵਪਾਰ ਉੱਤੇ ਪਹਿਲੀਆਂ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਖਤਮ ਹੋ ਗਈਆਂ ਸਨ। ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ, ਭਾਰਤ ਛੇਵਾਂ ਡੀ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰਾਂ ਵਾਲਾ ਰਾਜ ਬਣ ਗਿਆ. [270]ਭਾਰਤ ਨੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਦਸਤਖਤ ਕੀਤੇ ਸ਼ਾਮਲ ਸਹਿ-ਕਾਰਵਾਈ ਸਮਝੌਤੇ ਨਾਗਰਿਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਊਰਜਾ ਰੂਸ ਦੇ ਨਾਲ, [271] ਬੌਰੋਮੀਟਰ, [272] ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ , [273] ਅਤੇ ਕੈਨੇਡਾ . [274]ਮੈਕਸੀਕੋ, 2016 ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਮੈਕਸੀਕੋ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਐਨਰਿਕ ਪੇਆ ਨੀਟੋ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕਰਦਿਆਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ (ਖੱਬੇ, ਪਿਛੋਕੜ)ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੈਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸਰਬੋਤਮ ਕਮਾਂਡਰ ਹੈ; 1.395 ਮਿਲੀਅਨ ਸਰਗਰਮ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਉਹ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਦੂਜੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਫੌਜ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ . ਇਸ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਫੌਜ , ਭਾਰਤੀ ਜਲ ਸੈਨਾ , ਭਾਰਤੀ ਹਵਾਈ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਤੱਟ ਰੱਖਿਅਕ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . [२55] 2011 ਦਾ ਸਰਕਾਰੀ ਰੱਖਿਆ ਬਜਟ budget $..03 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਸੀ, ਜਾਂ ਜੀਡੀਪੀ ਦਾ 83.8383%। [276] 2012-2003 ਦੇ ਵਿੱਤੀ ਵਰ੍ਹੇ ਲਈ, 40.44 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਦਾ ਬਜਟ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ। [277] 2008 ਦੇ ਸਟਾਕਹੋਮ ਇੰਟਰਨੈਸ਼ਨਲ ਪੀਸ ਰਿਸਰਚ ਇੰਸਟੀਚਿ .ਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ(ਸਿਪਰੀ) ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਅਨੁਸਾਰ ਖਰੀਦ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਾਲਾਨਾ ਫੌਜੀ ਖਰਚਾ .7 72.7 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਰਿਹਾ। [278] ਸਾਲ 2011 ਵਿੱਚ, ਸਲਾਨਾ ਰੱਖਿਆ ਬਜਟ ਵਿੱਚ 11.6% ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ, [279] ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ ਉਹ ਫੰਡ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਜੋ ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਦੂਜੀਆਂ ਸ਼ਾਖਾਵਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਿਲਟਰੀ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਦੇ ਹਨ। [280] 2012 ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦਾ ਆਯਾਤ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ; 2007 ਅਤੇ 2011 ਦੇ ਵਿੱਚਕਾਰ, ਇਸਨੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦੀ ਖਰੀਦਾਂ ਤੇ ਖਰਚ ਕੀਤੇ 10% ਫੰਡ ਦਿੱਤੇ. [281] ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਫੌਜੀ ਖਰਚਿਆਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਰੁੱਧ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਵਿੱਚ ਵਧ ਰਹੇ ਚੀਨੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਉੱਤੇ ਸੀ। [279] ਮਈ 2017 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਪੁਲਾੜ ਖੋਜ ਸੰਗਠਨ ਨੇ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਸੈਟੇਲਾਈਟ ਲਾਂਚ ਕੀਤਾ , ਜੋ ਭਾਰਤ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੇ ਗੁਆਂ neighboring ੀ ਸਾਰਕ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਤੋਹਫਾ ਹੈ. [282] ਅਕਤੂਬਰ 2018, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ 5.43 ਅਰਬ $ (ਵੱਧ ਦਸਤਖਤ ਕੀਤੇ ₹ 400 ਅਰਬ) ਦੇ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤੇ 'ਤੇ ਰੂਸ ਨੂੰ ਚਾਰ ਦੀ ਖਰੀਦ ਕਰਨ ਲਈ ਐਸ-400 Triumfਸਤਹ ਤੋਂ ਹਵਾ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਬਚਾਅ ਪ੍ਰਣਾਲੀ, ਰੂਸ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਨਤ ਲੰਬੀ ਦੂਰੀ ਦੀ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਰੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ. [283]ਆਰਥਿਕਤਾਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਰਥਿਕਤਾਚੋਟੀ ਤੋਂ ਘੜੀ: ()) ਉੱਤਰ ਪੱਛਮੀ ਕਰਨਾਟਕ ਦਾ ਇੱਕ ਕਿਸਾਨ ਆਪਣੇ ਖੇਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਟਰੈਕਟਰ ਨਾਲ ਵਾਹਦਾ ਹੈ ਇਥੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਇੱਕ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੋਰ ਬਲਦਾਂ ਦੀ ਜੋੜੀ ਨਾਲ ਵੀ ਅਜਿਹਾ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਸਾਲ 2018 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੁੱਲ ਕੰਮ ਕਾਜ ਦਾ 44% ਹਿੱਸਾ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਸੀ। [२44] (ਅ) ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ ਜੂਨਾਗੜ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ recentlyਰਤਾਂ ਹਾਲ ਹੀ ਵਿਚ ਲਗਾਏ ਗਏ ਚੌਲਾਂ ਦੇ ਖੇਤ ਵੱਲ ਰੁਝਾਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਭਾਰਤ ਦੀ 57% workਰਤ ਕਰਮਚਾਰੀ ਸਾਲ 2018 ਵਿੱਚ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੀ ਸੀ। [285] (c) ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦੁੱਧ ਉਤਪਾਦਕ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਆਬਾਦੀ ਹੈ। ਸਾਲ 2018 ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਤਕਰੀਬਨ 80% ਦੁੱਧ ਛੋਟੇ ਖੇਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਅਤੇ ਦੋ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਝੁੰਡ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਕੱcedਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ, ਦੁੱਧ ਹੱਥੀਂ ਮਿਲ ਕੇ ਕੱਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ. [286]ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਦਰਾ ਫੰਡ (ਆਈ.ਐਮ.ਐਫ.), 2019 'ਚ ਭਾਰਤੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ nominally $ 2.9 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ ਰੁਪਏ ਦੀ ਸੀ; ਇਹ ਮਾਰਕੀਟ ਐਕਸਚੇਂਜ ਰੇਟਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਵੀਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਹੈ , ਅਤੇ ਲਗਭਗ 11 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਪਾਵਰ ਪੈਰਿਟੀ (ਪੀਪੀਪੀ) ਦੁਆਰਾ ਤੀਜੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹੈ . [१]] ਪਿਛਲੇ ਦੋ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੌਰਾਨ ਇਸ ਦੀ annualਸਤਨ ਸਲਾਨਾ ਜੀਡੀਪੀ ਵਾਧਾ ਦਰ 8.8% ਹੈ, ਅਤੇ २०१–-२०१२ ਦੇ ਦੌਰਾਨ .1.१% ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਗਈ ਹੈ, [२77] ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੈ । [२88] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਮਾਮੂਲੀ ਜੀਡੀਪੀ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿੱਚ 139 ਵੇਂ ਅਤੇ ਪੀਪੀਪੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਪੀਪੀ ਵਿੱਚ 118 ਵੇਂ ਸਥਾਨ ਹੈ । [289]1991 ਤੱਕ, ਸਾਰੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੇ ਰੱਖਿਆਵਾਦੀ ਨੀਤੀਆਂ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕੀਤਾ ਜੋ ਸਮਾਜਵਾਦੀ ਅਰਥਸ਼ਾਸਤਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਸਨ। ਵਿਆਪਕ ਰਾਜ ਦੇ ਦਖਲਅੰਦਾਜ਼ੀ ਅਤੇ ਨਿਯਮ ਨੇ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਆਰਥਿਕਤਾ ਨੂੰ ਬਾਹਰੀ ਸੰਸਾਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱ. ਦਿੱਤਾ. ਇੱਕ ਗੰਭੀਰ 1991 ਵਿਚ ਦਾ ਭੁਗਤਾਨ ਸੰਕਟ ਦੇ ਸੰਤੁਲਨ ਕੌਮ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ ਆਪਣੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਨੂੰ ਹੋਰ ਉਦਾਰ ; [२ 0]] ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਇਹ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਸਿੱਧੇ ਨਿਵੇਸ਼ ਦੋਵਾਂ ਪ੍ਰਵਾਹਾਂ ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦੇ ਕੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਇੱਕ ਮੁਫਤ-ਮਾਰਕੀਟ ਪ੍ਰਣਾਲੀ [291] [292] ਵੱਲ ਵਧਿਆ ਹੈ . [२ 3]] ਭਾਰਤ 1 ਜਨਵਰੀ 1995 ਤੋਂ ਵਿਸ਼ਵ ਵਪਾਰ ਸੰਗਠਨ ਦਾ ਮੈਂਬਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। [294]513.7 ਮਿਲੀਅਨ ਕਰਮਚਾਰੀ ਭਾਰਤੀ ਕਿਰਤ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ , 2016 ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ. [275] ਸੇਵਾ ਖੇਤਰ ਜੀਡੀਪੀ ਦਾ 55.6%, ਉਦਯੋਗਿਕ ਖੇਤਰ 26.3% ਅਤੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਖੇਤਰ 18.1% ਬਣਦਾ ਹੈ. ਸਾਲ 2014 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮੁਦਰਾ ਦੀ 70 ਅਰਬ ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਦੀ ਰਕਮ, ਜੋ ਕਿ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹੈ, ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੇ 25 ਮਿਲੀਅਨ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਇਸ ਦੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਵਿਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ. [295] ਮੁੱਖ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਉਤਪਾਦਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਚਾਵਲ, ਕਣਕ, ਤੇਲ ਬੀਜ, ਸੂਤੀ, ਜੂਟ, ਚਾਹ, ਗੰਨਾ ਅਤੇ ਆਲੂ. [249] ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਉਦਯੋਗਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਟੈਕਸਟਾਈਲ, ਦੂਰ ਸੰਚਾਰ, ਰਸਾਇਣ, ਫਾਰਮਾਸਿicalsਟੀਕਲ, ਬਾਇਓਟੈਕਨਾਲੋਜੀ, ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ, ਸਟੀਲ, ਟ੍ਰਾਂਸਪੋਰਟ ਉਪਕਰਣ, ਸੀਮੈਂਟ, ਖਣਨ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ, ਮਸ਼ੀਨਰੀ ਅਤੇ ਸਾੱਫਟਵੇਅਰ [२9]] 2006 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੀ ਜੀਡੀਪੀ ਵਿੱਚ ਬਾਹਰੀ ਵਪਾਰ ਦੀ ਹਿੱਸੇਦਾਰੀ 24% ਰਹੀ ਜੋ 1985 ਵਿੱਚ 6% ਸੀ। [291]2008 ਵਿਚ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਪਾਰ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦਾ ਹਿੱਸਾ 1.68% ਸੀ; [२ 6]] २०११ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦਸਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦਰਾਮਦ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਅਤੇ ਉੱਨੀਵੀਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਬਰਾਮਦਕਾਰ ਸੀ । [२ 7]] ਵੱਡੇ ਨਿਰਯਾਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਉਤਪਾਦ, ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਸਾਮਾਨ, ਗਹਿਣੇ, ਸਾੱਫਟਵੇਅਰ, ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਸਾਮਾਨ, ਰਸਾਇਣ ਅਤੇ ਨਿਰਮਿਤ ਚਮੜੇ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ. [249] ਵੱਡੀਆਂ ਦਰਾਮਦਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਕੱਚਾ ਤੇਲ, ਮਸ਼ੀਨਰੀ, ਰਤਨ, ਖਾਦ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣ. [249] 2001 ਅਤੇ 2011 ਦੇ ਵਿੱਚ, ਕੁੱਲ ਬਰਾਮਦ ਵਿੱਚ ਪੈਟਰੋ ਕੈਮੀਕਲ ਅਤੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਸਮਾਨ ਦਾ ਯੋਗਦਾਨ 14% ਤੋਂ ਵਧ ਕੇ 42% ਹੋ ਗਿਆ. [२ 8]] ਸਾਲ 2013 ਦੇ ਕੈਲੰਡਰ ਸਾਲ ਵਿੱਚ ਚੀਨ ਚੀਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਬਰਾਮਦ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਸੀ। [299]2007 ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਲਈ 7.5% ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦਰ ਦਾ gingਸਤਨ, [291] ਭਾਰਤ ਨੇ 21 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਦਹਾਕੇ ਦੌਰਾਨ ਆਪਣੀ ਘੰਟਾ ਮਜ਼ਦੂਰੀ ਦੀ ਦਰ ਨਾਲੋਂ ਦੁੱਗਣੀ ਕੀਤੀ ਹੈ। [;००] 1985 ਤੋਂ ਹੁਣ ਤੱਕ ਲਗਭਗ 431 ਮਿਲੀਅਨ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੇ ਗਰੀਬੀ ਛੱਡ ਦਿੱਤੀ ਹੈ; 2030 ਤਕ ਭਾਰਤ ਦੇ ਮੱਧ ਵਰਗਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਲਗਭਗ 580 ਮਿਲੀਅਨ ਹੋਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ। [1०१] ਹਾਲਾਂਕਿ , ਵਿਸ਼ਵਵਿਆਪੀ ਮੁਕਾਬਲੇਬਾਜ਼ੀ ਵਿੱਚ 51१ ਵੇਂ ਰੈਂਕਿੰਗ, ਭਾਵੇਂ ਕਿ ,, ਵਿੱਤੀ ਬਾਜ਼ਾਰ ਦੀ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਵਿਚ ਭਾਰਤ 17 ਵੇਂ ਨੰਬਰ 'ਤੇ, ਬੈਂਕਿੰਗ ਖੇਤਰ ਵਿਚ 24 ਵਾਂ, ਕਾਰੋਬਾਰੀ ਆਧੁਨਿਕੀਕਰਨ ਵਿਚ 44 ਵਾਂ ਅਤੇ ਨਵੀਨਤਾ ਵਿਚ 39 ਵਾਂ ਸਥਾਨ ਹੈ, ਕਈ ਉੱਨਤ ਅਰਥਚਾਰਿਆਂ ਤੋਂ ਅੱਗੇ. [2०2] ਸਾਲ top 2009. Of ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਅਧਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀ ਦੀਆਂ 15 ਸੂਚਨਾ ਟੈਕਨੋਲੋਜੀ ਆ outsਟਸੋਰਸਿੰਗ ਕੰਪਨੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸੱਤ, ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਨੁਕੂਲ ਆਉਟਸੋਰਸਿੰਗ ਮੰਜ਼ਿਲ ਵਜੋਂ ਦੇਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [3०3] ਭਾਰਤ ਦੀ ਖਪਤਕਾਰ ਮਾਰਕੀਟ, ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਗਿਆਰ੍ਹਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ , 2030 ਤੱਕ ਪੰਜਵੇਂ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਬਣਨ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ। [30० electricity ] ਬਿਜਲੀ ਅਤੇ ਸਵੱਛ ਪਕਾਉਣ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ forਰਜਾ ਦੀ ਪਹਿਲ ਹੈ : [4 ]4] ਦੇਸ਼ ਦਾ ਕੋਲਾ ਇੱਕ ਹੈ ਭਾਰਤ ਦੁਆਰਾ ਗ੍ਰੀਨਹਾਉਸ ਗੈਸ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਪਰ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਨਵੀਨੀਕਰਣ energy ਰਜਾ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ. [305]ਵਾਧੇ ਦੇ ਚਲਦੇ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਾਮਾਤਰ ਜੀਡੀਪੀ 1991 ਵਿਚ 329 ਡਾਲਰ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧਿਆ, ਜਦੋਂ ਆਰਥਿਕ ਉਦਾਰੀਕਰਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਤਾਂ ਸਾਲ 2010 ਵਿਚ 1,265 ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਹੋ ਗਿਆ, ਜੋ ਸਾਲ 2020 ਤਕ ਵਧ ਕੇ 2,358 ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਰਹਿਣ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ। [19] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਹੋਰ ਵਿਕਾਸਸ਼ੀਲ ਦੇਸ਼ਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ, ਮਲੇਸ਼ੀਆ, ਫਿਲਪੀਨਜ਼, ਸ੍ਰੀਲੰਕਾ ਅਤੇ ਥਾਈਲੈਂਡ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਹੇਗਾ. ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਡੀਪੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ, ਨੇਪਾਲ, ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚਾ ਹੈ. [306]ਬੰਗਲੌਰ ਦਾ ਇੱਕ ਪਨੋਰਮਾ , ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਾੱਫਟਵੇਅਰ ਵਿਕਾਸ ਆਰਥਿਕਤਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ. 1980 ਵਿਆਂ ਵਿੱਚ, ਜਦੋਂ ਪਹਿਲੀ ਬਹੁ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਕੇਂਦਰ ਸਥਾਪਤ ਕਰਨੇ ਅਰੰਭ ਕੀਤੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਕਾਲਜਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ, ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਹੁਨਰਮੰਦ ਗ੍ਰੈਜੂਏਟਾਂ ਦੇ ਵੱਡੇ ਤਲਾਅ ਕਾਰਨ ਬੈਂਗਲੁਰੂ ਨੂੰ ਚੁਣਿਆ. [307]2011 ਦੀ ਪ੍ਰਾਈਸਵਾਟਰਹਾhouseਸ ਕੂਪਰਸ (ਪੀਡਬਲਯੂਸੀ) ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਖਰੀਦਦਾਰੀ ਸ਼ਕਤੀ ਸਮਾਨਤਾ ਦਾ ਭਾਰਤ ਦਾ ਜੀਡੀਪੀ 2045 ਤੱਕ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਨੂੰ ਪਛਾੜ ਸਕਦਾ ਹੈ। [8०8] ਅਗਲੇ ਚਾਰ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੌਰਾਨ, ਭਾਰਤੀ ਜੀਡੀਪੀ ਦੀ ਸਲਾਨਾ 8ਸਤਨ%% ਦੇ ਵਾਧੇ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ ਇਹ ਸੰਭਾਵਤ ਤੌਰ 'ਤੇ 2050 ਤੱਕ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿਕਾਸ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਵੱਡੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ ਹੈ. [8० 30] ਰਿਪੋਰਟ ਵਿੱਚ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਕਾਂ ਨੂੰ ਉਜਾਗਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ: ਇੱਕ ਜਵਾਨ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਕਾਰਜਸ਼ੀਲ ਉਮਰ ਦੀ ਆਬਾਦੀ; ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਦੇ ਹੁਨਰ ਦੇ ਪੱਧਰ ਦੇ ਵਧਣ ਕਾਰਨ ਨਿਰਮਾਣ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਵਾਧਾ; ਅਤੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੇ ਮੱਧ-ਵਰਗ ਦੁਆਰਾ ਚਲਾਏ ਜਾਂਦੇ ਉਪਭੋਗਤਾ ਮਾਰਕੀਟ ਦਾ ਨਿਰੰਤਰ ਵਿਕਾਸ. [8०8] ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ ਨੇ ਚੇਤਾਵਨੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਆਰਥਿਕ ਸਮਰੱਥਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਜਨਤਕ ਖੇਤਰ ਦੇ ਸੁਧਾਰਾਂ ਵੱਲ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਜਾਰੀ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ,ਟ੍ਰਾਂਸਪੋਰਟ ਬੁਨਿਆਦੀ infrastructureਾਂਚਾ , ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਤੇ ਪੇਂਡੂ ਵਿਕਾਸ, ਲੇਬਰ ਨਿਯਮਾਂ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣਾ, ਸਿੱਖਿਆ , securityਰਜਾ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਸਿਹਤ ਅਤੇ ਪੋਸ਼ਣ [309]ਇਕਾਨੋਮਿਸਟ ਇੰਟੈਲੀਜੈਂਸ ਯੂਨਿਟ (ਈ.ਆਈ.ਯੂ.) ਦੁਆਰਾ ਜਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਵਰਲਡਵਾਈਡ ਕੋਸਟ ofਫ ਲਿਵਿੰਗ ਰਿਪੋਰਟ 2017 ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਜੋ 160 ਉਤਪਾਦਾਂ ਅਤੇ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦੇ 400 ਤੋਂ ਵੱਧ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਕੀਮਤਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰਕੇ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੀ, ਸਭ ਤੋਂ ਸਸਤੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਨ: ਬੈਂਗਲੁਰੂ (ਤੀਜਾ), ਮੁੰਬਈ ( 5 ਵਾਂ), ਚੇਨਈ (5 ਵਾਂ) ਅਤੇ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ (8 ਵਾਂ) ਹੈ. [310]ਉਦਯੋਗਸਿੱਕਮ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਚਾਹ ਦਾ ਬਾਗ਼. ਭਾਰਤ, ਚਾਹ ਦਾ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਉਤਪਾਦਕ ਦੇਸ਼ ਇੱਕ ਅਰਬ ਚਾਹ ਪੀਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ, ਜੋ ਭਾਰਤ ਦੇ ਚਾਹ ਉਤਪਾਦਨ ਦਾ 70% ਖਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ।ਭਾਰਤ ਦਾ ਦੂਰਸੰਚਾਰ ਉਦਯੋਗ , ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ, ਨੇ 2010–2011, [311] ਦੀ ਮਿਆਦ ਦੌਰਾਨ 227 ਮਿਲੀਅਨ ਗਾਹਕਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜਿਆ ਅਤੇ 2017 ਦੀ ਤੀਜੀ ਤਿਮਾਹੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਚੀਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਮਰੀਕਾ ਨੂੰ ਪਛਾੜਦਿਆਂ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਸਮਾਰਟਫੋਨ ਮਾਰਕੀਟ ਬਣ ਗਿਆ। [312]ਭਾਰਤੀ ਆਟੋਮੋਟਿਵ ਉਦਯੋਗ , ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧ ਰਹੀ, ਘਰੇਲੂ ਵਿਕਰੀ 26% ਦੇ ਕੇ 2009-2010 ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਦਾ ਵਾਧਾ, [313] ਅਤੇ 36% ਦੇ ਕੇ ਬਰਾਮਦ 2008-2009 ਦੇ ਦੌਰਾਨ. [4१4] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪਾਦਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ 300 ਗੀਗਾਵਾਟ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚੋਂ 42 ਗੀਗਾਵਾਟ ਨਵਿਆਉਣਯੋਗ ਹੈ । [5१5] 2011 ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਆਈ ਟੀ ਉਦਯੋਗ ਨੇ 2.8 ਮਿਲੀਅਨ ਪੇਸ਼ੇਵਰਾਂ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦਿੱਤਾ, ਆਮਦਨੀ 100 ਅਰਬ ਡਾਲਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ, ਜੋ ਕਿ ਜੀਡੀਪੀ ਦੇ 7.5% ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੈ, ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਪਾਰ ਨਿਰਯਾਤ ਵਿੱਚ 26% ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਹੈ। [6१6]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਫਾਰਮਾਸਿਊਟੀਕਲ ਉਦਯੋਗ ਗਲੋਬਲ ਫਾਰਮਾਸਿਊਟੀਕਲ ਉਦਯੋਗ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਉਭਰ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿੱਚ ਹੈ. 2020 ਤਕ ਭਾਰਤੀ ਫਾਰਮਾਸਿicalਟੀਕਲ ਮਾਰਕੀਟ ਦੇ 48.5 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਣ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਰ ਐਂਡ ਡੀ ਖਰਚ ਬਾਇਓਫਰਮਾceutੀਸਿਟੀਕਲ ਉਦਯੋਗ ਦਾ 60% ਬਣਦਾ ਹੈ। [7१7] [8१8] ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀ ਦੀਆਂ 12 ਬਾਇਓਟੈਕ ਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ। [319] [320] ਭਾਰਤੀ biotech ਉਦਯੋਗ 2012-2013 ਵਿਚ 15.1% ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਇਸ ਦੇ ਮਾਲੀਏ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ₹ 204.4 ਅਰਬ ( ਭਾਰਤੀ ਰੁਪਏ ਲਈ) ₹ (ਜੂਨ 2013 ਮੁਦਰਾ ਦਰ 'ਤੇ ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ 3.94 ਅਰਬ $) 235.24 ਅਰਬ. [321]ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਚੁਣੌਤੀਆਂਸਿਹਤ ਕਰਮਚਾਰੀ 2006 ਵਿੱਚ ਛੂਤ ਦੀਆਂ ਬੀਮਾਰੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਟੀਕਾਕਰਨ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਦਿਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਅੱਠ ਸਾਲ ਬਾਅਦ, ਅਤੇ ਪੋਲੀਓ ਦੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਖਰੀ ਕੇਸ ਤੋਂ ਤਿੰਨ ਸਾਲ ਬਾਅਦ, ਵਿਸ਼ਵ ਸਿਹਤ ਸੰਗਠਨ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਪੋਲੀਓ ਮੁਕਤ ਘੋਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ। [322]ਪਿਛਲੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੌਰਾਨ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਚੁਣੌਤੀਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਜਾਰੀ ਹੈ. 2006 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ ਦੀ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗਰੀਬੀ ਰੇਖਾ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲੋਕ ਪ੍ਰਤੀ ਦਿਨ 25 1.25 ਡਾਲਰ ਸਨ. [3२3] ਇਹ ਅਨੁਪਾਤ १ 1 1१ ਵਿੱਚ %०% ਤੋਂ ਘਟ ਕੇ in 2005 to ਵਿੱਚ% the % ਹੋ ਗਿਆ। [4२4] ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ ਵੱਲੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਸੋਧੀ ਗਰੀਬੀ ਰੇਖਾ ਦੇ ਤਹਿਤ, ਇਹ २०११ ਵਿੱਚ २१% ਸੀ। [l] [6२6] ਇਸ ਤੋਂ ਘੱਟ ਉਮਰ ਦੇ ਭਾਰਤ ਦੇ of०.%% ਬੱਚੇ ਪੰਜ ਵਿਚੋਂ ਘੱਟ ਭਾਰ ਹਨ. [327] ਸਾਲ 2015 ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖੁਰਾਕ ਅਤੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਸੰਗਠਨ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, 15% ਆਬਾਦੀ ਕੁਪੋਸ਼ਟ ਹੈ। [328] [329] ਵਾਚਟਾਵਰ ਮਿਡ-ਡੇ-ਮੀਲ ਸਕੀਮਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਾਂ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ. [330]ਸਾਲ 2016 ਦੀ ਵਾਕ ਫਰੀ ਫਾ Foundationਂਡੇਸ਼ਨ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਅੰਦਾਜ਼ਨ 18.3 ਮਿਲੀਅਨ ਲੋਕ ਸਨ, ਜਾਂ ਆਬਾਦੀ ਦਾ 1.4%, ਆਧੁਨਿਕ ਗੁਲਾਮੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਜੀ ਰਹੇ ਸਨ , ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਬੰਧੂਆ ਮਜ਼ਦੂਰੀ , ਬਾਲ ਮਜ਼ਦੂਰੀ , ਮਨੁੱਖੀ ਤਸਕਰੀ ਅਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਭੀਖ ਮੰਗਣਾ, ਹੋਰਨਾਂ ਵਿੱਚ. . [1 33१] [2 33२] [3 333] 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ 10.1 ਮਿਲੀਅਨ ਬਾਲ ਮਜਦੂਰ ਸਨ, ਜੋ 2001 ਵਿੱਚ 12.6 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ 2.6 ਮਿਲੀਅਨ ਘੱਟ ਸਨ। [4.4]1991 ਤੋਂ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਜਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਆਰਥਿਕ ਅਸਮਾਨਤਾ ਲਗਾਤਾਰ ਵਧਦੀ ਗਈ ਹੈ: 2007 ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਅਮੀਰ ਰਾਜਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਸ਼ੁੱਧ ਰਾਜ ਘਰੇਲੂ ਉਤਪਾਦ ਸਭ ਤੋਂ ਗਰੀਬਾਂ ਨਾਲੋਂ 3.2 ਗੁਣਾ ਸੀ। [5 335] ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਘਟਿਆ ਹੈ। ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸੂਚਕਾਂਕ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ , ਭਾਰਤ ਨੇ 100 ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚੋਂ 41 ਦੇ ਸਕੋਰ ਨਾਲ ਸਾਲ 2018 ਵਿਚ 180 ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚੋਂ 78 ਵੇਂ ਨੰਬਰ 'ਤੇ, ਜੋ 2014 ਵਿਚ 85 ਵੇਂ ਤੋਂ ਸੁਧਾਰ ਹੈ. [33 336] [7 337]ਜਨਸੰਖਿਆ, ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਅਤੇ ਧਰਮਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਜਨਸੰਖਿਆ , ਭਾਰਤ ਦੇ ਭਾਸ਼ਾ , ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਧਰਮਆਬਾਦੀ ਦੀ ਘਣਤਾ, ਧਰਮ, ਭਾਸ਼ਾ ਦੁਆਰਾ ਭਾਰਤ1901 ਦੀ ਭਾਰਤੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਦੇ ਅਧਾਰ 'ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਵਿਭਾਜਨ ਦੁਆਰਾ ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਦੀ ਘਣਤਾਭਾਰਤ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਘਣਤਾ ਹਰੇਕ ਰਾਜ ਦੁਆਰਾ, 2011 ਦੀ ਭਾਰਤੀ ਜਨਗਣਨਾ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ1901 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਧਰਮ ਜ਼ਿਲਾ-ਪੱਖੀ ਪ੍ਰਮੁੱਖਤਾ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਭਾਸ਼ਾ ਪਰਿਵਾਰਸਾਲ 2011 ਦੀ ਆਰਜ਼ੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਰਿਪੋਰਟ ਵਿਚ 1,210,193,422 ਵਸਨੀਕਾਂ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ , [8 338] ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। 2001 ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 2011 ਤੱਕ ਇਸਦੀ ਆਬਾਦੀ 17.64% ਵਧੀ, [33 339] ਪਿਛਲੇ ਦਹਾਕੇ (1991-2001) ਵਿੱਚ 21.54% ਦੇ ਵਾਧੇ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ. [9 33]] ਮਨੁੱਖੀ ਲਿੰਗ ਅਨੁਪਾਤ, २०११ ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਅਨੁਸਾਰ, 404040 perਰਤਾਂ ਪ੍ਰਤੀ 1000 ਮਰਦ ਹਨ। [8 33 2016 ] ਸਾਲ age. Age age ਦੀ ਉਮਰ age 27. was ਸੀ. [275] 1951 ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਪਹਿਲੀ ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਜਨਗਣਨਾ ਵਿੱਚ, 361 ਮਿਲੀਅਨ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਕੀਤੀ ਗਈ। [4040०] ਪਿਛਲੇ years० ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਮੈਡੀਕਲ ਤਰੱਕੀ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ " ਹਰੇ ਇਨਕਲਾਬ " ਦੁਆਰਾ ਲਿਆਂਦੀ ਗਈ ਖੇਤੀ ਉਤਪਾਦਕਤਾ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ ਹੈ। [341]ਭਾਰਤ ਵਿਚ lifeਸਤਨ ਉਮਰ 68 68 ਸਾਲਾਂ — .6ਰਤਾਂ ਲਈ years women. women ਸਾਲ, ਮਰਦਾਂ ਲਈ .3 years..3 ਸਾਲ ਹੈ. [2 342] ਪ੍ਰਤੀ 100,000 ਭਾਰਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਤਕਰੀਬਨ 50 ਡਾਕਟਰ ਹਨ. [3 343] ਭਾਰਤ ਦੇ ਤਾਜ਼ਾ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਪੇਂਡੂ ਤੋਂ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਵਾਸ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਰਿਹਾ ਹੈ। 1991 ਤੋਂ 2001 ਦਰਮਿਆਨ ਸ਼ਹਿਰੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ 31.2% ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ। [4 Yet4] ਫਿਰ ਵੀ, 2001 ਵਿੱਚ, 70% ਅਜੇ ਵੀ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। [5 345] [6 346] ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਦਾ ਪੱਧਰ 2001 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿੱਚ 27.81% ਤੋਂ ਵੱਧ ਕੇ 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿੱਚ 31.16% ਹੋ ਗਿਆ। ਕੁੱਲ ਆਬਾਦੀ ਵਾਧੇ ਦੀ ਦਰ ਦੇ ਹੌਲੀ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ 1991 ਤੋਂ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਕਾਸ ਦਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਗਿਰਾਵਟ ਆਈ ਸੀ। [7 347] 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਇੱਥੇ 53 ਹਨਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸ਼ਹਿਰੀ ਇਕੱਠ ; ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁੰਬਈ , ਦਿੱਲੀ , ਕੋਲਕਾਤਾ , ਚੇਨਈ , ਬੈਂਗਲੁਰੂ , ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦਾਬਾਦ , ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਘੱਟ ਰਹੇ ਹਨ। [8 348] 2011 ਵਿੱਚ ਸਾਖਰਤਾ ਦਰ .0.0..04% ਸੀ: amongਰਤਾਂ ਵਿੱਚ .4 65..46% ਅਤੇ ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ .1२..14%. [9 34]] ਪੇਂਡੂ-ਸ਼ਹਿਰੀ ਸਾਖਰਤਾ ਪਾੜਾ ਜੋ ਕਿ 2001 ਵਿੱਚ २१..2 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਅੰਕ ਸੀ, २०११ ਵਿੱਚ ਘਟ ਕੇ १.1.१ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਅੰਕ ਹੋ ਗਿਆ। ਪੇਂਡੂ ਸਾਖਰਤਾ ਦਰ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਨਾਲੋਂ ਦੁਗਣਾ ਹੈ। [7 347] ਕੇਰਲ 93.91% ਸਾਖਰਤਾ ਵਾਲਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਾਹਿਤ ਵਾਲਾ ਰਾਜ ਹੈ; ਜਦੋਂ ਕਿ ਬਿਹਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ .8 63.2%% ਹੈ।[349]ਸੈਨ ਥੋਮ ਬੇਸਿਲਕਾ , ਚੇਨਈ , ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦਾ ਅੰਦਰੂਨੀ ਖੇਤਰ . ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਈਸਾਈ ਧਰਮ ਦੀ ਪਛਾਣ 2 ਸਦੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਸੀਰੀਆ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਇਸਾਈਆਂ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ।ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦੋ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਭਾਸ਼ਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹਨ : ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ (ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਲਗਭਗ% 74% ਦੁਆਰਾ ਬੋਲੇ) ਅਤੇ ਦ੍ਰਾਵਿੜਿਅਨ (ਆਬਾਦੀ ਦੇ 24% ਦੁਆਰਾ ਬੋਲੇ)। ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਬੋਲੀਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਆਸਟੋਰਾਸੀਆਟਿਕ ਅਤੇ ਸਿਨੋ-ਤਿੱਬਤੀ ਭਾਸ਼ਾ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ . ਭਾਰਤ ਦੀ ਕੋਈ ਕੌਮੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੈ। [350 350]] ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਹਿੰਦੀ , ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਅਧਿਕਾਰਕ ਭਾਸ਼ਾ ਹੈ। [1 351] [2 352] ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਵਿੱਚ ਵਿਆਪਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸਨੂੰ "ਸਹਾਇਕ ਸਹਾਇਕ ਭਾਸ਼ਾ" ਦਾ ਦਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ; []] ਇਹ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਵਜੋਂ. ਹਰੇਕ ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਇਕ ਜਾਂ ਵਧੇਰੇ ਅਧਿਕਾਰਕ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਅਤੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ 22 "ਅਨੁਸੂਚਿਤ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ" ਵਿਚ ਮਾਨਤਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ.ਸਾਲ 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ ਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਧਰਮ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਸੀ (ਆਬਾਦੀ ਦਾ 79.80%), ਇਸਲਾਮ ਦੇ ਬਾਅਦ (14.23%); ਬਾਕੀ ਈਸਾਈ ਧਰਮ (2.30%), ਸਿੱਖ ਧਰਮ (1.72%), ਬੁੱਧ ਧਰਮ (0.70%), ਜੈਨ ਧਰਮ (0.36%) ਅਤੇ ਹੋਰ [ਮੀ] (0.9%) ਸਨ। [14] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਤੀਜੀ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਮੁਸਲਿਮ ਆਬਾਦੀ ਹੈ- ਇੱਕ ਗੈਰ-ਮੁਸਲਿਮ ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਦੇਸ਼ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ। [3 353] [4 354]ਸਭਿਆਚਾਰਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭਿਆਚਾਰਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ , ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜਾਂ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇਕ ਸਿੱਖ ਸ਼ਰਧਾਲੂਭਾਰਤੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਇਤਿਹਾਸ 4,500 ਸਾਲ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਸਮੇਂ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ . [355] ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਵੈਦਿਕ ਦੀ ਮਿਆਦ ( ੲ.  1700 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. -. ੲ  500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ), ਦੀ ਬੁਨਿਆਦ ਹਿੰਦੂ ਫ਼ਲਸਫ਼ੇ , ਮਿਥਿਹਾਸ , ਧਰਮ ਸ਼ਾਸਤਰ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤ ਨੂੰ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਅਤੇ ਵਿਹਾਰ, ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ ਵੀ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਅਜਿਹੇ ਤੌਰ ਧਰਮ , ਕਰਮ , ਯੋਗਾ , ਅਤੇ ਮੋਕੇ , ਸਥਾਪਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ. [] 63] ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ , ਬੋਧ , ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਆਪਣੀ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ, ਇਸਲਾਮ , ਈਸਾਈ , ਅਤੇ ਜੈਨ ਧਰਮ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਧਰਮਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੈ. [356] ਮੁੱਖ ਧਰਮ, ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ, ਵਿਚਾਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਇਤਿਹਾਸਕ ਸਕੂਲ, ਦੇ ਸਮੇਤ ਕੇ ਕਰਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਉਪਨਿਸ਼ਦ , [357] ਯੋਗਾ ਦੇ ਸੂਤਰ , ਭਗਤੀ ਲਹਿਰ ਨੂੰ , [356] ਅਤੇ ਬੋਧੀ ਫ਼ਲਸਫ਼ੇ . [358]ਵਿਜ਼ੂਅਲ ਆਰਟਚੋਲਾ ਪਿੱਤਲ ਦੇ ਸ਼ਿਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ Nataraja ( "ਨਾਚ ਦਾ ਪ੍ਰਭੂ"), ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ , 10 ਜ 11 ਸਦੀ.ਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤੀ ਕਲਾਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਕਲਾ ਦੀ ਇੱਕ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪਰੰਪਰਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੇ ਯੂਰਸੀਆ ਦੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤਾ ਹੈ . ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਦੀ ਤੀਜੀ ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਬੀਸੀਈ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਦੀਆਂ ਸੀਲਾਂ ਮਿਲੀਆਂ ਹਨ, ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਨਾਲ ਉੱਕਰੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਕੁਝ ਕੁ ਮਨੁੱਖੀ ਅੰਕੜਿਆਂ ਨਾਲ. "Pashupati" ਮੋਹਰ , ਵਿੱਚ ਖੁਦਾਈ ਮੋਹਿੰਜੋਦੜੋ daro , ਪਾਕਿਸਤਾਨ, 1928-29 ਵਿਚ, ਵਧੀਆ ਜਾਣਿਆ ਹੈ. [9 359] ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇੱਕ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਵੀ ਨਹੀਂ ਬਚਦਾ. [360 360.] ਉਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਗਭਗ ਸਾਰੇ ਬਚੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਭਾਰਤੀ ਕਲਾ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਧਾਰਮਿਕ ਸ਼ਿਲਪਾਂ ਵਿੱਚ ਹਨਟਿਕਾurable ਸਮੱਗਰੀ, ਜ ਸਿੱਕੇ ਵਿੱਚ. ਸ਼ਾਇਦ ਲੱਕੜ ਵਿਚ ਅਸਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਸੀ, ਜੋ ਗੁੰਮ ਗਿਆ ਹੈ. ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਮੌਰੀਅਨ ਕਲਾ ਪਹਿਲੀ ਸ਼ਾਹੀ ਲਹਿਰ ਹੈ. [ 1 361] ਪਹਿਲੀ ਸਦੀਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਬੋਧੀ ਕਲਾ ਭਾਰਤੀ ਧਰਮਾਂ ਨਾਲ ਮੱਧ , ਪੂਰਬੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਫੈਲ ਗਈ , ਆਖਰੀ ਵੀ ਹਿੰਦੂ ਕਲਾ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਹੋਈ। [2 362] ਅਗਲੀਆਂ ਸਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖੀ ਸ਼ਖਸੀਅਤ ਨੂੰ ਮੂਰਤੀ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਭਾਰਤੀ ਸ਼ੈਲੀ, ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨ ਦੀ ਮੂਰਤੀ ਨਾਲੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਸਹੀ ਰਚਨਾ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਰੁਚੀ ਦੇ ਨਾਲ ਪਰੰਤੂ (“ਸਾਹ” ਜਾਂ ਜੀਵਨ ਸ਼ਕਤੀ) ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਸੁਵਿਧਾ ਨਾਲ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਰੂਪਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਹੈ । [3 363] ਇਹ ਅਕਸਰ ਅੰਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਕਈ ਹਥਿਆਰਾਂ ਜਾਂ ਸਿਰ ਦੇਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਾਲ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ ਸ਼ਿਵ ਅਤੇ ਪਾਰਵਤੀ ਦੇ ਅਰਧਨਾਰੀਸ਼ਵਰ ਰੂਪ ਦੇ ਨਾਲ, ਅੰਕੜਿਆਂ ਦੇ ਖੱਬੇ ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਲਿੰਗਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ . [4 364]ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਵੱਡੀ ਮੂਰਤੀ ਬੁੱਧ ਹੈ ਜੋ ਜਾਂ ਤਾਂ ਬਾਂਧੀ ਸਟੂਪਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਾਂਚੀ , ਸਰਨਾਥ ਅਤੇ ਅਮਰਾਵਤੀ , [5 365] ਦੁਆਰਾ ਖੁਦਾਈ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ਜਾਂ ਅਜੰਤਾ , ਕਾਰਲਾ ਅਤੇ ਏਲੋਰਾ ਵਰਗੀਆਂ ਥਾਵਾਂ 'ਤੇ ਰਾਹਤ - ਰਾਹਤ ਹੈ । ਹਿੰਦੂ ਅਤੇ ਜੈਨ ਦੇ ਸਥਾਨ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਪ੍ਰਗਟ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. [6 366] ਧਾਰਮਿਕ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਮਿਸ਼ਰਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਮੇਂ ਅਤੇ ਸਥਾਨ' ਤੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕਲਾਤਮਕ ਸ਼ੈਲੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਧਾਰਮਿਕ ਸਮੂਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਅਤੇ ਬੁੱਤਕਾਰਾਂ ਨੇ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਾਰੇ ਸਮੂਹਾਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ. [7 367] ਗੁਪਤਾ ਕਲਾ , ਲਗਭਗ 300 ਸਾ.ਯੁ. ਅਤੇ 500 ਸਾ.ਯੁ. ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਸ ਦੀ ਸਿਖਰ ਤੇ, ਅਕਸਰ ਕਲਾਸਿਕ ਦੌਰ ਵਜੋਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕਈ ਸਦੀਆਂ ਬਾਅਦ ਚਲਦਾ ਰਿਹਾ; ਇਸ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਸ਼ਿਲਪਕਾਰੀ ਦਾ ਇਕ ਨਵਾਂ ਦਬਦਬਾ ਵੇਖਿਆ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਐਲੀਫੈਂਟਾ ਗੁਫਾਵਾਂ ਵਿਚ . [8 368] ਉੱਤਰ ਦੇ ਪਾਰ, ਇਹ ਲਗਭਗ CE 800 CE ਸਾ.ਯੁ. ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਖਤ ਅਤੇ ਸੂਝੀ ਬਣ ਗਈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਬੁੱਤ ਦੇ ਆਲੇ ਦੁਆਲੇ ਵਿੱਚ ਬਾਰੀਕ ਬੁਣੇ ਹੋਏ ਵੇਰਵਿਆਂ ਨਾਲ ਅਮੀਰ ਹੈ. [9 369] ਪਰ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ, ਪੱਲਵ ਅਤੇ ਚੋਲਾ ਖਾਨਦਾਨਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ , ਪੱਥਰ ਅਤੇ ਕਾਂਸੀ ਦੋਵਾਂ ਵਿੱਚ ਬੁੱਤ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦਾ ਨਿਰੰਤਰ ਦੌਰ ਰਿਹਾ ; ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸ਼ਿਵ ਦੇ ਨਾਲ ਵੱਡੇ bronzes Nataraja ਭਾਰਤ ਦਾ ਬਣਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਬਣ ਗਏ ਹਨ. [0 370]ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਚਿੱਤਰਕਾਰੀ ਸਿਰਫ ਕੁਝ ਥਾਵਾਂ 'ਤੇ ਬਚੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਅਜੰਤਾ ਗੁਫ਼ਾਵਾਂ ਵਿਚ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਭੀੜ ਭਰੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਇਸ ਨੂੰ ਸਪਸ਼ਟ ਤੌਰ' ਤੇ ਵਿਕਸਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਗੁਪਤ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਇਸ ਨੂੰ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਵਜੋਂ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [1 371] ਲਗਭਗ 10 ਵੀਂ ਸਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੇ ਪੇਂਟ ਕੀਤੇ ਖਰੜੇ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਬਚੇ ਹਨ, ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਮੁ theਲੇ ਬੁੱਧ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਜੈਨ ਸਨ। ਇਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਸ਼ੱਕ ਨਹੀਂ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ੈਲੀ ਵੱਡੇ ਪੇਂਟਿੰਗਾਂ ਵਿਚ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਸੀ. [2 372] ਫ਼ਾਰਸੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਡੇਕਨ ਪੇਂਟਿੰਗ , ਮੁਗਲ ਚਿਤ੍ਰਵੀ ਤੋਂ ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਪਹਿਲਾਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ , ਇਹਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਚਿੱਤਰਾਂ ਉੱਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦੇ ਕੇ ਅਤੇ ਰਿਆਸਤਾਂ ਅਤੇ ਲੜਾਈਆਂ ਦੀ ਰਿਕਾਰਡਿੰਗ ਦੇ ਨਾਲ ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਵੱਡੀ ਸ਼ਕਲ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ। [3 373]ਇਹ ਸ਼ੈਲੀ ਹਿੰਦੂ ਦਰਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਰਾਜਪੂਤਾਂ ਵਿਚ ਅਤੇ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਈਆਂ, ਛੋਟੀਆਂ ਅਦਾਲਤਾਂ ਅਕਸਰ ਨਿਵੇਕਲੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਨਿਹਾਲ ਚੰਦ ਅਤੇ ਨੈਨਸੁਖ ਵਰਗੇ ਅੰਕੜੇ . [4 374] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਯੂਰਪੀਅਨ ਵਸਨੀਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿਕਸਤ ਹੋਇਆ, ਇਸਦੀ ਪੂਰਵਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵਾਲੇ ਭਾਰਤੀ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੰਪਨੀ ਪੇਂਟਿੰਗ ਦੁਆਰਾ ਸਪਲਾਈ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ . [5 375] 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਕਾਗਜ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਸਸਤੀਆਂ ਕਾਲੀਘਾਟ ਪੇਂਟਿੰਗਜ਼ ਅਤੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਣ, ਕਲਕੱਤੇ ਤੋਂ ਸ਼ਹਿਰੀ ਲੋਕ ਕਲਾ ਸਨ , ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਬੰਗਾਲ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਆਰਟ ਨੂੰ ਵੇਖਿਆ। , ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਤ ਆਰਟ ਕਾਲਜਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤੀ ਪੇਂਟਿੰਗ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲਹਿਰ ਹੈ . [6 376]ਭੂਤੇਸ਼ਵਰ ਯਕਸ਼ੀਸ , ਮਥੁਰਾ ਤੋਂ ਬੋਧੀ ਰਾਹਤ , ਦੂਜੀ ਸਦੀ ਈ ਗੁਪਤਾ ਟੈਰਾਕੋਟਾ ਰਾਹਤ , 5 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਨੂੰ ਮਾਰਨਾ ਦੇ ਘੋੜੇ ਦਾਨਿਸ਼ ਕੇਸ਼ੀ Elephanta Caves , triple- ਬੁੱਤ ( trimurti ਸ਼ਿਵ ਦੇ), 18 ਫੁੱਟ (5.5 ਮੀਟਰ) ਲੰਬਾ, c.  550 ਜਹਾਂਗੀਰ ਨੇ ਮੇਵਾੜ ਮੁਹਿੰਮ ਤੋਂ ਵਾਪਸੀ ਸਮੇਂ ਅਜਮੇਰ ਵਿਖੇ ਪ੍ਰਿੰਸ ਖੁਰਮ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ , ਬਾਲਚੰਦ , ਸੀ.  1635 ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਫਲੁਟ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਮਿਲਕਮਾਇਡਜ਼ , ਕਾਂਗੜਾ ਪੇਂਟਿੰਗ , 1775-1785Itਾਂਚਾ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਸਾਹਿਤ ਦਾ itਾਂਚਾਇੱਕ ਜੈਨ ਔਰਤ ਨੂੰ ਧੋਣ ਦੇ ਪੈਰ Bahubali Gomateswara 'ਤੇ Shravanabelagola , ਕਰਨਾਟਕ .ਤਾਜ ਮਹਿਲ , ਮੁਗਲ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਰਚਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਸਮੇਤ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ureਾਂਚੇ ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਸਥਾਨਕ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਆਯਾਤ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ. [7 377] ਵਰਨਾਕੂਲਰ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਵੀ ਇਸਦੇ ਸੁਆਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੇਤਰੀ ਹੈ. ਵਾਸਤੂ ਸ਼ਾਸਤਰ , ਸ਼ਾਬਦਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ "ਉਸਾਰੀ ਦਾ ਵਿਗਿਆਨ" ਜਾਂ "ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ" ਅਤੇ ਮਮੂਨੀ ਮਯਾਨ ਨੂੰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ , [8 378] ਇਹ ਪਤਾ ਲਗਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਨਿਯਮ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਕਰਦੇ ਹਨ; [9 379] ਇਹ ਅਨੁਸਾਰੀ ਬ੍ਰਹਿਮੰਡ ਨਿਰਮਾਣ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਸਹੀ ਜਿਓਮੈਟਰੀ ਅਤੇ ਦਿਸ਼ਾਵੀ ਅਨੁਕੂਲਤਾਵਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦਾ ਹੈ. [380] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਹਿੰਦੂ ਮੰਦਰ ਦੇ architect ਾਂਚੇ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ , ਇਹ ਸ਼ਿਲਪਾ ਸ਼ਾਸਤਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੈ , ਬੁਨਿਆਦੀ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਰੂਪਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਲੜੀ ਜਿਸਦਾ ਮੁੱ .ਲਾ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਰੂਪ ਵਾਸਤੂ-ਪੁਰਸ਼ ਮੰਡਲਾ ਹੈ , ਇੱਕ ਵਰਗ ਜਿਸਨੇ " ਸੰਪੂਰਨ " ਨੂੰ ਦਰਸਾਇਆ. [1 381] ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਸਮਰਾਟ ਸ਼ਾਹਜਹਾਂ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਆਗਰਾ ਵਿੱਚ 1631 ਅਤੇ 1648 ਦੇ ਵਿੱਚ ਬਣਾਇਆ ਤਾਜ ਮਹੱਲ, ਯੂਨੈਸਕੋ ਦੀ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਰਾਸਤ ਸੂਚੀ ਵਿੱਚ "ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਮਾਨ ਕਲਾ ਦਾ ਗਹਿਣਾ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵਵਿਆਪੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਵਿਰਾਸਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਰਚਨਾ ". [2 382] 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਵਿਕਸਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਇੰਡੋ-ਸੇਰੇਸੈਨਿਕ ਰਿਵਾਈਵਲ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਨੇ ਇੰਡੋ-ਇਸਲਾਮੀ architectਾਂਚੇ ਨੂੰ ਖਿੱਚਿਆ । [3 383]ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣਾ ਸਾਹਿਤ, ਜੋ ਸੰਨ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 1200 ਸਾ.ਯੁ. ਵਿਚਕਾਰ ਸੀ, ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਸੀ। [4 384] ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਾਹਿਤ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਰਚਨਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਰਿਗਵੇਦ ( ਲਗਭਗ  1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. - ਸੀ.  1200 ਬੀ ਸੀ ਈ ), ਮਹਾਂਕਾਵਿ : ਮਹਾਂਭਾਰਤ ( ਸੀ.  400 ਬੀ ਸੀ ਈ - ਸੀ.  400 ਈਸਵੀ ) ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ( ਸੀ.  300 ਬੀ ਸੀ ਈ ਅਤੇ ਬਾਅਦ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ; Abhijñānaśākuntalam ( ਸ਼ਕੁੰਤਲਾ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਹੈ ਅਤੇ ਦੇ ਹੋਰ ਡਰਾਮੇ Kālidāsa ( ੲ. 5 ਵੀਂ ਸਦੀ ਸੀਈ ) ਅਤੇ ਮਹਾਂਕਵਯ ਕਵਿਤਾ. [385] [386] [387] ਵਿੱਚ ਤਾਮਿਲ ਸਾਹਿਤ ਦੀ , ਸੰਗਮ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ( ੲ.  600 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. -. ੲ  300 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ) 2,381 ਕਾਵਿ ਰੱਖਦਾ, 473 ਕਵੀ ਨੇ ਲਿਖਿਆ, ਛੇਤੀ ਕੰਮ ਹੈ. [388] [389] [390] [391] 18 ਸਦੀ ਦਾ 14 ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਾਹਿਤਕ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਸੰਕਟ ਨੂੰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਖਤ ਤਬਦੀਲੀ ਦੀ ਇੱਕ ਮਿਆਦ ਦੇ ਵਿੱਚ ਗਿਆ ਭਗਤੀ ਸ਼ਾਇਰ ਵਰਗੇ ਕਬੀਰ , ਤੁਲਸੀਦਾਸ , ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ. ਇਹ ਅਵਧੀ ਵਿਚਾਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਗਟਾਵੇ ਦੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਪੈਕਟ੍ਰਮ ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਸੀ; ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ, ਮੱਧਯੁਮ ਦੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਸਾਹਿਤਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਕਲਾਸੀਕਲ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨਾਲੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਖਰੀਆਂ ਹਨ. [2 2]] 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਲੇਖਕਾਂ ਨੇ ਸਮਾਜਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਅਤੇ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਵਰਣਨ ਵਿੱਚ ਨਵੀਂ ਰੁਚੀ ਲਈ. ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਸਾਹਿਤ ਬੰਗਾਲੀ ਕਵੀ, ਲੇਖਕ ਅਤੇ ਦਾਰਸ਼ਨਿਕ ਰਬਿੰਦਰਨਾਥ ਟੈਗੋਰ , [3 3]] ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ਜੋ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਨੋਬਲ ਪੁਰਸਕਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਸੀ ।ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕਲਾ ਅਤੇ ਮੀਡੀਆਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਗੀਤ , ਭਾਰਤ ਵਿਚ Dance , ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਿਨੇਮਾ , ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨਭਾਰਤ ਦੀ ਨੈਸ਼ਨਲ ਅਕੈਡਮੀ ਆਫ ਪਰਫਾਰਮੈਂਸ ਆਰਟਸ ਨੇ ਅੱਠ ਭਾਰਤੀ ਡਾਂਸ ਸ਼ੈਲੀ ਨੂੰ ਕਲਾਸੀਕਲ ਮੰਨਿਆ ਹੈ . ਅਜਿਹੀ ਹੀ ਇਕ ਕੁਚੀਪੁੜੀ ਇੱਥੇ ਦਿਖਾਈ ਗਈ ਹੈ.ਭਾਰਤੀ ਸੰਗੀਤ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਅਤੇ ਖੇਤਰੀ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਤੋਂ ਵੱਖਰਾ ਹੈ. ਕਲਾਸੀਕਲ ਸੰਗੀਤ ਵਿੱਚ ਦੋ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਲੋਕ ਆੱਫ ਸ਼ੂਟਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਉੱਤਰੀ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਕਾਰਨਾਟਿਕ ਸਕੂਲ. [394] ਖੇਤਰੀਕਰਨ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪ੍ਰਕਾਰਜ ਵਿੱਚ ਫਿਲਮੀ ਅਤੇ ਲੋਕ ਸੰਗੀਤ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ; syncretic ਦੀ ਰੀਤ ਦੀ bauls ਇੱਕ ਚੰਗੀ-ਜਾਣਿਆ ਬਾਅਦ ਦੇ ਰੂਪ ਹੈ. ਭਾਰਤੀ ਨਾਚ ਵਿਚ ਭਿੰਨ ਭਿੰਨ ਲੋਕ ਅਤੇ ਕਲਾਸੀਕਲ ਰੂਪ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. ਬਿਹਤਰ-ਜਾਣਿਆ ਵਿਚ ਲੋਕ ਨਾਚ ਹਨ: ਭੰਗੜੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ, bihu ਅਸਾਮ ਦੇ, Jhumair ਅਤੇchhau ਝਾਰਖੰਡ, ਉੜੀਸਾ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲ ਦੇ, ਗਰਬਾ ਅਤੇ dandiya ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ, ghoomar ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ, ਅਤੇ ਲਾਵਨੀ ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ. ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸੰਗੀਤ, ਡਾਂਸ ਅਤੇ ਡਰਾਮਾ ਦੁਆਰਾਅੱਠ ਨਾਚ ਫਾਰਮ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਥਾਵਾਚਕ ਰੂਪਾਂ ਅਤੇ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਤੱਤ ਹਨ, ਨੂੰ ਕਲਾਸੀਕਲ ਡਾਂਸ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਹ ਹਨ: ਭਰਤਨਾਟਿਅਮ ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦੇ ਰਾਜ ਦੇ ਕਥਕ ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, ਦੇ ਕਥਕਲੀ ਅਤੇ mohiniyattam ਕੇਰਲਾ ਦੇ, ਕੁਚੀਪੁੜੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੇ, ਮਣੀਪੁਰੀ ਮਨੀਪੁਰ ਦੇ, odissi ਉੜੀਸਾ ਦੇ ਹਨ, ਅਤੇਅਸਾਮ ਦਾ ਸੱਤਰੀਆ [395]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਥੀਏਟਰ ਸੰਗੀਤ, ਡਾਂਸ, ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਜਾਂ ਲਿਖਤ ਸੰਵਾਦ ਨੂੰ ਮਿਲਾਉਂਦਾ ਹੈ. [396] ਅਕਸਰ ਹਿੰਦੂ ਮਿਥਿਹਾਸ ਦੇ ਆਧਾਰ 'ਤੇ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਮੱਧਕਾਲੀ romances ਜ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਸਿਆਸੀ ਸਮਾਗਮ ਤੱਕ ਉਧਾਰ, ਭਾਰਤੀ ਥੀਏਟਰ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ: ਭਾਵੈ ਗੁਜਰਾਤ, ਦੇ jatra ਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲ, ਦੇ ਨੌਟੰਕੀ ਅਤੇ ਰਾਮਲੀਲਾ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਦੇ, ਤਮਾਸ਼ਾ ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ, burrakatha ਦੇ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, terukkuttu ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦੇ, ਅਤੇ yakshagana ਕਰਨਾਟਕ ਦੇ. [7 7]] ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਇੱਕ ਥੀਏਟਰ ਸਿਖਲਾਈ ਸੰਸਥਾ ਨੈਸ਼ਨਲ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਡਰਾਮਾ (ਐਨਐਸਡੀ) ਹੈ ਜੋ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਸਥਿਤ ਹੈਇਹ ਅਧੀਨ ਇਕ ਖੁਦਮੁਖਤਾਰ ਸੰਸਥਾ ਹੈ ਸਭਿਆਚਾਰ ਮੰਤਰਾਲੇ , ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ . [398] ਭਾਰਤੀ ਫ਼ਿਲਮ ਉਦਯੋਗ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ-watched ਸਿਨੇਮਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ. [9 9]] ਅਸਾਮੀਆ , ਬੰਗਾਲੀ , ਭੋਜਪੁਰੀ , ਹਿੰਦੀ , ਕੰਨੜ , ਮਲਿਆਲਮ , ਪੰਜਾਬੀ , ਗੁਜਰਾਤੀ , ਮਰਾਠੀ , ਓਡੀਆ , ਤਾਮਿਲ ਅਤੇ ਤੇਲਗੂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਪਤ ਖੇਤਰੀ ਸਿਨੇਮੇ ਦੀਆਂ ਰਵਾਇਤਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹਨ । [400] ਹਿੰਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੀ ਫਿਲਮ ਇੰਡਸਟਰੀ (ਬਾਲੀਵੁੱਡ ) ਬਾਕਸ ਆਫਿਸ ਦੇ ਮਾਲੀਏ ਦੇ 43% ਦੀ ਨੁਮਾਇੰਦਗੀ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਖੇਤਰ ਹੈ, ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਤੇਲਗੂ ਅਤੇ ਤਾਮਿਲ ਫਿਲਮ ਉਦਯੋਗ ਜੋ 36% ਜੋੜ ਕੇ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ. [401]ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਣ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸੰਚਾਰ ਦੇ ਇੱਕ ਰਾਜ-ਮਾਧਿਅਮ ਮਾਧਿਅਮ ਵਜੋਂ 1959 ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਦੋ ਦਹਾਕਿਆਂ ਤੋਂ ਵਧਦਾ ਗਿਆ। [402] [403] ਨੇ ਰਾਜ ਏਕਾਧਿਕਾਰ 1990 ਵਿਚ ਬੰਦ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਣ 'ਤੇ. ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੋਂ, ਸੈਟੇਲਾਈਟ ਚੈਨਲਾਂ ਨੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਰੂਪ ਦਿੱਤਾ ਹੈ. [4 ]4] ਅੱਜ, ਟੈਲੀਵੀਯਨ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਮੀਡੀਆ ਹੈ; ਉਦਯੋਗ ਦੇ ਅਨੁਮਾਨ ਸੰਕੇਤ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ 2012 ਤੱਕਇੱਥੇ ਪ੍ਰੈਸ (million 350 million ਮਿਲੀਅਨ), ਰੇਡੀਓ (6 3506 ਮਿਲੀਅਨ) ਜਾਂ ਇੰਟਰਨੈਟ (million 37 ਮਿਲੀਅਨ) ਵਰਗੇ ਮੀਡੀਆ ਦੇ ਦੂਜੇ ਰੂਪਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ 55 55 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਟੀਵੀ ਖਪਤਕਾਰਾਂ, ਸੈਟੇਲਾਈਟ ਜਾਂ ਕੇਬਲ ਕੁਨੈਕਸ਼ਨਾਂ ਨਾਲ 462 ਮਿਲੀਅਨ ਹਨ. [405]ਸੁਸਾਇਟੀਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭਿਆਚਾਰਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਸ੍ਰੀਨਗਰ ਦੀ ਇਕ ਮਸਜਿਦ ਵਿਚ ਮੁਸਲਮਾਨ ਨਮਾਜ਼ ਭੇਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।ਰਵਾਇਤੀ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਕਈ ਵਾਰ ਸਮਾਜਿਕ ਲੜੀਬੰਦੀ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਭਾਸ਼ਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਭਾਰਤੀ ਜਾਤ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿਚ ਸਮਾਈ ਸਮਾਜਿਕ stratification ਦੇ ਬਹੁਤ ਹੈ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਪਾਬੰਦੀ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਉਪਮਹਾਦਵੀਪ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ. ਸੋਸ਼ਲ ਕਲਾਸ ਦੇ ਹਜ਼ਾਰ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਭਾਸ਼ਿਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ ਹੁੰਦੇ ਪੀੜੀ ਗਰੁੱਪ, ਅਕਸਰ ਕਰਾਰ jātis , ਜ "ਜਾਤੀ". [6०6] 1947 ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੇ ਅਛੂਤਤਾ ਨੂੰ ਗੈਰਕਾਨੂੰਨੀ [407] ਕਰਾਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਅਤੇ ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਤਕਰਾ ਵਿਰੋਧੀ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਭਲਾਈ ਦੀਆਂ ਪਹਿਲਕਦਮੀਆਂ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਹੈ।ਪਰਿਵਾਰਕ ਕਦਰਾਂ ਕੀਮਤਾਂ ਭਾਰਤੀ ਪਰੰਪਰਾ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਨ, ਅਤੇ ਬਹੁ-ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਦੇ ਪਿੱਤਰਵਾਦੀ ਸਾਂਝੇ ਪਰਿਵਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਆਮ ਹਨ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਪਰਮਾਣੂ ਪਰਿਵਾਰ ਆਮ ਹੁੰਦੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ. [8०8] ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੀ ਇੱਕ ਬਹੁਗਿਣਤੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਹਿਮਤੀ ਨਾਲ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਆਹ ਆਪਣੇ ਮਾਪਿਆਂ ਜਾਂ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬਜ਼ੁਰਗਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕਰਵਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. [409] ਵਿਆਹ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਭਰ ਲਈ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, [409] ਅਤੇ ਤਲਾਕ ਦੀ ਦਰ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ, [410] ਇਕ ਹਜ਼ਾਰ ਵਿਆਹ ਵਿਚ ਇਕ ਤੋਂ ਘੱਟ ਤਲਾਕ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ। [1111१] ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਆਮ ਹਨ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ; ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ 18ਰਤਾਂ 18 'ਤੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵਿਆਹ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਾਨੂੰਨੀ ਵਿਆਹੁਤਾ ਉਮਰ ਹੈ. [412] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ Femaleਰਤ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ, ਅਤੇ ਹਾਲ ਹੀ ਵਿੱਚ ਮਾਦਾ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ , ਲਿੰਗ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਨੂੰ ਬਣਾਇਆ ਹੈ; ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਲਾਪਤਾ womenਰਤਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 2014 ਵਿੱਚ ਖਤਮ ਹੋਈ 50 ਸਾਲਾ ਮਿਆਦ ਵਿੱਚ 15 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ 63 ਮਿਲੀਅਨ ਹੋ ਗਈ, ਜੋ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਵਾਧੇ ਨਾਲੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੀ 20 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਵੋਟਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਹੈ। [3१3] ਇੱਕ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਅਧਿਐਨ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਵਾਧੂ 21 ਮਿਲੀਅਨ ਕੁੜੀਆਂ ਅਣਚਾਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੋੜੀਂਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ ਹੈ. [4१4] ਸਰਕਾਰੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸੈਕਸ-ਚੁਣਾਵ ਦੇ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ' ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਇਹ ਵਰਤਾਰਾ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਆਮ ਜਿਹਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਪਿੱਤਰਵਾਦੀ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਮੁੰਡਿਆਂ ਦੀ ਤਰਜੀਹ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਹੈ। [415] ਦਾਜ ਦੀ ਅਦਾਇਗੀ , ਭਾਵੇਂ ਗੈਰਕਾਨੂੰਨੀ ਹੈ, ਵਰਗ ਵਰਗ ਵਿਚ ਫੈਲਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ. [6१6] ਦਹੇਜ ਵਿਰੋਧੀ ਸਖਤ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਦਾਜ ਕਾਰਨ ਹੋਈਆਂ ਮੌਤਾਂ , ਜਿਆਦਾਤਰ ਦੁਲਹਨ ਸਾੜਨ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। [417]ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਤਿਉਹਾਰ ਮੂਲ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਧਾਰਮਿਕ ਹਨ. ਸਭ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ: ਦੀਵਾਲੀ , ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ , ਥਾਈ ਪੋਂਗਲ , ਹੋਲੀ , ਦੁਰਗਾ ਪੂਜਾ , ਈਦ ਉਲ-ਫਿਤਰ , ਬਕਰ-ਆਈਡ , ਕ੍ਰਿਸਮਿਸ ਅਤੇ ਵਿਸਾਖੀ . [418] [419]ਸਿੱਖਿਆਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਿੱਖਿਆ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਾਖਰਤਾ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ, ਲਗਭਗ 73% ਆਬਾਦੀ ਸਾਖਰ ਸੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਰਦਾਂ ਲਈ 81% ਅਤੇ forਰਤਾਂ ਲਈ 65% ਸੀ. ਇਹ 1981 ਨਾਲ ਤੁਲਨਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਸਬੰਧਤ ਰੇਟ 41%, 53% ਅਤੇ 29% ਸਨ. 1951 ਵਿਚ ਇਹ ਦਰ 18%, 27% ਅਤੇ 9% ਸੀ. 1921 ਵਿਚ ਇਹ ਦਰ 7%, 12% ਅਤੇ 2% ਸੀ. 1891 ਵਿਚ ਉਹ 5%, 9% ਅਤੇ 1% ਸਨ, [420] [1२१] ਲਤੀਕਾ ਚੌਧਰੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, 1911 ਵਿੱਚ ਹਰ 10 ਪਿੰਡਾਂ ਲਈ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਕੂਲ ਸਨ। ਅੰਕੜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਵਧੇਰੇ ਜਾਤੀ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਨੇ ਨਿੱਜੀ ਖਰਚਿਆਂ ਨੂੰ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ. ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਕੂਲ ਨੇ ਸਾਖਰਤਾ ਸਿਖਾਈ, ਇਸ ਲਈ ਸਥਾਨਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਸੀਮਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ. [2२2]ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਦੂਜੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੈ. [3२3] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 900 ਤੋਂ ਵੱਧ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ, 40,000 ਕਾਲਜ [4२4] ਅਤੇ ਡੇ million ਮਿਲੀਅਨ ਸਕੂਲ ਸਨ। [5२5] ਭਾਰਤ ਦੀ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸਕ ਤੌਰ ਤੇ ਪਛੜੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਹਾਂ-ਪੱਖੀ ਐਕਸ਼ਨ ਪਾਲਿਸੀ ਅਧੀਨ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀਟਾਂ ਰਾਖਵੇਂ ਹਨ। ਹਾਲ ਹੀ ਦੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੁਧਾਰੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਅਕਸਰ ਇਸਦੇ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਇਕ ਮੁੱਖ ਯੋਗਦਾਨ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਵਜੋਂ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ . [6२6] [7 427]ਕਪੜੇਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਕੱਪੜੇਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬਾਲਗ ਸਾਖਰਤਾ ਕਲਾਸ ਵਿੱਚ ਸਾੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ Women ਰਤਾਂ ; ਸੱਜਾ: ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਧੋਤੀ ਵਿੱਚ , ਵਾਰਾਣਸੀ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਉੱਨ ਦੀ ਸ਼ਾਲ ਪਾਈਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਆਧੁਨਿਕ ਸਮੇਂ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਤਕ, Indiaਰਤਾਂ ਅਤੇ ਮਰਦ ਦੋਹਾਂ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਿਆਪਕ ਰਵਾਇਤੀ ਪਹਿਰਾਵਾ ਖਿੱਚਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ. [8२8] For ਰਤਾਂ ਲਈ ਆਖਰਕਾਰ ਇਹ ਇੱਕ ਸਾੜ੍ਹੀ , ਇੱਕ ਲੰਬੇ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਟੁਕੜੇ, ਮਸ਼ਹੂਰ ਛੇ ਗਜ਼ ਲੰਬੇ ਅਤੇ ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਫੈਲਾਉਣ ਵਾਲੀ ਚੌੜਾਈ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਗਈ . [8२8] ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਕਮਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਦੁਆਲੇ ਲਪੇਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਫਿਰ ਮੋ shoulderੇ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [8२8] ਇਸ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਆਧੁਨਿਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ, ਇਹ ਸਿਰ ਅਤੇ ਕਈ ਵਾਰ ਚਿਹਰੇ ਨੂੰ coverੱਕਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [428] ਇਹ ਇੱਕ underskirt, ਜ ਭਾਰਤੀ ਦੇ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ petticoat , ਅਤੇ ਹੋਰ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਿਕੜਨ ਲਈ ਕਮਰ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਵਿੱਚ ਿਟਕਾਉਣਾ, ਇਹ ਵੀ ਆਮ ਕਿਸੇ ਭਾਰਤੀ ਨਾਲ ਖਰਾਬ ਹੈ ਬਲਾਊਜ਼, ਜਾਂ ਚੋਲੀ , ਜੋ ਉਪਰਲੇ-ਸਰੀਰ ਦੇ ਮੁ garਲੇ ਕੱਪੜੇ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਸਾੜੀ ਦਾ ਸਿਰੇ - ਕੰਧ ਤੋਂ ਲੰਘਦਾ ਹੈ - ਇਹ ਸਰੀਰ ਦੇ ਉਪਰਲੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨੂੰ ਅਸਪਸ਼ਟ ਕਰਨ ਅਤੇ ਮਿਡਰੀਫ ਨੂੰ coverੱਕਣ ਲਈ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ. [8 428]ਆਦਮੀਆਂ ਲਈ, ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਇਕੋ ਜਿਹੀ ਪਰ ਛੋਟੀ ਲੰਬਾਈ, ਧੋਤੀ , ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ. [429] ਇਹ ਵੀ ਕਮਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਅਤੇ ਲਪੇਟਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ. [9२]] ਦੱਖਣ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ, ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਲਪੇਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਉੱਪਰਲਾ ਸਿਰਾ ਕਮਰ ਪੱਟੀ ਵਿੱਚ ਜਕੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਲਾ ਖੱਬਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ, ਇਸ ਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਪੈਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਲਿਆਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ, ਹਰ ਲੱਤ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਇਕ ਵਾਰ ਲਪੇਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਰਵਾਇਤੀ ਲਿਬਾਸ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਰੂਪ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਸਿਲਾਈ ਜਾਂ ਟੇਲਰਿੰਗ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਚੱਦਰ (ਇੱਕ ਸ਼ਾਲ ਜੋ ਦੋਨੋ ਲਿੰਗਾਂ ਦੁਆਰਾ ਠੰਡੇ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਉਪਰਲੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ cover ੱਕਣ ਲਈ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ largeਰਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਿਰ ramੱਕਣ ਲਈ worੱਕਣ ਲਈ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਘੁੰਮਣਾ ) ਅਤੇ ਪਗੜੀ ( ਇੱਕ ਪੱਗਜਾਂ ਕਿਸੇ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਵਜੋਂ ਸਿਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਪਹਿਨਿਆ ਹੋਇਆ ਇੱਕ ਸਕਾਰਫ, ਜਾਂ ਸੂਰਜ ਜਾਂ ਠੰਡ ਨੂੰ ਦੂਰ ਰੱਖਣ ਲਈ). [9 42]]ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਸੱਜੇ ()) Women ਰਤਾਂ (ਐਲ. ਤੋਂ ਆਰ) ਚੂਰੀਦਾਰਾਂ ਅਤੇ ਕਮੀਜ਼ , ਪਿੱਛੇ ਕੈਮਰਾ ਨਾਲ; ਜੀਨਸ ਅਤੇ ਸਵੈਟਰ ਵਿਚ; ਗੁਲਾਬੀ ਸ਼ਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਦੀ ਖਰੀਦਦਾਰੀ ਵਿਚ; (ਬੀ) ਕਸ਼ਮੀਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਕੁੜੀਆਂ ਕroਾਈ ਹੋਈ ਹਿਜਾਬ ਵਿਚ ; (ਸੀ) ਪਗੜੀ ਅਤੇ ਕਮੀਜ਼ ਵਿਚ ਇਕ ਫੈਬਰਿਕ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਬਾਹਰ ਕੰਮ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈਪਹਿਲੀ ਹਜ਼ਾਰ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ. ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਆਮ ਪਹਿਰਾਵਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਿਨਾਂ ਰੁਕੇ ਸੀ. [303030] ਕੇਂਦਰੀ ਏਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਕੁਸ਼ਾਂ ਦੀ ਆਮਦ , ਸੀ.  48 ਈਸਵੀ , ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੱਟ ਅਤੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆਈ ਦੀ ਸ਼ੈਲੀ ਵਿਚ sewn ਕੱਪੜੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪ੍ਰਤਿਸ਼ਠਿਤ ਕੇ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ. [3030०] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਉਦੋਂ ਤਕ ਮੁਸਲਿਮ ਰਾਜ ਸਥਾਪਤ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਪਹਿਲਾਂ ਦਿੱਲੀ ਸੁਲਤਾਨ ਅਤੇ ਫਿਰ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਨਾਲ , ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਟਾਂਕੇ ਹੋਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਵਧਦੀ ਗਈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਫੈਲ ਗਈ. [430]ਮੱਧਕਾਲੀ ਅਤੇ ਮੁ earlyਲੇ -ਆਧੁਨਿਕ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਕਪੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹੁਣ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ: ਸ਼ਲਵਾਰਾਂ ਅਤੇ ਪਜਾਮਾ ਦੋਨੋ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਟਿicsਨਿਕਸ ਕੁੜਤਾ ਅਤੇ ਕਮੀਜ਼ . [3030०] ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ, ਹਾਲਾਂਕਿ, ਰਵਾਇਤੀ ਡਰੇਪਡ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. [430]ਸ਼ਲਵਾਰ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਕਮਰ' ਤੇ ਚੌੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਇੱਕ ਤਲ੍ਹੇ ਤਲ ਤੋਂ ਤੰਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਉਹ ਇੱਕ ਖਿੱਚੀ ਜਾਂ ਲਚਕੀਲੇ ਪੱਟੀ ਦੁਆਰਾ ਫੜੇ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਹ ਕਮਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਅਨੰਦਮਈ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. [1 431] ਪੈਂਟ ਚੌੜੀ ਅਤੇ ਬੈਗੀ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ, ਜਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਖਪਾਤ 'ਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਤੰਗ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ , ਜਿਸ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚੂਰੀਦਾਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ . ਕਮੀਜ਼ ਲੰਬੀ ਕਮੀਜ਼ ਜਾਂ ਟਿicਨਿਕ ਹੈ. [2 432] ਸਾਈਡ ਸੀਮਜ਼ ਕਮਰ-ਲਾਈਨ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਛੱਡੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ, [3 433] ), ਜੋ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅੰਦੋਲਨ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦਿੰਦੀ ਹੈ. ਕਮੀਜ਼ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਿੱਧੇ ਅਤੇ ਸਿੱਧੇ ਕੱਟੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ; ਪੁਰਾਣੇ ਕਮੀਜ਼ ਰਵਾਇਤੀ ਕੱਟਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ; ਆਧੁਨਿਕ ਕਮੀਜ਼ ਵਿਚ ਯੂਰਪੀਅਨ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਸੈੱਟ-ਇਨ ਸਲੀਵਜ਼ ਹੋਣ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ. ਕਮੀਜ਼ ਦਾ ਯੂਰਪੀਅਨ ਸ਼ੈਲੀ ਵਾਲਾ ਕਾਲਰ, ਇਕ ਮੈਂਡਰਿਨ-ਕਾਲਰ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ ਇਹ ਕਾਲਰ ਰਹਿਤ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ; ਬਾਅਦ ਦੇ ਕੇਸ ਵਿਚ, women'sਰਤਾਂ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਜੋਂ ਇਸਦਾ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਇਕ ਕੁਰਤੇ ਵਰਗਾ ਹੈ. [4 434] ਮੁਸਲਿਮ womenਰਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨੇ ਜਾਣ 'ਤੇ, ਸ਼ਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਫੈਲ ਗਈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਖੇਤਰੀ ਸ਼ੈਲੀ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ, [5 435] [6 436] ਖ਼ਾਸਕਰ ਪੰਜਾਬ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ. [7 437] [8 438]ਇਕ ਕੁੜਤਾ , ਜੋ ਕਿ ਆਪਣੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਅਨ ਖਾਨਾਜੰਗੀ ਸੁਰਾਂ ਨੂੰ ਲੱਭਦਾ ਹੈ , ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਟਾਈਲਿਸਟਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਵਿਕਸਤ ਹੋਇਆ ਹੈ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਪਹਿਨਣ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਰਸਮੀ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ. [430] ਇਹ ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸੂਤੀ ਜਾਂ ਰੇਸ਼ਮ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ; ਇਹ ਸਾਦੇ ਜਾਂ ਕroਾਈ ਵਾਲੇ ਸਜਾਵਟ ਦੇ ਨਾਲ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਚਿਕਨ ; ਅਤੇ ਇਹ ਧੜ ਵਿਚ looseਿੱਲਾ ਜਾਂ ਤੰਗ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਜਾਂ ਤਾਂ ਚੋਰੀ ਦੇ ਗੋਡੇ ਹੇਠਾਂ ਜਾਂ ਤਾਂ ਹੇਠਾਂ ਡਿੱਗਦਾ ਹੈ. [9 439] ਇੱਕ ਰਵਾਇਤੀ ਕੁੜਤੇ ਦੀਆਂ ਸਲੀਵਜ਼ ਬਿਨਾਂ ਤੰਗ ਕੀਤੇ ਗੁੱਟ 'ਤੇ ਡਿੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਹੇਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਪਰ ਕਫ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ; ਕੁੜਤਾ ਆਦਮੀ ਅਤੇ bothਰਤ ਦੋਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ; ਇਹ ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਕਾਲਰ ਰਹਿਤ ਹੈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਖੜ੍ਹੇ ਕਾਲਰ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ; ਅਤੇ ਇਹ ਆਮ ਨਾਲੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈਪਜਾਮਾ , ਢਿੱਲੀ shalwars , churidars , ਜ ਘੱਟ ਰਵਾਇਤੀ ਵੱਧ ਜੀਨਸ . [9 439]ਪਿਛਲੇ 50 ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਫੈਸ਼ਨਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਸੌਦਾ ਬਦਲਿਆ ਹੈ. ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ, ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ਹਿਰੀ ਵਿਵਸਥਾਵਾਂ ਵਿਚ, ਸਾੜ੍ਹੀ ਹੁਣ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਪਹਿਨਣ ਦਾ ਲਿਬਾਸ ਨਹੀਂ ਰਹੀ, ਇਸ ਦੀ ਬਜਾਏ ਰਸਮੀ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ ਇਕ ਵਿਚ ਬਦਲ ਗਈ. [404040] ਰਵਾਇਤੀ ਸ਼ਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਸ਼ਾਇਦ ਹੀ ਮੁਟਿਆਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਚੂਰੀਦਾਰਾਂ ਜਾਂ ਜੀਨਸ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਹਨ. [404040] ਕੂੜਿਆਂ ਨੂੰ ਜਵਾਨ ਮੁੰਡਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਅਕਸਰ ਕੰਨਾਂ 'ਤੇ ਡਿੱਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸਾਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਵ੍ਹਾਈਟ-ਕਾਲਰ ਆਫਿਸ ਸੈਟਿੰਗਾਂ ਵਿਚ, ਸਰਵ ਵਿਆਪੀ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਿੰਗ ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਖੇਡ ਜੈਕਟ ਪਹਿਨਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਿੰਦੀ ਹੈ. [440] ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਰਸਮੀ ਮੌਕੇ, middle- ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਕਲਾਸ ਵਿੱਚ, ਲੋਕ ਅਕਸਰ ਵੀਅਰ ਲਈ bandgala ਜ ਛੋਟਾ, ਨਹਿਰੂ ਜੈਕਟ , ਪਟ ਨਾਲ, ਲਾੜੇ ਦੇ ਨਾਲ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਆਪਣੇ ਜਨੇਤੀਆ ਖੇਡਸ਼ੇਰਵਾਨੀ ਅਤੇ ਚੂਰੀਦਾਰ. [440] ਧੋਤੀ, ਇਕ ਵਾਰ ਹਿੰਦੂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਯੂਨੀਵਰਸਲ ਚੋਗੇ, ਜਿਸ ਦੇ ਮੋਟਾ ਅਤੇ handwoven ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹਿਨਣ ਦੀ ਖਾਦੀ ਦਹਿ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਰਾਹੁਲ ਆਗਿਆ ਹੈ, [441] ਘੱਟ ਹੀ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, [440] ਘਟਾ ਹੁਣ, ਕੰocੇ ਨਾਲ ਲੱਗਦੀ ਸਰਹੱਦ ਦੇ ਨਾਲ, ਹਿੰਦੂ ਪੁਜਾਰੀਆਂ ਦੀਆਂ ਧਾਰਮਿਕ ਪੂਜਾਵਾਂ ਲਈ.ਰਸੋਈਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤੀ ਪਕਵਾਨਉੱਪਰ ਤੋਂ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ: ()) ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਥਾਲੀ , ਜਾਂ ਥਾਲੀ; (ਅ) ਇਕ ਅਸਾਮੀ ਥਾਲੀ (ਸੀ) ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਤੋਂ ਚਿਕਨ ਬਿਰਿਆਨੀ , (ਡੀ) ਗੋਆ ਤੋਂ ਸੂਰ ਦਾ ਵਿੰਦਾਲੂ , ()) ਘਰ ਵਿਚ ਪਕਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਦੁਪਹਿਰ ਦਾ ਖਾਣਾ ਟਿਫਨ ਵਾਲਾ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ; (f) ਓਡੀਸ਼ਾ ਤੋਂ ਰੇਲਵੇ ਮਟਨ ਕਰੀ .ਭਾਰਤੀ ਪਕਵਾਨ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਖੇਤਰੀ ਅਤੇ ਰਵਾਇਤੀ ਰਸੋਈਆਂ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕਿਸਮ, ਜਲਵਾਯੂ, ਸਭਿਆਚਾਰ, ਨਸਲੀ ਸਮੂਹਾਂ ਅਤੇ ਕਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਮੱਦੇਨਜ਼ਰ, ਇਹ ਪਕਵਾਨ ਸਥਾਨਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਉਪਲਬਧ ਮਸਾਲੇ, bsਸ਼ਧੀਆਂ, ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਅਤੇ ਫਲਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦਿਆਂ ਇਕ ਦੂਜੇ ਤੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਖਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਭਾਰਤੀ ਖਾਣ-ਪੀਣ ਧਰਮਾਂ, ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਹਿੰਦੂ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਚੋਣਾਂ ਅਤੇ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਹਨ. [2 442] ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮੀ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਤੇ ਪੁਰਤਗਾਲੀ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਆਉਣ ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ਾਸਨ ਦੁਆਰਾ ਇਸਲਾਮਿਕ ਸ਼ਾਸਨ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਮੁਗਲਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦੁਆਰਾ ਵੀ ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਰੂਪ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਹ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕ੍ਰਮਵਾਰ, ਪਿਲਾਫ ਅਤੇ ਬਿਰੀਆਨੀ ਦੇ ਪਕਵਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਝਲਕਦੇ ਹਨ ; vindaloo; ਅਤੇ ਟਿਫਿਨ ਅਤੇ ਰੇਲਵੇ ਮਟਨ ਕਰੀ . [3 443] ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ, ਕੋਲੰਬੀਆ ਦੇ ਐਕਸਚੇਂਜ ਨੇ ਆਲੂ, ਟਮਾਟਰ, ਮੱਕੀ, ਮੂੰਗਫਲੀ, ਕਾਜੂ, ਅਨਾਸ, ਗਵਾਵਸ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਮਿਰਚ ਮਿਰਚ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਲਿਆਂਦਾ ਸੀ . ਹਰ ਇੱਕ ਵਰਤਣ ਦੀ ਮੁੱਖ ਬਣ ਗਿਆ. [4 444] ਬਦਲੇ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਯੂਰਪ ਵਿੱਚ ਮਸਾਲੇ ਦਾ ਵਪਾਰ ਯੂਰਪ ਦੀ ਖੋਜ ਦੇ ਯੁੱਗ ਲਈ ਉਤਪ੍ਰੇਰਕ ਸੀ . [5 445]ਅਨਾਜ ਭਾਰਤ, ਆਪਣੀ ਪਸੰਦ, ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਵਧ, ਅਤੇ ਲਾਉਣਾ ਦੇ ਖੇਤਰ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਮਾਨਸੂਨ ਦੇ ਟਾਈਮਿੰਗ, ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਸਬੰਧਿਤ ਬਾਰਸ਼ ਵਿਚ ਉਹ ਖੇਤਰ ਭਰ ਦੇ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕਰਨ ਲਈ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਅਨੁਸਾਰੀ ਹਨ. [6 446] ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸੀਰੀਅਲ ਜ਼ੋਨ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਵੰਡ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮੀਂਹ' ਤੇ ਨਿਰਭਰਤਾ ਦੁਆਰਾ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਨਕਲੀ ਸਿੰਚਾਈ ਦੇ ਆਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੱਕੇ ਤੌਰ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਸੀ. [6 446] ਚਾਵਲ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਾਣੀ ਦੀ ਜਰੂਰਤ ਹੈ, ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਉੱਤਰ ਪੂਰਬ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਤੱਟ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਬਾਰਸ਼ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ, ਕਣਕ ਦੇ ਮੱਧਮ ਬਾਰਸ਼ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਮੈਦਾਨੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਬਾਜਰੇ ਘੱਟ ਬਾਰਸ਼ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਡੈੱਕਨ ਪਠਾਰ ਤੇ ਅਤੇ ਰਾਜਸਥਾਨ ਵਿਚ . [7 44 [] [6 446]ਆਮ ਭਾਰਤੀ ਭੋਜਨ ਦੀ ਬੁਨਿਆਦ ਇਕ ਅਨਾਜ ਹੈ ਜੋ ਸਾਦੇ ਫੈਸ਼ਨ ਵਿਚ ਪਕਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਸੁਆਦ ਵਾਲੀਆਂ ਭਰੀਆਂ ਪਕਵਾਨਾਂ ਨਾਲ ਪੂਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [448] ਬਾਅਦ ਵੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹਨ ਦਾਲ , ਦਾਲ ਅਤੇ ਸਬਜ਼ੀ ਦੇ ਨਾਲ ਆਮ ਮਸਾਲਾ ਅਦਰਕ ਅਤੇ ਲਸਣ , ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਹੋਰ ਵੀ discerningly ਅਤਰ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਦੇ ਸੁਮੇਲ ਨਾਲ ਧਨੀਆ , ਜੀਰੇ , ਹਲਦੀ , ਦਾਲਚੀਨੀ , cardamon ਅਤੇ ਹੋਰ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਰਸੋਈ ਸੰਮੇਲਨ ਦੇ ਕੇ ਸੂਚਿਤ ਕੀਤਾ. [8 448] ਅਸਲ ਭੋਜਨ ਵਿੱਚ, ਇਹ ਮਾਨਸਿਕ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਇੱਕ ਥਾਲੀ ਜਾਂ ਥਾਲੀ ਦਾ ਰੂਪ ਲੈਂਦੀ ਹੈ, ਪਕਾਏ ਗਏ ਸੀਰੀਅਲ, ਪੈਰੀਫਿਰਲ ਵਾਲੇ, ਅਕਸਰ ਛੋਟੇ ਕਟੋਰੇ ਵਿਚ, ਸੁਆਦਦਾਰ ਸਹਿਜ ਲਈ, ਅਤੇ ਇਕੋ ਸਮੇਂ, ਖਾਣੇ ਦੇ ਹਰ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦੋਵਾਂ ਦੀ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਨਾ, ਚਾਹੇ ਅਸਲ ਮਿਲਾ ਕੇ - ਚਾਵਲ ਦੀ ਉਦਾਹਰਣ ਲਈ. ਅਤੇ ਦਾਲ - ਜਾਂ ਦੂਜੇ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਇਕ ਰੋਟੀ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪਕਾਏ ਸਬਜ਼ੀਆਂ. [448]ਫਾਈਲ: ਤੁਰਕਮਨ ਗੇਟ ਪੁਰਾਣੀ ਦਿੱਲੀ.ਵੇਬੀਐਮ ਵਿਚ ਤੰਦੂਰ ਵਿਚ ਖਮੀਰ ਰੋਟੀ ਬਣਾਉਣਾਮੀਡੀਆ ਚਲਾਓਵਿੱਚ ਇੱਕ ਤੰਦੂਰ ਸ਼ੈੱਫ Turkman ਗੇਟ , ਪੁਰਾਣੀ ਦਿੱਲੀ , Khameeri ਕਰਦਾ ਹੈ ਰੋਟੀ (ਦੇ ਇੱਕ ਮੁਸਲਮਾਨ-ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਸ਼ੈਲੀ ਆਟੇ ਨੂੰ ਰੋਟੀ ). [449]ਭਾਰਤੀ ਖਾਣਿਆਂ ਦੀ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਕਈ ਵੱਖਰੇ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਹੈ, ਹਰ ਇੱਕ ਇਸਦੇ ਪਾਲਕਾਂ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਹੈ. [5050०] ਅਹਿੰਸਾ ਦੀ ਦਿੱਖ , ਜਾਂ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿੱਚ ਕਈ ਧਾਰਮਿਕ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਜੀਵਨ ਦੇ ਸਾਰੇ ਰੂਪਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਹਿੰਸਾ ਤੋਂ ਪਰਹੇਜ਼ ਕਰਨਾ , ਖ਼ਾਸਕਰ ਉਪਨਿਸ਼ਦਿਕ ਹਿੰਦੂ , ਬੋਧ ਅਤੇ ਜੈਨ ਧਰਮ ਨੂੰ , ਇੱਕ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਕਾਰਕ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਭਾਰਤ ਦੀ ਹਿੰਦੂ ਆਬਾਦੀ ਦਾ ਖੰਡ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ, ਗੁਜਰਾਤ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਮੱਧ ਭਾਰਤ ਦੀ ਹਿੰਦੀ- ਬੋਲਣ ਵਾਲੀ ਪੱਟੀ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਜੈਨਾਂ ਵਿਚ ਵੀ। [450]ਇਹਨਾਂ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ, ਮਾਸ ਖਾਣ ਦੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਤੇ ਭਾਰੀ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, [451] ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਮੁੱਚੇ ਖੁਰਾਕ ਲਈ ਮਾਸ ਦੀ ਘੱਟ ਅਨੁਪਾਤ ਸੇਵਨ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [1 451] ਚੀਨ ਦੇ ਉਲਟ, ਜਿਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵੱਧ ਰਹੇ ਆਰਥਿਕ ਵਾਧੇ ਦੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਮਾਸ ਦੀ ਖਪਤ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਖੁਰਾਕ ਪ੍ਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨੇ ਡੇਅਰੀ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਹੈ, ਮੀਟ ਦੀ ਬਜਾਏ, ਉੱਚ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਨਾਲ ਪਸ਼ੂ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੀ ਖਪਤ ਦਾ ਤਰਜੀਹ ਵਾਲਾ ਰੂਪ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ. . [452]ਪਿਛਲੇ ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਖਾਣਾ ਪਕਾਉਣ ਦੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਆਯਾਤ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੋਇਆ ਸੀ . ਚੌਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਮੱਧ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਪਹਿਲਾਂ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ ; ਪਰ, ਇਸ ਨੂੰ ਮੁਗਲ ਰਾਜ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਗਿਆ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਅਜਿਹੇ ਪਕਵਾਨ, pilaf , [447] ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਅੰਤਰਿਮ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਤ Abbasid ਸ਼ਾਸਨ , [453] ਅਤੇ ਰਸੋਈ ਅਜਿਹੇ ਖੇਤਰ ਤੱਕ ਦਹ ਵਿਚ ਮੀਟ, ਫੈਲਣ ਦੇ marinating ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਤਕਨੀਕ ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ ਪੱਛਮ. [4 454] ਪਰਸੀਆ ਦੇ ਸਾਧਾਰਣ ਦਹੀਂ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜ਼ਹਾਜ਼ ਲਈ, ਪਿਆਜ਼, ਲਸਣ, ਬਦਾਮ ਅਤੇ ਮਸਾਲੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਜਾਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਏ. [454]ਚੌਲ ਮੁਗ਼ਲ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਆਗਰਾ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਵਿਚ ਉਗਾਈ ਗਈ , ਜੋ ਇਸਲਾਮਿਕ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਇਸ ਦੇ ਵਧੀਆ ਅਨਾਜ ਲਈ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਨੂੰ ਅੰਸ਼ਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਪਕਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਬਾਰੀਕ ਤੌਰ' ਤੇ ਪਕਾਏ ਹੋਏ ਮੀਟ ਨਾਲ ਬਰਤਨ 'ਤੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੀਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਇਕ ਹੋਰ ਫਾਰਸੀ ਰਸੋਈ ਤਕਨੀਕ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੌਲੀ ਪਕਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ. , ਜੋ ਅੱਜ ਭਾਰਤੀ ਬਿਰਿਆਨੀ ਬਣ ਗਈ ਹੈ, ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ , [4 454] ਭਾਰਤ ਦੇ ਕਈ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਦੀ ਖਾਣਾ ਖਾਣ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਹੈ. [5 455] ਸ਼ਹਿਰੀ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਰੈਸਟੋਰੈਂਟਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰੋਸੇ ਜਾਂਦੇ ਖਾਣੇ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਉੱਤੇ, ਭਾਰਤੀ ਖਾਣਿਆਂ ਦੀ ਭਿੰਨਤਾ ਨੂੰ ਅੰਸ਼ਕ ਤੌਰ ਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੇ ਦਬਦਬੇ ਨੇ ਛੁਪਾਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਉੱਦਮੀ ਜਵਾਬ ਦੁਆਰਾ ਹੋਇਆਉਹ ਖੇਤਰ ਜੋ 1947 ਦੀ ਭਾਰਤ ਵੰਡ ਨਾਲ ਉਜਾੜੇ ਹੋਏ ਸਨ ਅਤੇ ਸ਼ਰਨਾਰਥੀ ਵਜੋਂ ਭਾਰਤ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ। [450] ਦੇ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਪਕਵਾਨ ਦੀ ਪਛਾਣ ਤੰਦੂਰੀ ਚਿਕਨ ਵਿਚ -cooked ਤੰਦੂਰ ਓਵਨ, ਰਵਾਇਤੀ ਦਿਹਾਤੀ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਦਿੱਲੀ ਖੇਤਰ ਦੇ, ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਰੋਟੀ ਬੇਕਿੰਗ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਹੈ, ਪਰ ਹੈ ਜੋ ਮੂਲ ਹੈ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਲਈ -dates ਇਸ ਮਿਆਦ. [450]ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਮਨੋਰੰਜਨਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਖੇਡਭਾਰਤੀ ਕ੍ਰਿਕਟਰ ਸਚਿਨ ਤੇਂਦੁਲਕਰ , ਬੰਗਲੌਰ , 2010 ਵਿੱਚ ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਖਿਲਾਫ ਖੇਡਦਿਆਂ ਟੈਸਟ ਕ੍ਰਿਕਟ ਵਿੱਚ ਰਿਕਾਰਡ 14,000 ਦੌੜਾਂ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲਾ ਸੀ।ਕ੍ਰਿਕਟ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਮਸ਼ਹੂਰ ਖੇਡ ਹੈ. [6 456] ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਰੇਲੂ ਪ੍ਰਤੀਯੋਗਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਪ੍ਰੀਮੀਅਰ ਲੀਗ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ , ਜੋ ਕਿ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਵੇਖੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਕ੍ਰਿਕਟ ਲੀਗ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰੀਆਂ ਖੇਡ ਲੀਗਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਛੇਵੇਂ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਹੈ। [457]ਕਈ ਰਵਾਇਤੀ ਦੇਸੀ ਖੇਡ ਕਾਫ਼ੀ ਮਸ਼ਹੂਰ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਬੱਡੀ , ਖੋ ਖੋ , ਪਹਿਲਵਾਨੀ ਅਤੇ ਗਿੱਲੀ-ਡਾਂਡਾ . ਏਸ਼ੀਆਈ ਦੇ ਜਲਦੀ ਫਾਰਮ ਦੇ ਕੁਝ ਮਾਰਸ਼ਲ ਆਰਟਸ , ਿਜਵ, Kalarippayattu , musti ਯੁੱਧਾ , ਸਿਲਮਬੈਮ , ਅਤੇ marma ਆਦਿ , ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਏ ਸਨ. ਸ਼ਤਰੰਜ , ਆਮ ਹੈ, ਨੂੰ ਆਯੋਜਿਤ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਉਪਜੀ ਹੈ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ chaturaṅga ਭਾਰਤੀ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਦੇ ਨਾਲ ਫੈਲੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਹਾਸਲ ਹੈ, grandmasters . [458] [459] ਪਚੀਸੀ , ਜਿੱਥੋਂ ਪਰਚੀਸੀਡਰੀਵਜ਼, ਅਕਬਰ ਦੁਆਰਾ ਇਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸੰਗਮਰਮਰ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚ ਖੇਡੀ ਗਈ ਸੀ . [460]ਸਾਲ 2010 ਦੇ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਇੰਡੀਅਨ ਡੇਵਿਸ ਕੱਪ ਟੀਮ ਅਤੇ ਹੋਰ ਭਾਰਤੀ ਟੈਨਿਸ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਟੈਨਿਸ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ. [1 461] ਸ਼ੂਟਿੰਗ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ ਤੇ ਹਾਜ਼ਰੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਨੇ ਓਲੰਪਿਕ , ਵਿਸ਼ਵ ਨਿਸ਼ਾਨੇਬਾਜ਼ੀ ਚੈਂਪੀਅਨਸ਼ਿਪ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰਮੰਡਲ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਕਈ ਤਗਮੇ ਜਿੱਤੇ ਹਨ । [2 462] [3 463] ਹੋਰ ਖੇਡਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਸਫਲਤਾ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ ਹੈ ਵਿੱਚ ਬੈਡਮਿੰਟਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ [4 464] ( ਸਾਇਨਾ ਨੇਹਵਾਲ ਅਤੇ ਪੀਵੀ ਸਿੰਧੂ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਦੋ ਚੋਟੀ ਦੀਆਂ ਰੈਂਕਿੰਗ ਵਾਲੀਆਂ ਮਹਿਲਾ ਬੈਡਮਿੰਟਨ ਖਿਡਾਰੀ ਹਨ), ਬਾਕਸਿੰਗ, [5 465]ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਤੀ. [6 466] ਫੁੱਟਬਾਲ ਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲ , ਗੋਆ , ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ , ਕੇਰਲ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬੀ ਰਾਜਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ . [467]ਗਰਲਜ਼ ਖੇਡਣ ਹੋਪਸਕੌਚ ਵਿਚ Jaora , ਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼. ਹੌਪਸਕੌਚ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪੇਂਡੂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਕੁੜੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਖੇਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [468]ਭਾਰਤ ਨੇ ਕਈ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਦੀ ਮੇਜ਼ਬਾਨੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂ ਸਹਿ-ਮੇਜ਼ਬਾਨੀ ਕੀਤੀ: 1951 ਅਤੇ 1982 ਏਸ਼ੀਅਨ ਖੇਡਾਂ ; 1987 , 1996 , ਅਤੇ 2011 ਕ੍ਰਿਕਟ ਵਿਸ਼ਵ ਕੱਪ ਕੱਪ; 2003 ਐਫ਼ਰੋ-ਏਸ਼ੀਆਈ ਖੇਡ ; 2006 ਆਈਸੀਸੀ ਟਰਾਫੀ ; 2010 ਹਾਕੀ ਵਿਸ਼ਵ ਕੱਪ ; 2010 ਰਾਸ਼ਟਰਮੰਡਲ ਖੇਡ ; ਅਤੇ 2017 ਫੀਫਾ ਅੰਡਰ 17 ਵਿਸ਼ਵ ਕੱਪ . ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਾਲਾਨਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਵੱਡੇ ਅੰਤਰ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਵਿਚ ਚੇਨਈ ਓਪਨ , ਮੁੰਬਈ ਮੈਰਾਥਨ , ਦਿੱਲੀ ਹਾਫ ਮੈਰਾਥਨ ਅਤੇ ਇੰਡੀਅਨ ਮਾਸਟਰ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . ਪਹਿਲਾਫਾਰਮੂਲਾ 1 ਭਾਰਤੀ ਪ੍ਰੀ ਦੇਰ 2011 ਵਿੱਚ ਗੁਣ ਹੈ, ਪਰ ਬਾਅਦ 2014 F1 ਸੀਜ਼ਨ ਦੇ ਕੈਲੰਡਰ ਤੱਕ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ [469] ਤੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਰਵਾਇਤੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਦੇਸ਼ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ਿਆਈ ਖੇਡ . ਇਸ ਦਬਦਬੇ ਦੀ ਇਕ ਉਦਾਹਰਣ ਬਾਸਕਟਬਾਲ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੈ ਜਿਥੇ ਭਾਰਤੀ ਟੀਮ ਨੇ ਹੁਣ ਤਕ ਚਾਰ ਵਿਚੋਂ ਤਿੰਨ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ ਜਿੱਤੇ ਹਨ। [470]ਇਹ ਵੀ ਵੇਖੋਭਾਰਤ ਦੀ ਰੂਪਰੇਖਾਨੋਟ^ "[...] ਜਨ ਗਣ ਮਨ ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਹੈ, ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੀਆਂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਮੌਕਾ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਪ੍ਰਵਾਨਗੀ ਦੇ ਸਕਦੀ ਹੈ; ਅਤੇ ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ਗੀਤ, ਜਿਸਨੇ ਭਾਰਤੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਤਿਹਾਸਕ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ਹੈ। ਆਜ਼ਾਦੀ ਨੂੰ ਜਨ ਗਣ ਮਨ ਨਾਲ ਬਰਾਬਰ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕੀਤਾਜਾਵੇਗਾ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਬਰਾਬਰ ਦਾ ਦਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤਹੋਏਗਾ। ”( ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਭਾਰਤ ) 1950 )^ ਅਨੁਸਾਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੇ ਭਾਗ XVII , ਹਿੰਦੀ ਵਿਚਦੇਵਨਾਗਰੀ ਲਿਪੀ ਹੈ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਯੂਨੀਅਨ ਦੇ, ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵਾਧੂ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ. []] [१] []]ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀ ਹਿੰਦੀ ਜਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਆਪਣੀ ਵੱਖਰੀ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ।^ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਸਰੋਤ ਵਿਆਪਕ ਤੌਰ ਤੇ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਅੰਕੜੇ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਮੁੱਖ ਤੌਰ ਤੇ ਇਸਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ ਕਿ "ਭਾਸ਼ਾ" ਅਤੇ "ਉਪਭਾਸ਼ਾ" ਸ਼ਬਦ ਕਿਵੇਂ ਪਰਿਭਾਸ਼ਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ ਅਤੇ ਸਮੂਹ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ. ਈਥਨੋਲਗ, ਈਸਾਈ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿਸਟ ਸੰਗਠਨ ਐਸਆਈਐਲ ਇੰਟਰਨੈਸ਼ਨਲ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਲਈ 461 ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ (ਵਿਸ਼ਵ ਭਰ ਵਿਚ 6,912 ਵਿਚੋਂ) 447 ਜੀਵਿਤ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ 14 ਅਲੋਪ ਹਨ. [12] [13]^ "ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸਹੀ ਅਕਾਰ ਬਹਿਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਕੁਝ ਸਰਹੱਦਾਂ ਵਿਵਾਦਪੂਰਨ ਹਨ। ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕੁਲ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 3,287,260 ਕਿਮੀ 2 (1,269,220 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਅਤੇ ਕੁੱਲ ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 3,060,500 ਕਿਮੀ 2 (1,181,700 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਦੇਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸੂਚੀਬੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ; ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਕੁੱਲ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 3,287,263 ਕਿਮੀ 2 (1,269,219 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਅਤੇ ਕੁੱਲ ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 2,973,190 ਕਿਲੋਮੀਟਰ 2 (1,147,960 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਦੇਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ। ”( ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ ਆਫ ਕਾਂਗਰਸ 2004 )।In ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਤਾਰੀਖ ਅਤੇ ਸਮਾਂ ਸੰਕੇਤ ਵੇਖੋ.^ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਹ ਵੀ ਸੰਬੰਧ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਰਹੱਦ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ, ਇਸ ਨੂੰ ਸਮਝਦਾ ਹੈ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕਸ਼ਮੀਰਭਾਰਤ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਹੈ. ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਵਿਵਾਦਪੂਰਨ ਹੈ , ਅਤੇ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦੀ ਸਰਹੱਦ ਨਾਲ ਲੱਗਦੇ ਖੇਤਰ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਸਰੋਤ: "ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰਾਲੇ (ਸਰਹੱਦੀ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਵਿਭਾਗ)" (ਪੀਡੀਐਫ) . 17 ਮਾਰਚ 2015 ਨੂੰ ਅਸਲ (ਪੀਡੀਐਫ) ਤੋਂ ਪੁਰਾਲੇਖ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 1 ਸਤੰਬਰ2008 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ . ^ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵੇਖ ਸਕਦਾ ਹੈ, "ਇੱਕ ਚੀਨੀ ਨੂੰ ਵੀ ਜਾਤ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਸਬੂਤ ਦਰਜ ਪਿਲਗ੍ਰਿਮ. ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਸਬੂਤ ਇਲਾਜ ਅਛੂਤ ਅਜਿਹੇ ਸਲੂਕ ਤੌਰ Chandalas ਬਹੁਤ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਉਹ ਦੌਰ ਵਿੱਚ ਅਨੁਭਵ ਦੇ ਸਮਾਨ ਸੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ. ਇਹ ਇਸ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਦਾਅਵੇ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦਾ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਸਖ਼ਤ ਰੂਪ ਇਸਲਾਮੀ ਜਿੱਤ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕ੍ਰਿਆ ਵਜੋਂ ਹੀ ਸਾਹਮਣੇ ਆਇਆ। ” [] 35]^ "(ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ ਕਬਰ") ਸ਼ਾਹ ਜਹਾਨ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਉਸ ਦੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ 800 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (500 ਮੀਲ) ਆਗਰਾ ਤੱਕ ਰੋਜ਼ਾ-ਏ Munauwara ਵਿਚ ਦਫ਼ਨਾਉਣ ਲਈ ਭੇਜਿਆ. "- ਇੱਕ ਨਿੱਜੀ ਮਸੂਲ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਇੱਕ ਪੱਥਰ ਪ੍ਰਗਟ ਇਸ ਕਬਰ ਦੇ ਤੌਰ 'ਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਪੱਧਰ ਤੇ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਤਾਜ ਮਹਿਲ. " [] 43]Control ਭਾਰਤੀ ਨਿਯੰਤਰਣ ਅਧੀਨ ਉੱਤਰੀ ਬਿੰਦੂ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰਵਿੱਚਵਿਵਾਦਿਤ ਸਿਆਚਿਨ ਗਲੇਸ਼ੀਅਰ ਹੈ; ਹਾਲਾਂਕਿ, ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੀ ਸਾਬਕਾ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਪੂਰੇ ਖੇਤਰ ਨੂੰ, ਜਿਸ ਵਿੱਚਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧਤ ਗਿਲਗਿਤ-ਬਾਲਟਿਸਤਾਨਵੀ ਸ਼ਾਮਲਹੈ, ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਖੇਤਰਮੰਨਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਪੁਆਇੰਟ ਨੂੰ ਵਿਥਕਾਰ ਨੂੰ 37 ° 6 s ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦਾ ਹੈ.^ ਇਕ ਜੀਵ-ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦਾ ਹਾਟਸਪੌਟ ਇਕ ਜੀਵ-ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੇਤਰ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 1,500 ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਾੜੀ ਵਾਲੀਆਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਹਨ, ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਮੁ primaryਲੇ ਨਿਵਾਸ ਦੇ 30% ਤੋਂ ਵੀ ਘੱਟ ਹਨ. [187]^ ਜੰਗਲ ਦਾ cover ੱਕਣ ਥੋੜਾ ਸੰਘਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੇ ਇਸਦੇ ਖੇਤਰ ਦੇ 40% ਅਤੇ 70% ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਸ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਦੀ ਗੱਡਣੀ ਨਾਲ coveredੱਕਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ.^ 2015 ਵਿੱਚ, ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਕ ਪ੍ਰਤੀ ਦਿਨ $ 1.90 ਤੱਕ ਇਸ ਦੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗਰੀਬੀ ਰੇਖਾ ਉਠਾਇਆ. [325]Specific ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਰਮਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ ਆਖਰੀ ਦੋ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ "ਦੂਜੇ ਧਰਮ ਅਤੇ ਰਾਜ਼ੀਨਾਮੇ" (0.65%) ਅਤੇ "ਧਰਮ ਬਿਆਨ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ" (0.23%) ਸਨ.ਹਵਾਲੇ^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਡੀ ਨੈਸ਼ਨਲ ਇਨਫਰਮੇਟਿਕਸ ਸੈਂਟਰ 2005 .^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਡੀ "ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪ੍ਰਤੀਕ | ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੋਰਟਲ". ਇੰਡੀਆ.gov.in. 4 ਫਰਵਰੀ 2017 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 1 ਮਾਰਚ 2017 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ . ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਜਨ ਗਣਾ ਮਨ, ਜਿਸਦਾ ਮੂਲ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬੰਗਾਲੀ ਵਿੱਚ ਰਬਿੰਦਰਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਨੂੰ ਇਸਦਾ ਹਿੰਦੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਨੇ 24 ਜਨਵਰੀ 1950 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਮੰਨਿਆ ਸੀ।^ "ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ: 'ਜਨ ਗਣਾ ਮਨ ' ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ" . ਨਿ18ਜ਼ 18 . 17 ਅਪ੍ਰੈਲ 2019 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 7 ਜੂਨ 2019 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .Ol ਵੋਲਪਰਟ 2003 , ਪੀ. 1.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ ਗ੍ਰਹਿ 1960 ਦੇ ਮੰਤਰਾਲੇ .^ "ਪ੍ਰੋਫਾਈਲ | ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੋਰਟਲ" . ਇੰਡੀਆ.gov.in. 30 ਅਗਸਤ 2013 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 23 ਅਗਸਤ 2013 ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ .^ "ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਵਿਵਸਥਾਵਾਂ - ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦਾ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਭਾਗ -17" . ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ (ਹਿੰਦੀ ਵਿਚ) 18 ਅਪ੍ਰੈਲ 2021 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾਗਿਆ . 18 ਅਪ੍ਰੈਲ 2021 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ ਏ ਬੀ ਖਾਨ, ਸਈਦ (25 ਜਨਵਰੀ 2010) "ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਕੋਈ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੈ: ਗੁਜਰਾਤ ਹਾਈ ਕੋਰਟ" । ਟਾਈਮਜ਼ ਆਫ ਇੰਡੀਆ ਦੀ . 18 ਮਾਰਚ 2014 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 5 ਮਈ 2014 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ ਏ ਬੀ "ਟਾਈਮਜ਼ ਨਾਲ ਸਿੱਖਣਾ: ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਕੋਈ 'ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ' ਨਹੀਂ ਹੈ " । 10 ਅਕਤੂਬਰ 2017 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ .^ ਏ ਬੀ ਪ੍ਰੈਸ ਟਰੱਸਟ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ (25 ਜਨਵਰੀ 2010) "ਹਿੰਦੀ, ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ: ਕੋਰਟ" । ਹਿੰਦੂ . ਅਹਿਮਦਾਬਾਦ. 4 ਜੁਲਾਈ 2014 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 23 ਦਸੰਬਰ 2014 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ "ਭਾਸ਼ਾਈ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀਆਂ ਲਈ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ: 50 ਵੀਂ ਰਿਪੋਰਟ (ਜੁਲਾਈ 2012 ਤੋਂ ਜੂਨ 2013)" (ਪੀਡੀਐਫ) . ਭਾਸ਼ਾਈ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀਆਂ ਲਈ ਕਮਿਸ਼ਨਰ, ਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਮਾਮਲਿਆਂ ਦੇ ਮੰਤਰਾਲੇ, ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ। 8 ਜੁਲਾਈ 2016 ਨੂੰ ਅਸਲ (ਪੀਡੀਐਫ) ਤੋਂ ਪੁਰਾਲੇਖ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 26 ਦਸੰਬਰ2014 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ ਲੇਵਿਸ, ਐਮ. ਪਾਲ; ਸਿਮੰਸ, ਗੈਰੀ ਐਫ.; ਫੇਨੇਗ, ਚਾਰਲਸ ਡੀ., ਐਡੀ. 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(ਪੰਨਾ 1)(ਅ) ਮਾਈਕਲ ਡੀ ਪੈਟ੍ਰਗਲੀਆ; ਬ੍ਰਿਜਟ ਆਲਚਿਨ (22 ਮਈ 2007). ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸ: ਪੁਰਾਤੱਤਵ, ਜੀਵ-ਵਿਗਿਆਨ ਮਾਨਵ-ਵਿਗਿਆਨ, ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਜੈਨੇਟਿਕਸ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਨੀ ਅਧਿਐਨ । ਸਪ੍ਰਿੰਜਰ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਵਪਾਰ ਮੀਡੀਆ. ਪੀ. 6. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-4020-5562-1. ਵਾਈ-ਕ੍ਰੋਮੋਸੋਮ ਅਤੇ ਐਮਟੀ-ਡੀਐਨਏ ਡੇਟਾ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਬਸਤੀਵਾਦ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕਰਦੇ ਹਨ. ... ਬਹੁਤੇ ਗੈਰ-ਯੂਰਪੀਅਨ ਆਬਾਦੀਆਂ ਦੀ aਸਤਨ –ਸਤਨ ––-– ka ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਕੋਲੇਸੈਂਸ ਤਾਰੀਖਾਂ ਹਨ. (ਸੀ)ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਪੀ. 23, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2, ਵਿਦਵਾਨ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨਜ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਸਫਲ ਵਿਸਥਾਰ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਪਰੇ ਅਤੇ ਅਰਬ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦੇ ਪਾਰ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ 80,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 40,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇਰ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਸ਼ਾਇਦ ਪਹਿਲਾਂ ਅਸਫਲ ਹੋਏ ਪਰਵਾਸ ਹੋਏ ਸਨ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੁਝ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੇ ਹਰ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਅੱਗੇ ਵਧਾ ਦਿੱਤਾ, ਹਰ ਉਸ ਰਿਹਾਇਸ਼ੀ ਧਰਤੀ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਏ ਜਿਸਦਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਹਮਣਾ ਕੀਤਾ ਸੀ. ਇੱਕ ਮਨੁੱਖੀ ਚੈਨਲ ਫ਼ਾਰਸ ਦੀ ਖਾੜੀ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੀਆਂ ਨਿੱਘੀਆਂ ਅਤੇ ਉਤਪਾਦਕ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ landsੇ ਦੇ ਕੰ alongੇ ਸੀ. ਆਖਰਕਾਰ, ਵੱਖ-ਵੱਖ ਬੈਂਡ 75,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ 35,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚਕਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ ਸਨ. (ਪੰਨਾ 23)^ ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 28, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8^ (ਏ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀਪੀ 4-5, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8; (ਅ)ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 33, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2^ (ਏ)ਲੋਵ, ਜੌਨ ਜੇ. (2015). ਰਿਗਵੇਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਭਾਗੀਦਾਰੀ: ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪਾਂਕ ਅਤੇ ਅਰਥ ਸ਼ਾਸਤਰ . ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੰਨਾ 1-2. ISBN 978-0-19-100505-3. (ਰਿਗਵੇਦ) ਵਿਚ 1,028 ਭਜਨ (ਸੁੱਕਤ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ, ਬਹੁਤ ਹੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਕਾਵਿ-ਰਚਨਾਵਾਂ ਜੋ ਅਸਲ ਵਿਚ ਰਸਮਾਂ ਦੌਰਾਨ ਪਾਠ ਕਰਨ ਅਤੇ ਹਿੰਦ-ਆਰੀਅਨ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰ ਲਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਦਵਤਾਪੂਰਵਕ ਰਾਏ ਇਸ ਗੱਲ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਭਜਨ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਰਚਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਪਹਾੜਾਂ ਤੋਂ ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ ਕਬੀਲਿਆਂ ਦੇ ਪੂਰਬੀ ਵੱਲ ਪਰਵਾਸ ਦੌਰਾਨ ਸੀ।, ਵਿਟਜ਼ਲ, ਮਾਈਕਲ (2008) "ਵੇਦ ਅਤੇ ਉਪਨਿਸ਼ਦ" . ਗਾਵਿਨ ਫਲੱਡ ਵਿਚ (ਐਡ.) ਬਲੈਕਵੇਲ ਕੰਪੇਨਅਨ ਟੂ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ. ਜੌਨ ਵਿਲੀ ਐਂਡ ਸੰਨਜ਼. ਪੰਨਾ 68-70. ISBN 978-0-470-99868-7. ਇਹ ਅੰਦਰੂਨੀ ਪ੍ਰਮਾਣਾਂ ਤੋਂ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਵੈਦਿਕ ਹਵਾਲੇ ਮੌਖਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪਹਿਲਾਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਪਹਿਲਾਂ ਗ੍ਰੇਟਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਉੱਤਰ ਬਿਹਾਰ ਸਮੇਤ ਹੋਰ ਪੂਰਬੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਵੀ ਸੀ.ਏ. 1500 ਬੀਸੀਈ ਅਤੇ ਸੀ.ਏ. 500–400 ਬੀਸੀਈ. ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣਾ ਟੈਕਸਟ, ਰਗਵੇਦ, ਉੱਤਰੀ ਸੀਰੀਆ / ਇਰਾਕ (1450–1350 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ.) ਦੇ ਮਿਤਨਨੀ ਪਾਠਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਘੱਟ ਜਾਂ ਘੱਟ ਸਮਕਾਲੀ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ; ... ਵੈਦਿਕ ਹਵਾਲੇ ਜ਼ੁਬਾਨੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਸਕ੍ਰਿਪਟ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੇ ਬਿਨਾਂ, ਅਧਿਆਪਕ ਤੋਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਤਕ ਸੰਚਾਰ ਦੀ ਇਕ ਅਟੁੱਟ ਲਾਈਨ ਵਿਚ, ਜਿਸਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਅਰੰਭ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ. ਇਸ ਨੇ ਦੂਜੀਆਂ ਸਭਿਆਚਾਰਾਂ ਦੇ ਕਲਾਸੀਕਲ ਟੈਕਸਟ ਨਾਲੋਂ ਉੱਤਮ ਪਾਠ ਟੈਕਸਟ ਸੰਚਾਰ ਨੂੰ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਇਆ; ਇਹ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਟੇਪ-ਰਿਕਾਰਡਿੰਗ ਦੀ ਚੀਜ਼ ਹੈCA ਦਾ 1500–500 ਬੀਸੀਈ. ਕੇਵਲ ਅਸਲ ਸ਼ਬਦ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਬਲਕਿ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਗੁੰਮ ਚੁੱਕੇ ਸੰਗੀਤਕ (ਟੋਨਲ) ਲਹਿਜ਼ੇ (ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪੁਰਾਣੇ ਯੂਨਾਨ ਵਿੱਚ ਜਾਂ ਜਪਾਨੀ ਵਿੱਚ) ਮੌਜੂਦਾ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ. (ਪੰਨਾ 68-69) ... ਆਰਵੀ ਟੈਕਸਟ ਦੀ ਪਛਾਣ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਵਰਤੋਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੀ, ਜੋ ਸੀਏ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੈ. 1200-1000 ਬੀਸੀਈ. (ਪੰਨਾ 70) (ਸੀ) ਡੋਨੀਗਰ, ਵੈਂਡੀ (3 ਫਰਵਰੀ 2014), ਓਨ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਪੀਪੀ. Xviii, 10, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-936009-3, ਏ ਕ੍ਰੋਨੋਲੋਜੀ ਆਫ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ: ਸੀ.ਏ. 1500-1000 ਬੀਸੀਈ ਰਿਗ ਵੇਦ; ਸੀ.ਏ. 1200-900 ਬੀਸੀਈ ਯਜੁਰ ਵੇਦ, ਸਮਾ ਵੇਦ ਅਤੇ ਅਥਰਵ ਵੇਦ (ਪੀ. Xviii); ਹਿੰਦੂ ਲਿਖਤਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ 00ਗਵੇਦ ('ਸੰਸਕਾਰਾਂ ਦਾ ਗਿਆਨ') ਨਾਲ ਹੋਈ, ਜੋ ਉੱਤਰ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. (ਡੀ) ਲੂਡਨ, ਡੇਵਿਡ (2013), ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ: ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਇਤਿਹਾਸ , ਵਨਵਰਲਡ ਪਬਲੀਕੇਸ਼ਨਜ਼, ਪੀ. 19, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-78074-108-6, ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ, ਪੱਛਮੀ ਹਿਮਾਲਿਆ ਵਿਚ ਪੰਜ ਦਰਿਆ (ਇਸ ਲਈ 'ਪੰਚ' ਅਤੇ 'ਅਬ') ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰੇ ਹੋਏ ਸੁੱਕੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ, ਇਕ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਵਿਚ ਕੋਈ ਪੂੰਜੀ ਨਹੀਂ ਬਚੀ, ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਕੁਝ ਰੀਤੀ ਰਿਵਾਜ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਸਾਲਾਂ ਦੌਰਾਨ ਮੌਖਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ. ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਆਰੀਅਨ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਹਵਾਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮਾਣ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਯਮੁਨਾ ਅਤੇ ਗੰਗਾ ਨਦੀਆਂ ਦੇ ਰਸਤੇ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲਿਆ. ਇਸ ਦੇ ਕੁਲੀਨ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਆਰੀਆ (ਸ਼ੁੱਧ) ਕਿਹਾ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਦੂਜਿਆਂ ਨਾਲੋਂ ਤਿੱਖੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵੱਖਰਾ ਕੀਤਾ. ਆਰੀਅਨ ਘੋੜੇ-ਪਾਲਣ ਵਾਲੇ ਘੁੰਮਣ-ਫਿਰਨ ਵਾਲੇ ਕਬੀਲੇ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸੰਗਠਿਤ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦੇ ਸਨ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਸਮ ਪਾਠ ਨੂੰ ਵੇਦ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਰਚਿਆ ਗਿਆ. ਵੈਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਸਿਰਫ ਬਾਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਦਰਜ ਹੈ ਜੋ ਆਰੀਅਨ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਵੈਦਿਕ ਰਸਮਾਂ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਸਨ। ਸਪੱਸ਼ਟ ਤੌਰ ਤੇ ਆਰੀਅਨ ਬਣਨ ਦਾ ਮਤਲਬ ਪੇਸਟੋਰਲ ਕਬੀਲਿਆਂ ਵਿਚਲੇ ਕੁਲੀਨ ਵਰਗ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਸੀ. ਟੈਕਸਟ ਜੋ ਆਰੀਅਨ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਰਿਕਾਰਡ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਹ ਬਿਲਕੁਲ ਅੰਕੜੇ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਪਰ ਇਹ ਲਗਭਗ 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿੱਚ ਵੈਦਿਕ ਭਜਨ ਦੇ ਚਾਰ ਸੰਗ੍ਰਹਿ (ਆਰ.ਜੀ., ਸਮਾ, ਯਜੂਰ ਅਤੇ ਆਰਥਰਵ) ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। (ਈ) Dyson, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਬਾਦੀ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੀ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕ ਅੱਜ ਤੱਕ ., ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਸਫ਼ੇ 14-15, ISBN 978-0-19-882905-8ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਕ ਪਾਸੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਹਰਕਤਾਂ, ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਭਾਸ਼ਾ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਗੂੜ੍ਹਾ ਸਬੰਧ ਨਾ ਹੋਵੇ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਜਿਸਦੇ ਨਾਲ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਇੱਕ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਨਵੀਂ ਤਾਕਤ ਉੱਭਰੀ - ਇੱਕ ਵੱਖਰੀ ਵਿਚਾਰਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਲੋਕ ਜੋ ਆਖਰਕਾਰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ 'ਆਰੀਆ' ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ - ਇਹ ਯਕੀਨਨ ਦੋ-ਪੱਖੀ ਸੀ. ਯਾਨੀ ਇਸ ਵਿਚ ਨਵੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਸ਼ਾਮਲ ਸੀ ਜੋ ਬਾਹਰੋਂ ਹੋਰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਆਉਂਦੀ ਸੀ, ਸ਼ਾਇਦ ਕੁਝ ਹੜੱਪਨ ਦੇ ਬਚੇ ਪ੍ਰਭਾਵ - ਜੋ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਮੌਜੂਦ ਸਨ. ਵੈਸੇ ਵੀ, ਇਹ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਲਿਖਣ ਤੋਂ ਕੁਝ ਸਦੀਆਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੋਏਗਾ. ਅਤੇ ਆਰੀਆ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਅਤੇ ਕਥਾਵਾਂ - ਖ਼ਾਸਕਰ ਵੇਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ਮਹਾਂਕਾਵਿ - ਇਤਿਹਾਸਕ ਘਟਨਾਵਾਂ ਬਾਰੇ ਮਾੜੇ ਮਾਰਗ ਦਰਸ਼ਕ ਹਨ। ਬੇਸ਼ਕ, ਉਭਰ ਰਹੀ ਆਰੀਆ ਦਾ ਉਪਮਹਾਦੀਪ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹੋਣਾ ਸੀ. ਫਿਰ ਵੀ,(f) ਰੋਬ, ਪੀਟਰ (2011), ਏ ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ , ਮੈਕਮਿਲਨ, ਪੀਪੀ 46–, ਆਈ ਐਸ ਬੀ ਐਨ 978-0-230-34549-2, ਆਰੀਅਨ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਇਹ ਨਹੀਂ ਸੋਚਿਆ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿ ਇਹ ਆਰੀਅਨ ਉੱਭਰਨ (ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਹ ਕੁਝ ਪ੍ਰਵਾਸ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ) ਦਾ ਮਤਲਬ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਜਾਂ ਤਾਂ ਨਵੇਂ ਲੋਕਾਂ ਉੱਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਹੋਣਾ, ਜਾਂ ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨਾਲ ਸੰਪੂਰਨ ਤੋੜ. ਇਸ ਵਿੱਚ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਵਾਦੀ ਵਿਚਾਰਾਂ ਅਤੇ ਅਭਿਆਸਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਸਮੂਹ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਕੁਲੀਨ ਆਰੀਅਨ, ਜਾਂ ਆਰੀਅਨ ਲੋਕ ਮੰਨਦੇ ਹਨ. ਇਸ ਸਮਾਜ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਵੇਦਾਂ ਵਿਚ ਦਰਜ ਹਨ।^ (ਏ)ਜੈਮਿਸਨ, ਸਟੈਫਨੀ ; ਬਰੇਟਨ, ਜੋਅਲ (2020), ਦਿ ਰਿਗਵੇਦ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਪੀ. 2, 4, ਆਈ ਐਸ ਬੀ ਐਨ 978-0-19-063339-4, ਆਰਗਵੇਦ ਚਾਰ ਵੇਦਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਮਿਲ ਕੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਹਵਾਲਿਆਂ ਦਾ ਗਠਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਬਣਨ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਪ੍ਰਮਾਣ ਹਨ। (ਪੀ. 2) ਹਾਲਾਂਕਿ ਵੈਦਿਕ ਧਰਮ ਸ਼ਾਸਤਰੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਾਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਵੱਖਰਾ ਹੈ, ਬੀਜ ਉਥੇ ਹਨ. ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਅਤੇ ਸਿਵਾ ਵਰਗੇ ਰੱਬ (ਜੋ ਕਿ ਰੁਦਰ ਦੇ ਨਾਮ ਹੇਠ ਹਨ), ਜੋ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਬਣ ਜਾਣਗੇ, ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਰਾਗਵੇਦ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਭੂਮਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਉਹ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਨਿਭਾਉਣ ਵਾਲੇ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਅਤੇ ਵੱਖਰੇ ਹਨ, ਅਤੇ ਇੰਦਰ ਵਰਗੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਰਾਗਵੇਦਿਕ ਦੇਵਤੇ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ. ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਘਟਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵਿਚ (ਪੀ. 4). ; (ਅ)ਹੜ੍ਹ, ਗਾਵਿਨ (20 ਅਗਸਤ 2020), “ਜਾਣ-ਪਛਾਣ” , ਗੈਵਿਨ ਫਲੱਡ (ਐਡ.) ਵਿਚ, ਆਕਸਫੋਰਡ ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਹਿੰਦੂਇਜ਼ਮ: ਹਿੰਦੂ ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ: ਹਿੰਦੂ ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ , ਓਯੂਪੀ ਆਕਸਫੋਰਡ, ਪੀਪੀ 4–, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-105322-1, ਮੈਂ 'ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ' ਸ਼ਬਦ ਨੂੰ ਕਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਅਭਿਆਸ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਅਰਥ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਲੈਂਦਾ ਹਾਂ, ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਵੈਦਿਕ ਪਾਠ ਅਤੇ ਬਲੀਦਾਨ ਦੇ ਮੁੱins ਦਾ ਹਵਾਲਾ, ਸਮਾਜਿਕ ਇਕਾਈਆਂ (ਜਾਤੀ / ਵਰਣ) ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ, ਅਭਿਆਸਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ ਕਿਸੇ ਦੇਵਤੇ ਨੂੰ ਭੇਟ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਇੱਕ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ (ਪੂਜਾ) ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਪਹਿਲੇ ਪੱਧਰੀ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਬਹੁ-ਵਚਨ (ਹਾਲਾਂਕਿ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੂ ਦੂਸਰੇ-ਪੱਧਰ ਦੇ ਏਕਤਾਵਾਦ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਦੇਵਤੇ ਇੱਕ ਦੇ ਸਰੂਪ ਜਾਂ ਉਸ ਦੇ ਪ੍ਰਗਟਾਵੇ ਵਜੋਂ ਮੰਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ)।; (ਸੀ)ਮਾਈਕਲਜ਼, ਅਕਸਲ (2017). ਪੈਟਰਿਕ ਓਲੀਵੇਲ, ਡੋਨਾਲਡ ਆਰ. ਡੇਵਿਸ (ਐਡ.) ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦਾ ਆਕਸਫੋਰਡ ਇਤਿਹਾਸ: ਹਿੰਦੂ ਕਾਨੂੰਨ: ਧਰਮਸਤ੍ਰ ਦਾ ਨਵਾਂ ਇਤਿਹਾਸ । ਆਕਸਫੋਰਡ: ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੰਨਾ 86-97. ISBN 978-0-19-100709-5. ਤਕਰੀਬਨ ਸਾਰੇ ਰਵਾਇਤੀ ਹਿੰਦੂ ਪਰਿਵਾਰ ਅੱਜ ਤੱਕ ਘੱਟੋ ਘੱਟ ਤਿੰਨ ਸੰਸਕਾਰ (ਦੀਖਿਆ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦੀ ਰਸਮ) ਮੰਨਦੇ ਹਨ. ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਹੋਰ ਰੀਤੀ ਰਿਵਾਜਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਗੁਆ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਰਸਤੇ ਦੇ ਹੋਰ ਸੰਸਕਾਰਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਾਂ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ. ਹਾਲਾਂਕਿ ਸੰਸਕਾਰ ਖੇਤਰ ਤੋਂ ਵੱਖਰੇ ਵੱਖਰੇ, ਵਰਗ ( ਵਰਣ ) ਤੋਂ ਇਕ ਵਰਗ ਅਤੇ ਜਾਤੀ ਤੋਂ ਜਾਤੀ ਤੱਕ ਵੱਖਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਆਮ ਸਰੋਤ, ਵੇਦ ਅਤੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਪੁਜਾਰੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖੀ ਗਈ ਇਕ ਆਮ ਪੁਜਾਰੀ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂਲ ਤੱਤ ਇਕੋ ਜਿਹੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ . (ਪੰਨਾ) 86)(ਡੀ) ਫਲੱਡ, ਗੈਵਿਨ ਡੀ. (1996). ਹਿੰਦੂ ਨਾਲ ਜਾਣ-ਪਛਾਣ . ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੀ. 35. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-521-43878-0. ਇਹ ਸੰਸਾਰੀ, ਵੈਦਿਕ, ਪਰੰਪਰਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੇ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਨਿਰੰਤਰਤਾ ਬਣਾਈ ਰੱਖੀ ਹੈ ਅਤੇ ਜਿਸਨੇ ਹਿੰਦੂ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਰੋਤ ਅਤੇ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ਹੈ. ਵੇਦ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਬੁਨਿਆਦ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਜੋਂ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.^ (ਏ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 25, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8; (ਅ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 16, ਆਈ.ਐੱਸ.ਬੀ.ਐੱਨ 978-0-19-882905-8^ ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 16, ਆਈ.ਐੱਸ.ਬੀ.ਐੱਨ 978-0-19-882905-8^ ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 59, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2^ (ਏ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੰਨੇ 16–17, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8; (ਅ)ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. 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(2015). ਰਿਗਵੇਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਭਾਗੀਦਾਰੀ: ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪਾਂਕ ਅਤੇ ਅਰਥ ਸ਼ਾਸਤਰ . ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੰਨਾ 1-2. ISBN 978-0-19-100505-3. ਇਸ ਵਿਚ 1,028 ਭਜਨ (ਸੁੱਕਤ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ, ਬਹੁਤ ਹੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਕਾਵਿ-ਰਚਨਾਵਾਂ ਜੋ ਅਸਲ ਵਿਚ ਰਸਮਾਂ ਦੌਰਾਨ ਪਾਠ ਕਰਨ ਅਤੇ ਹਿੰਦ-ਆਰੀਅਨ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ। ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਦਵਤਾਪੂਰਵਕ ਰਾਏ ਇਸ ਗੱਲ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਭਜਨ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਰਚਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਪਹਾੜਾਂ ਤੋਂ ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ ਕਬੀਲਿਆਂ ਦੇ ਪੂਰਬੀ ਵੱਲ ਪਰਵਾਸ ਦੌਰਾਨ ਸੀ।^ ਲੋਵ, ਜੌਨ ਜੇ. (2017). Transitive nouns ਅਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਣ: ਛੇਤੀ ਭਾਰਤ-ਆਰੀਅਨ ਤੱਕ ਸਬੂਤ . ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੀ. 58. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-879357-1. ਸ਼ਬਦ 'ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ' ਦੋ ਮਹਾਨ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ. ... ਇਸ ਲਈ, ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ ਕਿ ਵੈਦਿਕ ਸਰੋਤਾਂ ਵਿਚ ਪਾਈ ਗਈ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਵਰਗੇ ਤੱਤ ਅਤੇ ਦੋ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਸਿੱਧਾ ਸਬੰਧ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਇਕੋ ਸਰੋਤ 'ਤੇ ਖਿੱਚੇ ਗਏ, ਕਹਾਣੀ-ਕਥਾ ਦੀ ਇਕ ਮੌਖਿਕ ਪਰੰਪਰਾ ਜੋ ਕਿ ਪਹਿਲਾਂ ਸੀ, , ਅਤੇ ਵੈਦਿਕ ਅਵਧੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ.^ ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 1, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8ਹਵਾਲਾ: "ਅਜੋਕੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ — ਹੋਮੋ ਸੈਪੀਅਨਜ਼ਅਫਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਹਨ। ਫਿਰ, ਰੁਕ ਕੇ, ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ, 60,000 ਅਤੇ 80,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ, ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਛੋਟੇ ਸਮੂਹਾਂ ਨੇ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ. ਅਜਿਹਾ ਜਾਪਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਉਹ ਆਏ ਸਨ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ ਦਾ ਰਸਤਾ. ... ਇਹ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਨਿਸ਼ਚਤ ਹੈ ਕਿ 55,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿੱਚ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨਸ ਸਨ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਜੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਫਾਸਿਲ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਉਹ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਸਿਰਫ 30,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੀ ਹੈ। (ਪੰਨਾ 1) "^ ਮਾਈਕਲ ਡੀ ਪੈਟ੍ਰਗਲੀਆ; ਬ੍ਰਿਜਟ ਆਲਚਿਨ (22 ਮਈ 2007). ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸ: ਪੁਰਾਤੱਤਵ, ਜੀਵ-ਵਿਗਿਆਨ ਮਾਨਵ-ਵਿਗਿਆਨ, ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਜੈਨੇਟਿਕਸ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਨੀ ਅਧਿਐਨ । ਸਪ੍ਰਿੰਜਰ ਵਿਗਿਆਨ + ਵਪਾਰ ਮੀਡੀਆ . ਪੀ. 6. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-4020-5562-1. ਹਵਾਲਾ: "ਵਾਈ-ਕ੍ਰੋਮੋਸੋਮ ਅਤੇ ਮੀਟ-ਡੀਐਨਏ ਡੇਟਾ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਬਸਤੀਵਾਦ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ.^ ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 23, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2ਹਵਾਲਾ: "ਵਿਦਵਾਨ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨਜ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਸਫਲ ਵਿਸਥਾਰ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਪਰੇ ਅਤੇ ਅਰਬ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦੇ ਪਾਰ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਲਗਭਗ 80,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 40,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇਰ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਸ਼ਾਇਦ ਪਹਿਲਾਂ ਅਸਫਲ ਹੋਏ ਪਰਵਾਸ ਹੋਏ ਸਨ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੁਝ. ਇੱਕ ਮਨੁੱਖੀ ਚੈਨਲ ਫ਼ਾਰਸ ਦੀ ਖਾੜੀ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੇ ਨਿੱਘੇ ਅਤੇ ਲਾਭਕਾਰੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ landsੇ ਦੇ ਨਾਲ ਸੀ.ਅਖੀਰ ਵਿੱਚ, ਵੱਖ-ਵੱਖ ਬੈਂਡ 75,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ ਸਨ. 35,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ (ਪੰਨਾ 23) "^ ਪੈਟਰਗਲੀਆ ਅਤੇ ਆਲਚਿਨ 2007 , ਪੀ. .Con ਏ ਬੀ ਕੋਨਿੰਘਮ ਐਂਡ ਯੰਗ 2015 , ਪੀਪੀ. 104–105.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 21-23.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ 2009 ਸਿੰਘ , ਪੀ. 181.^ ਪੋਸੈਲ 2003 , ਪੀ. 2.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 255.^ ਏ ਬੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 186–187.^ ਵਿਟਜ਼ਲ 2003 , ਪੀਪੀ 68-69.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੰਨਾ 41–43.^ ਏ ਬੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀਪੀ 250-2251.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 260–265.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 53-55.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 312–313.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 54-55.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 21.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 67-68.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 300^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ 2009 ਸਿੰਘ , ਪੀ. 319.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 78-79.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀ. 70^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 367.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀ. 63.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 89-90.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 408–415.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ- 92-95.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 89-91.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 545.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 98-99.^ ਏ ਬੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 132.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 119-120.^ ਏ ਬੀ ਸਟਿਨ 1998 , ਪੀਪੀ 121–122.^ ਏ ਬੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 123.^ ਏ ਬੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 124.^ ਏ ਬੀ ਸਟਿਨ 1998 , ਪੀਪੀ 127–128.^ ਲੂਡੇਨ 2002 , ਪੀ. 68.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 47.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. .^ ਲੂਡੇਨ 2002 , ਪੀ. 67.^ ਆਸ਼ੇਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀਪੀ 50-55.As ਏ ਬੀ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 53.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 12.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀ. 80.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 164.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 115..^ ਰੋਬ 2001 , ਪੰਨਾ 90-91.^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 17.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਆਸ਼ੇਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 152.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 158^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 169.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 186.^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 23-24.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 256.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਆਸ਼ੇਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 286^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 44-49.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀਪੀ 98-100.^ Ludden 2002 , ਸਫ਼ੇ. 128-132.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 51-55.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 68–71.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 289.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀਪੀ 151-1515.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ. 94-99.^ ਬ੍ਰਾ 199ਨ 1994 , ਪੀ. 83.^ ਪੀਅਰਜ਼ 2006 , ਪੀ. 50^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ. 100–103.^ ਭੂਰਾ 1994 , ਪੀਪੀ 85-86.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 239.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ. 103–108.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀ. 183.Arkar ਸਰਕਾਰ 1983 , ਪੰਨਾ 1–4.^ ਕੋਪਲੈਂਡ 2001 , pp. Ix – x.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 123.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 260.Ose ਬੋਸ ਐਂਡ ਜਲਾਲ 2011 , ਪੀ. 117.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 258^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 126.^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 97.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 163.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 167.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 195–197.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 203.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 231.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 265–266.^ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿਭਾਗ .^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 266–270.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 253.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 274^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 247–248.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 304.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ c d ਅਲੀ ਅਤੇ ਐਚੀਸਨ 2005 .Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 7.^ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਏਟ ਅਲ. 2000 .Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 11.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 8.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀਪੀ 9-10.^ ਸੂਚਨਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸਾਰਣ 2007 ਦੇ ਮੰਤਰਾਲੇ , ਪੀ. 1.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ ਕੁਮਾਰ et al. 2006 .^ ਮੈਕਗਰੇਲ, ਸੀਨ; ਨੀਲਾ, ਲੂਸੀ; Kentley, ਐਰਿਕ (2003), ਸਾਊਥ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਬੋਟਸ , Routledge , ਪੀ. 257, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-134-43130-4Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 15.^ ਡੱਫ 1993 , ਪੀ. 353.^ ਬਾਸੂ, ਮਹੂਆ; ਐਸ ਜੇ, ਜ਼ੇਵੀਅਰ ਸਾਵਰਿਮੁਥੁ (2017), ਵਾਤਾਵਰਣ ਅਧਿਐਨ ਦੇ ਬੁਨਿਆਦ , ਕੈਮਬ੍ਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 78, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-316-87051-8Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 16.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 17.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 12.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 13.^ ਏ ਬੀ ਚਾਂਗ 1967 , ਪੀਪੀ 391–394.Ose ਪੋਸੀ 1994 , ਪੀ. 118.Ol ਵੋਲਪਰਟ 2003 , ਪੀ. .^ ਹਿਜ਼ਟਮੈਨ ਐਂਡ ਵਰਡੇਨ 1996 , ਪੀ. 97.^ ਮੈਗਾਡੀਵਰਸੀ ਦੇਸ਼ , ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਏ – ਜ਼ੈਡ ਅਤੇ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਵਾਤਾਵਰਣ ਵਰਲਡ ਕੰਜ਼ਰਵੇਸ਼ਨ ਨਿਗਰਾਨੀ ਕੇਂਦਰOol ਜੂਲੋਜਿਕਲ ਸਰਵੇ ਆਫ ਇੰਡੀਆ 2012 , ਪੀ. 1.^ ਏ ਬੀ ਪੁਰੀ .^ ਬਾਸਕ 1983 , ਪੀ. 24^ ਏ ਬੀ ਵੈਂਕਟਰਮਨ, ਕੇ.; ਸਿਵਪੇਰਮੁਮਨ, ਸੀ. 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(2013), ਐਨੀਮਲ ਕਿੰਗਡਮ , ਹਾਰਵਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 106, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-674-07480-4, ਉਸੇ ਸਮੇਂ, ਪੱਤੇਦਾਰ ਪਿੱਪਲ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਅਤੇ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਭਰਪੂਰਤਾ ਜਿਸਨੇ ਮੇਵਾੜੀ ਲੈਂਡਸਕੇਪ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਤ ਕੀਤਾ ਹੋਰਨਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰੀਕਰਨ ਨੂੰ ਸੁਧਾਰਨਯੋਗ ਨਹੀਂ ਬਣਾਇਆ.^ ਅਮੈਰੀ, ਮਾਰਟਾ; ਕੋਸਟੇਲੋ, ਸਾਰਾ ਕਿੱਲਟ; ਜੈਮਿਸਨ, ਗਰੇਗ; ਸਕਾਟ, ਸਾਰਾਹ ਜੈਰਮਰ (2018), ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਸੀਲਜ਼ ਅਤੇ ਸੀਲਿੰਗ: ਨੇੜੇ ਈਸਟ, ਮਿਸਰ, ਈਜੀਅਨ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਕੇਸ ਸਟੱਡੀਜ਼ , ਕੈਮਬ੍ਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੰਨੇ 156–157, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-108-17351-3 ਹਵਾਲਾ: "ਸੈਂਟੀਅਰਾਂ ਦੇ ਆਖਰੀ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਮਾਰਖੋਰ ਦੇ ਲੰਬੇ, ਲਹਿਰੇ, ਖਿਤਿਜੀ ਸਿੰਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇੱਕ ਮਨੁੱਖੀ ਚਿਹਰਾ, ਇੱਕ ਭਾਰੀ ਸੈੱਟ ਵਾਲਾ ਸਰੀਰ ਜੋ ਗੋਟਾ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਬੱਕਰੀ ਦੀ ਪੂਛ ... ਇਹ ਅੰਕੜਾ ਅਕਸਰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦ੍ਰਿਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਨਿਰੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਪਿੱਪਲ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਜਾਂ ਬਕਸੇ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਪੂਜਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਿਸ ਨੂੰ ਰਸਮ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਮੋਹੈਂਜੋ-ਡਾਰੋ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ 'ਬ੍ਰਹਮ ਪੂਜਾ' ਮੋਹਰ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਵਰਗੇ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਣ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. 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ਭਾਰਤ By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ਭਾਸ਼ਾ PDF ਡਾ Downloadਨਲੋਡ ਕਰੋ ਦੇਖੋ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ ਇਹ ਲੇਖ ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰ ਬਾਰੇ ਹੈ। ਹੋਰ ਉਪਯੋਗਾਂ ਲਈ,  ਭਾਰਤ  ਵੇਖੋ  (ਅਪਮਾਨ)  . "ਭਾਰਤ" ਇੱਥੇ ਰੀਡਾਇਰੈਕਟ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਸ਼ਬਦ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ  ਲਈ, ਭਾਰਤ ਲਈ ਨਾਮ  ਵੇਖੋ . ਹੋਰ ਵਰਤੋਂ ਲਈ,  ਭਰਤ ਨੂੰ  ਵੇਖੋ . ਭਾਰਤ  (  ਹਿੰਦੀ  :  ਭਰਤ  ), ਅਧਿਕਾਰਤ ਤੌਰ 'ਤੇ  ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਣਤੰਤਰ  (ਹਿੰਦੀ:  ਭਰਤ ਗੌਰਜਾਯ  ),  [23]  ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ  ਦਾ ਇੱਕ ਦੇਸ਼ ਹੈ । ਇਹ  ਦੂਜਾ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ  ਦੇਸ਼, ਜ਼ਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ  ਸੱਤਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦੇਸ਼  ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ  ਲੋਕਤੰਤਰ  ਹੈ। ਇਹ  28 ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ  . ਦੱਖਣ ਵਿਚ  ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ  , ਦੱਖਣ -ਪੱਛਮ ਵਿਚ  ਅਰਬ ਸਾਗਰ  ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ  ਵਿਚ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਨਾਲ  ਘਿਰਿਆ ਇਹ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿਚ  ਪਾਕਿਸਤਾਨ  ਨਾਲ ਜ਼ਮੀਨੀ ਸਰਹੱਦਾਂ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦਾ ਹੈ ...

Sharad Purnima 2022 Date: शरद पूर्णिमा कब है? जानें इस दिन क्यों खाते हैं चांद की रोशनी में रखी खीर By #वनिता #कासनियां #पंजाब🌺🙏🙏🌺 Sharad Purnima 2022 Date: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. #facebook #twitter जानें, शरद पूर्णिमा की चमत्कारी खीर खाने से क्या होते हैं फायदे Sharad Purnima 2022 Date: हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व ज्यादा खास बताया गया है. #हिंदू #धर्म #ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा की रात्रि पर #चंद्रमा #पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. इस साल शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर को पड़ रही है. शरद पूर्णिमा की तिथि अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार, 09 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी. पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. #शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करने के लिए वरदान देती हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है. #Vnita शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों में रखी खीर का सेवन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है. इस खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है. ये खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत लाभ पहुंचाती है. इसके अलावा भी इसे कई मायनों में खास माना जाता है. अपार #धन पाने के लिए उपाय रात के समय मां लक्ष्मी के सामने #घी का #दीपक जलाएं. उन्हें #गुलाब के #फूलों की माला अर्पित करें. उन्हें सफेद मिठाई और सुगंध भी अर्पित करें. "ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः" का जाप करें. मां लक्ष्मी जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान कर सकती हैं. बस उनते सच्चे मन से अपनी बात पहुंचानी होगी और जब धरती पर साक्षात आएं तो इससे पावन घड़ी और क्या हो सकती है. #शरद_पूर्णिमा #राजस्थान #हरियाणा #संगरिया वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं। शरद_ पूर्णिमा का एक नाम *कोजागरी पूर्णिमा* भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है? अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है। एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है और #आश्विन_नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है। केवल शरद_पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है। #बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम वर्ष भर इस #पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं। जीवनदायिनी रोगनाशक जड़ी-बूटियों को वह शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं। अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनायी जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुंरत असर करती है। चंद्रमा को वेदं-पुराणों में मन के समान माना गया है- चंद्रमा_मनसो_जात:।वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है। ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा। #शरद_पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी #खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है। लेकिन इस #खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है। #शरद_पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्वयं सोलह कला संपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा। इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं। कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर #अमृत_की_वर्षा आरंभ कर दी। गुजरात में #शरद_पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। ओडिशा में #शरद_पूर्णिमा को #कुमार_पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं। #शरद_पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है। #घटता_बढ़ता_चांद यहाँ हर कोई #उस चांद सा है.. जो कभी बढ़ रहा है तो कभी घट रहा है.. वो कभी #पूर्णिमा की रात सा रोशनी बिखेर रहा है.. तो कभी #अमावस की रात में एक अंधेरे सा हो रहा है.. यहाँ हर किसी की यही फितरत है.. हम खुद भी इसका अपवाद नही है.. हम सब ऐसे ही बने हैं ऐसे ही बनाये गए हैं.. यकीं न हो तो पल भर को सोचिए की आखिर क्यूँ हर सुबह जब हम सोकर उठते हैं.. तो हम पिछली सुबह से अलग होते हैं.. #कभी_कमजोर.. तो कभी_ताकतवर महसूस करते हैं.. मसला बस इतना सा है, की #हम_हर_दिन दूसरों को बस पूर्णिमा का चांद सा देखना चाहते हैं.. इस सच से बेखबर की घटना/बढ़ना हम सभी की फितरत है.. इसमें कुछ भी नया नही है.. हम खुद भी अक्सर पूर्णिमा के चाँद से अमावस का चांद होने की राह पर होते हैं.. हम खुद भी कमजोर हो रहे होते हैं.. बस हम इसे देख नही पाते.. अपनी नासमझी में हम शायद कुदरत के इस सबसे बड़े कायदे को ही भूल बैठे हैं.. अगर इस तरह घटना बढ़ना ही हमारी फितरत है.. तो आखिर सुकून क्या है.. #अपने_अहंकार, #अपनी_ज़िद्द से कहीँ दूर किसी कोने में बैठकर.. खुद में और दूसरों में घटते बढ़ते इस चांद को देखना.. उसे महसूस करना.. इस कुदरत को समझना. उसके कायदों को समझना..#फिर_हल्के_से_मुस्कुराना.. बस यही सुकून है..🙏🙏 (ये पोस्ट वनिता कासनियां पंजाब किसी ने भेजा था l) ॐ। 9 अक्तूबर २०२२ रविवार #शरद #पूर्णिमा है , #अश्विन मास की शरद पूर्णिमा बेहद खास होती है क्योंकि साल में एक बार आने वाली ये पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है. इसे कुछ लोग #रास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि #श्रीकृष्ण ने महारास किया था। कहा जाता है कि इस रात में #खीर को खुले आसमान में चंद्रमा के प्रकाश में रखा जाता है और उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है. बता दें इस बार शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर गुरुवार आज है. सनातन परंपरा के अनुसार कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. मान्यता है की शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है. जो स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होती है. इस रात लोग मान्यता के अनुसार खुले में खीर बनाकर रखते हैं और सुबह उसे सब के बीच में बांटा जाता है. यही कारण है कि इस रात लोग अपनी छतों पर या चंद्रमा के आगे खीर बनाकर रखते हैं और प्रसाद के रूप में खीर को बांटा जाता है। बड़ी ही उत्तम तिथि है शरद पूर्णिमा. इसे #कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है. कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां #लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है. इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते है शरद पूर्णिमा का महत्व - शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है. - इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और #सोलह कलाओं से युक्त होता है. - इस दिन चन्द्रमा से #अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है. - #प्रेम और #कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था. - इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन #सेहत, अपार #प्रेम और खूब सारा #धन पाया जा सकता है - पर #प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों के पालन की आवश्यकता है. इस बार शरद पूर्णिमा 05 अक्टूबर को होगी शरद पूर्णिमा पर यदि आप कोई महाप्रयोग कर रहे हैं तो पहले इस तिथि के नियमों और सावधानियों के बारे में जान लेना जरूरी है. शरद पूर्णिमा #व्रत विधि - पूर्णिमा के दिन सुबह में #इष्ट #देव का पूजन करना चाहिए. - #इन्द्र और #महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. - #गरीब बे #सहारा को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए. - लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. - रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए. - #गरीबों में खीर आदि #दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है. शरद पूर्णिमा की सावधानियां - इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखने का प्रयास करें. - उपवास ना भी रखें तो भी इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए. - इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें, चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा. अगर आप शरद पूर्णिमा का पूर्ण शुभ फल पाना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए इन नियमों को ध्यान में जरूर रखिएगा। #शरद_पूर्णिमा के दिन इस #व्रत_कथा को पढ़ने और सुनने से #मां_लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न। #शरद_पूर्णिमा ९ अक्टूबर को है. शरद पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा को कौमुदी यानी मूनलाइट में खीर को रखा जाता है. क्योंकि चंद्रमा की किरणों से अमृत की बारिश होती है. इस दिन शाम को मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. मान्यता है कि सच्चे मन ने पूजा- अराधना करने वाले भक्तों पर मां लक्ष्मी कृपा बरसाती हैं. #शरद_पूर्णिमा_की_पौराणिक_कथा #शरद_पूर्णिमा की पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत पुराने समय की बात है एक नगर में एक सेठ (साहूकार) को दो बेटियां थीं. दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी. इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी. उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है. पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है. उसने हिंदू धर्म की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया. बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ. जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया. उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया. फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया. बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे को छू गया. बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा. तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. मेरे बैठने से यह मर जाता. तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था. तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है. तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है. उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया. . #शरद_पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व रोगियों के लिए वरदान हैं शरद पूर्णिमा की रात एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है। रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। लंकाधिपति रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी। चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है। अध्ययन के अनुसार दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। हल्दी का उपयोग निषिद्ध है। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए। रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय उपयुक्त रहता है। वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा की रात दमा रोगियों के लिए वरदान बनकर आती है। इस रात्रि में दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे चांदनी रात में रखकर प्रात: 4 बजे सेवन किया जाता है। रोगी को रात्रि जागरण करना पड़ता है और औ‍षधि सेवन के पश्चात 2-3 किमी पैदल चलना लाभदायक रहता है।

    Sharad Purnima 2022 Date: शरद पूर्णिमा कब है? जानें इस दिन क्यों खाते हैं चांद की रोशनी में रखी खीर By #वनिता #कासनियां #पंजाब🌺🙏🙏🌺 Sharad Purnima 2022 Date: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. #facebook #twitter जानें, शरद पूर्णिमा की चमत्कारी खीर खाने से क्या होते हैं फायदे Sharad Purnima 2022 Date: हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व ज्यादा खास बताया गया है. #हिंदू #धर्म #ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा की रात्रि पर #चंद्रमा #पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. इस साल शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर को पड़ रही है. शरद पूर्णिमा की तिथि अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्...