लाल क़िला हो, कोर्ट हो, मस्जिद हो कहीं भी ज़बरदस्ती झंडा फहराना ग़लत है। लेकिन सवाल यह है कि यह कार्य किसने किया? जो झंडा फहराया गया वह निशान साहब है जो तिरंगे की जगह नहीं फहराया गया और ना ही तिरंगे को हटाया गया। लेकिन फिर भी निशान साहब को वहाँ फहराना ग़लत था।आज लाल किले पर झंडा फहराने की अगुवाई करवाने वाले शख़्स की पहचान दीप सिद्धू के रूप में हुई है जो वहाँ से Facebook Live कर रहा था। उसकी प्रधानमंत्री और कई भाजपा सांसदो के साथ तस्वीरें वायरल हो रही है। कई लोगों ने इसके बारे में पहले भी चेताया था। आज ट्रैक्टर परेड में हिंसा उपद्रव करने वाले कई बाहरी असामाजिक तत्वों को पकड़ कर किसानों ने पुलिस के हवाले किया।क्या यह सरकार का इंटेलिजेन्स फ़ेल्यर नहीं है? हालिया कई आंदोलनों चाहे JNU का छात्र आंदोलन हो, CAA/NRC आंदोलन हो, हर बार हिंसा करने वाले किसी ख़ास संगठन और पार्टी से संबंध रखने वाले ही असामाजिक तत्व थे ताकि आंदोलनों की बदनाम कर सके। वो सब सरकारी संरक्षण में सुनियोजित तरीक़े से करते है।किसान दो महीने से शांतिपूर्वक तरीक़े से बैठे है। 150 से अधिक किसान शहादत दे चुके है। यह ज़मीनी लोगों का मज़बूत आंदोलन है। गोदी मीडिया के बदनाम करने से बदनाम नहीं होगा।,
लाल क़िला हो, कोर्ट हो, मस्जिद हो कहीं भी ज़बरदस्ती झंडा फहराना ग़लत है। लेकिन सवाल यह है कि यह कार्य किसने किया?
जो झंडा फहराया गया वह निशान साहब है जो तिरंगे की जगह नहीं फहराया गया और ना ही तिरंगे को हटाया गया। लेकिन फिर भी निशान साहब को वहाँ फहराना ग़लत था।
आज लाल किले पर झंडा फहराने की अगुवाई करवाने वाले शख़्स की पहचान दीप सिद्धू के रूप में हुई है जो वहाँ से Facebook Live कर रहा था। उसकी प्रधानमंत्री और कई भाजपा सांसदो के साथ तस्वीरें वायरल हो रही है। कई लोगों ने इसके बारे में पहले भी चेताया था।
आज ट्रैक्टर परेड में हिंसा उपद्रव करने वाले कई बाहरी असामाजिक तत्वों को पकड़ कर किसानों ने पुलिस के हवाले किया।
क्या यह सरकार का इंटेलिजेन्स फ़ेल्यर नहीं है? हालिया कई आंदोलनों चाहे JNU का छात्र आंदोलन हो, CAA/NRC आंदोलन हो, हर बार हिंसा करने वाले किसी ख़ास संगठन और पार्टी से संबंध रखने वाले ही असामाजिक तत्व थे ताकि आंदोलनों की बदनाम कर सके। वो सब सरकारी संरक्षण में सुनियोजित तरीक़े से करते है।
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