सरकार और किसानों के बीच आज 10वें दौर की वार्ता हुई. हालांकि ये वार्ता भी बेनतीजा रही.by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब दोनों पक्षों की वार्ता खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आज की बैठक सकारात्मक रही और संभावना है कि 22 जनवरी को होने वाली बैठक में कोई नतीजा निकले. कृषि मंत्री (Agriculture Minister) नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार कृषि कानून को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा “आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए. किसान यूनियन क़ानून वापसी की मांग पर थी और सरकार खुले मन से क़ानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी.सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार क़ानूनों को स्थगित किया है. सरकार 1-1.5 साल तक भी क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है. इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और समाधान ढूंढे.” 22 जनवरी को फैसला बताएंगे किसान कृषि मंत्री ने कहा, “किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर कल हम अपने नेताओं के साथ विचार करेंगे और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक में आएंगे और आपको निर्णय से अवगत कराएंगे.” किसान संगठन के नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार ने दोनों पक्षों की सहमति से एक निश्चित समय के लिए तीनों कृषि कानूनों को निलंबित करने और एक समिति के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि उन्होंने कहा कि किसान संगठन कानून वापसी की अपनी मांग पर डटे हैं, लेकिन कानूनों को निलंबित करने के सरकार के प्रस्ताव पर गुरुवार को चर्चा होगी. समिति की बैठकों में किसान शामिल नहीं होंगे कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संघों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे अपनी शिकायतों पर ध्यान देने के लिए अदालत की ओर से नियुक्त समिति द्वारा बुलाई गई बैठकों और विचार-विमर्शों में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए.
सरकार और किसानों के बीच आज 10वें दौर की वार्ता हुई. हालांकि ये वार्ता भी बेनतीजा रही.by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब दोनों पक्षों की वार्ता खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आज की बैठक सकारात्मक रही और संभावना है कि 22 जनवरी को होने वाली बैठक में कोई नतीजा निकले. कृषि मंत्री (Agriculture Minister) नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार कृषि कानून को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा “आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए. किसान यूनियन क़ानून वापसी की मांग पर थी और सरकार खुले मन से क़ानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी.सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार क़ानूनों को स्थगित किया है. सरकार 1-1.5 साल तक भी क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है. इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और समाधान ढूंढे.”
22 जनवरी को फैसला बताएंगे किसान
कृषि मंत्री ने कहा, “किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर कल हम अपने नेताओं के साथ विचार करेंगे और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक में आएंगे और आपको निर्णय से अवगत कराएंगे.”
किसान संगठन के नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार ने दोनों पक्षों की सहमति से एक निश्चित समय के लिए तीनों कृषि कानूनों को निलंबित करने और एक समिति के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि उन्होंने कहा कि किसान संगठन कानून वापसी की अपनी मांग पर डटे हैं, लेकिन कानूनों को निलंबित करने के सरकार के प्रस्ताव पर गुरुवार को चर्चा होगी.
समिति की बैठकों में किसान शामिल नहीं होंगे
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संघों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे अपनी शिकायतों पर ध्यान देने के लिए अदालत की ओर से नियुक्त समिति द्वारा बुलाई गई बैठकों और विचार-विमर्शों में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि कृषि कानूनों को वा
पस लिया जाए.
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