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सुषुम्ना को प्राणायाम से कैसे जगाएं, जानिए *वनिता पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 कबहु इडा स्वर चलत है कभी पिंगला माही। सुष्मण इनके बीच बहत है गुर बिन जाने नाही।। बहुत छोटी-सी बात है, लेकिन समझने में उम्र बीत जाती है। हमारे रोगी और निरोगी रहने का राज छिपा है हमारी श्वासों में। व्यक्ति उचित रीति से श्वास लेना भूल गया है। हम जिस तरीके और वातावरण में श्वास लेते हैं उसे हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी ही पूर्ण रूप से सक्रिय नहीं हो पाती तो सुषुम्ना कैसे होगी? दोनों नाड़ियों के सक्रिय रहने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं सताता और यदि हम प्राणायाम के माध्यम से सुषुम्ना को सक्रिय कर लेते हैं, तो जहां हम श्वास-प्रश्वास की उचित विधि से न केवल स्वस्थ, सुंदर और दीर्घजीवी बनते हैं, वहीं हम सिद्ध पुरुष बनाकर ईश्वरानुभूति तक कर सकते हैं। मनुष्य के दोनों नासिका छिद्रों से एकसाथ श्वास-प्रश्वास कभी नहीं चलती है। कभी वह बाएं तो कभी दाएं नासिका छिद्र से श्वास लेता और छोड़ता है। बाएं नासिका छिद्र में इडा यानी चंद्र नाड़ी और दाएं नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है। इनके अलावा एक सुषुम्ना नाड़ी भी होती है जिससे श्वास प्राणायाम और ध्यान विधियों से ही प्रवाहित होती है। प्रत्येक 1 घंटे के बाद यह 'श्वास' नासिका छिद्रों में परिवर्तित होते रहती है। शिवस्वरोदय ज्ञान के जानकार योगियों का कहना है कि चंद्र नाड़ी से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होने पर वह मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करती है। चंद्र नाड़ी से ऋणात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। जब सूर्य नाड़ी से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होती है तो शरीर को ऊष्मा प्राप्त होती है यानी गर्मी पैदा होती है। सूर्य नाड़ी से धनात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। प्राय: मनुष्य उतनी गहरी श्वास नहीं लेता और छोड़ता है जितनी एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए जरूरी होती है। प्राणायाम मनुष्य को वह तरीका बताता है जिससे मनुष्य ज्यादा गहरी और लंबी श्वास ले और छोड़ सकता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम की विधि से दोनों नासिका छिद्रों से बारी-बारी से वायु को भरा और छोड़ा जाता है। अभ्यास करते-करते एक समय ऐसा आ जाता है, जब चंद्र और सूर्य नाड़ी से समान रूप से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होने लगती है। उस अल्पकाल में सुषुम्ना नाड़ी से श्वास प्रवाहित होने की अवस्था को ही 'योग' कहा जाता है। प्राणायाम का मतलब है- प्राणों का विस्तार। दीर्घ श्वास-प्रश्वास से प्राणों का विस्तार होता है। एक स्वस्थ मनुष्य को 1 मिनट में 15 बार सांस लेनी चाहिए। इस तरह 1 घंटे में उसके श्वासों की संख्या 900 और 24 घंटे में 21,600 होनी चाहिए। स्वर विज्ञान के अनुसार चंद्र और सूर्य नाड़ी से श्वास-प्रश्वास के जरिए कई तरह के रोगों को ठीक किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि चंद्र नाड़ी से श्वास-प्रश्वास को प्रवाहित किया जाए तो रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।*🍄ध्यान कब करें🍄* *🍄समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब राम राम जी🍄*🍄🙏🙏🍄 अभी बात आये गी, कि हम ध्यान कब करें?🍄 ध्यान !!! तो कब के लिए, हम सब से पहले खुद को देखेंगे, हमें खुद को देखना होगा, कियों कि,ध्यान हम शान्ति, सकून, चैन व ऊंचाई को पाने के लिए कर रहे हैं l🍄 और शान्ति कब मिले गी ? या कब होती है ?🍄 हम यदी पूरे दिन को देखें गे, सुबह को अमृत वेल्ला (प्रभात) के समय सवेरे, 4 या 5 बजे पूरा माहोल, पूरा वातावरण शांतमय, पुरसकून होता है l🍄 हर तरफ शांति, हर तरफ ख़ामोशी, यहाँ तक कि, हमारे अंदर में भी शान्ति होती है l बाहर भी शांती, और अंदर भी शांती l🍄 जैसे जैसी दिन निकले गा, वातावरण में शोर, आवाज़, हमारा उठना बैठना, शुरू हो जाये गा, और हमारे अंदर में भी कितने ही विचार आयें गे, कितने ही काम आयें गे, भाग दौड़ करें गे, आगे बढ़ें गे,🍄 फिर जैसे शाम होगी, फिर वातावरण शांत होने शुरू हो जाता है, फिर खामोशी हो जाती है और थोड़े समय के लिए वैसी ही पूर्ण शांती आ जाती है,🍄 शाम को कभी भी हम ध्यान से देखें गे, यहाँ तक कि, हमारे अंदर में भी थोड़े समय के लिए शान्ति आ जाती है, फिर जैसे ही रात होगी, फिर नींद, आलस, सोना और ख्याल और विचार, सभी आना शुरू हो जाएँ गे,🍄 तो जो सुबह और श्याम इतनी शान्ति होती है उसका अर्थ यह होता है कि🍄 जैसे सुबह हुई रात गयी और दिन आया, जब रात जा रही होती है और दिन आ रहा होता है, तो जब दोनों कुछ क्षणों के लिए, थोड़े वक़्त के लिए, एक साथ मिल जाते हैं, तो पूरा वातावरण शांत हो जाता है ,फिर जैसे ही दिन आया और रात गयी तो दोनों अलग अलग हुए, तो फिर जैसे ही दिन आया तो शोर होना शुरू हो जाता है l🍄 फिर दिन गया, रात आयी, जब वोह जा रहा होता है, तो फिर जब दोनों श्याम को कुछ क्षणों के लिए, थोड़े वक़्त के मिलते हैं, , तो फिर वातावरण शांत और पुरसुकून हो जाता है l🍄 फिर जैसे ही रात आयी दिन गया तो फिर नीद आलस सोना कितने विचार, कितने ख्याल आना शुरू हो जाते हैं🍄 तो जब दिन और रात दोनों मिलते हैं उसी समय पूर्ण शान्ति और सकून हो जाता है सुबह को भी श्याम को भी बाकी जब तक अलग अलग रहें गे, तब तक, विचार, परेशानी,शोर सब चलता रहता है l🍄 तो यह बात प्रत्येक दिन हमें सिखा रही है, कि हमारी आत्मा जब तक परमात्मा से अलग रहेगी तब तक कभी दुःख कभी सुख कभी ख़ुशी कभी गम कभी अंदर में उत्पाद ( उधम ) कभी आलस कभी मायूसी कभी खुशी यह चलते रहें गे l🍄 लेकिन हमें वोह सच्चा सुख सच्ची शान्ति तभी मिले गी जब हमारी आत्मा और परमात्मा एक हो जाएँ गे उस से मिल कर के हम एक होंगे l🍄 इसीलिए सुबह और श्याम दो वक़्त, दो समय ऐसे हैं, जब हम ध्यान में बैठें गे, उसी समय वातावरण भी शांत होगा, और, वोह भी हमें सहायता करे गा वोह भी हमें शांती प्रदान करेगा, और, हमारा अंदर भी उसी वातावरण की वजह से शांत होगा l🍄 फिर हम बैठें गे तो हमारा ध्यान सरलता से , आसानी से लगे गा और हमें उसे लगाने पर हम पर बहुत अच्छे तरीके से बेहतर प्रभाव पड़े गा , तो उसी वक़्त हमारा ध्यान, शांत वातावरण में, बहुत आसानी से और अच्छाई से लग जाता है l🍄 और अगर ध्यान हो जाये, तो अच्छा है, यदी , उसी वक़्त हम कर न पाएं तो फिर भी कोई बात नहीं लेकिन हम ध्यान करें ज़रूर, ध्यान करना अनिवार्य है l🍄 यदी हम सुबह को नहीं कर पाते, श्याम को नहीं कर पाते, कभी घर का काम है कभी आफिस का काम है, कभी दूकान का काम है, और हम नहीं कर पा रहे हैं, तो कोई बात नहीं, हमें जो भी अच्छा समय लगे, जो समय खाली लगे, हम अपना समय निर्धारित कर दें l यानि कि, समय निर्धारित करना महत्वपूर्ण है l🍄 सुबह, श्याम, हो तो अच्छा है, नहीं है, तो कोई भी समय निर्धारित करें, कियों कि मनुष्य का एक स्वभाव होता है कि, हर अच्छे काम को पीछे छोड़ना l हम देखें गे कि हमें सुबह को सवेरे कहीं जाना होगा, तो हम सुबह उठें गे, नहाएं गे तैयार होंगे नाश्ता लेंगे सामान पैक करें गे, ब्रिफकेस लें गे और काम पर जायेंगे, हमारा कुछ भी नहीं छूटे गा, किसी को भी हम नहीं छोड़ें गे, न नहाने को, न तैयार होने को, न नाश्ते को, न ब्रिफकेस लेने को, न सामान को छोड़ें गे l🍄 हम सब कुछ ले कर जायेंगे अगर छूटे गा तो सिर्फ यह होगा कि, उस दिन हम मंदिर नहीं जायेंगे कि ‘मुझे बहुत जल्दी है मैं नहीं जा सका’ सिर्फ मंदिर छूटे ग बाकी कुछ भी नहीं छूटे ग कियों कि इंसान का स्वभाव है कि हर अच्छे काम को पीछे छोड़ना l ध्यान, नाम सिमरन, वोह तो ऐसे हैं, जो हमें संसार में भी सुख दें लेकिन आगे साहिब तक पहुंचाएं, तो उसे हम कभी छोड़ें नहीं इसलिए नाम को ऐसे जोड़ कर के रखें कि जब समय निर्धारित हो जाता है तो फिर हमारी एक आदत सी बन जाती है, फिर उसी ,समय जहाँ कहीं भी होंगे जैसे भी होंगे, तो हमारा दिमाग सोचे गा कि हमारे ध्यान का समय हो गया है, और हम ध्यान करें गे l यदी कोई समय निर्धारित नहीं करें गे, तो कहें गे कि, अभी करता हूँ बाद में करता हूँ थोड़ी देर के बाद करता हूँ और ऐसे करते हुए, समय भी पूरा हो जायेगा और हम बिसतर में सो जायेंगे, लेकिन हम ध्यान नहीं कर पाएंगे l अधिकतर ऐसे ही होता है, इस लिए उसको ऐसे बना के रखो जैसे हम हर दिन खाना खाते हैं l हम हर दिन तीन बार खाना खाते हैं, लेकिन कभी खाना याद कर के नहीं खाते है, हम जैसे खाना खाने का समय होता है हम खाना खा लेते हैं, हम प्रतेक दिन तीन बार खाना खाते हैं परन्तु उसे सिर्फ याद नहीं करते हैं पर समय पर खा लेते हैं सिर्फ उसे बैठ कर याद नहीं करते l🍄 यदी कभी एक दिन उपवास या व्रत रखें, तो दिन में कितनी बार खाना याद आता है हर दिन तीन बार खाते हैं, कभी याद नहीं आता, एक दिन सिर्फ उपवास रखा, कितनी बार खाना याद आया, और बड़ी बात यह नहीं कि खाना याद आया, बड़ी बात यह है कि, जब खाने का वक़्त गुज़र जाता है फिर कहते हैं कि ‘अभी तो भूख ही मर गयी, अब में रात को एकसाथ खा लूं गा l🍄 वास्तव में भूक मरी नहीं उस समय हमें भूख लगी थी कियों कि, हमें उस समय समय खाना खाने की आदत थी🍄 जब वोह समय आया, उस की याद आयी, उस आदत ने हमें सताया, वोह याद नहीं पर वोह आदत का समय गुज़र गया तो फिर हमें भूख ही नहीं थी l🍄 वैसे ही जब हम ध्यान में बैठें गे तो उस खाने की तरह हम खुद में आदत ड़ाल दें🍄 तो जहाँ कहीं भी हों तो उस समय हमें ध्यान का समय याद आये गा कि हमारे ध्यान का समय है तो हम ध्यान कर पाएंगे l इसीलिए ध्यान और सिमरन से खुद को जोड़ के रखिये, कि जैसे हम हर दिन खान खाते हैं🍄 हम प्रतेक दिन बच्चों को तैयार कर के इस्कूल भेजते हैं, रात को किसी वक़्त कैसे भी सोएं, वच्चों का वक़्त होता है, हम उसी वक़्त उठते हैं बच्चों को तैयार करते हैं बस हर दिन की दिनचर्या है l🍄 हमारा दूकान है ऑफिस है हम रात को कितनी भी देर से सोएं, कैसे भी थके हों, सुबह को उठते हैं चाबियाँ ले के खुद पहुँच जाते हैं l तो जैसे,हम हर दिन, हम, अपने समय से काम करते हैं,नाम सिमरन को भी, हम, वैसे ही खुद स, अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें l🍄 यह न बताएं,कि यह कोई बड़ी चीज़ है,या ऊंची चीज़ है, पर हमारी दिनचर्या है, और हमें महसूस भी नहीं होगा, और हम संभलते जायेंगे, हम सुधरते जायेंगे हम सत्यकर्मी बनते जाएँ गे l🍄 सत्य कर्मों की वजह से सदा ही सुख लेते हुए, हम आगे बड़ पाएंगे, इसलिए हो सके तो सुबह श्याम, यदी सुबह श्याम न कर पाएं, तो किसी समय, कहीं पर भी परन्तु, अपना समय निर्धारित कर लें, और उसी समय हम नाम ध्यान करें तो हमारी अंदर की ऊंचाई बढ़ती जायेगी l🍄 समय निर्धारित करना,अत्यंत आवयशक है l🍄वास्तु शास्त्र भवन-निर्माण का विज्ञान है। वास्तु के आधार पर बना भवन ब्रह्माण्ड से सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और भवन के अंदर ऊर्जा का संतुलन बना रहता है, जिससे वहाँ सुख, शांति, प्रगति और सौहार्द का माहौल उत्पन्न होता है। वास्तु-शास्त्र के सिद्धांत ठोस वैज्ञानिक तथ्यों पर टिके हुए हैं, जिनका प्रयोग जीवन को सही दिशा देने और अधिकतम फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इन सिद्धांतों के आधार पर यदि भवन बनाया जाए और वहाँ रहते या कार्य करते समय कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखें, तो निश्चित ही बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। आइए, चर्चा करते हैं ऐसे ही कुछ सिद्धांतों की, जो जीवन को सुखमय और आनंदपूर्ण बनाने के लिए ज़रूरी हैं।वास्तु शास्त्र में पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार मज़बूत तने वाले या ऊँचे-ऊँचे पौधे उत्तर-पूर्व, उत्तर व पूर्व दिशा में ही होने चाहिए। घर के आस-पास या घर के अन्दर कैक्टस, कीकर, बेरी या अन्य कांटेदार पौधे व दूध वाले पौधे लगाने से घर के लोग तनावग्रस्त, चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं और ऐसे पौधे स्त्रियों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। घर में तेज़ ख़ुश्बूदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। साथ ही घर में चौड़े पत्ते वाले पौधे, बोनसाई व नीचे की तरफ़ झुकी बेलें नहीं लगानी चाहिए। पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे सही प्रकार बढ़ें, सूखें नहीं और सूखने पर उन्हें तुरन्त बदल दें। घर में फलदार पौधे लगाना भी कभी-कभी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि जिस वर्ष फलदार पौधे पर फल कम लगें या न लगें, इस वर्ष आपको नुक़सान या परेशानी का सामना ज़्यादा करना पड़ेगा।*समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*💐💐🙏🙏💐💐घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें और तुलसी का पौधा ज़मीन से कुछ ऊँचाई पर ही लगाना उचित है। तुलसी के पौधे पर कलावा व लाल चुन्नियाँ आदि नहीं बांधनी चाहिए। त�*कहानी* *🌻भगवान् की कृपा🌻* *एक राजा था। उसका मन्त्री भगवान का भक्त था। कोई भी बात होती तो वह यही कहता कि भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! एक दिन राजा के बेटे की मृत्यु हो गयी। मृत्यु का समाचार सुनते ही मन्त्री बोल उठा - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! यह बात राजा को बुरी तो लगी, पर वह चुप रहा।* *कुछ दिनों के बाद राजा की पत्नी की भी मृत्यु हो गयी। मन्त्रीने कहा - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! राजा को गुस्सा आया, पर उसने गुस्सा पी लिया, कुछ बोला नहीं।* *एक दिन राजाके पास एक नयी तलवार बनकर आयी। राजा अपनी अंगुली से तलवार की धार देखने लगा तो धार बहुत तेज होने के कारण चट उसकी अँगुली कट गयी! मन्त्री पास में ही खड़ा था । वह बोला- भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! अब राजा के भीतर जमा गुस्सा बाहर निकला और उसने तुरन्त मन्त्री को राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दे दिया और कहा कि मेरे राज्य में अन्न-जल ग्रहण मत करना। मन्त्री बोला - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी!* *मन्त्री अपने घर पर भी नहीं गया, साथ में कोई वस्तु भी नहीं ली और राज्य के बाहर निकल गया।* *कुछ दिन बीत गये। एक बार राजा अपने साथियों के साथ शिकार खेलने के लिये जंगल गया , जंगल में एक हिरण का पीछा करते-करते राजा बहुत दूर घने जंगल में निकल गया।उसके सभी साथी बहुत पीछे छूट गये वहाँ जंगल में डाकुओं का एक दल रहता था। उस दिन डाकुओं ने कालीदेवी को एक मनुष्य की बलि देने का विचार किया हुआ था। संयोग से डाकुओं ने राजा को देख लिया।उन्होंने राजा को पकड़कर बाँध दिया। अब उन्होंने बलि देने की तैयारी शुरू कर दी। जब पूरी तैयारी हो गयी, तब डाकुओं के पुरोहित ने राजा से पूछा- तुम्हारा बेटा जीवित है? राजा बोला- नहीं, वह मर गया। पुरोहित ने कहा कि इसका तो हृदय जला हुआ है। पुरोहित ने फिर पूछा-तुम्हारी पत्नी जीवित है? राजा बोला - वह भी मर चुकी है। पुरोहित ने कहा कि यह तो आधे अंग का है । अत: यह बलि के योग्य नहीं है। परन्तु हो सकता है कि यह मरने के भय से झूठ बोल रहा हो! पुरोहित ने राजा के शरीर की जाँच की तो देखा,कि उसकी अँगुली कटी हुई है। पुरोहित बोला-अरे! यह तो अंग-भंग है, बलि के योग्य नहीं है ! छोड़ दो इसको ! डाकुओं ने राजा को छोड़ दिया।* *राजा अपने घर लौट आया। लौटते ही उसने अपने आदमियों को आज्ञा दी कि हमारा मन्त्री जहाँ भी हो, उसको तुरन्त ढूँढ़कर हमारे पास लाओ। जब तक मन्त्री वापस नहीं आयेगा, तबतक मैं अन्न ग्रहण नहीं करूँगा।* *राजा के आदमियों ने मन्त्री को ढूँढ़ लिया और उससे तुरन्त राजा के पास वापस चलने की प्रार्थना की। मन्त्री ने कहा - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! मन्त्री राजा के सामने उपस्थित हो गया । राजा ने बड़े आदरपूर्वक मन्त्री को बैठाया और अपनी भूल पर पश्चात्ताप करते हुए जंगल वाली घटना सुनाकर कहा कि 'पहले मैं तुम्हारी बात को समझा नहीं। अब समझमें आया कि भगवान् की मेरे पर कितनी कृपा थी! भगवान् की कृपा से अगर मेरी अँगुली न कटता तो उस दिन मेरा गला कट जाता! परन्तु जब मैंने तुम्हें राज्य से निकाल दिया, तब तुमने कहा कि भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी तो वह कृपा क्या थी, यह अभी मेरी समझ में नहीं आया !* *मन्त्री बोला-महाराज, जब आप शिकार करने गये, तब मैं भी आपके साथ जंगल में जाता। आपके साथ मैं भी जंगल में बहुत दूर निकल जाता; क्योंकि मेरा घोड़ा आपके घोड़े से कम तेज नहीं है। डाकू लोग आपके साथ मेरे को भी पकड़ लेते। आप तो अँगुली कटी होने के कारण बच जाते पर मेरा तो उस दिन गला कट ही जाता! इसलिये भगवान की कृपा से मैं आपके साथ नहीं था, राज्य से बाहर था; अत: मरने से बच गया।* *अब पुन: अपनी जगह वापस आ गया हूँ। यह भगवान् की कृपा ही तो है!* *कहानी का सार यह है कि आज कल मनुष्य को सुविधा भोगने की इतनी बुरी आदत हो गयी है की थोड़ी सी भी विपरीत परिस्थिति में विचलित हो जाता है ,कई बार तो भगवान के अस्तित्त्व को भी नकारने लगता है उनके लिये यही संदेश है कि उस परमात्मा ने जब हम जन्म दिया है तो हमारा योगक्षेम भी वहां करने की जिम्मेदारी उसी की है बस हमे उसके प्रति निष्ठा बनाये रखनी होगी जैसे एक पिता के दो पुत्र हो एक कपूत दूसरा सपूत फिर भी पिता होने के नाते उसे दोनो की ही फिक्र रहेगी परंतु किसी भी कार्य अथवा सहयोग में प्राथमिकता सपूत को ही दी जाएगीु।* *इसी प्रकार हमें उस परमात्मा के प्रति निष्ठा बनाये रखनी होगी सुख दुख जीवन में धूप छांया की तरह बने रहते है कभी स्थायी नही रहते हमारे अंदर उनको व्यतीत करके का धैर्य जगाना होगा और यह केवल परमात्मा की भक्ति से ही संभव है।* *वनिता पंजाब*🌷🌷🌷 *जय श्री राम जय श्री कृष्ण*

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लोहड़ी 2021: आज देशभर में मनाई जा रही लोहड़ी, जानिए क्या है इस त्यौहार का महत्व ये त्योहार सुबह से शुरू होकर शाम तक चलता है. लोग पूजा के दौरान आग में मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ चढ़ाते हैं. आग में ये चीजें चढ़ाते समय 'आधार आए दिलाथेर जाए' बोला जाता है. इसका मतलब होता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी जाए. किसान सूर्य देवता को भी नमन कर धन्यवाद देते हैं. ये भी माना जाता है कि किसान खेतों में आग जलाकर अग्नि देव से खेतों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रार्थना करते हैं.इसके बाद मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं. लोहड़ी के दिन पकवान के तौर पर मीठे गुड के तिल के चावल, सरसों का साग, मक्के की रोटी बनाई जाती है. लोग इस दिन गुड़-गज्जक खाना शुभ मानते हैं. पूजा के बाद लोग भांगड़ा और गिद्दा करते हैं.लोहड़ी का महत्वलोहड़ी का भारत में बहुत महत्व है. लोहड़ी एक ऐसे पर्व के रूप में मनाई जाती है जो सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत है. लोहड़ी यूं तो आग लगाकर सेलिब्रेट की जाती है लेकिन लकड़ियों के अलावा उपलों से भी आग लगाना शुभ माना जाता है.लोहड़ी के पावन मौके पर लोग रबी की फसल यानि गेहूं, जौ, चना, मसूर और सरसों की फसलों को आग को समर्पित करते हैं. इस तरीके से देवताओं को चढ़ावा और धन्यवाद दिया जाता है. ये वही समय होता है जब रबी की फसलें कटघर घर आने लगती हैं. आमतौर लोहड़ी का त्योहार सूर्य देव और अग्नि को आभार प्रकट करने, फसल की उन्नति की कामना करने के लिए मनाया जाता है.लोहड़ी का महत्व एक और वजह से हैं क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि से गुजर कर उत्तर की ओर रूख करता है. ज्योतिष के मुताबिक, लोहड़ी के बाद से सूर्य उत्तारायण बनाता है जिसे जीवन और सेहत से जोड़कर देखा जाता है.आखिर क्यों मनाते हैं लोहड़ीआपने लोहड़ी तो खूब मनाई होगी लेकिन क्या असल में आप जानते हैं क्यों मनाई जाती है लोहड़ी. बहुत से लोग लोहड़ी को साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे लंबी के तौर पर मनाते हैं. पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है. लोहड़ी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था. बेशक होलिका का दहन हो गया था. किसान लोहड़ी के दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं.,

ਭਾਰਤBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबਭਾਸ਼ਾPDF ਡਾ Downloadਨਲੋਡ ਕਰੋਦੇਖੋਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋਇਹ ਲੇਖ ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰ ਬਾਰੇ ਹੈ। ਹੋਰ ਉਪਯੋਗਾਂ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਵੇਖੋ (ਅਪਮਾਨ) ."ਭਾਰਤ" ਇੱਥੇ ਰੀਡਾਇਰੈਕਟ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਸ਼ਬਦ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਲਈ ਨਾਮ ਵੇਖੋ . ਹੋਰ ਵਰਤੋਂ ਲਈ, ਭਰਤ ਨੂੰ ਵੇਖੋ .ਭਾਰਤ ( ਹਿੰਦੀ : ਭਰਤ ), ਅਧਿਕਾਰਤ ਤੌਰ 'ਤੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਣਤੰਤਰ (ਹਿੰਦੀ: ਭਰਤ ਗੌਰਜਾਯ ), [23] ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦਾ ਇੱਕ ਦੇਸ਼ ਹੈ । ਇਹ ਦੂਜਾ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼, ਜ਼ਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸੱਤਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ। ਇਹ 28 ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . ਦੱਖਣ ਵਿਚ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ , ਦੱਖਣ -ਪੱਛਮ ਵਿਚ ਅਰਬ ਸਾਗਰ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ ਵਿਚ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਇਹ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿਚ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਜ਼ਮੀਨੀ ਸਰਹੱਦਾਂ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦਾ ਹੈ ;[f] ਉੱਤਰ ਵੱਲ ਚੀਨ , ਨੇਪਾਲ ਅਤੇ ਭੂਟਾਨ ; ਅਤੇਪੂਰਬ ਵੱਲ ਬੰਗਲਾਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਮਿਆਂਮਾਰ . ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਸ਼੍ਰੀਲੰਕਾ ਅਤੇ ਮਾਲਦੀਵ ਦੇ ਆਸ ਪਾਸ ਹੈ ; ਇਸਦਾ ਅੰਡੇਮਾਨ ਅਤੇ ਨਿਕੋਬਾਰ ਆਈਲੈਂਡਜ਼ ਥਾਈਲੈਂਡ , ਮਿਆਂਮਾਰ ਅਤੇ ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ ਨਾਲ ਸਮੁੰਦਰੀ ਸਰਹੱਦ ਸਾਂਝੀ ਕਰਦਾ ਹੈ.ਗਣਤੰਤਰਭਰਤ ਗਾਰਜੀਆ( ਹੋਰ ਸਥਾਨਕ ਨਾਮ ਵੇਖੋ )ਖਿਤਿਜੀ ਤਿਰੰਗਾ ਝੰਡਾ ਬੇਅਰਿੰਗ, ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ, ਡੂੰਘੇ ਭਗਵੇਂ, ਚਿੱਟੇ ਅਤੇ ਹਰੇ ਹਰੀਜੱਟਲ ਬੈਂਡ. ਚਿੱਟੇ ਬੈਂਡ ਦੇ ਮੱਧ ਵਿਚ ਇਕ ਨੇਵੀ-ਨੀਲਾ ਚੱਕਰ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 24 ਸਪੋਕਸ ਹਨ.ਝੰਡਾਖੱਬੇ, ਸੱਜੇ ਅਤੇ ਦਰਸ਼ਕ ਵੱਲ ਤਿੰਨ ਸ਼ੇਰ ਮੂੰਹ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ, ਇਕ ਝੁਕਿਆ ਹੋਇਆ ਘੋੜਾ, 24 ਬੋਲੀ ਵਾਲਾ ਚੱਕਰ, ਅਤੇ ਇਕ ਹਾਥੀ ਵਾਲੇ ਇਕ ਝੁੰਡ ਦੇ ਉੱਪਰ. ਹੇਠਾਂ ਇੱਕ ਆਦਰਸ਼ ਹੈ: "सत्यमेव जयते".ਰਾਜ ਨਿਸ਼ਾਨਆਦਰਸ਼: " ਸਤਯਮੇਵ ਜਯਤੇ " ( ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ )"ਸੱਚ ਇਕੱਲਿਆਂ ਜਿੱਤ" [1]ਗੀਤ: " ਜਨ ਗਣਾ ਮਨ " [2] [3]"ਤੁਸੀਂ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕ ਹੋ" []] [2]ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ" ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ " ( ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ )"ਮੈਂ ਝੁਕਦਾ ਹਾਂ ਤੈਨੂੰ, ਮਾਂ" [ਏ] [1] [2]ਭਾਰਤ 'ਤੇ ਕੇਂਦਰਤ ਇਕ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਤਸਵੀਰ, ਜੋ ਕਿ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਉਜਾਗਰ ਕਰਦੀ ਹੈ.ਹਨੇਰੇ ਹਰੇ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਭਾਰਤ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਖੇਤਰ; ਖੇਤਰਾਂ ਨੇ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਪਰ ਨਿਯੰਤ੍ਰਿਤ ਨਹੀਂ ਹਲਕੇ ਹਰੇ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆਰਾਜਧਾਨੀ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ28 ° 36′50 ″ N 77 ° 12′30 ″ Eਵੱਡਾ ਸ਼ਹਿਰ ਮੁੰਬਈ (ਸ਼ਹਿਰ ਸਹੀ)ਦਿੱਲੀ (ਮਹਾਨਗਰ ਖੇਤਰ)ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਹਿੰਦੀਅੰਗਰੇਜ਼ੀ [ਬੀ] []]ਮਾਨਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ [8] [9] [10]ਮਾਨਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਖੇਤਰੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਰਾਜ ਪੱਧਰੀ ਅਤੇ ਅੱਠਵੀਂ ਸੂਚੀ [11]ਅਸਾਮੀਬੰਗਾਲੀਬੋਡੋਡੋਗਰੀਗੁਜਰਾਤੀਹਿੰਦੀਕੰਨੜਕਸ਼ਮੀਰੀਕੋਕਬਰੋਕਕੋਂਕਣੀਮੈਥਿਲੀਮਲਿਆਲਮਮਨੀਪੁਰੀਮਰਾਠੀਮਿਜ਼ੋਨੇਪਾਲੀਓਡੀਆਪੰਜਾਬੀਸੰਸਕ੍ਰਿਤਸੰਤਾਲੀਸਿੰਧੀਤਾਮਿਲਤੇਲਗੂਉਰਦੂਮੂਲ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ 447 ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ [ਸੀ]ਧਰਮ (2011)79.8% ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ14.2% ਇਸਲਾਮ2.3% ਈਸਾਈਅਤ1.7% ਸਿੱਖ ਧਰਮ0.7% ਬੁੱਧ ਧਰਮ0.4% ਜੈਨ ਧਰਮ0.23% ਅਨਲਿਫਟਿਡ0.65% ਹੋਰ [14]ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਧਰਮ ਦੇਖੋਦਾਮਨ ਭਾਰਤੀਸਦੱਸਤਾ ਯੂ.ਐੱਨਡਬਲਯੂ ਟੀ ਓਬ੍ਰਿਕਸਸਾਰਕਐਸਸੀਓਜੀ 4 ਰਾਸ਼ਟਰਪੰਜ ਦਾ ਸਮੂਹਜੀ 8 + 5ਜੀ 20ਰਾਸ਼ਟਰ ਮੰਡਲਸਰਕਾਰ ਸੰਘੀ ਸੰਸਦੀ ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਗਣਰਾਜ• ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਰਾਮ ਨਾਥ ਕੋਵਿੰਦ• ਉਪ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਵੈਂਕਈਆ ਨਾਇਡੂ• ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ• ਚੀਫ਼ ਜਸਟਿਸ ਐਨਵੀ ਰਮਾਨਾ• ਲੋਕ ਸਭਾ ਦੇ ਸਪੀਕਰ ਓਮ ਬਿਰਲਾਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਸੰਸਦPper ਉੱਪਰਲਾ ਘਰ ਰਾਜ ਸਭਾ• ਲੋਅਰ ਹਾ houseਸ ਲੋਕ ਸਭਾਆਜ਼ਾਦੀ ਤੱਕ ਯੁਨਾਈਟਡ ਕਿੰਗਡਮ• ਡੋਮੀਨੀਅਨ 15 ਅਗਸਤ 1947• ਗਣਤੰਤਰ 26 ਜਨਵਰੀ 1950ਖੇਤਰ• ਕੁੱਲ 3,287,263 [2] ਕਿਮੀ 2 (1,269,219 ਵਰਗ ਮੀਲ) [ਡੀ] ( 7 ਵਾਂ )• ਪਾਣੀ (%) .6..6ਆਬਾਦੀEsti 2018 ਦਾ ਅਨੁਮਾਨ ਨਿਰਪੱਖ ਵਾਧਾ1,352,642,280 [15] [16] ( ਦੂਜਾ )• 2011 ਦੀ ਜਨਗਣਨਾ 1,210,854,977 [17] [18] ( ਦੂਜਾ )Ens ਘਣਤਾ 410.6 / ਕਿਮੀ 2 (1,063.4 / ਵਰਗ ਮੀਲ) ( 19 ਵਾਂ )ਜੀਡੀਪੀ ( ਪੀਪੀਪੀ ) 2021 ਅਨੁਮਾਨ• ਕੁੱਲ ਵਧਾਓ 20 10.207 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ [19] ( ਤੀਜਾ )• ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਅ ਵਧਾਓ$ 7,333 [19] ( 122 ਵਾਂ )ਜੀਡੀਪੀ (ਨਾਮਾਤਰ) 2021 ਅਨੁਮਾਨ• ਕੁੱਲ ਵਧਾਓ 50 3.050 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ [19] ( 6 ਵਾਂ )• ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਅ ਵਧਾਓ19 2,191 [19] ( 138 ਵਾਂ )ਗਿਨੀ (2013) 33.9 [20]ਦਰਮਿਆਨੇ · 79 ਵੇਂHDI (2019) ਵਧਾਓ .6..645 [[] 21]ਦਰਮਿਆਨੇ · 131stਮੁਦਰਾ ਭਾਰਤੀ ਰੁਪਿਆ (₹) ( INR )ਸਮਾਂ ਖੇਤਰ UTC +05: 30 ( IST )ਡੀਐਸਟੀ ਨਹੀਂ ਵੇਖੀ ਜਾਂਦੀਤਾਰੀਖ ਦਾ ਫਾਰਮੈਟ dd - ਮਿਲੀਮੀਟਰ - yYy [ਈ]ਮੁੱਖ ਬਿਜਲੀ 230 ਵੀ – 50 ਹਰਟਜਡਰਾਈਵਿੰਗ ਸਾਈਡ ਖੱਬੇ [22]ਕਾਲਿੰਗ ਕੋਡ +91ਆਈਐਸਓ 3166 ਕੋਡ ਵਿੱਚਇੰਟਰਨੈਟ ਟੀ.ਐਲ.ਡੀ. .in ( ਹੋਰ )ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖ 55,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ 'ਤੇ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ. [२ 24] ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲੰਬੇ ਕਿੱਤੇ, ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਕਾਰੀ-ਇਕੱਤਰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਅਲੱਗ-ਥਲੱਗ ਰੂਪਾਂ ਵਿਚ, ਇਸ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਿਭਿੰਨ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਮਨੁੱਖੀ ਜੈਨੇਟਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਵਿਚ ਇਹ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੂਸਰਾ ਹੈ . [].] 9,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਸਿੰਧ ਨਦੀ ਦੇ ਪੱਛਮੀ ਹਾਸ਼ੀਏ ਵਿੱਚ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਉੱਤੇ ਸਥਾਪਤ ਜੀਵਨ ਉੱਭਰਿਆ ਸੀ, ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਤੀਸਰੀ ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਬੀਸੀਈ ਦੀ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਤ ਹੋਇਆ । [26] 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ., ਇੱਕ ਕਰ ਕੇ ਪੁਰਾਣੇ ਫਾਰਮ ਦੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ , ਇੱਕ ਇੰਡੋ-ਯੂਰਪੀ ਭਾਸ਼ਾ , ਸੀ ਨੂੰ ਨਕਾਰਾਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ, [२ 27] ਰਿਗਵੇਦ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਜੋਂ ਪ੍ਰਗਟ ਹੋਇਆ , ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਡਿੱਗਣ ਨੂੰ ਰਿਕਾਰਡ ਕਰਨਾ । [28] [ ਵਿਵਾਦਿਤ - 'ਤੇ ਚਰਚਾ ] The ਦ੍ਰਵਿੜ ਭਾਸ਼ਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਧੋਖਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. [29 B] BCECE ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਵਿੱਚ, ਜਾਤੀ ਦੁਆਰਾ ਤਸਦੀਕੀਕਰਨ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਕੱ Hinduਣ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸਾਹਮਣੇ ਆਈ ਸੀ, [30०] ਅਤੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਅਤੇ ਜੈਨ ਧਰਮ ਉੱਭਰਿਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨੇ ਵਿਰਾਸਤ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਸਮਾਜਿਕ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਸੀ । []१] ਮੁ politicalਲੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਇਕਸੁਰਤਾ ਨੇ ਗੰਗਾ ਬੇਸਿਨ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਮੋਰਿਆ ਅਤੇ ਗੁਪਤਾ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ gaveਿੱਲੇ .ੰਗ ਨਾਲ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ . []२] ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਮੂਹਿਕ ਯੁੱਗ ਵਿਆਪਕ ਰਚਨਾਤਮਕਤਾ ਨਾਲ ਗ੍ਰਸਤ ਸੀ, [] 33] ਪਰ womenਰਤਾਂ ਦੀ ofਹਿ ਰਹੀ ਸਥਿਤੀ, [] 34] ਅਤੇ ਅਛੂਤਤਾ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸੰਗਠਿਤ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਵੀ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ . [g] [35] ਵਿੱਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ , ਮੱਧ ਰਾਜ ਦੇ ਰਾਜ ਨੂੰ ਨਿਰਯਾਤ ਦ੍ਰਵਿੜ-ਭਾਸ਼ਾ ਸਕਰਿਪਟ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ . [] 36]ਮੱਧਯੁਗ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ ਯੁੱਗ ਵਿਚ, ਈਸਾਈ , ਇਸਲਾਮ , ਯਹੂਦੀ ਅਤੇ ਜ਼ੋਰਾਸਟ੍ਰਿਸਟਿਜ਼ਮ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ .ੇ 'ਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਸੁੱਟੀਆਂ. [. 37] ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਦੀਆਂ ਮੁਸਲਮਾਨ ਫ਼ੌਜਾਂ ਰੁਕ-ਰੁਕ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਮੈਦਾਨੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ, [38 38] ਆਖਰਕਾਰ ਦਿੱਲੀ ਸਲਤਨਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ , ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਮੱਧਯੁਗੀ ਇਸਲਾਮ ਦੇ ਬ੍ਰਹਿਮੰਡ ਨੈਟਵਰਕ ਵਿੱਚ ਖਿੱਚ ਲਿਆ । [39]] 15 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਵਿਜਯਾਨਗਰ ਸਾਮਰਾਜ ਨੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਲੰਮੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਚੱਲਣ ਵਾਲਾ ਸੰਯੁਕਤ ਹਿੰਦੂ ਸਭਿਆਚਾਰ ਬਣਾਇਆ. [40] ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ , ਸਿੱਖ ਧਰਮਸੰਸਥਾਗਤ ਧਰਮ ਨੂੰ ਰੱਦ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਉਭਰੇ. [] १ ] ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ , ਸੰਨ 1526 ਵਿੱਚ, ਦੋ ਸਦੀਆਂ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀਪੂਰਵਕ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਹੋਇਆ, [42२] ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ .ਾਂਚੇ ਦੀ ਵਿਰਾਸਤ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ. [ਐਚ] [ ] 43] ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਫੈਲਾਉਣ ਦੇ ਨਿਯਮਾਂ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਨ ਨਾਲ, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੱਤਾ, ਪਰੰਤੂ ਇਸਦੀ ਪ੍ਰਭੂਸੱਤਾ ਨੂੰ ਵੀ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕੀਤਾ . [] 44] ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਤਾਜ ਰਾਜ 1858 ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ। ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ, [] 45] ਪਰ ਤਕਨੀਕੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ, ਅਤੇ ਸਿੱਖਿਆ, ਆਧੁਨਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਜੀਵਨ ਦੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦੀ ਜੜ ਫੜ ਗਈ। [] 46] ਇਕ ਮੋਹਰੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦੀ ਲਹਿਰ ਉੱਭਰੀ ਜੋ ਅਹਿੰਸਾਵਾਦੀ ਵਿਰੋਧ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੀ ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ਾਸਨ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰਨ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕਾਰਕ ਬਣ ਗਈ। [] 47] 1947 ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਇੰਡੀਅਨ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਦੋ ਸੁਤੰਤਰ ਸ਼ਾਸਨ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ , ਇੱਕ ਹਿੰਦੂ-ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਇੱਕ ਮੁਸਲਮਾਨ ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ , ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਜਾਨ ਦਾ ਘਾਟਾ ਅਤੇ ਬੇਮਿਸਾਲ ਪ੍ਰਵਾਸ ਸੀ, ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ । [] 48] [] 49]ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਸੰਸਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਅਧੀਨ 1950 ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਸੰਘੀ ਗਣਤੰਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਬਹੁਲਵਾਦੀ , ਬਹੁ-ਭਾਸ਼ਾਈ ਅਤੇ ਬਹੁ-ਜਾਤੀ ਵਾਲਾ ਸਮਾਜ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਬਾਦੀ 1951 ਵਿਚ 361 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵਧ ਕੇ 2011 ਵਿਚ 1.211 ਅਰਬ ਹੋ ਗਈ। []०] ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ, ਇਸਦੀ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਆਮਦਨ ਆਮਦਨੀ $$ ਡਾਲਰ ਤੋਂ ਸਾਲਾਨਾ $ १49$8 ਡਾਲਰ ਹੋ ਗਈ, ਅਤੇ ਇਸ ਦੀ ਸਾਖਰਤਾ ਦਰ .6 16.%% ਤੋਂ 74 to% ਹੋ ਗਈ। 1951 ਵਿਚ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ ਤੇ ਨਿਰਾਸ਼ਾਜਨਕ ਦੇਸ਼ ਬਣਨ ਤੋਂ, [ 51१ ] ਭਾਰਤ ਇੱਕ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਵੱਡੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਅਤੇ ਸੂਚਨਾ ਟੈਕਨਾਲੋਜੀ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ , ਇੱਕ ਵਧ ਰਹੇ ਮੱਧ ਵਰਗ ਦੇ ਨਾਲ. []२] ਇਸਦਾ ਇੱਕ ਸਪੇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਹੈਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕਈ ਯੋਜਨਾਬੱਧ ਜਾਂ ਪੂਰੇ ਕੀਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਮਿਸ਼ਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . ਭਾਰਤੀ ਫਿਲਮਾਂ, ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਅਧਿਆਤਮਕ ਉਪਦੇਸ਼ ਗਲੋਬਲ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਭੂਮਿਕਾ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ. [] 53] ਭਾਰਤ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗਰੀਬੀ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਹੱਦ ਤੱਕ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਆਰਥਿਕ ਅਸਮਾਨਤਾ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਦੀ ਕੀਮਤ 'ਤੇ. [] 54] ਭਾਰਤ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ-ਹਥਿਆਰ ਵਾਲਾ ਰਾਜ ਹੈ , ਜੋ ਕਿ ਫੌਜੀ ਖਰਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਉੱਚਾ ਹੈ । 20 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੱਧ ਤੋਂ ਇਸ ਦੇ ਗਵਾਂ .ੀਆਂ, ਗੁਆਂ .ੀਆਂ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਚੀਨ ਨਾਲ ਕਸ਼ਮੀਰ ਬਾਰੇ ਵਿਵਾਦ ਹਨ । [55 55] ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਚੁਣੌਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਲਿੰਗ-ਅਸਮਾਨਤਾ , ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਕੁਪੋਸ਼ਣ , [] 56] ਅਤੇ ਵੱਧ ਰਹੇ ਪੱਧਰ ਹਨਹਵਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ . [57] ਭਾਰਤ ਦੇ ਧਰਤੀ ਹੈ megadiverse ਚਾਰ ਨਾਲ, ਜੈਵ ਹੌਟਸਪੌਟ . [] 58] ਇਸ ਦੇ ਜੰਗਲ ਦੇ coverੱਕਣ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੇ ਖੇਤਰ ਦੇ 21.4% ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. [59]] ਭਾਰਤ ਦਾ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਣ , ਜਿਸ ਨੂੰ ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿੱਚ ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਨਾਲ ਵੇਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ , [60]] ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਿਤੇ ਵੀ, ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਬਸੇਰੇ ਵਿੱਚ ਸਹਿਯੋਗੀ ਹੈ ।ਸ਼ਬਦਾਵਲੀਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਨਾਮਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਆਕਸਫੋਰਡ ਇੰਗਲਿਸ਼ ਡਿਕਸ਼ਨਰੀ (ਤੀਜੇ ਐਡੀਸ਼ਨ 2009), ਨਾਮ 'ਭਾਰਤ' ਤੱਕ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਕਲਾਸੀਕਲ ਲਾਤੀਨੀ , ਭਾਰਤ , ਦਾ ਹਵਾਲਾ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਇੱਕ ਅਨਿਸ਼ਚਿਤ ਖੇਤਰ ਨੂੰ; ਅਤੇ ਬਦਲੇ ਵਿੱਚ ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਆਇਆ: ਹੇਲੇਨਿਸਟਿਕ ਯੂਨਾਨੀ ਭਾਰਤ ( Ἰνδία ); ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨੀ ਇੰਡੋਸ ( Ἰνδός ); ਪੁਰਾਣੀ ਫ਼ਾਰਸੀ ਹਿੰਦੂਸ਼ , ਅਚਮੇਨੀਡ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਪੂਰਬੀ ਪ੍ਰਾਂਤ ; ਅਤੇ ਆਖਰਕਾਰ ਇਸ ਦਾ ਗਿਆਨ , ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਿੰਧੂ ਜਾਂ "ਨਦੀ" ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਿੰਧ ਨਦੀ ਹੈਅਤੇ, ਉਲਝਣ ਨਾਲ, ਇਸ ਦੀ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੈਟਲ ਕੀਤੀ ਦੱਖਣੀ ਬੇਸਿਨ. [ ] १ ] [] २ ] ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਇੰਡੋਈ ( Ἰνδοί ) ਕਿਹਾ ਸੀ, ਜਿਹੜਾ “ਸਿੰਧ ਦੇ ਲੋਕਾਂ” ਵਜੋਂ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰਦਾ ਹੈ। [] 63]ਮਿਆਦ ਭਾਰਤ ( ਭਾਰਤ ; ਉਚਾਰੇ [bʱaːɾət] (About this soundਸੁਣੋ )), ਦੋਹਾਂਭਾਰਤੀ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਕਵਿਤਾਵਾਂਅਤੇਭਾਰਤਦੇਸੰਵਿਧਾਨਵਿਚ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆਹੈ,[] 64][] 65]ਇਸ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚਕਈ ਭਾਰਤੀ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂਦੁਆਰਾ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾਹੈ. ਇਤਿਹਾਸਕ ਨਾਮਭਾਰਤਵਰਸ਼ਦਾ ਇੱਕ ਆਧੁਨਿਕ ਪੇਸ਼ਕਾਰੀ, ਜੋ ਅਸਲ ਵਿੱਚਗੰਗਾ ਵਾਦੀਦੇ ਇੱਕ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ,[] 66][] 67] ਭਾਰਤਨੇ 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੱਧ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਲਈ ਇੱਕ ਮੂਲ ਨਾਮ ਵਜੋਂ ਮੁਦਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ। [] 64][] 68]ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ([ɦɪndʊˈstaːn] (About this soundਸੁਣੋ ))ਭਾਰਤਦਾ ਇੱਕਮੱਧ ਫ਼ਾਰਸੀਨਾਮ ਹੈ,ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇਸਮੇਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆਅਤੇ ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਵਿਆਪਕ ਤੌਰ ਤੇ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਦੇ ਅਰਥ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਹਨ, ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਖੇਤਰ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਜੋ ਮੌਜੂਦਾ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਅਤੇਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈਜਾਂ ਇਸ ਦੇ ਨੇੜਲੇ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ. [] 64][]68][] 69]ਇਤਿਹਾਸਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਅਤੇ ਗਣਤੰਤਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਪ੍ਰਾਚੀਨ ਭਾਰਤ(ਸਿਖਰਲਾ) 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦਾ ਰਿਗਵੇਦ ਦਾ ਇਕ ਖਰੜਾ , ਜੋ 1500–1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. []०] ਖਰੜਾ ਇੱਕ 14 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੀ ਸਕ੍ਰਿਪਟ ਸ਼ੈਲੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦਾ ਹੈ. (ਹੇਠਾਂ) ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਰਮਾਇਣ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ-ਆਧੁਨਿਕ ਖਰੜੇ ਦਾ ਇਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟਾਂਤ , ਜੋ ਕਹਾਣੀ-ਦੱਸਣ ਵਾਲੇ ਫੈਸ਼ਨ ਸੀ.  400 ਬੀ ਸੀ ਈ - ਸੀ.  300 ਈਸਵੀ . []१]55,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ, ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖ, ਜਾਂ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨ , ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਭਾਰਤੀ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ 'ਤੇ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ, ਜਿਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਹਿਲਾਂ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ਸੀ. []२] [ ] 73] [ ] 74] ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਤਕਰੀਬਨ 30,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੀ ਤਾਰੀਖ ਹੈ. [] 75] ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਤੋਂ 00 6500 B ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਮੇਹਰਗੜ ਅਤੇ ਹੋਰ ਥਾਵਾਂ ਤੇ, ਜੋ ਹੁਣ ਬਲੋਚਿਸਤਾਨ, ਵਿੱਚ ਹੈ, ਵਿੱਚ ਖਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਅਤੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਪਸ਼ੂ ਪਾਲਣ, ਸਥਾਈ structures ਾਂਚਿਆਂ ਦੀ ਉਸਾਰੀ, ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਸਰਪਲੱਸਾਂ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਦੇ ਸਬੂਤ ਸਾਹਮਣੇ ਆਏ । [] 76] ਇਹ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਤ ਹੋ ਗਏ , [] 77] [] 76] ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾ ਸ਼ਹਿਰੀ ਸਭਿਆਚਾਰ, [] 78]ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ ਦੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 2500–1900 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੌਰਾਨ ਫੈਲਿਆ ਸੀ। [.]] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮੋਹੇਂਜੋ-ਦਾਰੋ , ਹੜੱਪਾ , ਧੋਲਾਵੀਰਾ ਅਤੇ ਕਾਲੀਬੰਗਨ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਦੇ ਆਸ ਪਾਸ ਕੇਂਦਰਤ ਹੈ ਅਤੇ ਅਨੇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਿਰਭਰਤਾ ਉੱਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਿਆਂ, ਸਭਿਅਤਾ ਕਾਰੀਗਰਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਅਤੇ ਵਿਆਪਕ ਵਪਾਰ ਵਿੱਚ ਮਜਬੂਤ engagedੰਗ ਨਾਲ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ। [] 78]2000 ਤੋਂ 500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਅਰਸੇ ਦੌਰਾਨ, ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਖੇਤਰ ਚੈਲਕਾਲੀਥਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰਾਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਆਇਰਨ ਯੁੱਗ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲ ਹੋ ਗਏ. [80] , The ਵੇਦ , ਨਾਲ ਸਬੰਧਿਤ ਸਭ ਹਵਾਲੇ ਹਿੰਦੂ , [81] ਇਸ ਮਿਆਦ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, [82] ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਇਹ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕੀਤਾ ਹੈ ਕਿ ਇੱਕ posit ਦਾ ਵੈਦਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਗੰਗਾ ਪਲੇਨ . [. 80] ਬਹੁਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਇਸ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਤੋਂ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿੱਚ ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ ਪਰਵਾਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਲਹਿਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਮੰਨਦੇ ਹਨ । [81] , Theਜਾਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ , ਜਿਸਨੇ ਪੁਜਾਰੀਆਂ, ਯੋਧਿਆਂ ਅਤੇ ਅਜ਼ਾਦ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ ਖੰਡਨ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ, ਪਰ ਜਿਸ ਨੇ ਸਵਦੇਸ਼ੀ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਕਿੱਤਿਆਂ ਨੂੰ ਅਯੋਗ ਠਹਿਰਾਉਂਦਿਆਂ, ਇਸ ਅਵਧੀ ਦੌਰਾਨ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ. [83] 'ਤੇ ਡੈਕਨ ਪਠਾਰ , ਇਸ ਮਿਆਦ ਤੱਕ ਪੁਰਾਤੱਤਵ ਸਬੂਤ ਸਿਆਸੀ ਸੰਗਠਨ ਦੇ ਇੱਕ chiefdom ਪੜਾਅ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਸੁਝਾਅ ਦਿੰਦਾ ਹੈ. [80] ਵਿੱਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ , ਸੁਸ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਨਾਲ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ megalithic ਇਸ ਮਿਆਦ ਤੱਕ ਡੇਟਿੰਗ ਸਮਾਰਕ, [84] ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਨੇੜਲੇ ਟਰੇਸ ਕਰਕੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ , ਸਿੰਚਾਈ ਕੁੰਡ , ਅਤੇ ਕਰਾਫਟ ਪਰੰਪਰਾ. [] 84]ਉੱਪਰਲੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਘੜੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ: ()) ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ , ਸੀ.  250 ਬੀਸੀਈ ; (ਅ) ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ, ਸੀ.  350 ਸੀਈ ; (c) ਚੱਟਾਨ-ਕੱਟ ਅਜਨਤਾ ਗੁਫਾਵਾਂ ਦੀ 26 ਗੁਫਾ , ਪੰਜਵੀਂ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ.6 ਵੇਂ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਅਖੀਰ ਵਿਚ, ਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਦੇ ਸਮੇਂ, ਗੰਗਾ ਮੈਦਾਨ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਖੇਤਰਾਂ ਦੇ ਛੋਟੇ ਰਾਜ ਅਤੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਰਾਜਾਂ ਨੇ 16 ਵੱਡੀਆਂ-ਵੱਡੀਆਂ ਅਮੀਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਜਸ਼ਾਹੀਆਂ ਨੂੰ ਇਕੱਤਰ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਹਾਜਨਪਦ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ . [] 85] [ ] 86] ਉੱਭਰ ਰਹੀ ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਨੇ ਗੈਰ-ਵੈਦਿਕ ਧਾਰਮਿਕ ਲਹਿਰਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੱਤਾ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਦੋ ਸੁਤੰਤਰ ਧਰਮ ਬਣ ਗਏ। ਜੈਨ ਧਰਮ ਇਸ ਦੇ ਮਿਸਾਲ ਮਹਾਂਵੀਰ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੌਰਾਨ ਪ੍ਰਮੁੱਖਤਾ ਵਿੱਚ ਆਇਆ . [] 87] ਗੌਤਮ ਬੁੱਧ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਉੱਤੇ ਅਧਾਰਤ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਨੇ ਮੱਧ ਵਰਗ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਸਾਰੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਤ ਕੀਤਾ; ਬੁੱਧ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਦਰਜ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਰਿਹਾ। [] 88] []]] []]]ਸ਼ਹਿਰੀ ਦੌਲਤ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਦੇ ਯੁੱਗ ਵਿਚ, ਦੋਵਾਂ ਧਰਮਾਂ ਨੇ ਤਿਆਗ ਨੂੰ ਆਦਰਸ਼ ਮੰਨਿਆ, [] १] ਅਤੇ ਦੋਵਾਂ ਨੇ ਚਿਰ ਸਥਾਈ ਮੱਠ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ. ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਤੀਜੀ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਤੱਕ, ਮਗਧ ਦੇ ਰਾਜ ਨੇ ਮੌਰਯਾਨ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉੱਭਰਨ ਲਈ ਦੂਜੇ ਰਾਜਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਜੋੜ ਲਿਆ ਸੀ ਜਾਂ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ . [92]] ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮੇਂ ਦੂਰ ਦੱਖਣ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਬਾਰੇ ਸੋਚਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ, ਪਰੰਤੂ ਇਸ ਦੇ ਮੁ regionsਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਹੁਣ ਵੱਡੇ ਖੁਦਮੁਖਤਿਆਰ ਖੇਤਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵੱਖ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. []]] []]] ਮੌਰੀਅਨ ਰਾਜਿਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ-ਨਿਰਮਾਣ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਜੀਵਨ ਦੇ ਪੱਕੇ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਲਈ ਜਿੰਨੇ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇਫੌਜੀਵਾਦ ਦਾ ਤਿਆਗ ਅਤੇ ਬੋਧੀ ਧਾਮ ਦੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤੱਕ ਵਕਾਲਤ . []]] []]]ਸੰਗਮ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਦੇ ਤਮਿਲ ਭਾਸ਼ਾ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ, 200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 200 ਈਸਵੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ, ਦੱਖਣੀ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦਾ ਰਾਜ ਸੀ Cheras , Cholas , ਅਤੇ Pandyas , ਘਰਾਣਿਆ ਹੈ ਕਿ ਰੋਮੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਨਾਲ ਵਿਆਪਕ ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਨਾਲ ਪੱਛਮੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ . []]] []]] ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ, ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ, ਜਿਸ ਨਾਲ ofਰਤਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੋ ਗਏ। [] 99] []]] ਚੌਥੀ ਅਤੇ ਪੰਜਵੀਂ ਸਦੀ ਤਕ, ਗੁਪਤਾ ਸਾਮਰਾਜਵਿਸ਼ਾਲ ਗੰਗਾ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਅਤੇ ਟੈਕਸ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਇਕ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਬਣਾਈ ਸੀ; ਇਹ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਬਾਅਦ ਦੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਨਮੂਨਾ ਬਣ ਗਈ. [१०]] [१०१] ਗੁਪਤਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ, ਰੀਤ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਕਰਨ ਦੀ ਬਜਾਏ ਸ਼ਰਧਾ ਦੇ ਅਧਾਰ 'ਤੇ ਇਕ ਨਵਾਂ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ, ਆਪਣੇ ਆਪ' ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ। [१०२] ਇਹ ਨਵੀਨੀਕਰਣ ਸ਼ਿਲਪਕਾਰੀ ਅਤੇ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਦੇ ਫੁੱਲ ਵਿੱਚ ਝਲਕਦਾ ਸੀ , ਜਿਸ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿਰੀ ਕੁਲੀਨ ਵਰਗ ਦੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਮਿਲੇ ਸਨ. [101] ਕਲਾਸੀਕਲ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਾਹਿਤ ਵੀ ਫੁੱਲਿਆ, ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਵਿਗਿਆਨ , ਖਗੋਲ ਵਿਗਿਆਨ , ਦਵਾਈ ਅਤੇ ਗਣਿਤ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤਰੱਕੀ ਕੀਤੀ। [101]ਮੱਧਕਾਲੀਨ ਭਾਰਤ(ਖੱਬੇ) 1022 ਸਾ.ਯੁ. ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ; (ਸੱਜੇ) ਬ੍ਰਿਹਦੇਸ਼ਵਰ ਮੰਦਰ , ਤੰਜਾਵਰ , 1010 ਈਸਵੀ ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਹੋਇਆਭਾਰਤੀ ਮੱਧਯੁਗੀ ਯੁੱਗ, 600 ਈਸਵੀ ਤੋਂ 1200 ਸਾ.ਯੁ. ਤੱਕ, ਖੇਤਰੀ ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਭਾਸ਼ਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ. [103] ਜਦ ਹਰਸ਼ਾ ਦੇ ਕਨੌਜ , ਜੋ 606 ਤੱਕ 647 ਈਸਵੀ ਨੂੰ ਭਾਰਤ-ਗੰਗਾ ਪਲੇਨ ਦੇ ਬਹੁਤ ਰਾਜ ਕੀਤਾ, southwards ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਹੈ, ਉਹ ਕਰ ਕੇ ਹਾਰ ਗਿਆ Chalukya ਡੈਕਨ ਦਾ ਸਰਦਾਰ ਸੀ. [104] ਜਦੋਂ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨੇ ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ ਬੰਗਾਲ ਦੇ ਪਾਲਾ ਰਾਜੇ ਨੇ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ . [१०4] ਜਦੋਂ ਚਾਲੁਕਾਂ ਨੇ ਦੱਖਣ ਵੱਲ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਦੱਖਣ ਤੋਂ ਪੱਲਵਾਸ ਦੁਆਰਾ ਹਰਾਇਆ ਗਿਆ , ਜਿਸਦਾ ਬਦਲੇ ਵਿੱਚ ਪਾਂਡਿਆਂ ਅਤੇ ਚੋਲਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆਅਜੇ ਵੀ ਦੂਰ ਦੱਖਣ ਤੋਂ. [१०4] ਇਸ ਸਮੇਂ ਦਾ ਕੋਈ ਵੀ ਸ਼ਾਸਕ ਕੋਈ ਸਾਮਰਾਜ ਨਹੀਂ ਬਣਾ ਸਕਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂਲ ਖੇਤਰ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜ਼ਮੀਨਾਂ ਉੱਤੇ ਨਿਰੰਤਰ ਨਿਯੰਤਰਣ ਕਰ ਸਕਿਆ ਸੀ। [१०3] ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ, ਪੇਸਟੋਰਲ ਲੋਕ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਧ ਰਹੀ ਖੇਤੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਲਈ ਰਾਹ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਸਾਫ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਨੂੰ ਜਾਤੀ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਨਵੀਂ ਗੈਰ-ਰਵਾਇਤੀ ਸ਼ਾਸਕ ਜਮਾਤਾਂ ਸਨ। [१० 105] ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਖੇਤਰੀ ਭਿੰਨਤਾ ਦਿਖਾਉਣ ਲੱਗੀ। [१०]]6 ਵੀਂ ਅਤੇ 7 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ, ਤਮਿਲ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਪਹਿਲੀ ਭਗਤੀ ਬਾਣੀ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੀ. [१०6] ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਨਕਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਪੁਨਰ-ਉਭਾਰ ਅਤੇ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ । [१०6] ਭਾਰਤੀ ਰਾਇਲਟੀ, ਵੱਡੇ ਅਤੇ ਛੋਟੇ, ਅਤੇ ਉਹ ਮੰਦਰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਕੀਤੀ ਸੀ, ਨੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵੱਲ ਖਿੱਚਿਆ, ਜੋ ਕਿ ਆਰਥਿਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਬਣ ਗਏ. [१०7] ਵੱਖ ਵੱਖ ਅਕਾਰ ਦੇ ਮੰਦਰ ਕਸਬੇ ਹਰ ਪਾਸੇ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਲੱਗੇ ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਨੇ ਇਕ ਹੋਰ ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਕੀਤਾ। [१०7] ਅੱਠਵੀਂ ਅਤੇ ਨੌਵੀਂ ਸਦੀ ਤਕ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦੱਖਣੀ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੇ ਗਏ, ਕਿਉਂਕਿ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਣਾਲੀਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਨਿਰਯਾਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਜੋ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣ ਗਏ ਸਨਮਿਆਂਮਾਰ , ਥਾਈਲੈਂਡ , ਲਾਓਸ , ਕੰਬੋਡੀਆ , ਵੀਅਤਨਾਮ , ਫਿਲੀਪੀਨਜ਼ , ਮਲੇਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਜਾਵਾ . [१० 108] ਇਸ ਵਪਾਰੀ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਵਪਾਰੀ, ਵਿਦਵਾਨ ਅਤੇ ਕਈ ਵਾਰ ਫ਼ੌਜਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਸਨ; ਦੱਖਣੀ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਅਨਜ਼ ਨੇ ਵੀ ਪਹਿਲ ਕੀਤੀ, ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਸੈਮੀਨਾਰਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹੋਏ ਅਤੇ ਬੋਧੀ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਪਾਠਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿਚ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰਦੇ ਹੋਏ. [108](ਖੱਬੇ) ਭਾਰਤ ਨੇ 1398 ਸਾ.ਯੁ. ਵਿਚ, ਦਿੱਲੀ ਸੁਲਤਾਨਤ ਦੇ ਸਮੇਂ (ਲੇਬਲ '' ਅਫਗਾਨ ਸਾਮਰਾਜ ''); (ਸੱਜਾ) ਕੁਤੁਬ ਮੀਨਾਰ , 73 ਮੀਟਰ (240 ਫੁੱਟ) ਲੰਬਾ, ਸੁਲਤਾਨ, ਦਿੱਲੀ ਦੁਆਰਾ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ , ਇਲਤੁਤਮਿਸ਼10 ਵੀਂ ਸਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਮੁਸਲਿਮ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆਈ ਖਾਨਾਬਦੋਸ਼ ਕਬੀਲੇ, ਤਿੱਖੀ ਘੋੜੇ ਘੋੜਸਵਾਰਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਅਤੇ ਜਾਤੀ ਅਤੇ ਧਰਮ ਨਾਲ ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਵੱਡੀਆਂ ਫੌਜਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏ, ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਮੈਦਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਕਬਜ਼ੇ ਵਿਚ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਅਤੇ ਆਖਰਕਾਰ 1206 ਵਿਚ ਇਸਲਾਮੀ ਦਿੱਲੀ ਸਲਤਨਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਵੱਲ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦਾ ਸੀ. [109] ] ਸੁਲਤਾਨ ਨੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਕਰਨਾ ਸੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰਾਹ ਬਣਾਏ ਹੋਏ ਸਨ. ਹਾਲਾਂਕਿ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਰਤੀ ਕੁਲੀਨ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਵਿਘਨ ਪਾਉਣ ਵੇਲੇ, ਸੁਲਤਾਨ ਨੇ ਆਪਣੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਗੈਰ-ਮੁਸਲਿਮ ਵਿਸ਼ਾ ਅਬਾਦੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਅਤੇ ਰਿਵਾਜਾਂ ਤੇ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਸੀ. [110] [111] ਮੰਗੋਲ ਰੇਡਰਾਂ ਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਭਜਾ ਕੇ13 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ, ਸੁਲਤਾਨ ਨੇ ਪੱਛਮੀ ਅਤੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਕੀਤੀ ਤਬਾਹੀ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਬਚਾਇਆ ਅਤੇ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਭੱਜ ਰਹੇ ਸਿਪਾਹੀ, ਵਿਦਵਾਨ ਆਦਮੀ, ਰਹੱਸਮਈ, ਵਪਾਰੀ, ਕਲਾਕਾਰ ਅਤੇ ਕਾਰੀਗਰਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਖੇਤਰ ਦੇ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵਾਸ ਕਰਨ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਬਣਾਇਆ. ਉੱਤਰ ਵਿਚ ਇਕ ਸਿੰਕਰੇਟਿਕ ਇੰਡੋ-ਇਸਲਾਮਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ. [११२] [११3] ਸੁਲਤਾਨ ਦੀ ਛਾਪੇਮਾਰੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਖੇਤਰੀ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਵਦੇਸ਼ੀ ਵਿਜਯਨਗਰ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਰਾਹ ਪੱਧਰਾ ਹੋਇਆ ਸੀ । [११4] ਇਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ਸ਼ੈਵੀ ਪਰੰਪਰਾ ਨੂੰ ਅਪਣਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਅਤੇ ਸੁਲਤਾਨ ਦੀ ਫੌਜੀ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ 'ਤੇ, ਸਾਮਰਾਜ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਕਾਬੂ ਕਰਨ ਆਇਆ। [११]]ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਕਰਨਾ ਸੀ. [114]ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤਉਪਰਲੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸਿਓਂ ਘੜੀਸਾਈ ਗਈ (ਅ) ਮੁਗਲ ਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਵੇਲੇ 1525 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ; (ਅ) ਅਕਬਰ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦੌਰਾਨ 1605 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ; (c) ਆਗਰਾ ਕਿਲ੍ਹੇ ਤੋਂ ਤਾਜ ਮਹਿਲ ਦਾ ਦੂਰ ਦ੍ਰਿਸ਼16 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿੱਚ, ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ, ਫਿਰ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ, [116] ਦੁਬਾਰਾ ਕੇਂਦਰੀ ਏਸ਼ੀਅਨ ਯੋਧਿਆਂ ਦੀ ਨਵੀਂ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੀ ਉੱਤਮ ਗਤੀਸ਼ੀਲਤਾ ਅਤੇ ਫਾਇਰਪਾਵਰ ਦੇ ਹੱਥ ਪੈ ਗਿਆ। [११7] ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਨੇ ਸਥਾਨਕ ਸਮਾਜਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੇ ਰਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਨਹੀਂ ਮੋਹਰਿਆ। ਇਸ ਦੀ ਬਜਾਏ, ਇਸਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਅਭਿਆਸਾਂ [118] [११]] ਅਤੇ ਵਿਭਿੰਨ ਅਤੇ ਸੰਮਿਲਿਤ ਸ਼ਾਸਕ ਕੁਲੀਨ ਰਾਹੀ ਸੰਤੁਲਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਾਂਤ ਕੀਤਾ , [120] ਜਿਸ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਵਿਵਸਥਿਤ, ਕੇਂਦਰੀਕਰਨ ਅਤੇ ਇਕਸਾਰ ਸ਼ਾਸਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [१२१] ਕਬਾਇਲੀ ਬੰਧਨਾਂ ਅਤੇ ਇਸਲਾਮੀ ਪਛਾਣ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਅਕਬਰ ਦੇ ਅਧੀਨ , ਮੁਗਲਾਂ ਨੇ ਵਫ਼ਾਦਾਰੀ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਆਪਣੇ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਏਕਤਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ, ਇੱਕ ਫਾਰਸੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤਾ, ਇੱਕ ਸਮਰਾਟ ਜਿਸਦਾ ਨੇੜੇ-ਇਲਾਹੀ ਰੁਤਬਾ ਸੀ।[१२०] ਮੁਗਲ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਆਰਥਿਕ ਨੀਤੀਆਂ, ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਾਲੀਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ [१२२] ਅਤੇ ਇਹ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਿਯਮਤ ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਕਰੰਸੀ ਵਿਚ ਟੈਕਸ ਅਦਾ ਕੀਤੇ ਜਾਣ, [१२3] ਕਾਰਨ ਕਿਸਾਨੀ ਅਤੇ ਕਾਰੀਗਰ ਵੱਡੇ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਹੋ ਗਏ। [१२१] 17 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਾਮਰਾਜ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੰਬੰਧਤ ਸ਼ਾਂਤੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਰਥਿਕ ਵਿਸਥਾਰ ਦਾ ਇੱਕ ਕਾਰਕ ਸੀ, [121] ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪੇਂਟਿੰਗ , ਸਾਹਿਤਕ ਰੂਪਾਂ, ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਅਤੇ architect ਾਂਚੇ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਹੋਈ. [१२4] ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਇਕਸਾਰ ਸਮਾਜਿਕ ਸਮੂਹ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮਰਾਠਿਆਂ , ਰਾਜਪੂਤਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖ, ਮੁਗਲ ਸ਼ਾਸਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਫੌਜੀ ਅਤੇ ਰਾਜ ਕਰਨ ਦੀਆਂ ਅਭਿਲਾਸ਼ਾਵਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀਆਂ, ਜਿਸ ਨੇ ਮਿਲਵਰਤਣ ਜਾਂ ਮੁਸੀਬਤਾਂ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਨਤਾ ਅਤੇ ਸੈਨਿਕ ਤਜਰਬੇ ਦੋਵੇਂ ਦਿੱਤੇ. [१२ 125] ਮੁਗਲ ਰਾਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਪਾਰ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਨ ਨਾਲ ਦੱਖਣੀ ਅਤੇ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਭਾਰਤੀ ਵਪਾਰਕ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਕੁਲੀਨਗਰਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਮਿਲਿਆ. [१२ 125] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਾਮਰਾਜ ਟੁੱਟ ਗਿਆ, ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕੁਲੀਨ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਖੁਦ ਦੇ ਮਾਮਲਿਆਂ ਨੂੰ ਲੱਭਣ ਅਤੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਸਨ. [126]ਉੱਪਰੋਂ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਘੜੀਸਾਰੀ: ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਧੀਨ ਭਾਰਤ (ਏ) 1795 ਵਿਚ; (ਅ) 1848 ਵਿਚ; (ੲ) ਇਕ ਦੋ Mohur ਕੰਪਨੀ ਸੋਨੇ ਦਾ ਸਿੱਕਾ, 1835 ਵਿਚ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ, obverse ਦਿਖਾ ਵਿਲੀਅਮ IV, ਰਾਜਾ18 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿਚ, ਵਪਾਰਕ ਅਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਬਦਬੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਦੀਆਂ ਲਾਈਨਾਂ ਵਧਦੇ ਧੁੰਦਲੇ ਹੋਣ ਨਾਲ, ਇੰਗਲਿਸ਼ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਸਣੇ ਕਈ ਯੂਰਪੀਅਨ ਵਪਾਰਕ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰalੇ ਦੀਆਂ ਚੌਕੀਆਂ ਸਥਾਪਤ ਕਰ ਲਈਆਂ ਸਨ. [१२7] [१२8] ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਸਮੁੰਦਰਾਂ, ਵਧੇਰੇ ਸਰੋਤਾਂ ਅਤੇ ਵਧੇਰੇ ਉੱਨਤ ਸੈਨਿਕ ਸਿਖਲਾਈ ਅਤੇ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਣ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸੈਨਿਕ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਬਦਲਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਾਇਆ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਅਮੀਰ ਵਰਗ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਲਈ ਆਕਰਸ਼ਕ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ; ਇਹ ਕਾਰਕ 1765 ਤਕ ਕੰਪਨੀ ਨੂੰ ਬੰਗਾਲ ਖਿੱਤੇ ਉੱਤੇ ਕੰਟਰੋਲ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਦੀ ਇਜਾਜ਼ਤ ਦੇਣ ਅਤੇ ਹੋਰ ਯੂਰਪੀਅਨ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੂੰ ਨੱਥ ਪਾਉਣ ਲਈ ਅਹਿਮ ਸਨ। [129] [127] [130] [131]ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਅਮੀਰਾਂ ਤਕ ਇਸ ਦੀ ਹੋਰ ਪਹੁੰਚ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਦੀ ਵੱਧਦੀ ਤਾਕਤ ਅਤੇ ਅਕਾਰ ਨੇ ਇਸਨੂੰ 1820 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਤਕ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਗਿਰਫਤਾਰ ਕਰਨ ਜਾਂ ਇਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਇਆ. [132] ਉਸ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਨਿਰਮਿਤ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਬਰਾਮਦ ਨਹੀਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਇਹ ਪਹਿਲਾਂ ਸੀ, ਪਰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਨੂੰ ਕੱਚੇ ਮਾਲ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ . ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਇਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਦੌਰ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਮੰਨਦੇ ਹਨ. [१२7] ਇਸ ਸਮੇਂ ਤਕ, ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੰਸਦ ਦੁਆਰਾ ਇਸਦੀ ਆਰਥਿਕ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ Britishੰਗ ਨਾਲ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਇਕ ਤਾਕਤ ਬਣ ਗਈ, ਕੰਪਨੀ ਨੇ ਵਿੱਦਿਆ, ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਰਗੇ ਗੈਰ-ਆਰਥਿਕ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਦਾਖਲ ਹੋਣ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਚੇਤੰਨਤਾ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ. [133]ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਗਣਤੰਤਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ1909 ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਭਾਰਤੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਨਕਸ਼ਾਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਮੰਨਦੇ ਹਨ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਯੁੱਗ 1848 ਅਤੇ 1885 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਜਨਰਲ ਵਜੋਂ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਦੀ 1848 ਵਿਚ ਨਿਯੁਕਤੀ ਨੇ ਇਕ ਆਧੁਨਿਕ ਰਾਜ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਰੱਖੀ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਰਵਸੱਤਾ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਅਤੇ ਹੱਦਬੰਦੀ, ਆਬਾਦੀ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਅਤੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ। ਤਕਨਾਲੋਜੀਕ ਤਬਦੀਲੀਆਂ - ਉਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ, ਰੇਲਵੇ, ਨਹਿਰਾਂ ਅਤੇ ਤਾਰ - ਯੂਰਪ ਵਿਚ ਆਉਣ ਤੋਂ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ . [१44] [१55] [१66] [१77] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਕੰਪਨੀ ਨਾਲ ਨਿਰਾਸ਼ਾ ਵੀ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਵਧਿਆ ਅਤੇ 1857 ਦੇ ਭਾਰਤੀ ਬਗਾਵਤ ਨੂੰ ਅਲਵਿਦਾ ਕਹਿ ਦਿੱਤਾ. ਅਨੇਕ ਨਾਰਾਜ਼ਗੀ ਅਤੇ ਧਾਰਨਾਵਾਂ ਤੋਂ ਪਰੇਸ਼ਾਨ, ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ੈਲੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ, ਸਖ਼ਤ ਜ਼ਮੀਨੀ ਟੈਕਸਾਂ ਅਤੇ ਕੁਝ ਅਮੀਰ ਜ਼ਿਮੀਂਦਾਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਜਕੁਮਾਰਾਂ ਨਾਲ ਸੰਖੇਪ ਸਲੂਕ ਸਮੇਤ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੇ ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਮੱਧ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਹਿਲਾ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਕੰਪਨੀ ਰਾਜ ਦੀ ਨੀਂਹ ਹਿਲਾ ਦਿੱਤੀ। [१88] [१]]] ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਬਗ਼ਾਵਤ ਨੂੰ 1858 ਦੁਆਰਾ ਦਬਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਇਸ ਨਾਲ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਭੰਗ ਹੋ ਗਿਆ। ਇਕ ਏਕਤਾ ਰਾਜ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਪਰ ਸੀਮਤ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ੈਲੀ ਦੀ ਸੰਸਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰਦਿਆਂ, ਨਵੇਂ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਵੀ ਰਾਜਕੁਮਾਰਾਂ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਭਵਿੱਖ ਦੀ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਜਗੀਰਦਾਰੀ ਦੀ ਰਾਖੀ ਵਜੋਂ ਨਰਮੀ ਭਰੇ। [140] [141]ਅਗਲੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ, ਜਨਤਕ ਜੀਵਨ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਉੱਭਰਿਆ, ਅਤੇ ਆਖਰਕਾਰ 1885 ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ. [१ 14२] [१ 143] [१ 144] [१ 145]19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਦੂਜੇ ਅੱਧ ਵਿਚ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਦੀ ਭੀੜ ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਦਾ ਵਪਾਰੀਕਰਨ ਆਰਥਿਕ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀ ਦਾ ਕਾਰਨ ਸੀ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਛੋਟੇ ਕਿਸਾਨ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਨਿਰਭਰ ਹੋ ਗਏ ਸਨ। [१66] ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਅਕਾਲ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਅਕਾਲਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਸੀ , [१77] ਅਤੇ, ਭਾਰਤੀ ਕਰਦਾਤਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਬੁਨਿਆਦੀ developmentਾਂਚੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਜੋਖਮਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਭਾਰਤੀਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਉਦਯੋਗਿਕ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਸੀ. [१88] ਇਸ ਦੇ ਵਧੀਆ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵੀ ਸਨ: ਵਪਾਰਕ ਫਸਲਾਂ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਨਵੇਂ ਨਹਿਰ ਵਾਲੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ, ਅੰਦਰੂਨੀ ਖਪਤ ਲਈ ਅਨਾਜ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ। [१9]] ਰੇਲਵੇ ਨੈਟਵਰਕ ਨੇ ਭਿਆਨਕ ਅਕਾਲ ਤੋਂ ਰਾਹਤ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ, [१ 150०] ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਕੀਮਤ ਘਟਾ ਦਿੱਤੀ,[150] ਅਤੇ ਅਜੌਕੀ ਭਾਰਤੀ ਮਾਲਕੀਅਤ ਉਦਯੋਗ ਦੀ ਮਦਦ ਕੀਤੀ. [149]ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਮੋਹਨਦਾਸ ਕਰਮਚੰਦ ਗਾਂਧੀ , ਮੁੰਬਈ, 6 ਜੁਲਾਈ 1946 ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਲਾਂ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏਪਹਿਲੇ ਵਿਸ਼ਵ ਯੁੱਧ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਤਕਰੀਬਨ ਇਕ ਮਿਲੀਅਨ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੇ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ , [151] ਇਕ ਨਵਾਂ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ. ਇਹ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸੁਧਾਰ , ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਦਮਨਕਾਰੀ ਕਾਨੂੰਨ , ਸਵੈ-ਸ਼ਾਸਨ ਦੇ ਲਈ ਹੋਰ strident ਭਾਰਤੀ ਕਾਲ ਕੇ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਦੇ ਕੇ ਅਹਿੰਸਕ ਗੈਰ-ਸਹਿ-ਕਾਰਵਾਈ ਦੀ ਲਹਿਰ, ਜਿਸ ਦੇ ਮੋਹਨਦਾਸ ਕਰਮਚੰਦ ਰਾਹੁਲ ਨੇਤਾ ਅਤੇ ਸਹਿ ਪ੍ਰਤੀਕ ਬਣ ਜਾਵੇਗਾ. [152] 1930 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਦੌਰਾਨ, ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਹੌਲੀ ਵਿਧਾਨਕ ਸੁਧਾਰ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ; ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਹੋਈਆਂ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਜਿੱਤੀਆਂ। [153] ਅਗਲਾ ਦਹਾਕਾ ਸੰਕਟ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ: ਦੂਜੇ ਵਿਸ਼ਵ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਭਾਗੀਦਾਰੀ, ਅਸਹਿਯੋਗ ਲਈ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਅੰਤਮ ਧੱਕਾ ਅਤੇ ਮੁਸਲਿਮ ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦ ਦਾ ਉਭਾਰ। ਸਭ 1947 ਵਿਚ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਆਗਮਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਸਨ, ਪਰੰਤੂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਦੋ ਰਾਜਾਂ: ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ ਭੜਕਾਇਆ ਗਿਆ . [154]ਇਕ ਸੁਤੰਤਰ ਰਾਸ਼ਟਰ ਵਜੋਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਵੈ-ਰੂਪ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਇਸ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸੀ, ਜੋ 1950 ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਿਸ ਨੇ ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ ਅਤੇ ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਗਣਤੰਤਰ ਰੱਖਿਆ ਸੀ। [155] ਇਹ ਨਾਗਰਿਕ ਅਜ਼ਾਦੀ, ਇੱਕ ਸਰਗਰਮ ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਸੁਤੰਤਰ ਪ੍ਰੈਸਾਂ ਵਾਲਾ ਲੋਕਤੰਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। [१66] ਆਰਥਿਕ ਉਦਾਰੀਕਰਨ, ਜਿਸਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ 1990 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਸੀ, ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸ਼ਹਿਰੀ ਮੱਧਵਰਗ ਬਣਾਇਆ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧਣ ਵਾਲੀ ਅਰਥਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ , [157] ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਭੂ-ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਰੁਖ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਭਾਰਤੀ ਫਿਲਮਾਂ, ਸੰਗੀਤ ਅਤੇ ਅਧਿਆਤਮਕ ਉਪਦੇਸ਼ ਗਲੋਬਲ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਭੂਮਿਕਾ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ. [१66] ਫਿਰ ਵੀ, ਭਾਰਤ ਪੇਂਡੂ ਅਤੇ ਸ਼ਹਿਰੀ ਦੋਵਾਂ, ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦੀ ਬੇਲੋੜੀ ਗਰੀਬੀ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ; [156] ਧਾਰਮਿਕ ਦੁਆਰਾਅਤੇ ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹਿੰਸਾ ; [158] ਨੇ ਮਾਓਵਾਦੀ-ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਨਕਸਲੀ insurgencies ; [159] ਅਤੇ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵੱਖਵਾਦ ਦੁਆਰਾ । [160] ਇਹ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੱਲ ਖੇਤਰੀ ਵਿਵਾਦ ਹੈ ਚੀਨ [161] ਅਤੇ ਨਾਲ ਪਾਕਿਸਤਾਨ . [161] ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਸਥਾਈ ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਨਵੇਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਲੱਖਣ ਹਨ; ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਸਦੀਆਂ ਹਾਲ ਹੀ ਦੀਆਂ ਆਰਥਿਕ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਇਸ ਤੋਂ ਵਾਂਝੀ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਲਈ ਚਾਹਤ ਤੋਂ ਆਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਅਜੇ ਇੱਕ ਟੀਚਾ ਹੈ. [162]ਭੂਗੋਲਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਭੂਗੋਲਭਾਰਤ ਦੀਆਂ orਰਗੋਗ੍ਰਾਫਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਗਰਮੀਆਂ ਦਾ ਮੌਨਸੂਨਨੂੰ ਇੱਕ ਮਾਨਸੂਨ ਤੂਫ਼ਾਨ ਅੱਗੇ, ਫੜਨ ਕਿਸ਼ਤੀਆ ਲਈ ਇੱਕ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਬਾਰਸ਼ ਰਹੇ ਹਨ ਤਰੰਗਾ ਨਦੀ ਵਿਚ Anjarle ਪਿੰਡ, ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ.ਭਾਰਤ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਹਿੱਸਾ ਹੈ, ਇਹ ਇੰਡੋ-ਆਸਟਰੇਲੀਆਈ ਪਲੇਟ ਦਾ ਇਕ ਹਿੱਸਾ, ਭਾਰਤੀ ਟੈਕਟੋਨੀਕ ਪਲੇਟ ਦੇ ਉਪਰ ਪਿਆ ਹੈ . [१33] ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾਤਮਕ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਆਵਾਂ million 75 ਮਿਲੀਅਨ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਉਦੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈਆਂ ਜਦੋਂ ਇੰਡੀਅਨ ਪਲੇਟ, ਤਤਕਾਲੀ ਦੱਖਣੀ ਸੁਪਰ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਗੋਂਡਵਾਨਾ ਦਾ ਇੱਕ ਹਿੱਸਾ , ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਵਗਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰloੇ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ, ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ, ਦੱਖਣ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲਣ ਕਾਰਨ . [163] ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ, ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਵੱਲ, ਵਿਸ਼ਾਲ ਟੇਥੀਅਨ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ , ਯੂਰਸੀਅਨ ਪਲੇਟ ਦੇ ਅਧੀਨ ਆਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ . [163] ਇਹ ਦੋਹਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ, ਧਰਤੀ ਦੇ ਪਰਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਸੰਚਾਲਿਤ, ਦੋਵਾਂ ਨੇ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਦੀਪੀਲੀ ਛਾਲੇ ਨੂੰ ਆਖਰਕਾਰ ਯੂਰਸ਼ਿਆ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਾਇਆ . [१33] ਉੱਭਰ ਰਹੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੇ ਤੁਰੰਤ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ, ਪਲੇਟ ਦੀ ਲਹਿਰ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਖੂਹ ਬਣਾਇਆ ਜੋ ਕਿ ਜਲਦੀ ਨਾਲ ਨਦੀ-ਰਹਿਤ ਤਲਵਾਰ ਨਾਲ ਭਰੀ ਹੋਈ ਹੈ [164] ਅਤੇ ਹੁਣ ਇੰਡੋ-ਗੈਂਗੇਟਿਕ ਮੈਦਾਨ ਦਾ ਗਠਨ ਕਰਦਾ ਹੈ . [165] ਕੱਟੋ ਬੰਦ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕੇ ਸਧਾਰਨ ਤੱਕ Aravalli ਸੀਮਾ ਪਿਆ ਥਾਰ ਮਾਰੂਥਲ . [166]ਅਸਲ ਇੰਡੀਅਨ ਪਲੇਟ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਕਾਇਮ ਹੈ , ਜੋ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣਾ ਅਤੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਸਥਿਰ ਹਿੱਸਾ ਹੈ. ਇਹ ਉੱਤਰ ਤੱਕ ਉੱਤਰ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੈ ਜਿੰਨਾ ਕੇਂਦਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਤਪੁਰਾ ਅਤੇ ਵਿੰਧਿਆ ਦਾਇਰਾ ਹੈ. ਇਹ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਚੇਨ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਗੁਜਰਾਤ ਵਿੱਚ ਅਰਬ ਸਾਗਰ ਦੇ ਤੱਟ ਤੋਂ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਝਾਰਖੰਡ ਵਿੱਚ ਕੋਲਾ-ਅਮੀਰ ਛੋਟੇ ਨਾਗਪੁਰ ਪਠਾਰ ਤੱਕ ਚਲਦੀਆਂ ਹਨ . [167] ਦੱਖਣ ਵੱਲ, ਬਾਕੀ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦਾ ਲੈਂਡਮਾਸ, ਡੈਕਨ ਪਠਾਰ , ਪੱਛਮੀ ਅਤੇ ਪੂਰਬੀ ਘਾਟ ਵਜੋਂ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ ranੇ ਦੁਆਰਾ ਪੱਛਮ ਅਤੇ ਪੂਰਬ ਵੱਲ ਫਲੰਕ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ; [168]ਪਠਾਰ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਚੱਟਾਨਾਂ ਹੈ, ਕੁਝ ਇਕ ਅਰਬ ਸਾਲ ਪੁਰਾਣੀ. ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੈਸ਼ਨ ਵਿਚ ਬਣਿਆ, ਭਾਰਤ ਭੂਮੱਧ ਭੂਮੀ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿਚ 6 ° 44 ′ ਅਤੇ 35 ° 30 ′ ਉੱਤਰੀ अक्षांश [i] ਅਤੇ 68 ° 7 ′ ਅਤੇ 97 ° 25 ′ ਪੂਰਬ રેખાંશ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸਥਿਤ ਹੈ. [169]ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 7,517 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (4,700 ਮੀਲ) ਹੈ; ਇਸ ਦੂਰੀ ਦਾ, 5,423 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (3,400 ਮੀਲ) ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਭਾਰਤ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਹੈ ਅਤੇ ਅੰਡੇਮਾਨ, ਨਿਕੋਬਾਰ ਅਤੇ ਲਕਸ਼ਦਵੀਪ ਟਾਪੂ ਚੇਨਜ਼ ਨਾਲ 2,094 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (1,300 ਮੀਲ) ਹੈ. [170] ਭਾਰਤੀ ਜਲ ਸੈਨਾ ਦੇ ਹਾਈਡ੍ਰੋਗ੍ਰਾਫਿਕ ਚਾਰਟਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਮੁੱਖ ਭੂਮੀ ਦੇ ਤੱਟ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: 43% ਰੇਤਲੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ ;ੇ; 11% ਪੱਥਰ ਦੇ ਕਿਨਾਰੇ, ਚੱਟਾਨਾਂ ਸਮੇਤ; ਅਤੇ 46% ਮੂਡਫਲੈਟਸ ਜਾਂ ਮਾਰਸ਼ਿਅਲ ਕਿਨਾਰੇ. [170]Tungabhadra , ਪੱਥਰੀਲੀ outcrops ਨਾਲ, Peninsular ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦਾ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਨਦੀ . [171]ਵੱਡੀਆਂ ਹਿਮਾਲੀਅਨ ਮੂਲ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ ਜੋ ਕਾਫ਼ੀ ਹੱਦ ਤਕ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘਦੀਆਂ ਹਨ, ਵਿਚ ਗੰਗਾ ਅਤੇ ਬ੍ਰਹਮਾਪੁੱਤਰ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ , ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਵਿਚ ਵਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ . [172] ਗੰਗਾ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਸਹਾਇਕ ਨਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਯਮੁਨਾ ਅਤੇ ਕੋਸੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ; ਬਾਅਦ ਦਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਘੱਟ ientਾਲਵਾਂ, ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਕਾਰਨ, ਗੰਭੀਰ ਹੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਰਾਹ ਬਦਲਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦਾ ਹੈ. [173] [174] ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪਾਂ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ epੱਕੇ gradਾਂਚੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਹੜ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਰੋਕਦੇ ਹਨ, ਗੋਦਾਵਰੀ , ਮਹਾਨਦੀ , ਕਾਵੇਰੀ ਅਤੇ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ , ਜੋ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਵਗਦੀਆਂ ਹਨ;[175] ਅਤੇ ਨਰਮਦਾ ਅਤੇ ਤਪਤੀ , ਜੋ ਅਰਬ ਸਾਗਰ ਵਿੱਚ ਵਗਦਾ ਹੈ . [१66] ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟਵਰਤੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੱਛ ਦਾਮਾਰਸ਼ਿਕ ਰਣ ਅਤੇਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੁੰਦਰ ਸੁੰਦਰਨ ਡੈਲਟਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ; ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਬੰਗਲਾਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ. [177] ਭਾਰਤ ਦਾ ਦੋ ਹਨ archipelagos : ਲਕਸ਼ਦੀਪ , Coral atolls ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮੀ ਤਟ; ਅੰਡੇਮਾਨ ਅਤੇ ਨਿਕੋਬਾਰ ਆਈਲੈਂਡਜ਼, ਅੰਡੇਮਾਨ ਸਾਗਰ ਵਿਚ ਜੁਆਲਾਮੁਖੀ ਦੀ ਚੇਨ ਹੈ. [178]ਭਾਰਤੀ ਮਾਹੌਲ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਹਿਮਾਲਿਆ ਅਤੇ ਥਾਰ ਮਾਰੂਥਲ, ਜਿਸ ਦੀ ਦੋਨੋ ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਅਹਿਮ ਗਰਮੀ ਅਤੇ ਸਰਦੀ ਗੱਡੀ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਮਾਨਸੂਨ . [179] ਹਿਮਾਲਿਆ ਠੰਡੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆਈ ਕਾਟਾਬੈਟਿਕ ਹਵਾਵਾਂ ਨੂੰ ਵਗਣ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ , ਜਿਸ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਹਿੱਸੇ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਵਿਥਾਂ 'ਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗਰਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. [180] [181] ਥਾਰ ਦਾ ਮਾਰੂਥਲ ਨਮੀ ਨਾਲ ਭਰੀ ਦੱਖਣੀ-ਪੱਛਮੀ ਗਰਮੀ ਦੀਆਂ ਮੌਨਸੂਨ ਹਵਾਵਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਭੂਮਿਕਾ ਅਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਜੂਨ ਤੋਂ ਅਕਤੂਬਰ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਬਾਰਸ਼ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ. [179] ਚਾਰ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਮੌਸਮ ਦੇ ਸਮੂਹ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹਨ: ਗਰਮ ਗਰਮ , ਗਰਮ ਖੰਡੀ ,subtropical ਨਮੀ , ਅਤੇ montane . [182]ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਜੰਗਲਾਤ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਈਲਡ ਲਾਈਫਇੱਕ 1909 ਦਾ ਨਕਸ਼ਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ, ਝਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਛੋਟੀ ਲੱਕੜ, ਕਾਸ਼ਤ ਵਾਲੀਆਂ ਜ਼ਮੀਨਾਂ, ਸਟੈਪ ਅਤੇ ਰੇਗਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ.2010 ਦਾ ਇੱਕ ਨਕਸ਼ਾ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਹਰ ਰਾਜ ਦਾ India'sਸਤਨ India'sਸਤਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ coverੱਕਣ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈਭਾਰਤ ਇਕ ਮੈਗਾਡੀਵਰਸੀ ਦੇਸ਼ ਹੈ , ਇਹ ਸ਼ਬਦ 17 ਦੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਉੱਚ ਜੈਵਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ 'ਤੇ ਦੇਸੀ , ਜਾਂ ਸਥਾਨਕ ਤੌਰ' ਤੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ . [183] ਭਾਰਤ 8.3% ਜੀਵੀਆਂ ਸਭ ਥਣਧਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਦਾ, 13.7% ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ, 7.9% ਸਰੀਨ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ, 6% उभਯ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਦਾ, 12.2% ਮੱਛੀ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਦਾ, ਅਤੇ ਸਾਰੀਆਂ ਫੁੱਲਾਂ ਵਾਲੀਆਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ 6.0% ਦਾ ਇੱਕ ਰਿਹਾਇਸ਼ੀ ਇਲਾਕਾ ਹੈ । [184] [185] ਪੂਰੀ ਤਰਾਂ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਦਾ ਤੀਸਰਾ ਹਿੱਸਾ ਸਧਾਰਣ ਪੱਧਰ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [186]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦੁਨੀਆ ਦੇ 34 ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੇ ਗਰਮ ਸਥਾਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚਾਰ ਵੀ ਹਨ , [] regions ] ਜਾਂ ਉਹ ਖੇਤਰ ਜੋ ਉੱਚ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਿਵਾਸ ਸਥਾਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ. [ਜੇ] [187]ਭਾਰਤ ਦਾ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ cover ੱਕਣ 701,673 ਕਿਲੋਮੀਟਰ 2 (270,917 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਹੈ, ਜੋ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੁਲ ਜ਼ਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦਾ 21.35% ਹੈ। ਇਸ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਛਾਉਣੀ ਦੀ ਘਣਤਾ ਦੀਆਂ ਵਿਆਪਕ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ , ਜਾਂ ਜੰਗਲ ਦੇ ਰਕਬੇ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਦੇ byੱਕਣ ਨਾਲ coveredੱਕੇ ਹੋਏ ਖੇਤਰ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ . [188] ਬਹੁਤ ਸੰਘਣੀ ਜੰਗਲ , ਜਿਸਦੀ ਛੱਤ ਦੀ ਘਣਤਾ 70% ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਦੇ 2.61% ਹਿੱਸੇ ਤੇ ਕਾਬਜ਼ ਹਨ. [188] ਇਹ ਅੰਡੇਮਾਨ ਟਾਪੂ , ਪੱਛਮੀ ਘਾਟ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਰਮ ਗਰਮ ਗਣਿਤ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹੈ . [189] ਮੱਧਮ ਸੰਘਣੀ ਜੰਗਲ ਜਿਸਦੀ ਛਾਉਣੀ ਦੀ ਘਣਤਾ 40% ਅਤੇ 70% ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਦੇ 9.59% ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਉੱਤੇ ਕਾਬਜ਼ ਹਨ. [188] ਇਹ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹੈ temperate coniferous ਜੰਗਲ ਦੇ ਹਿਮਾਲਿਆ , ਗਿੱਲੇ deciduous ਸਾਲ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲ, ਅਤੇ ਖੁਸ਼ਕ deciduous ਬਲੌਰੀ ਮੱਧ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਜੰਗਲ. [189] ਓਪਨ ਜੰਗਲ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਗੱਡਣੀ ਘਣਤਾ 10% ਅਤੇ 40% ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਜਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦਾ 9.14% ਹੈ, [188] ਅਤੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਹੈ ਵਿੱਚ ਬਾਬੁਲ -dominated ਕੰਡਾ ਜੰਗਲ ਮੱਧ ਦੇ ਡੈਕਨ ਪਠਾਰ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਗੰਗਾ ਸਧਾਰਨ . [189]ਭਾਰਤੀ ਉਪਮਹਾਦਵੀਪ ਦੇ ਪ੍ਰਤੱਖ ਦੇਸੀ ਰੁੱਖ ਦਾ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਹਨ astringent Azadirachta ਇੰਡੀਕਾ , ਜ ਨਿੰਮ , ਜਿਸ ਨੂੰ ਵਿਆਪਕ ਦਿਹਾਤੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਦੀ ਦੇਸੀ ਦਵਾਈ ਦਾ , [190] ਅਤੇ ਹਰੇ ficus religiosa , ਜ peepul , [191] ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸੀਲ 'ਤੇ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਮੋਹਿੰਜੋਦੜੋ -ਦਾਰੋ , [192] under ] ਅਤੇ ਜਿਸ ਦੇ ਤਹਿਤ ਬੁਧ ਨੂੰ ਗਿਆਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਨ ਲਈ ਪਾਲੀ ਕੈਨਨ ਵਿੱਚ ਦਰਜ ਹੈ. [193]ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਜੰਗਲੀ ਟਾਈਗਰਾਂ ਦੀ ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਹੈ, 2019 ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 3,000. [194]ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਮਾਂ ਦੱਖਣੀ ਸੁਪਰ ਮਹਾਂਦੀਪ , ਗੋਂਡਵਾਨਾ ਤੋਂ ਆਈਆਂ ਹਨ ਜਿਥੋਂ ਭਾਰਤ ਸੌ ਮਿਲੀਅਨ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਵੱਖ ਹੋਇਆ ਸੀ। [195] ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੀ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਟੱਕਰ ਨੇ ਸਪੀਸੀਜ਼ ਦਾ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਹਾਲਾਂਕਿ, ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਅਤੇ ਜਲਵਾਯੂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਧਾਰਣ ਭਾਰਤੀ ਰੂਪਾਂ ਦੇ ਖਤਮ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣੀਆਂ. [१ 6]] ਫਿਰ ਵੀ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ, ਥਣਧਾਰੀ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਦੋ ਚਿੜੀਆਘਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਏਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ । [१9]] ਇਸ ਦਾ ਅਸਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਥਣਧਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨੂੰ ਹੋਇਆ, ਜੋ ਕਿ 12.6% ਉੱਤੇ ਖੜ੍ਹਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਸਰੀਪਨ ਵਿੱਚ .8 45. and% ਅਤੇ ਦੋਨੋਂ ਉੱਚ ਪੱਧਰਾਂ ਵਿੱਚ .8 55..8% ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ ਹੈ। [185] ਕਮਜ਼ੋਰ ਐਂਡਮਿਕਸ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹਨ[197] ਪੱਛੜ ਵਾਲੇ ਬਾਂਦਰ [198] ਅਤੇਪੱਛਮੀ ਘਾਟ ਦੇ [199] ਬੈੱਡਡਮ ਦੀ ਡੱਡੀ [199] [200] ਦੀਧਮਕੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ.ਇੱਕ Chital ( ਐਕਸਿਸ ਧੁਰਾ ) stag ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਵਿਚ ਾਊਜ਼ ਕਰਨ ਲਈ Nagarhole ਨੈਸ਼ਨਲ ਪਾਰਕ ਇੱਕ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਦੁਆਰਾ ਕਵਰ ਵਿਚ ਔਸਤਨ ਸੰਘਣੀ [K] ਜੰਗਲ. [189]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 172 ਆਈਯੂਸੀਐਨ- ਡਿਜਾਈਨਡ ਧਮਕੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ , ਜਾਂ 2.9% ਖ਼ਤਰੇ ਵਿੱਚ ਹਨ. [201] ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿੱਚ ਪਈ ਬੰਗਾਲ ਟਾਈਗਰ ਅਤੇ ਗੰਗਾ ਨਦੀ ਡੌਲਫਿਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਨਾਜ਼ੁਕ ਖ਼ਤਰੇ ਵਾਲੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਘੜਿਆਲ , ਇੱਕ ਮਗਰਮੱਛ ; ਮਹਾਨ ਭਾਰਤੀ bustard ; ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਚਿੱਟੇ-rumped ਚੀਲ , ਜਿਸ ਦੇ ਲਾਸ਼ ਇੰਜੈਸਟੇਡ ਕੇ ਕਰੀਬ ਦਿਸਦੇ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ diclofenac ਪਸ਼ੂ -treated. [202]ਪਿਛਲੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੇ ਵਿਆਪਕ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਣ ਪੱਖੋਂ ਵਿਨਾਸ਼ਕਾਰੀ ਮਨੁੱਖੀ ਕਬਜ਼ੇ ਨੇ ਅਨੇਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਭਾਰਤੀ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਣ ਨੂੰ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਜਵਾਬ ਵਿਚ, ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਾਰਕਾਂ ਅਤੇ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਖੇਤਰਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ , ਪਹਿਲਾਂ 1935 ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ, ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਵਿਸਥਾਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. 1972 ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ ਸੁਰੱਖਿਆ ਐਕਟ [203] ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਜੈਕਟ ਟਾਈਗਰ ਨੂੰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਉਜਾੜ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ; ਜੰਗਲਾਤ ਸੰਭਾਲ ਐਕਟ 1980 ਵਿੱਚ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਸੋਧ 1988 ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ [204] ਭਾਰਤ ਵੱਧ ਹੋਰ ਪੰਜ ਸੌ ਵਣ ਪਾਰਕ ਅਤੇ ਤੀਹ biosphere ਭੰਡਾਰ , [205] ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਚਾਰ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਹਨ biosphere ਦੇ ਭੰਡਾਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ਵ ਨੈੱਟਵਰਕ; ਰਾਮਸਰ ਕਨਵੈਨਸ਼ਨ ਅਧੀਨ 25 ਪੰਜੇ ਜ਼ਮੀਨਦਾਰ ਰਜਿਸਟਰਡ ਹਨ । [206]बाल वनिता महिला आश्रमਰਾਜਨੀਤੀ ਅਤੇ ਸਰਕਾਰਰਾਜਨੀਤੀਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤੀਸਮਾਜਿਕ ਅੰਦੋਲਨ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਲੋਕਤੰਤਰ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਰਿਹਾ ਹੈ . 25,000 ਦਾ ਇੱਕ ਭਾਗ ਤਸਵੀਰ ਸ਼ੋਅ ਬੇਜ਼ਮੀਨੇ ਦੇ ਰਾਜ 'ਚ ਲੋਕ ਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਸੁਣਨ ਰਾਜਗੋਪਾਲ ਪੀ ਅੱਗੇ ਆਪਣੇ 350 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (220 ਮੀਲ) ਮਾਰਚ, Janadesh 2007 , ਤੱਕ ਗਵਾਲੀਅਰ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਦੇ ਲਈ ਦੀ ਮੰਗ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਜ਼ਮੀਨ ਸੁਧਾਰ . [207]ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ । [208] ਇੱਕ ਬਹੁ-ਪਾਰਟੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਾਲਾ ਸੰਸਦੀ ਗਣਰਾਜ , [209] ਇਸ ਕੋਲ ਅੱਠ ਮਾਨਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਹਨ , ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਜਨਤਾ ਪਾਰਟੀ (ਬੀਜੇਪੀ), ਅਤੇ 40 ਤੋਂ ਵੱਧ ਖੇਤਰੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । [210] ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸਭਿਆਚਾਰ , [211] ਅਤੇ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਸੱਜਾ-ਪੱਖ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । [212] [213] [214] 1950 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ- ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਗਣਤੰਤਰ ਬਣਿਆ — ਅਤੇ 1980 ਵਿਆਂ ਦੇ ਆਖਰੀ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ, ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਸੰਸਦ ਵਿੱਚ ਬਹੁਮਤ ਹਾਸਲ ਕੀਤਾ। ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੋਂ, ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਸ ਨੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪੜਾਅ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਭਾਜਪਾ, [215] ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਖੇਤਰੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ ਹੈ ਜੋ ਅਕਸਰ ਕੇਂਦਰ ਵਿੱਚ ਬਹੁ-ਪਾਰਟੀ ਗੱਠਜੋੜ ਸਰਕਾਰਾਂ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ . [216]ਗਣਤੰਤਰ ਦੇ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਪਹਿਲੀਆਂ ਤਿੰਨ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿਚ, 1951, 1957 ਅਤੇ 1962 ਵਿਚ, ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਾਲੀ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਅਸਾਨ ਜਿੱਤੀਆਂ। 1964 ਵਿਚ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਮੌਤ ਤੇ ਲਾਲ ਬਹਾਦੁਰ ਸ਼ਾਸਤਰੀ ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ; 1966 ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਅਚਾਨਕ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਧੀ ਇੰਦਰਾ ਗਾਂਧੀ , ਜੋ 1967 ਅਤੇ 1971 ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਦੀਆਂ ਚੋਣਾਂ ਜਿੱਤੀਆਂ ਸਨ , ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਹ ਸਫਲ ਹੋ ਗਏ ਸਨ। ਐਮਰਜੈਂਸੀ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਤੋਂ ਜਨਤਕ ਅਸੰਤੁਸ਼ਟੀ ਦੇ ਬਾਅਦ , ਉਸਨੇ 1975 ਵਿਚ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਸੀ, ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਵੋਟ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ 1977 ਵਿਚ ਸੱਤਾ ਤੋਂ ਬਾਹਰ; ਉਸ ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਵੀਂ ਜਨਤਾ ਪਾਰਟੀਜਿਸਨੇ ਐਮਰਜੈਂਸੀ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਸੀ, ਵਿੱਚ ਵੋਟ ਪਾਈ ਗਈ ਸੀ। ਇਸਦੀ ਸਰਕਾਰ ਸਿਰਫ ਦੋ ਸਾਲ ਚੱਲੀ। 1980 ਵਿਚ ਸੱਤਾ ਵਿਚ ਵਾਪਸ ਆਉਣ ਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ 1984 ਵਿਚ ਲੀਡਰਸ਼ਿਪ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲੀ ਵੇਖੀ ਸੀ, ਜਦੋਂ ਇੰਦਰਾ ਗਾਂਧੀ ਦਾ ਕਤਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ; ਉਸਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਉਸ ਦੇ ਬੇਟੇ ਰਾਜੀਵ ਗਾਂਧੀ ਨੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ, ਜਿਸਨੇ ਉਸ ਸਾਲ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸਾਨ ਜਿੱਤ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ। 1989 ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਮੁੜ ਵੋਟਾਂ ਪਈਆਂ, ਜਦੋਂ ਖੱਬੇ ਮੋਰਚੇ ਨਾਲ ਗੱਠਜੋੜ ਵਿਚ ਨਵੀਂ ਬਣੀ ਜਨਤਾ ਦਲ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿਚ ਇਕ ਨੈਸ਼ਨਲ ਫਰੰਟ ਦਾ ਗੱਠਜੋੜ ਚੋਣਾਂ ਜਿੱਤ ਗਿਆ; ਉਹ ਸਰਕਾਰ ਵੀ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਸਾਬਤ ਹੋਈ, ਸਿਰਫ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਘੱਟ ਚੱਲੀ. [217] 1991 ਵਿਚ ਦੁਬਾਰਾ ਚੋਣਾਂ ਹੋਈਆਂ; ਕਿਸੇ ਵੀ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਪੂਰਨ ਬਹੁਮਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ। ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਇਕੱਲੇ ਪਾਰਟੀ ਵਜੋਂ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਏਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਪੀ ਵੀ ਨਰਸਿਮ੍ਹਾ ਰਾਓ . [218]ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੰਸਦ ਵਿਚ , ਯੂਐਸ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਬਰਾਕ ਓਬਾਮਾ ਨੂੰ 8 ਨਵੰਬਰ, 2010 ਨੂੰ ਇਕ ਸੰਯੁਕਤ ਇਜਲਾਸ ਵਿਚ, ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ , ਲੋਕ ਸਭਾ ਅਤੇ ਉਪਰਲੇ ਰਾਜ ਸਭਾ ਦੇ ਦੋਵਾਂ ਸਦਨਾਂ ਦੀ ਸੰਸਦ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਸੰਬੋਧਿਤ ਕਰਦੇ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਉਥਲ-ਪੁਥਲ ਦੀ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਮਿਆਦ 1996 ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਈ। ਕਈ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਦੇ ਗੱਠਜੋੜ ਨੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿਚ ਸੱਤਾ ਸਾਂਝੀ ਕੀਤੀ। ਬੀਜੇਪੀ ਨੇ 1996 ਵਿਚ ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰ ਬਣਾਈ; ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੋ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ ਤੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਯੂਨਾਈਟਿਡ ਫਰੰਟ ਗੱਠਜੋੜ, ਜੋ ਬਾਹਰੀ ਸਹਾਇਤਾ 'ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਸਨ. 1998 ਵਿਚ, ਭਾਜਪਾ ਇਕ ਸਫਲ ਗੱਠਜੋੜ, ਨੈਸ਼ਨਲ ਡੈਮੋਕਰੇਟਿਕ ਅਲਾਇੰਸ (ਐਨ.ਡੀ.ਏ.) ਬਣਾਉਣ ਵਿਚ ਕਾਮਯਾਬ ਰਹੀ । ਅਟਲ ਬਿਹਾਰੀ ਵਾਜਪਾਈ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ , ਐਨਡੀਏ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦਾ ਕਾਰਜਕਾਲ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਪਹਿਲੀ ਗੈਰ-ਕਾਂਗਰਸ, ਗੱਠਜੋੜ ਦੀ ਸਰਕਾਰ ਬਣ ਗਈ । [२१]] ਫੇਰ 2004 ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ , ਕਿਸੇ ਵੀ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਪੂਰਨ ਬਹੁਮਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ, ਪਰ ਇੱਕ ਵੱਡੀ ਸਫਲ ਗੱਠਜੋੜ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੀ ਕਾਂਗਰਸ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਇੱਕਲੀ ਪਾਰਟੀ ਵਜੋਂ ਉੱਭਰੀ:ਸੰਯੁਕਤ ਪ੍ਰਗਤੀਸ਼ੀਲ ਗੱਠਜੋੜ (ਯੂ ਪੀ ਏ). ਇਸ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਪੱਖੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਅਤੇ ਸੰਸਦ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੀ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਸਾਲ 2009 ਦੀਆਂ ਆਮ ਚੋਣਾਂ ਵਿੱਚ ਯੂਪੀਏ ਸੱਤਾ ਵਿੱਚ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਗਈ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਹੁਣ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਕਮਿ communਨਿਸਟ ਪਾਰਟੀਆਂ ਤੋਂ ਬਾਹਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਸੀ । [220] ਉਸ ਸਾਲ, ਮਨਮੋਹਨ ਸਿੰਘ 1957 ਅਤੇ 1962 ਵਿਚ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ, ਜੋ ਲਗਾਤਾਰ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਕਾਲ ਲਈ ਦੁਬਾਰਾ ਚੁਣੇ ਗਏ ਸਨ। [221] ਵਿੱਚ 2014 ਆਮ ਚੋਣ , ਭਾਜਪਾ ਬਹੁਮਤ ਜਿੱਤਣ ਲਈ 1984 ਦੇ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੀ ਸਿਆਸੀ ਪਾਰਟੀ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਹੋਰ ਧਿਰ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਦੇ ਬਿਨਾ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ. [222]ਮੌਜੂਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਹਨ । 20 ਜੁਲਾਈ 2017 ਨੂੰ, ਰਾਮ ਨਾਥ ਕੋਵਿੰਦ ਭਾਰਤ ਦੇ 14 ਵੇਂ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਚੁਣੇ ਗਏ ਅਤੇ 25 ਜੁਲਾਈ 2017 ਨੂੰ ਅਹੁਦੇ ਦੀ ਸਹੁੰ ਚੁੱਕੀ। [२२3] [२२4] [२२5]ਸਰਕਾਰਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਭਵਨ , ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੀ ਸਰਕਾਰੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ , 1911 ਅਤੇ 1931 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਰਾਜ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਆਰਕੀਟੈਕਟ ਐਡਵਿਨ ਲੂਟਿਯਨਜ਼ ਅਤੇ ਹਰਬਰਟ ਬੇਕਰ ਦੁਆਰਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਾਇਸਰਾਏ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ . [226]ਭਾਰਤ ਇਕ ਹੈ ਫੈਡਰੇਸ਼ਨ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਾਲ ਸੰਸਦੀ ਸਿਸਟਮ ਤਹਿਤ ਲਾਗੂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਯਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸੁਪਰੀਮ ਕਾਨੂੰਨੀ ਦਸਤਾਵੇਜ਼. ਇਹ ਇੱਕ ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਗਣਤੰਤਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ , ਜਿਸ ਵਿੱਚ " ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਰਾਜ ਕਾਨੂੰਨ ਦੁਆਰਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਘੱਟਗਿਣਤੀ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸ਼ਾਂਤ ਹੈ " ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸੰਘਵਾਦ ਸੰਘ ਅਤੇ ਰਾਜਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਬਿਜਲੀ ਵੰਡ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ, ਜਿਹੜਾ 26 ਜਨਵਰੀ 1950 ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਹੋਇਆ ਸੀ, [227] ਨੇ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਇੱਕ " ਪ੍ਰਭੂਸੱਤਾ , ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਗਣਤੰਤਰ" ਦੱਸਿਆ ; "ਇਸ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਤਬਦੀਲੀ 1971 ਵਿੱਚ" ਇੱਕ ਪ੍ਰਭੂਸੱਤਾ, ਸਮਾਜਵਾਦੀ, ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ , ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਗਣਤੰਤਰ "ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ। [२२8] ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਰੂਪ, ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਇੱਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਕੇਂਦਰ ਅਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਨਾਲ" ਅਰਧ-ਸੰਘੀ "ਵਜੋਂ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ, [२२]] ਵੱਡਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ 1990 ਦੇ ਅਖੀਰ ਤੋਂ ਸੰਘੀ ਵੱਧ ਰਹੇ ਹਨ. [230] [231]ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਚਿੰਨ੍ਹ[1]ਝੰਡਾ ਤਿਰੰਗਾ (ਤਿਰੰਗਾ)ਚਿੰਨ੍ਹ ਸਾਰਨਾਥ ਸ਼ੇਰ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀਗੀਤ ਜਾਨ ਗਾਨਾ ਮਨਗਾਣਾ " ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ "ਭਾਸ਼ਾ ਕੋਈ ਨਹੀਂ [8] [9] [10]ਮੁਦਰਾ ₹ ( ਭਾਰਤੀ ਰੁਪਏ )ਕੈਲੰਡਰ ਸਾਕਾਜਾਨਵਰ ਬੰਗਾਲ ਟਾਈਗਰਨਦੀ ਡੌਲਫਿਨਇੰਡੀਅਨ ਮੋਰਫੁੱਲ ਕਮਲਫਲ ਅੰਬਰੁੱਖ ਬਨਯਾਨਨਦੀ ਗੰਗਾਖੇਡ ਘੋਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ [232]ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਤਿੰਨ ਸ਼ਾਖਾ ਬਣਿਆ ਹੈ: [233]ਕਾਰਜਕਾਰੀ : ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਇਕ ਰਸਮੀ ਰਾਜ ਦਾ ਰਾਜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ , [234] ਜੋ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅਤੇ ਰਾਜ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾਵਾਂ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਾਲੇ ਇੱਕ ਚੋਣਵੇਂ ਕਾਲਜ ਦੁਆਰਾ ਅਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ਤੇ ਪੰਜ ਸਾਲ ਦੀ ਮਿਆਦ ਲਈ ਚੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । [235] [236] , The ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਹੈ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਸਿਰ ਅਤੇ ਸਭ ਦਾ ਸਬੂਤ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ . [237] ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੁਕਤ, [238] ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਪਾਰਟੀ ਜਾਂ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਗੱਠਜੋੜ ਦੁਆਰਾ ਸਮਰਥਤ ਸੰਮੇਲਨ ਦੁਆਰਾ ਸੰਸਦ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਵਿਚ ਬਹੁਮਤ ਸੀਟਾਂ ਵਾਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। [237]ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਕਾਰਜਕਾਰਨੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ, ਉਪ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰੀ ਮੰਤਰੀ ਮੰਡਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ- ਜਿਸ ਵਿਚ ਮੰਤਰੀ ਮੰਡਲ ਦੀ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਕਮੇਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ- ਜਿਸ ਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਪੋਰਟਫੋਲੀਓ ਰੱਖਣ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਵੀ ਮੰਤਰੀ ਪਾਰਲੀਮੈਂਟ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਸਦਨ ​​ਦਾ ਮੈਂਬਰ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। [234] ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਦੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦਾ ਅਧੀਨ ਹੈ; ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕੌਂਸਲ ਸੰਸਦ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਲਈ ਸਿੱਧੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸਿਵਲ ਸੇਵਕ ਸਥਾਈ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਅਤੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਫ਼ੈਸਲੇ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਕੇ ਲਾਗੂ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ. [239]ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ : ਭਾਰਤ ਦੀ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੋ-ਪੱਖੀ ਸੰਸਦ ਹੈ । ਵੈਸਟਮਿੰਸਟਰ ਸ਼ੈਲੀ ਦੀ ਪਾਰਲੀਮਾਨੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਅਧੀਨ ਕੰਮ ਕਰਦਿਆਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਰਾਜ ਸਭਾ ( ਰਾਜ ਸਭਾ ) ਅਖਵਾਉਣ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਉੱਚ ਸਦਨ ਅਤੇ ਇੱਕ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਨੂੰ ਲੋਕ ਸਭਾ ( ਲੋਕ ਸਭਾ ) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। [240] ਰਾਜ ਸਭਾ 245 ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਸਥਾਈ ਸੰਸਥਾ ਹੈ ਜੋ ਛੇ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਮਿਆਦ ਵਿੱਚ ਸੇਵਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । [241] ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਅਸਿੱਧੇ ਤੌਰ 'ਤੇ ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਰਾਜ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਅਨੁਸਾਰ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਚੁਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ . [238] ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਸਭਾ ਦੇ 545 ਵਿਚੋਂ ਦੋ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਵੋਟਾਂ ਦੁਆਰਾ ਚੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ; ਉਹ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਕਾਲ ਲਈ ਇਕ-ਮੈਂਬਰੀ ਚੋਣ ਹਲਕਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ. [242] ਲੇਖ 331 ਵਿਚ ਐਂਗਲੋ-ਇੰਡੀਅਨ ਲਈ ਰਾਖਵੀਂ ਸੰਸਦ ਦੀਆਂ ਦੋ ਸੀਟਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। [243] [244]ਨਿਆਂਪਾਲਿਕਾ : ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਇੱਕ ਤਿੰਨ-ਪੱਧਰੀ ਇਕਮਾਤਰ ਸੁਤੰਤਰ ਨਿਆਂਪਾਲਿਕਾ ਹੈ [245] ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਹੈ , ਜਿਸਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਚੀਫ਼ ਜਸਟਿਸ , 25 ਹਾਈ ਕੋਰਟਾਂ , ਅਤੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠਲੀ ਅਦਾਲਤਾਂ ਕਰਦੇ ਹਨ। [245] ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਕੋਲ ਮੌਲਿਕ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਅਤੇ ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਦਰਮਿਆਨ ਵਿਵਾਦਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਕੇਸਾਂ ਦਾ ਅਸਲ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਚ ਅਦਾਲਤਾਂ ਉੱਤੇ ਅਪੀਲ ਕਰਨ ਦਾ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਹੈ । [२66] ਇਸ ਵਿੱਚ ਯੂਨੀਅਨ ਜਾਂ ਰਾਜ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ ਜੋ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ, [२ 247] ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਰਕਾਰੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੂੰ ਗ਼ੈਰ-ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਮੰਨਣ ਨੂੰ ਅਯੋਗ ਠਹਿਰਾਉਂਦੇ ਹਨ। [248]ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਵਿਭਾਗਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਵਿਭਾਗਇਹ ਵੀ ਵੇਖੋ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਏਕੀਕਰਨਭਾਰਤ ਇਕ ਸੰਘੀ ਸੰਘ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 28 ਰਾਜ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ (ਹੇਠਾਂ ਕ੍ਰਮਵਾਰ 1-28 ਅਤੇ ਏ – ਐਚ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸੂਚੀਬੱਧ). [249] ਸਾਰੇ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ , ਪੁਡੂਚੇਰੀ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦਿੱਲੀ , ਨੇ ਵੈਸਟਮਿੰਸਟਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦਿਆਂ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਰਕਾਰਾਂ ਚੁਣੀਆਂ ਹਨ। ਬਾਕੀ ਪੰਜ ਕੇਂਦਰੀ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਸ਼ਾਸਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. 1956 ਵਿਚ, ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਪੁਨਰਗਠਨ ਐਕਟ ਦੇ ਅਧੀਨ ਰਾਜਾਂ ਨੂੰ ਭਾਸ਼ਾਈ ਅਧਾਰ 'ਤੇ ਪੁਨਰਗਠਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. [250]ਸ਼ਹਿਰ, ਕਸਬੇ, ਬਲਾਕ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਅਤੇ ਪਿੰਡ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਇਕ ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਥਾਨਕ ਸਰਕਾਰਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਹਨ. [251]ਭਾਰਤ ਦੇ 28 ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਕਲਿਕ ਕਰਨ ਯੋਗ ਨਕਸ਼ਾਆਂਧਰਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਅਰੁਣਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਅਸਾਮਬਿਹਾਰਛੱਤੀਸਗੜਗੋਆਗੁਜਰਾਤਹਰਿਆਣੇਹਿਮਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਝਾਰਖੰਡਕਰਨਾਟਕਕੇਰਲਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰਮਨੀਪੁਰਮੇਘਾਲਿਆਮਿਜ਼ੋਰਮਨਾਗਾਲੈਂਡਓਡੀਸ਼ਾਪੰਜਾਬਰਾਜਸਥਾਨਸਿੱਕਮਤਾਮਿਲਨਾਡੂਤੇਲੰਗਾਨਾਤ੍ਰਿਪੁਰਾਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਉਤਰਾਖੰਡਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲਅੰਡੇਮਾਨ ਅਤੇ ਨਿਕੋਬਾਰ ਟਾਪੂਚੰਡੀਗੜ੍ਹਦਾਦਰਾ ਅਤੇ ਨਗਰ ਹਵੇਲੀ ਅਤੇ ਦਮਨ ਅਤੇ ਦਿਉਜੰਮੂ ਕਸ਼ਮੀਰਲੱਦਾਖਲਕਸ਼ਦਵੀਪਰਾਸ਼ਟਰੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦਿੱਲੀਪੁਡੂਚੇਰੀਵਿਦੇਸ਼ੀ, ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਰਣਨੀਤਕ ਸੰਬੰਧਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਆਰਮਡ ਫੋਰਸਿਜ਼ ਦੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਸੰਬੰਧ1950 ਅਤੇ 60 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਦੌਰਾਨ, ਗੈਰ-ਗੱਠਜੋੜ ਅੰਦੋਲਨ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੇ ਮੁੱਖ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ । [252] ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ: ਯੂਨਾਈਟਿਡ ਅਰਬ ਰੀਪਬਲਿਕ (ਹੁਣ ਮਿਸਰ) ਦੇ ਗਾਮਲ ਅਬਦੈਲ ਨਸੀਰ , ਯੂਗੋਸਲਾਵੀਆ ਦੇ ਜੋਸਿਪ ​​ਬ੍ਰੋਜ਼ ਟਿੱਟੋ ਅਤੇ ਬੈਲਗ੍ਰੇਡ ਵਿਚ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ , ਸਤੰਬਰ 1961.1950 ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਅਤੇ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਡੀਕਲੋਨਾਈਜ਼ੇਸ਼ਨ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਗੈਰ-ਗਠਜੋੜ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਮੋਹਰੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ । [२33] ਗੁਆਂ .ੀ ਦੇਸ਼ ਚੀਨ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂਆਤੀ ਸੁਲਝੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਭਾਰਤ 1962 ਵਿੱਚ ਚੀਨ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਗਿਆ ਸੀ , ਅਤੇ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ਕਿ ਬੇਇੱਜ਼ਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਗੁਆਂ ;ੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਤਣਾਅਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਰਹੇ ਹਨ ; ਦੋਵੇਂ ਰਾਸ਼ਟਰ ਚਾਰ ਵਾਰ ਯੁੱਧ ਲੜ ਚੁੱਕੇ ਹਨ: 1947 , 1965 , 1971 ਅਤੇ 1999 ਵਿਚ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਤਿੰਨ ਯੁੱਧ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਵਿਵਾਦਤ ਖੇਤਰ ਉੱਤੇ ਲੜੇ ਗਏ ਸਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਚੌਥਾ, 1971 ਦਾ ਯੁੱਧ, ਬੰਗਲਾਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੋਇਆ ਸੀ । [254] 1980 ਵਿਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਫੌਜ ਨੇ ਮੇਜ਼ਬਾਨ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸੱਦੇ 'ਤੇ ਦੋ ਵਾਰ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਦਖਲ ਦਿੱਤਾ: 1987 ਅਤੇ 1990 ਦਰਮਿਆਨ ਸ਼੍ਰੀਲੰਕਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ; ਅਤੇ ਮਾਲਦੀਵ ਵਿਚ 1988 ਦੇ ਬਗ਼ਾਵਤ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਇਕ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਦਖਲਅੰਦਾਜ਼ੀ . ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਲ 1965 ਦੀ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਸੋਵੀਅਤ ਯੂਨੀਅਨ ਨਾਲ ਨੇੜਲੇ ਫੌਜੀ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਸੰਬੰਧ ਬਣਾਉਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ; 1960 ਵਿਆਂ ਦੇ ਅੰਤ ਤੱਕ, ਸੋਵੀਅਤ ਯੂਨੀਅਨ ਇਸਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਹਥਿਆਰ ਸਪਲਾਇਰ ਸੀ. [255]ਰੂਸ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ , [256] ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਜ਼ਰਾਈਲ ਅਤੇ ਫਰਾਂਸ ਨਾਲ ਵਿਆਪਕ ਰੱਖਿਆ ਸੰਬੰਧ ਹਨ । ਹਾਲ ਹੀ ਦੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ, ਇਸ ਨੇ ਖੇਤਰੀ ਸਹਿਕਾਰਤਾ ਲਈ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਅਨ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਵਪਾਰ ਸੰਗਠਨ ਵਿਚ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਭੂਮਿਕਾਵਾਂ ਨਿਭਾਈਆਂ ਹਨ . ਰਾਸ਼ਟਰ ਨੇ ਚਾਰ ਮਹਾਂਦੀਪਾਂ ਵਿਚ 35 ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਰੱਖਿਅਕ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿਚ ਸੇਵਾ ਲਈ 100,000 ਫੌਜੀ ਅਤੇ ਪੁਲਿਸ ਕਰਮਚਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੇ ਹਨ. ਇਹ ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਸੰਮੇਲਨ , ਜੀ 8 + 5 ਅਤੇ ਹੋਰ ਬਹੁਪੱਖੀ ਫੋਰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ. [257] ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਨੇੜਲੇ ਆਰਥਿਕ ਸੰਬੰਧ ਹਨਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ , [258] ਏਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਅਫਰੀਕਾ; ਇਹ "ਲੁਕ ਈਸਟ" ਨੀਤੀ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਏਸੀਆਨ ਦੇਸ਼ਾਂ, ਜਾਪਾਨ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਕੋਰੀਆ ਨਾਲ ਸਾਂਝੇਦਾਰੀ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੁੱਦਿਆਂ ਦੇ ਆਲੇ ਦੁਆਲੇ ਘੁੰਮਦੀ ਹੈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਆਰਥਿਕ ਨਿਵੇਸ਼ ਅਤੇ ਖੇਤਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਨਾਲ ਜੁੜੇ. [259] [260]ਭਾਰਤੀ ਹਵਾਈ ਸੈਨਾ 221st 'ਤੇ ਟੁਕੜੀ ਮਾਰਚ Bastille ਦਿਵਸ ਫੌਜੀ ਪਰੇਡ ਪਾਰਿਸ ਵਿੱਚ,' ਤੇ 14 ਜੁਲਾਈ 2009 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਪਰੇਡ, ਜਿਸ 'ਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮਹਿਮਾਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਭ ਪਲਟਨ, ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਮਰਾਠਾ ਲਾਈਟ , ਵਿੱਚ ਸਥਾਪਤ 1768. [261]ਚੀਨ ਨੇ 1964 ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪਰੀਖਣ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ 1965 ਦੀ ਜੰਗ ਵਿਚ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ਵਿਚ ਦਖਲਅੰਦਾਜ਼ੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਧਮਕੀਆਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਪਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰ ਵਿਕਸਤ ਕਰਨ ਲਈ ਯਕੀਨ ਦਿਵਾਇਆ ਸੀ। [262] ਭਾਰਤ ਨੇ ਆਪਣਾ ਪਹਿਲਾ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦਾ ਟੈਸਟ 1974 ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਸੀ ਅਤੇ 1998 ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਭੂਮੀਗਤ ਪਰੀਖਣ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਅਲੋਚਨਾ ਅਤੇ ਫੌਜੀ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਨਾ ਤਾਂ ਵਿਆਪਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ-ਟੈਸਟ-ਬਾਨ ਸੰਧੀ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਪਰਮਾਣੂ ਗੈਰ-ਪ੍ਰਸਾਰ- ਸੰਧੀ ' ਤੇ ਹਸਤਾਖਰ ਕੀਤੇ ਹਨ , ਨੁਕਸਦਾਰ ਅਤੇ ਪੱਖਪਾਤੀ ਬਣੋ. [263] ਭਾਰਤ ਇੱਕ " ਪਹਿਲਾਂ ਨਹੀਂ ਵਰਤੋਂ " ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਨੀਤੀ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਹਿੱਸੇ ਵਜੋਂ ਇੱਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਤਿਕੋਣੀ ਸਮਰੱਥਾ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ "ਘੱਟੋ ਘੱਟ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਡਿਟਰੇਂਸ "ਸਿਧਾਂਤ. [264] [265] ਇਹ ਇੱਕ ਬੈਲਿਸਟਿਕ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਰੱਖਿਆ shਾਲ ਅਤੇ ਪੰਜਵੀਂ ਪੀੜ੍ਹੀ ਦਾ ਲੜਾਕੂ ਜਹਾਜ਼ ਵਿਕਸਤ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ . [266] [267] ਹੋਰ ਦੇਸੀ ਸੈਨਿਕ ਪ੍ਰਾਜੈਕਟਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਕਰਾਂਤ- ਕਲਾਸ ਦੇ ਜਹਾਜ਼ ਕੈਰੀਅਰਾਂ ਦਾ ਡਿਜ਼ਾਇਨ ਅਤੇ ਲਾਗੂ ਕਰਨਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ. ਅਤੇ ਅਰਿਹੰਤ- ਕਲਾਸ ਪਰਮਾਣੂ ਪਣਡੁੱਬੀ . [268]ਸ਼ੀਤ ਯੁੱਧ ਦੇ ਅੰਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ , ਭਾਰਤ ਨੇ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਅਤੇ ਯੂਰਪੀਅਨ ਯੂਨੀਅਨ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਆਰਥਿਕ, ਰਣਨੀਤਕ ਅਤੇ ਸੈਨਿਕ ਸਹਿਯੋਗ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ . [269] 2008 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇੱਕ ਨਾਗਰਿਕ ਪਰਮਾਣੂ ਸਮਝੌਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਹਾਲਾਂਕਿ ਉਸ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰ ਸਨ ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਗੈਰ-ਪ੍ਰਸਾਰ ਸੰਧੀ ਦੀ ਧਿਰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਨੂੰ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਰਮਾਣੂ Energyਰਜਾ ਏਜੰਸੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਸਪਲਾਇਰ ਗਰੁੱਪ ਤੋਂ ਮੁਆਫੀ ਮਿਲੀ ਸੀ , ਜਿਸ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੀ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਤਕਨਾਲੋਜੀ ਅਤੇ ਵਪਾਰ ਉੱਤੇ ਪਹਿਲੀਆਂ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਖਤਮ ਹੋ ਗਈਆਂ ਸਨ। ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ, ਭਾਰਤ ਛੇਵਾਂ ਡੀ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਹਥਿਆਰਾਂ ਵਾਲਾ ਰਾਜ ਬਣ ਗਿਆ. [270]ਭਾਰਤ ਨੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਦਸਤਖਤ ਕੀਤੇ ਸ਼ਾਮਲ ਸਹਿ-ਕਾਰਵਾਈ ਸਮਝੌਤੇ ਨਾਗਰਿਕ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਊਰਜਾ ਰੂਸ ਦੇ ਨਾਲ, [271] ਬੌਰੋਮੀਟਰ, [272] ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ , [273] ਅਤੇ ਕੈਨੇਡਾ . [274]ਮੈਕਸੀਕੋ, 2016 ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਮੈਕਸੀਕੋ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਐਨਰਿਕ ਪੇਆ ਨੀਟੋ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕਰਦਿਆਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ (ਖੱਬੇ, ਪਿਛੋਕੜ)ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੈਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸਰਬੋਤਮ ਕਮਾਂਡਰ ਹੈ; 1.395 ਮਿਲੀਅਨ ਸਰਗਰਮ ਸੈਨਿਕਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਉਹ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਦੂਜੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਫੌਜ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ . ਇਸ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਫੌਜ , ਭਾਰਤੀ ਜਲ ਸੈਨਾ , ਭਾਰਤੀ ਹਵਾਈ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਤੱਟ ਰੱਖਿਅਕ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . [२55] 2011 ਦਾ ਸਰਕਾਰੀ ਰੱਖਿਆ ਬਜਟ budget $..03 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਸੀ, ਜਾਂ ਜੀਡੀਪੀ ਦਾ 83.8383%। [276] 2012-2003 ਦੇ ਵਿੱਤੀ ਵਰ੍ਹੇ ਲਈ, 40.44 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਦਾ ਬਜਟ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ। [277] 2008 ਦੇ ਸਟਾਕਹੋਮ ਇੰਟਰਨੈਸ਼ਨਲ ਪੀਸ ਰਿਸਰਚ ਇੰਸਟੀਚਿ .ਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ(ਸਿਪਰੀ) ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਅਨੁਸਾਰ ਖਰੀਦ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਾਲਾਨਾ ਫੌਜੀ ਖਰਚਾ .7 72.7 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਰਿਹਾ। [278] ਸਾਲ 2011 ਵਿੱਚ, ਸਲਾਨਾ ਰੱਖਿਆ ਬਜਟ ਵਿੱਚ 11.6% ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ, [279] ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ ਉਹ ਫੰਡ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਜੋ ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਦੂਜੀਆਂ ਸ਼ਾਖਾਵਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਿਲਟਰੀ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਦੇ ਹਨ। [280] 2012 ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦਾ ਆਯਾਤ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ; 2007 ਅਤੇ 2011 ਦੇ ਵਿੱਚਕਾਰ, ਇਸਨੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦੀ ਖਰੀਦਾਂ ਤੇ ਖਰਚ ਕੀਤੇ 10% ਫੰਡ ਦਿੱਤੇ. [281] ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਫੌਜੀ ਖਰਚਿਆਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਰੁੱਧ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਵਿੱਚ ਵਧ ਰਹੇ ਚੀਨੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਉੱਤੇ ਸੀ। [279] ਮਈ 2017 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਪੁਲਾੜ ਖੋਜ ਸੰਗਠਨ ਨੇ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਸੈਟੇਲਾਈਟ ਲਾਂਚ ਕੀਤਾ , ਜੋ ਭਾਰਤ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੇ ਗੁਆਂ neighboring ੀ ਸਾਰਕ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਤੋਹਫਾ ਹੈ. [282] ਅਕਤੂਬਰ 2018, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ 5.43 ਅਰਬ $ (ਵੱਧ ਦਸਤਖਤ ਕੀਤੇ ₹ 400 ਅਰਬ) ਦੇ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤੇ 'ਤੇ ਰੂਸ ਨੂੰ ਚਾਰ ਦੀ ਖਰੀਦ ਕਰਨ ਲਈ ਐਸ-400 Triumfਸਤਹ ਤੋਂ ਹਵਾ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਬਚਾਅ ਪ੍ਰਣਾਲੀ, ਰੂਸ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਨਤ ਲੰਬੀ ਦੂਰੀ ਦੀ ਮਿਜ਼ਾਈਲ ਰੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ. [283]ਆਰਥਿਕਤਾਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਰਥਿਕਤਾਚੋਟੀ ਤੋਂ ਘੜੀ: ()) ਉੱਤਰ ਪੱਛਮੀ ਕਰਨਾਟਕ ਦਾ ਇੱਕ ਕਿਸਾਨ ਆਪਣੇ ਖੇਤ ਨੂੰ ਇੱਕ ਟਰੈਕਟਰ ਨਾਲ ਵਾਹਦਾ ਹੈ ਇਥੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਇੱਕ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੋਰ ਬਲਦਾਂ ਦੀ ਜੋੜੀ ਨਾਲ ਵੀ ਅਜਿਹਾ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਸਾਲ 2018 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੁੱਲ ਕੰਮ ਕਾਜ ਦਾ 44% ਹਿੱਸਾ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਸੀ। [२44] (ਅ) ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ ਜੂਨਾਗੜ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ recentlyਰਤਾਂ ਹਾਲ ਹੀ ਵਿਚ ਲਗਾਏ ਗਏ ਚੌਲਾਂ ਦੇ ਖੇਤ ਵੱਲ ਰੁਝਾਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਭਾਰਤ ਦੀ 57% workਰਤ ਕਰਮਚਾਰੀ ਸਾਲ 2018 ਵਿੱਚ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੀ ਸੀ। [285] (c) ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦੁੱਧ ਉਤਪਾਦਕ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਆਬਾਦੀ ਹੈ। ਸਾਲ 2018 ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਤਕਰੀਬਨ 80% ਦੁੱਧ ਛੋਟੇ ਖੇਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਅਤੇ ਦੋ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਝੁੰਡ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਕੱcedਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ, ਦੁੱਧ ਹੱਥੀਂ ਮਿਲ ਕੇ ਕੱਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ. [286]ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਦਰਾ ਫੰਡ (ਆਈ.ਐਮ.ਐਫ.), 2019 'ਚ ਭਾਰਤੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ nominally $ 2.9 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ ਰੁਪਏ ਦੀ ਸੀ; ਇਹ ਮਾਰਕੀਟ ਐਕਸਚੇਂਜ ਰੇਟਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪੰਜਵੀਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਹੈ , ਅਤੇ ਲਗਭਗ 11 ਟ੍ਰਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਪਾਵਰ ਪੈਰਿਟੀ (ਪੀਪੀਪੀ) ਦੁਆਰਾ ਤੀਜੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹੈ . [१]] ਪਿਛਲੇ ਦੋ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੌਰਾਨ ਇਸ ਦੀ annualਸਤਨ ਸਲਾਨਾ ਜੀਡੀਪੀ ਵਾਧਾ ਦਰ 8.8% ਹੈ, ਅਤੇ २०१–-२०१२ ਦੇ ਦੌਰਾਨ .1.१% ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਗਈ ਹੈ, [२77] ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੈ । [२88] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਮਾਮੂਲੀ ਜੀਡੀਪੀ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿੱਚ 139 ਵੇਂ ਅਤੇ ਪੀਪੀਪੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਪੀਪੀ ਵਿੱਚ 118 ਵੇਂ ਸਥਾਨ ਹੈ । [289]1991 ਤੱਕ, ਸਾਰੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੇ ਰੱਖਿਆਵਾਦੀ ਨੀਤੀਆਂ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕੀਤਾ ਜੋ ਸਮਾਜਵਾਦੀ ਅਰਥਸ਼ਾਸਤਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਸਨ। ਵਿਆਪਕ ਰਾਜ ਦੇ ਦਖਲਅੰਦਾਜ਼ੀ ਅਤੇ ਨਿਯਮ ਨੇ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਆਰਥਿਕਤਾ ਨੂੰ ਬਾਹਰੀ ਸੰਸਾਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱ. ਦਿੱਤਾ. ਇੱਕ ਗੰਭੀਰ 1991 ਵਿਚ ਦਾ ਭੁਗਤਾਨ ਸੰਕਟ ਦੇ ਸੰਤੁਲਨ ਕੌਮ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ ਆਪਣੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਨੂੰ ਹੋਰ ਉਦਾਰ ; [२ 0]] ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਇਹ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਸਿੱਧੇ ਨਿਵੇਸ਼ ਦੋਵਾਂ ਪ੍ਰਵਾਹਾਂ ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦੇ ਕੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਇੱਕ ਮੁਫਤ-ਮਾਰਕੀਟ ਪ੍ਰਣਾਲੀ [291] [292] ਵੱਲ ਵਧਿਆ ਹੈ . [२ 3]] ਭਾਰਤ 1 ਜਨਵਰੀ 1995 ਤੋਂ ਵਿਸ਼ਵ ਵਪਾਰ ਸੰਗਠਨ ਦਾ ਮੈਂਬਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। [294]513.7 ਮਿਲੀਅਨ ਕਰਮਚਾਰੀ ਭਾਰਤੀ ਕਿਰਤ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ , 2016 ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ. [275] ਸੇਵਾ ਖੇਤਰ ਜੀਡੀਪੀ ਦਾ 55.6%, ਉਦਯੋਗਿਕ ਖੇਤਰ 26.3% ਅਤੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਖੇਤਰ 18.1% ਬਣਦਾ ਹੈ. ਸਾਲ 2014 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮੁਦਰਾ ਦੀ 70 ਅਰਬ ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਦੀ ਰਕਮ, ਜੋ ਕਿ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹੈ, ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੇ 25 ਮਿਲੀਅਨ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਇਸ ਦੀ ਆਰਥਿਕਤਾ ਵਿਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ. [295] ਮੁੱਖ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਉਤਪਾਦਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਚਾਵਲ, ਕਣਕ, ਤੇਲ ਬੀਜ, ਸੂਤੀ, ਜੂਟ, ਚਾਹ, ਗੰਨਾ ਅਤੇ ਆਲੂ. [249] ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਉਦਯੋਗਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਟੈਕਸਟਾਈਲ, ਦੂਰ ਸੰਚਾਰ, ਰਸਾਇਣ, ਫਾਰਮਾਸਿicalsਟੀਕਲ, ਬਾਇਓਟੈਕਨਾਲੋਜੀ, ਫੂਡ ਪ੍ਰੋਸੈਸਿੰਗ, ਸਟੀਲ, ਟ੍ਰਾਂਸਪੋਰਟ ਉਪਕਰਣ, ਸੀਮੈਂਟ, ਖਣਨ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ, ਮਸ਼ੀਨਰੀ ਅਤੇ ਸਾੱਫਟਵੇਅਰ [२9]] 2006 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੀ ਜੀਡੀਪੀ ਵਿੱਚ ਬਾਹਰੀ ਵਪਾਰ ਦੀ ਹਿੱਸੇਦਾਰੀ 24% ਰਹੀ ਜੋ 1985 ਵਿੱਚ 6% ਸੀ। [291]2008 ਵਿਚ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਪਾਰ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦਾ ਹਿੱਸਾ 1.68% ਸੀ; [२ 6]] २०११ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦਸਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦਰਾਮਦ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਅਤੇ ਉੱਨੀਵੀਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਬਰਾਮਦਕਾਰ ਸੀ । [२ 7]] ਵੱਡੇ ਨਿਰਯਾਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਉਤਪਾਦ, ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਸਾਮਾਨ, ਗਹਿਣੇ, ਸਾੱਫਟਵੇਅਰ, ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਸਾਮਾਨ, ਰਸਾਇਣ ਅਤੇ ਨਿਰਮਿਤ ਚਮੜੇ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ. [249] ਵੱਡੀਆਂ ਦਰਾਮਦਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਕੱਚਾ ਤੇਲ, ਮਸ਼ੀਨਰੀ, ਰਤਨ, ਖਾਦ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣ. [249] 2001 ਅਤੇ 2011 ਦੇ ਵਿੱਚ, ਕੁੱਲ ਬਰਾਮਦ ਵਿੱਚ ਪੈਟਰੋ ਕੈਮੀਕਲ ਅਤੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਸਮਾਨ ਦਾ ਯੋਗਦਾਨ 14% ਤੋਂ ਵਧ ਕੇ 42% ਹੋ ਗਿਆ. [२ 8]] ਸਾਲ 2013 ਦੇ ਕੈਲੰਡਰ ਸਾਲ ਵਿੱਚ ਚੀਨ ਚੀਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਭਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਬਰਾਮਦ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਸੀ। [299]2007 ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਲਈ 7.5% ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦਰ ਦਾ gingਸਤਨ, [291] ਭਾਰਤ ਨੇ 21 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਦਹਾਕੇ ਦੌਰਾਨ ਆਪਣੀ ਘੰਟਾ ਮਜ਼ਦੂਰੀ ਦੀ ਦਰ ਨਾਲੋਂ ਦੁੱਗਣੀ ਕੀਤੀ ਹੈ। [;००] 1985 ਤੋਂ ਹੁਣ ਤੱਕ ਲਗਭਗ 431 ਮਿਲੀਅਨ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੇ ਗਰੀਬੀ ਛੱਡ ਦਿੱਤੀ ਹੈ; 2030 ਤਕ ਭਾਰਤ ਦੇ ਮੱਧ ਵਰਗਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਲਗਭਗ 580 ਮਿਲੀਅਨ ਹੋਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ। [1०१] ਹਾਲਾਂਕਿ , ਵਿਸ਼ਵਵਿਆਪੀ ਮੁਕਾਬਲੇਬਾਜ਼ੀ ਵਿੱਚ 51१ ਵੇਂ ਰੈਂਕਿੰਗ, ਭਾਵੇਂ ਕਿ ,, ਵਿੱਤੀ ਬਾਜ਼ਾਰ ਦੀ ਸੂਝ-ਬੂਝ ਵਿਚ ਭਾਰਤ 17 ਵੇਂ ਨੰਬਰ 'ਤੇ, ਬੈਂਕਿੰਗ ਖੇਤਰ ਵਿਚ 24 ਵਾਂ, ਕਾਰੋਬਾਰੀ ਆਧੁਨਿਕੀਕਰਨ ਵਿਚ 44 ਵਾਂ ਅਤੇ ਨਵੀਨਤਾ ਵਿਚ 39 ਵਾਂ ਸਥਾਨ ਹੈ, ਕਈ ਉੱਨਤ ਅਰਥਚਾਰਿਆਂ ਤੋਂ ਅੱਗੇ. [2०2] ਸਾਲ top 2009. Of ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਅਧਾਰਤ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀ ਦੀਆਂ 15 ਸੂਚਨਾ ਟੈਕਨੋਲੋਜੀ ਆ outsਟਸੋਰਸਿੰਗ ਕੰਪਨੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸੱਤ, ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਨੁਕੂਲ ਆਉਟਸੋਰਸਿੰਗ ਮੰਜ਼ਿਲ ਵਜੋਂ ਦੇਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [3०3] ਭਾਰਤ ਦੀ ਖਪਤਕਾਰ ਮਾਰਕੀਟ, ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਗਿਆਰ੍ਹਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ , 2030 ਤੱਕ ਪੰਜਵੇਂ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਬਣਨ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ। [30० electricity ] ਬਿਜਲੀ ਅਤੇ ਸਵੱਛ ਪਕਾਉਣ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ forਰਜਾ ਦੀ ਪਹਿਲ ਹੈ : [4 ]4] ਦੇਸ਼ ਦਾ ਕੋਲਾ ਇੱਕ ਹੈ ਭਾਰਤ ਦੁਆਰਾ ਗ੍ਰੀਨਹਾਉਸ ਗੈਸ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਵੱਡਾ ਕਾਰਨ ਪਰ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਨਵੀਨੀਕਰਣ energy ਰਜਾ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ. [305]ਵਾਧੇ ਦੇ ਚਲਦੇ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਨਾਮਾਤਰ ਜੀਡੀਪੀ 1991 ਵਿਚ 329 ਡਾਲਰ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧਿਆ, ਜਦੋਂ ਆਰਥਿਕ ਉਦਾਰੀਕਰਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਤਾਂ ਸਾਲ 2010 ਵਿਚ 1,265 ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਹੋ ਗਿਆ, ਜੋ ਸਾਲ 2020 ਤਕ ਵਧ ਕੇ 2,358 ਅਮਰੀਕੀ ਡਾਲਰ ਰਹਿਣ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ। [19] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਹੋਰ ਵਿਕਾਸਸ਼ੀਲ ਦੇਸ਼ਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ, ਮਲੇਸ਼ੀਆ, ਫਿਲਪੀਨਜ਼, ਸ੍ਰੀਲੰਕਾ ਅਤੇ ਥਾਈਲੈਂਡ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਹੇਗਾ. ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀ ਜੀਡੀਪੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ, ਨੇਪਾਲ, ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚਾ ਹੈ. [306]ਬੰਗਲੌਰ ਦਾ ਇੱਕ ਪਨੋਰਮਾ , ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਾੱਫਟਵੇਅਰ ਵਿਕਾਸ ਆਰਥਿਕਤਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ. 1980 ਵਿਆਂ ਵਿੱਚ, ਜਦੋਂ ਪਹਿਲੀ ਬਹੁ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਕੇਂਦਰ ਸਥਾਪਤ ਕਰਨੇ ਅਰੰਭ ਕੀਤੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਕਾਲਜਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ, ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਹੁਨਰਮੰਦ ਗ੍ਰੈਜੂਏਟਾਂ ਦੇ ਵੱਡੇ ਤਲਾਅ ਕਾਰਨ ਬੈਂਗਲੁਰੂ ਨੂੰ ਚੁਣਿਆ. [307]2011 ਦੀ ਪ੍ਰਾਈਸਵਾਟਰਹਾhouseਸ ਕੂਪਰਸ (ਪੀਡਬਲਯੂਸੀ) ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਖਰੀਦਦਾਰੀ ਸ਼ਕਤੀ ਸਮਾਨਤਾ ਦਾ ਭਾਰਤ ਦਾ ਜੀਡੀਪੀ 2045 ਤੱਕ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਨੂੰ ਪਛਾੜ ਸਕਦਾ ਹੈ। [8०8] ਅਗਲੇ ਚਾਰ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੌਰਾਨ, ਭਾਰਤੀ ਜੀਡੀਪੀ ਦੀ ਸਲਾਨਾ 8ਸਤਨ%% ਦੇ ਵਾਧੇ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ ਇਹ ਸੰਭਾਵਤ ਤੌਰ 'ਤੇ 2050 ਤੱਕ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿਕਾਸ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਵੱਡੀ ਅਰਥ ਵਿਵਸਥਾ ਹੈ. [8० 30] ਰਿਪੋਰਟ ਵਿੱਚ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਕਾਂ ਨੂੰ ਉਜਾਗਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ: ਇੱਕ ਜਵਾਨ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਕਾਰਜਸ਼ੀਲ ਉਮਰ ਦੀ ਆਬਾਦੀ; ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਦੇ ਹੁਨਰ ਦੇ ਪੱਧਰ ਦੇ ਵਧਣ ਕਾਰਨ ਨਿਰਮਾਣ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਵਾਧਾ; ਅਤੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੇ ਮੱਧ-ਵਰਗ ਦੁਆਰਾ ਚਲਾਏ ਜਾਂਦੇ ਉਪਭੋਗਤਾ ਮਾਰਕੀਟ ਦਾ ਨਿਰੰਤਰ ਵਿਕਾਸ. [8०8] ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ ਨੇ ਚੇਤਾਵਨੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਆਰਥਿਕ ਸਮਰੱਥਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਜਨਤਕ ਖੇਤਰ ਦੇ ਸੁਧਾਰਾਂ ਵੱਲ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਜਾਰੀ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ,ਟ੍ਰਾਂਸਪੋਰਟ ਬੁਨਿਆਦੀ infrastructureਾਂਚਾ , ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਤੇ ਪੇਂਡੂ ਵਿਕਾਸ, ਲੇਬਰ ਨਿਯਮਾਂ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣਾ, ਸਿੱਖਿਆ , securityਰਜਾ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਸਿਹਤ ਅਤੇ ਪੋਸ਼ਣ [309]ਇਕਾਨੋਮਿਸਟ ਇੰਟੈਲੀਜੈਂਸ ਯੂਨਿਟ (ਈ.ਆਈ.ਯੂ.) ਦੁਆਰਾ ਜਾਰੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਵਰਲਡਵਾਈਡ ਕੋਸਟ ofਫ ਲਿਵਿੰਗ ਰਿਪੋਰਟ 2017 ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਜੋ 160 ਉਤਪਾਦਾਂ ਅਤੇ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦੇ 400 ਤੋਂ ਵੱਧ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਕੀਮਤਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰਕੇ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੀ, ਸਭ ਤੋਂ ਸਸਤੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਨ: ਬੈਂਗਲੁਰੂ (ਤੀਜਾ), ਮੁੰਬਈ ( 5 ਵਾਂ), ਚੇਨਈ (5 ਵਾਂ) ਅਤੇ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ (8 ਵਾਂ) ਹੈ. [310]ਉਦਯੋਗਸਿੱਕਮ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਚਾਹ ਦਾ ਬਾਗ਼. ਭਾਰਤ, ਚਾਹ ਦਾ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਉਤਪਾਦਕ ਦੇਸ਼ ਇੱਕ ਅਰਬ ਚਾਹ ਪੀਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ, ਜੋ ਭਾਰਤ ਦੇ ਚਾਹ ਉਤਪਾਦਨ ਦਾ 70% ਖਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ।ਭਾਰਤ ਦਾ ਦੂਰਸੰਚਾਰ ਉਦਯੋਗ , ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ, ਨੇ 2010–2011, [311] ਦੀ ਮਿਆਦ ਦੌਰਾਨ 227 ਮਿਲੀਅਨ ਗਾਹਕਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜਿਆ ਅਤੇ 2017 ਦੀ ਤੀਜੀ ਤਿਮਾਹੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਭਾਰਤ ਨੇ ਚੀਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਮਰੀਕਾ ਨੂੰ ਪਛਾੜਦਿਆਂ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਸਮਾਰਟਫੋਨ ਮਾਰਕੀਟ ਬਣ ਗਿਆ। [312]ਭਾਰਤੀ ਆਟੋਮੋਟਿਵ ਉਦਯੋਗ , ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧ ਰਹੀ, ਘਰੇਲੂ ਵਿਕਰੀ 26% ਦੇ ਕੇ 2009-2010 ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਦਾ ਵਾਧਾ, [313] ਅਤੇ 36% ਦੇ ਕੇ ਬਰਾਮਦ 2008-2009 ਦੇ ਦੌਰਾਨ. [4१4] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪਾਦਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ 300 ਗੀਗਾਵਾਟ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚੋਂ 42 ਗੀਗਾਵਾਟ ਨਵਿਆਉਣਯੋਗ ਹੈ । [5१5] 2011 ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਆਈ ਟੀ ਉਦਯੋਗ ਨੇ 2.8 ਮਿਲੀਅਨ ਪੇਸ਼ੇਵਰਾਂ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦਿੱਤਾ, ਆਮਦਨੀ 100 ਅਰਬ ਡਾਲਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ, ਜੋ ਕਿ ਜੀਡੀਪੀ ਦੇ 7.5% ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੈ, ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਪਾਰ ਨਿਰਯਾਤ ਵਿੱਚ 26% ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਹੈ। [6१6]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਫਾਰਮਾਸਿਊਟੀਕਲ ਉਦਯੋਗ ਗਲੋਬਲ ਫਾਰਮਾਸਿਊਟੀਕਲ ਉਦਯੋਗ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਉਭਰ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿੱਚ ਹੈ. 2020 ਤਕ ਭਾਰਤੀ ਫਾਰਮਾਸਿicalਟੀਕਲ ਮਾਰਕੀਟ ਦੇ 48.5 ਬਿਲੀਅਨ ਡਾਲਰ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਣ ਦੀ ਉਮੀਦ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਰ ਐਂਡ ਡੀ ਖਰਚ ਬਾਇਓਫਰਮਾceutੀਸਿਟੀਕਲ ਉਦਯੋਗ ਦਾ 60% ਬਣਦਾ ਹੈ। [7१7] [8१8] ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀ ਦੀਆਂ 12 ਬਾਇਓਟੈਕ ਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ। [319] [320] ਭਾਰਤੀ biotech ਉਦਯੋਗ 2012-2013 ਵਿਚ 15.1% ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਇਸ ਦੇ ਮਾਲੀਏ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ₹ 204.4 ਅਰਬ ( ਭਾਰਤੀ ਰੁਪਏ ਲਈ) ₹ (ਜੂਨ 2013 ਮੁਦਰਾ ਦਰ 'ਤੇ ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ 3.94 ਅਰਬ $) 235.24 ਅਰਬ. [321]ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਚੁਣੌਤੀਆਂਸਿਹਤ ਕਰਮਚਾਰੀ 2006 ਵਿੱਚ ਛੂਤ ਦੀਆਂ ਬੀਮਾਰੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਟੀਕਾਕਰਨ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਦਿਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ। ਅੱਠ ਸਾਲ ਬਾਅਦ, ਅਤੇ ਪੋਲੀਓ ਦੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਖਰੀ ਕੇਸ ਤੋਂ ਤਿੰਨ ਸਾਲ ਬਾਅਦ, ਵਿਸ਼ਵ ਸਿਹਤ ਸੰਗਠਨ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਪੋਲੀਓ ਮੁਕਤ ਘੋਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ। [322]ਪਿਛਲੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਦੌਰਾਨ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਚੁਣੌਤੀਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਜਾਰੀ ਹੈ. 2006 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ ਦੀ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗਰੀਬੀ ਰੇਖਾ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲੋਕ ਪ੍ਰਤੀ ਦਿਨ 25 1.25 ਡਾਲਰ ਸਨ. [3२3] ਇਹ ਅਨੁਪਾਤ १ 1 1१ ਵਿੱਚ %०% ਤੋਂ ਘਟ ਕੇ in 2005 to ਵਿੱਚ% the % ਹੋ ਗਿਆ। [4२4] ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ ਵੱਲੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਸੋਧੀ ਗਰੀਬੀ ਰੇਖਾ ਦੇ ਤਹਿਤ, ਇਹ २०११ ਵਿੱਚ २१% ਸੀ। [l] [6२6] ਇਸ ਤੋਂ ਘੱਟ ਉਮਰ ਦੇ ਭਾਰਤ ਦੇ of०.%% ਬੱਚੇ ਪੰਜ ਵਿਚੋਂ ਘੱਟ ਭਾਰ ਹਨ. [327] ਸਾਲ 2015 ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖੁਰਾਕ ਅਤੇ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਸੰਗਠਨ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, 15% ਆਬਾਦੀ ਕੁਪੋਸ਼ਟ ਹੈ। [328] [329] ਵਾਚਟਾਵਰ ਮਿਡ-ਡੇ-ਮੀਲ ਸਕੀਮਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਾਂ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ. [330]ਸਾਲ 2016 ਦੀ ਵਾਕ ਫਰੀ ਫਾ Foundationਂਡੇਸ਼ਨ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਅੰਦਾਜ਼ਨ 18.3 ਮਿਲੀਅਨ ਲੋਕ ਸਨ, ਜਾਂ ਆਬਾਦੀ ਦਾ 1.4%, ਆਧੁਨਿਕ ਗੁਲਾਮੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਜੀ ਰਹੇ ਸਨ , ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਬੰਧੂਆ ਮਜ਼ਦੂਰੀ , ਬਾਲ ਮਜ਼ਦੂਰੀ , ਮਨੁੱਖੀ ਤਸਕਰੀ ਅਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਭੀਖ ਮੰਗਣਾ, ਹੋਰਨਾਂ ਵਿੱਚ. . [1 33१] [2 33२] [3 333] 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ 10.1 ਮਿਲੀਅਨ ਬਾਲ ਮਜਦੂਰ ਸਨ, ਜੋ 2001 ਵਿੱਚ 12.6 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ 2.6 ਮਿਲੀਅਨ ਘੱਟ ਸਨ। [4.4]1991 ਤੋਂ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਜਾਂ ਦਰਮਿਆਨ ਆਰਥਿਕ ਅਸਮਾਨਤਾ ਲਗਾਤਾਰ ਵਧਦੀ ਗਈ ਹੈ: 2007 ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਅਮੀਰ ਰਾਜਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਸ਼ੁੱਧ ਰਾਜ ਘਰੇਲੂ ਉਤਪਾਦ ਸਭ ਤੋਂ ਗਰੀਬਾਂ ਨਾਲੋਂ 3.2 ਗੁਣਾ ਸੀ। [5 335] ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਘਟਿਆ ਹੈ। ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸੂਚਕਾਂਕ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ , ਭਾਰਤ ਨੇ 100 ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚੋਂ 41 ਦੇ ਸਕੋਰ ਨਾਲ ਸਾਲ 2018 ਵਿਚ 180 ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚੋਂ 78 ਵੇਂ ਨੰਬਰ 'ਤੇ, ਜੋ 2014 ਵਿਚ 85 ਵੇਂ ਤੋਂ ਸੁਧਾਰ ਹੈ. [33 336] [7 337]ਜਨਸੰਖਿਆ, ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਅਤੇ ਧਰਮਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਜਨਸੰਖਿਆ , ਭਾਰਤ ਦੇ ਭਾਸ਼ਾ , ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਧਰਮਆਬਾਦੀ ਦੀ ਘਣਤਾ, ਧਰਮ, ਭਾਸ਼ਾ ਦੁਆਰਾ ਭਾਰਤ1901 ਦੀ ਭਾਰਤੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਦੇ ਅਧਾਰ 'ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਵਿਭਾਜਨ ਦੁਆਰਾ ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਦੀ ਘਣਤਾਭਾਰਤ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਘਣਤਾ ਹਰੇਕ ਰਾਜ ਦੁਆਰਾ, 2011 ਦੀ ਭਾਰਤੀ ਜਨਗਣਨਾ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ1901 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਧਰਮ ਜ਼ਿਲਾ-ਪੱਖੀ ਪ੍ਰਮੁੱਖਤਾ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਭਾਸ਼ਾ ਪਰਿਵਾਰਸਾਲ 2011 ਦੀ ਆਰਜ਼ੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਰਿਪੋਰਟ ਵਿਚ 1,210,193,422 ਵਸਨੀਕਾਂ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ , [8 338] ਭਾਰਤ ਦੁਨੀਆ ਦਾ ਦੂਜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। 2001 ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 2011 ਤੱਕ ਇਸਦੀ ਆਬਾਦੀ 17.64% ਵਧੀ, [33 339] ਪਿਛਲੇ ਦਹਾਕੇ (1991-2001) ਵਿੱਚ 21.54% ਦੇ ਵਾਧੇ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ. [9 33]] ਮਨੁੱਖੀ ਲਿੰਗ ਅਨੁਪਾਤ, २०११ ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਅਨੁਸਾਰ, 404040 perਰਤਾਂ ਪ੍ਰਤੀ 1000 ਮਰਦ ਹਨ। [8 33 2016 ] ਸਾਲ age. Age age ਦੀ ਉਮਰ age 27. was ਸੀ. [275] 1951 ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਪਹਿਲੀ ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਜਨਗਣਨਾ ਵਿੱਚ, 361 ਮਿਲੀਅਨ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਕੀਤੀ ਗਈ। [4040०] ਪਿਛਲੇ years० ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਮੈਡੀਕਲ ਤਰੱਕੀ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ " ਹਰੇ ਇਨਕਲਾਬ " ਦੁਆਰਾ ਲਿਆਂਦੀ ਗਈ ਖੇਤੀ ਉਤਪਾਦਕਤਾ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ ਹੈ। [341]ਭਾਰਤ ਵਿਚ lifeਸਤਨ ਉਮਰ 68 68 ਸਾਲਾਂ — .6ਰਤਾਂ ਲਈ years women. women ਸਾਲ, ਮਰਦਾਂ ਲਈ .3 years..3 ਸਾਲ ਹੈ. [2 342] ਪ੍ਰਤੀ 100,000 ਭਾਰਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਤਕਰੀਬਨ 50 ਡਾਕਟਰ ਹਨ. [3 343] ਭਾਰਤ ਦੇ ਤਾਜ਼ਾ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਪੇਂਡੂ ਤੋਂ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਵਾਸ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਰਿਹਾ ਹੈ। 1991 ਤੋਂ 2001 ਦਰਮਿਆਨ ਸ਼ਹਿਰੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ 31.2% ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ। [4 Yet4] ਫਿਰ ਵੀ, 2001 ਵਿੱਚ, 70% ਅਜੇ ਵੀ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। [5 345] [6 346] ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਦਾ ਪੱਧਰ 2001 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿੱਚ 27.81% ਤੋਂ ਵੱਧ ਕੇ 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿੱਚ 31.16% ਹੋ ਗਿਆ। ਕੁੱਲ ਆਬਾਦੀ ਵਾਧੇ ਦੀ ਦਰ ਦੇ ਹੌਲੀ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ 1991 ਤੋਂ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਕਾਸ ਦਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਗਿਰਾਵਟ ਆਈ ਸੀ। [7 347] 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਇੱਥੇ 53 ਹਨਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸ਼ਹਿਰੀ ਇਕੱਠ ; ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁੰਬਈ , ਦਿੱਲੀ , ਕੋਲਕਾਤਾ , ਚੇਨਈ , ਬੈਂਗਲੁਰੂ , ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦਾਬਾਦ , ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਘੱਟ ਰਹੇ ਹਨ। [8 348] 2011 ਵਿੱਚ ਸਾਖਰਤਾ ਦਰ .0.0..04% ਸੀ: amongਰਤਾਂ ਵਿੱਚ .4 65..46% ਅਤੇ ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ .1२..14%. [9 34]] ਪੇਂਡੂ-ਸ਼ਹਿਰੀ ਸਾਖਰਤਾ ਪਾੜਾ ਜੋ ਕਿ 2001 ਵਿੱਚ २१..2 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਅੰਕ ਸੀ, २०११ ਵਿੱਚ ਘਟ ਕੇ १.1.१ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਅੰਕ ਹੋ ਗਿਆ। ਪੇਂਡੂ ਸਾਖਰਤਾ ਦਰ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਨਾਲੋਂ ਦੁਗਣਾ ਹੈ। [7 347] ਕੇਰਲ 93.91% ਸਾਖਰਤਾ ਵਾਲਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਾਹਿਤ ਵਾਲਾ ਰਾਜ ਹੈ; ਜਦੋਂ ਕਿ ਬਿਹਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ .8 63.2%% ਹੈ।[349]ਸੈਨ ਥੋਮ ਬੇਸਿਲਕਾ , ਚੇਨਈ , ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦਾ ਅੰਦਰੂਨੀ ਖੇਤਰ . ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਈਸਾਈ ਧਰਮ ਦੀ ਪਛਾਣ 2 ਸਦੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਸੀਰੀਆ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਇਸਾਈਆਂ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ।ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦੋ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਭਾਸ਼ਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹਨ : ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ (ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਲਗਭਗ% 74% ਦੁਆਰਾ ਬੋਲੇ) ਅਤੇ ਦ੍ਰਾਵਿੜਿਅਨ (ਆਬਾਦੀ ਦੇ 24% ਦੁਆਰਾ ਬੋਲੇ)। ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਬੋਲੀਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਹੋਰ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਆਸਟੋਰਾਸੀਆਟਿਕ ਅਤੇ ਸਿਨੋ-ਤਿੱਬਤੀ ਭਾਸ਼ਾ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ . ਭਾਰਤ ਦੀ ਕੋਈ ਕੌਮੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੈ। [350 350]] ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਹਿੰਦੀ , ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਅਧਿਕਾਰਕ ਭਾਸ਼ਾ ਹੈ। [1 351] [2 352] ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਪਾਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਵਿੱਚ ਵਿਆਪਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸਨੂੰ "ਸਹਾਇਕ ਸਹਾਇਕ ਭਾਸ਼ਾ" ਦਾ ਦਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ; []] ਇਹ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਵਜੋਂ. ਹਰੇਕ ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਇਕ ਜਾਂ ਵਧੇਰੇ ਅਧਿਕਾਰਕ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਅਤੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ 22 "ਅਨੁਸੂਚਿਤ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ" ਵਿਚ ਮਾਨਤਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ.ਸਾਲ 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ ਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਧਰਮ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਸੀ (ਆਬਾਦੀ ਦਾ 79.80%), ਇਸਲਾਮ ਦੇ ਬਾਅਦ (14.23%); ਬਾਕੀ ਈਸਾਈ ਧਰਮ (2.30%), ਸਿੱਖ ਧਰਮ (1.72%), ਬੁੱਧ ਧਰਮ (0.70%), ਜੈਨ ਧਰਮ (0.36%) ਅਤੇ ਹੋਰ [ਮੀ] (0.9%) ਸਨ। [14] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਤੀਜੀ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਮੁਸਲਿਮ ਆਬਾਦੀ ਹੈ- ਇੱਕ ਗੈਰ-ਮੁਸਲਿਮ ਬਹੁਗਿਣਤੀ ਦੇਸ਼ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ। [3 353] [4 354]ਸਭਿਆਚਾਰਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭਿਆਚਾਰਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ , ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜਾਂ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇਕ ਸਿੱਖ ਸ਼ਰਧਾਲੂਭਾਰਤੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਇਤਿਹਾਸ 4,500 ਸਾਲ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਸਮੇਂ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ . [355] ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਵੈਦਿਕ ਦੀ ਮਿਆਦ ( ੲ.  1700 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. -. ੲ  500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ), ਦੀ ਬੁਨਿਆਦ ਹਿੰਦੂ ਫ਼ਲਸਫ਼ੇ , ਮਿਥਿਹਾਸ , ਧਰਮ ਸ਼ਾਸਤਰ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤ ਨੂੰ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਅਤੇ ਵਿਹਾਰ, ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ ਵੀ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਅਜਿਹੇ ਤੌਰ ਧਰਮ , ਕਰਮ , ਯੋਗਾ , ਅਤੇ ਮੋਕੇ , ਸਥਾਪਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ. [] 63] ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ , ਬੋਧ , ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਆਪਣੀ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ, ਇਸਲਾਮ , ਈਸਾਈ , ਅਤੇ ਜੈਨ ਧਰਮ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਧਰਮਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੈ. [356] ਮੁੱਖ ਧਰਮ, ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ, ਵਿਚਾਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਇਤਿਹਾਸਕ ਸਕੂਲ, ਦੇ ਸਮੇਤ ਕੇ ਕਰਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਉਪਨਿਸ਼ਦ , [357] ਯੋਗਾ ਦੇ ਸੂਤਰ , ਭਗਤੀ ਲਹਿਰ ਨੂੰ , [356] ਅਤੇ ਬੋਧੀ ਫ਼ਲਸਫ਼ੇ . [358]ਵਿਜ਼ੂਅਲ ਆਰਟਚੋਲਾ ਪਿੱਤਲ ਦੇ ਸ਼ਿਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ Nataraja ( "ਨਾਚ ਦਾ ਪ੍ਰਭੂ"), ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ , 10 ਜ 11 ਸਦੀ.ਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤੀ ਕਲਾਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਕਲਾ ਦੀ ਇੱਕ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪਰੰਪਰਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੇ ਯੂਰਸੀਆ ਦੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤਾ ਹੈ . ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਦੀ ਤੀਜੀ ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਬੀਸੀਈ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਦੀਆਂ ਸੀਲਾਂ ਮਿਲੀਆਂ ਹਨ, ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਨਾਲ ਉੱਕਰੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਕੁਝ ਕੁ ਮਨੁੱਖੀ ਅੰਕੜਿਆਂ ਨਾਲ. "Pashupati" ਮੋਹਰ , ਵਿੱਚ ਖੁਦਾਈ ਮੋਹਿੰਜੋਦੜੋ daro , ਪਾਕਿਸਤਾਨ, 1928-29 ਵਿਚ, ਵਧੀਆ ਜਾਣਿਆ ਹੈ. [9 359] ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇੱਕ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਵੀ ਨਹੀਂ ਬਚਦਾ. [360 360.] ਉਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਗਭਗ ਸਾਰੇ ਬਚੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਭਾਰਤੀ ਕਲਾ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਧਾਰਮਿਕ ਸ਼ਿਲਪਾਂ ਵਿੱਚ ਹਨਟਿਕਾurable ਸਮੱਗਰੀ, ਜ ਸਿੱਕੇ ਵਿੱਚ. ਸ਼ਾਇਦ ਲੱਕੜ ਵਿਚ ਅਸਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਸੀ, ਜੋ ਗੁੰਮ ਗਿਆ ਹੈ. ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਮੌਰੀਅਨ ਕਲਾ ਪਹਿਲੀ ਸ਼ਾਹੀ ਲਹਿਰ ਹੈ. [ 1 361] ਪਹਿਲੀ ਸਦੀਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਬੋਧੀ ਕਲਾ ਭਾਰਤੀ ਧਰਮਾਂ ਨਾਲ ਮੱਧ , ਪੂਰਬੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਫੈਲ ਗਈ , ਆਖਰੀ ਵੀ ਹਿੰਦੂ ਕਲਾ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਹੋਈ। [2 362] ਅਗਲੀਆਂ ਸਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖੀ ਸ਼ਖਸੀਅਤ ਨੂੰ ਮੂਰਤੀ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਭਾਰਤੀ ਸ਼ੈਲੀ, ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨ ਦੀ ਮੂਰਤੀ ਨਾਲੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਸਹੀ ਰਚਨਾ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਰੁਚੀ ਦੇ ਨਾਲ ਪਰੰਤੂ (“ਸਾਹ” ਜਾਂ ਜੀਵਨ ਸ਼ਕਤੀ) ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਸੁਵਿਧਾ ਨਾਲ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਰੂਪਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਹੈ । [3 363] ਇਹ ਅਕਸਰ ਅੰਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਕਈ ਹਥਿਆਰਾਂ ਜਾਂ ਸਿਰ ਦੇਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਾਲ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ ਸ਼ਿਵ ਅਤੇ ਪਾਰਵਤੀ ਦੇ ਅਰਧਨਾਰੀਸ਼ਵਰ ਰੂਪ ਦੇ ਨਾਲ, ਅੰਕੜਿਆਂ ਦੇ ਖੱਬੇ ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਲਿੰਗਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ . [4 364]ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਵੱਡੀ ਮੂਰਤੀ ਬੁੱਧ ਹੈ ਜੋ ਜਾਂ ਤਾਂ ਬਾਂਧੀ ਸਟੂਪਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਾਂਚੀ , ਸਰਨਾਥ ਅਤੇ ਅਮਰਾਵਤੀ , [5 365] ਦੁਆਰਾ ਖੁਦਾਈ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ਜਾਂ ਅਜੰਤਾ , ਕਾਰਲਾ ਅਤੇ ਏਲੋਰਾ ਵਰਗੀਆਂ ਥਾਵਾਂ 'ਤੇ ਰਾਹਤ - ਰਾਹਤ ਹੈ । ਹਿੰਦੂ ਅਤੇ ਜੈਨ ਦੇ ਸਥਾਨ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਪ੍ਰਗਟ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. [6 366] ਧਾਰਮਿਕ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੇ ਇਸ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਮਿਸ਼ਰਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਮੇਂ ਅਤੇ ਸਥਾਨ' ਤੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕਲਾਤਮਕ ਸ਼ੈਲੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਧਾਰਮਿਕ ਸਮੂਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਾਂਝਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਅਤੇ ਬੁੱਤਕਾਰਾਂ ਨੇ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਾਰੇ ਸਮੂਹਾਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ. [7 367] ਗੁਪਤਾ ਕਲਾ , ਲਗਭਗ 300 ਸਾ.ਯੁ. ਅਤੇ 500 ਸਾ.ਯੁ. ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਸ ਦੀ ਸਿਖਰ ਤੇ, ਅਕਸਰ ਕਲਾਸਿਕ ਦੌਰ ਵਜੋਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕਈ ਸਦੀਆਂ ਬਾਅਦ ਚਲਦਾ ਰਿਹਾ; ਇਸ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਸ਼ਿਲਪਕਾਰੀ ਦਾ ਇਕ ਨਵਾਂ ਦਬਦਬਾ ਵੇਖਿਆ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਐਲੀਫੈਂਟਾ ਗੁਫਾਵਾਂ ਵਿਚ . [8 368] ਉੱਤਰ ਦੇ ਪਾਰ, ਇਹ ਲਗਭਗ CE 800 CE ਸਾ.ਯੁ. ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਖਤ ਅਤੇ ਸੂਝੀ ਬਣ ਗਈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਬੁੱਤ ਦੇ ਆਲੇ ਦੁਆਲੇ ਵਿੱਚ ਬਾਰੀਕ ਬੁਣੇ ਹੋਏ ਵੇਰਵਿਆਂ ਨਾਲ ਅਮੀਰ ਹੈ. [9 369] ਪਰ ਦੱਖਣ ਵਿੱਚ, ਪੱਲਵ ਅਤੇ ਚੋਲਾ ਖਾਨਦਾਨਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ , ਪੱਥਰ ਅਤੇ ਕਾਂਸੀ ਦੋਵਾਂ ਵਿੱਚ ਬੁੱਤ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦਾ ਨਿਰੰਤਰ ਦੌਰ ਰਿਹਾ ; ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸ਼ਿਵ ਦੇ ਨਾਲ ਵੱਡੇ bronzes Nataraja ਭਾਰਤ ਦਾ ਬਣਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਬਣ ਗਏ ਹਨ. [0 370]ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਚਿੱਤਰਕਾਰੀ ਸਿਰਫ ਕੁਝ ਥਾਵਾਂ 'ਤੇ ਬਚੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਅਜੰਤਾ ਗੁਫ਼ਾਵਾਂ ਵਿਚ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਭੀੜ ਭਰੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਇਸ ਨੂੰ ਸਪਸ਼ਟ ਤੌਰ' ਤੇ ਵਿਕਸਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਗੁਪਤ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਇਸ ਨੂੰ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਵਜੋਂ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [1 371] ਲਗਭਗ 10 ਵੀਂ ਸਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੇ ਪੇਂਟ ਕੀਤੇ ਖਰੜੇ ਪੂਰਬੀ ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਬਚੇ ਹਨ, ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਮੁ theਲੇ ਬੁੱਧ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਜੈਨ ਸਨ। ਇਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਸ਼ੱਕ ਨਹੀਂ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ੈਲੀ ਵੱਡੇ ਪੇਂਟਿੰਗਾਂ ਵਿਚ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਸੀ. [2 372] ਫ਼ਾਰਸੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਡੇਕਨ ਪੇਂਟਿੰਗ , ਮੁਗਲ ਚਿਤ੍ਰਵੀ ਤੋਂ ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਪਹਿਲਾਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ , ਇਹਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਚਿੱਤਰਾਂ ਉੱਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦੇ ਕੇ ਅਤੇ ਰਿਆਸਤਾਂ ਅਤੇ ਲੜਾਈਆਂ ਦੀ ਰਿਕਾਰਡਿੰਗ ਦੇ ਨਾਲ ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਵੱਡੀ ਸ਼ਕਲ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ। [3 373]ਇਹ ਸ਼ੈਲੀ ਹਿੰਦੂ ਦਰਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਰਾਜਪੂਤਾਂ ਵਿਚ ਅਤੇ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਈਆਂ, ਛੋਟੀਆਂ ਅਦਾਲਤਾਂ ਅਕਸਰ ਨਿਵੇਕਲੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਨਿਹਾਲ ਚੰਦ ਅਤੇ ਨੈਨਸੁਖ ਵਰਗੇ ਅੰਕੜੇ . [4 374] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਯੂਰਪੀਅਨ ਵਸਨੀਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿਕਸਤ ਹੋਇਆ, ਇਸਦੀ ਪੂਰਵਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵਾਲੇ ਭਾਰਤੀ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੰਪਨੀ ਪੇਂਟਿੰਗ ਦੁਆਰਾ ਸਪਲਾਈ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ . [5 375] 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਕਾਗਜ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਸਸਤੀਆਂ ਕਾਲੀਘਾਟ ਪੇਂਟਿੰਗਜ਼ ਅਤੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਣ, ਕਲਕੱਤੇ ਤੋਂ ਸ਼ਹਿਰੀ ਲੋਕ ਕਲਾ ਸਨ , ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਬੰਗਾਲ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਆਰਟ ਨੂੰ ਵੇਖਿਆ। , ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਤ ਆਰਟ ਕਾਲਜਾਂ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤੀ ਪੇਂਟਿੰਗ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲਹਿਰ ਹੈ . [6 376]ਭੂਤੇਸ਼ਵਰ ਯਕਸ਼ੀਸ , ਮਥੁਰਾ ਤੋਂ ਬੋਧੀ ਰਾਹਤ , ਦੂਜੀ ਸਦੀ ਈ ਗੁਪਤਾ ਟੈਰਾਕੋਟਾ ਰਾਹਤ , 5 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਨੂੰ ਮਾਰਨਾ ਦੇ ਘੋੜੇ ਦਾਨਿਸ਼ ਕੇਸ਼ੀ Elephanta Caves , triple- ਬੁੱਤ ( trimurti ਸ਼ਿਵ ਦੇ), 18 ਫੁੱਟ (5.5 ਮੀਟਰ) ਲੰਬਾ, c.  550 ਜਹਾਂਗੀਰ ਨੇ ਮੇਵਾੜ ਮੁਹਿੰਮ ਤੋਂ ਵਾਪਸੀ ਸਮੇਂ ਅਜਮੇਰ ਵਿਖੇ ਪ੍ਰਿੰਸ ਖੁਰਮ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ , ਬਾਲਚੰਦ , ਸੀ.  1635 ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਫਲੁਟ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਮਿਲਕਮਾਇਡਜ਼ , ਕਾਂਗੜਾ ਪੇਂਟਿੰਗ , 1775-1785Itਾਂਚਾ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਸਾਹਿਤ ਦਾ itਾਂਚਾਇੱਕ ਜੈਨ ਔਰਤ ਨੂੰ ਧੋਣ ਦੇ ਪੈਰ Bahubali Gomateswara 'ਤੇ Shravanabelagola , ਕਰਨਾਟਕ .ਤਾਜ ਮਹਿਲ , ਮੁਗਲ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਰਚਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਸਮੇਤ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ureਾਂਚੇ ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਸਥਾਨਕ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਆਯਾਤ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ. [7 377] ਵਰਨਾਕੂਲਰ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਵੀ ਇਸਦੇ ਸੁਆਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੇਤਰੀ ਹੈ. ਵਾਸਤੂ ਸ਼ਾਸਤਰ , ਸ਼ਾਬਦਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ "ਉਸਾਰੀ ਦਾ ਵਿਗਿਆਨ" ਜਾਂ "ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ" ਅਤੇ ਮਮੂਨੀ ਮਯਾਨ ਨੂੰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ , [8 378] ਇਹ ਪਤਾ ਲਗਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਨਿਯਮ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਕਰਦੇ ਹਨ; [9 379] ਇਹ ਅਨੁਸਾਰੀ ਬ੍ਰਹਿਮੰਡ ਨਿਰਮਾਣ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਸਹੀ ਜਿਓਮੈਟਰੀ ਅਤੇ ਦਿਸ਼ਾਵੀ ਅਨੁਕੂਲਤਾਵਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦਾ ਹੈ. [380] ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਹਿੰਦੂ ਮੰਦਰ ਦੇ architect ਾਂਚੇ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ , ਇਹ ਸ਼ਿਲਪਾ ਸ਼ਾਸਤਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੈ , ਬੁਨਿਆਦੀ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਰੂਪਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਲੜੀ ਜਿਸਦਾ ਮੁੱ .ਲਾ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਰੂਪ ਵਾਸਤੂ-ਪੁਰਸ਼ ਮੰਡਲਾ ਹੈ , ਇੱਕ ਵਰਗ ਜਿਸਨੇ " ਸੰਪੂਰਨ " ਨੂੰ ਦਰਸਾਇਆ. [1 381] ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ ਸਮਰਾਟ ਸ਼ਾਹਜਹਾਂ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਆਗਰਾ ਵਿੱਚ 1631 ਅਤੇ 1648 ਦੇ ਵਿੱਚ ਬਣਾਇਆ ਤਾਜ ਮਹੱਲ, ਯੂਨੈਸਕੋ ਦੀ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਰਾਸਤ ਸੂਚੀ ਵਿੱਚ "ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਮਾਨ ਕਲਾ ਦਾ ਗਹਿਣਾ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵਵਿਆਪੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਵਿਰਾਸਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਰਚਨਾ ". [2 382] 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਦੁਆਰਾ ਵਿਕਸਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਇੰਡੋ-ਸੇਰੇਸੈਨਿਕ ਰਿਵਾਈਵਲ ਆਰਕੀਟੈਕਚਰ ਨੇ ਇੰਡੋ-ਇਸਲਾਮੀ architectਾਂਚੇ ਨੂੰ ਖਿੱਚਿਆ । [3 383]ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣਾ ਸਾਹਿਤ, ਜੋ ਸੰਨ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 1200 ਸਾ.ਯੁ. ਵਿਚਕਾਰ ਸੀ, ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਸੀ। [4 384] ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਾਹਿਤ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਰਚਨਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਰਿਗਵੇਦ ( ਲਗਭਗ  1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. - ਸੀ.  1200 ਬੀ ਸੀ ਈ ), ਮਹਾਂਕਾਵਿ : ਮਹਾਂਭਾਰਤ ( ਸੀ.  400 ਬੀ ਸੀ ਈ - ਸੀ.  400 ਈਸਵੀ ) ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ( ਸੀ.  300 ਬੀ ਸੀ ਈ ਅਤੇ ਬਾਅਦ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ; Abhijñānaśākuntalam ( ਸ਼ਕੁੰਤਲਾ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਹੈ ਅਤੇ ਦੇ ਹੋਰ ਡਰਾਮੇ Kālidāsa ( ੲ. 5 ਵੀਂ ਸਦੀ ਸੀਈ ) ਅਤੇ ਮਹਾਂਕਵਯ ਕਵਿਤਾ. [385] [386] [387] ਵਿੱਚ ਤਾਮਿਲ ਸਾਹਿਤ ਦੀ , ਸੰਗਮ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ( ੲ.  600 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. -. ੲ  300 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ) 2,381 ਕਾਵਿ ਰੱਖਦਾ, 473 ਕਵੀ ਨੇ ਲਿਖਿਆ, ਛੇਤੀ ਕੰਮ ਹੈ. [388] [389] [390] [391] 18 ਸਦੀ ਦਾ 14 ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਾਹਿਤਕ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਸੰਕਟ ਨੂੰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਖਤ ਤਬਦੀਲੀ ਦੀ ਇੱਕ ਮਿਆਦ ਦੇ ਵਿੱਚ ਗਿਆ ਭਗਤੀ ਸ਼ਾਇਰ ਵਰਗੇ ਕਬੀਰ , ਤੁਲਸੀਦਾਸ , ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ. ਇਹ ਅਵਧੀ ਵਿਚਾਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਗਟਾਵੇ ਦੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਪੈਕਟ੍ਰਮ ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਸੀ; ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ, ਮੱਧਯੁਮ ਦੀਆਂ ਭਾਰਤੀ ਸਾਹਿਤਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਕਲਾਸੀਕਲ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨਾਲੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਖਰੀਆਂ ਹਨ. [2 2]] 19 ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਲੇਖਕਾਂ ਨੇ ਸਮਾਜਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਅਤੇ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਵਰਣਨ ਵਿੱਚ ਨਵੀਂ ਰੁਚੀ ਲਈ. ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤੀ ਸਾਹਿਤ ਬੰਗਾਲੀ ਕਵੀ, ਲੇਖਕ ਅਤੇ ਦਾਰਸ਼ਨਿਕ ਰਬਿੰਦਰਨਾਥ ਟੈਗੋਰ , [3 3]] ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ਜੋ ਸਾਹਿਤ ਵਿੱਚ ਨੋਬਲ ਪੁਰਸਕਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਸੀ ।ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕਲਾ ਅਤੇ ਮੀਡੀਆਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਗੀਤ , ਭਾਰਤ ਵਿਚ Dance , ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਿਨੇਮਾ , ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨਭਾਰਤ ਦੀ ਨੈਸ਼ਨਲ ਅਕੈਡਮੀ ਆਫ ਪਰਫਾਰਮੈਂਸ ਆਰਟਸ ਨੇ ਅੱਠ ਭਾਰਤੀ ਡਾਂਸ ਸ਼ੈਲੀ ਨੂੰ ਕਲਾਸੀਕਲ ਮੰਨਿਆ ਹੈ . ਅਜਿਹੀ ਹੀ ਇਕ ਕੁਚੀਪੁੜੀ ਇੱਥੇ ਦਿਖਾਈ ਗਈ ਹੈ.ਭਾਰਤੀ ਸੰਗੀਤ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਅਤੇ ਖੇਤਰੀ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਤੋਂ ਵੱਖਰਾ ਹੈ. ਕਲਾਸੀਕਲ ਸੰਗੀਤ ਵਿੱਚ ਦੋ ਸ਼ੈਲੀਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਲੋਕ ਆੱਫ ਸ਼ੂਟਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ: ਉੱਤਰੀ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਕਾਰਨਾਟਿਕ ਸਕੂਲ. [394] ਖੇਤਰੀਕਰਨ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪ੍ਰਕਾਰਜ ਵਿੱਚ ਫਿਲਮੀ ਅਤੇ ਲੋਕ ਸੰਗੀਤ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ; syncretic ਦੀ ਰੀਤ ਦੀ bauls ਇੱਕ ਚੰਗੀ-ਜਾਣਿਆ ਬਾਅਦ ਦੇ ਰੂਪ ਹੈ. ਭਾਰਤੀ ਨਾਚ ਵਿਚ ਭਿੰਨ ਭਿੰਨ ਲੋਕ ਅਤੇ ਕਲਾਸੀਕਲ ਰੂਪ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. ਬਿਹਤਰ-ਜਾਣਿਆ ਵਿਚ ਲੋਕ ਨਾਚ ਹਨ: ਭੰਗੜੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ, bihu ਅਸਾਮ ਦੇ, Jhumair ਅਤੇchhau ਝਾਰਖੰਡ, ਉੜੀਸਾ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲ ਦੇ, ਗਰਬਾ ਅਤੇ dandiya ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ, ghoomar ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ, ਅਤੇ ਲਾਵਨੀ ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ. ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸੰਗੀਤ, ਡਾਂਸ ਅਤੇ ਡਰਾਮਾ ਦੁਆਰਾਅੱਠ ਨਾਚ ਫਾਰਮ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਥਾਵਾਚਕ ਰੂਪਾਂ ਅਤੇ ਮਿਥਿਹਾਸਕ ਤੱਤ ਹਨ, ਨੂੰ ਕਲਾਸੀਕਲ ਡਾਂਸ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਹ ਹਨ: ਭਰਤਨਾਟਿਅਮ ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦੇ ਰਾਜ ਦੇ ਕਥਕ ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, ਦੇ ਕਥਕਲੀ ਅਤੇ mohiniyattam ਕੇਰਲਾ ਦੇ, ਕੁਚੀਪੁੜੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੇ, ਮਣੀਪੁਰੀ ਮਨੀਪੁਰ ਦੇ, odissi ਉੜੀਸਾ ਦੇ ਹਨ, ਅਤੇਅਸਾਮ ਦਾ ਸੱਤਰੀਆ [395]ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਥੀਏਟਰ ਸੰਗੀਤ, ਡਾਂਸ, ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਜਾਂ ਲਿਖਤ ਸੰਵਾਦ ਨੂੰ ਮਿਲਾਉਂਦਾ ਹੈ. [396] ਅਕਸਰ ਹਿੰਦੂ ਮਿਥਿਹਾਸ ਦੇ ਆਧਾਰ 'ਤੇ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਮੱਧਕਾਲੀ romances ਜ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਸਿਆਸੀ ਸਮਾਗਮ ਤੱਕ ਉਧਾਰ, ਭਾਰਤੀ ਥੀਏਟਰ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ: ਭਾਵੈ ਗੁਜਰਾਤ, ਦੇ jatra ਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲ, ਦੇ ਨੌਟੰਕੀ ਅਤੇ ਰਾਮਲੀਲਾ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਦੇ, ਤਮਾਸ਼ਾ ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ, burrakatha ਦੇ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, terukkuttu ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਦੇ, ਅਤੇ yakshagana ਕਰਨਾਟਕ ਦੇ. [7 7]] ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਇੱਕ ਥੀਏਟਰ ਸਿਖਲਾਈ ਸੰਸਥਾ ਨੈਸ਼ਨਲ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਡਰਾਮਾ (ਐਨਐਸਡੀ) ਹੈ ਜੋ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਸਥਿਤ ਹੈਇਹ ਅਧੀਨ ਇਕ ਖੁਦਮੁਖਤਾਰ ਸੰਸਥਾ ਹੈ ਸਭਿਆਚਾਰ ਮੰਤਰਾਲੇ , ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ . [398] ਭਾਰਤੀ ਫ਼ਿਲਮ ਉਦਯੋਗ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ-watched ਸਿਨੇਮਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ. [9 9]] ਅਸਾਮੀਆ , ਬੰਗਾਲੀ , ਭੋਜਪੁਰੀ , ਹਿੰਦੀ , ਕੰਨੜ , ਮਲਿਆਲਮ , ਪੰਜਾਬੀ , ਗੁਜਰਾਤੀ , ਮਰਾਠੀ , ਓਡੀਆ , ਤਾਮਿਲ ਅਤੇ ਤੇਲਗੂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਪਤ ਖੇਤਰੀ ਸਿਨੇਮੇ ਦੀਆਂ ਰਵਾਇਤਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹਨ । [400] ਹਿੰਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੀ ਫਿਲਮ ਇੰਡਸਟਰੀ (ਬਾਲੀਵੁੱਡ ) ਬਾਕਸ ਆਫਿਸ ਦੇ ਮਾਲੀਏ ਦੇ 43% ਦੀ ਨੁਮਾਇੰਦਗੀ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਖੇਤਰ ਹੈ, ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਤੇਲਗੂ ਅਤੇ ਤਾਮਿਲ ਫਿਲਮ ਉਦਯੋਗ ਜੋ 36% ਜੋੜ ਕੇ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ. [401]ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਣ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸੰਚਾਰ ਦੇ ਇੱਕ ਰਾਜ-ਮਾਧਿਅਮ ਮਾਧਿਅਮ ਵਜੋਂ 1959 ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਦੋ ਦਹਾਕਿਆਂ ਤੋਂ ਵਧਦਾ ਗਿਆ। [402] [403] ਨੇ ਰਾਜ ਏਕਾਧਿਕਾਰ 1990 ਵਿਚ ਬੰਦ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਣ 'ਤੇ. ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੋਂ, ਸੈਟੇਲਾਈਟ ਚੈਨਲਾਂ ਨੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਰੂਪ ਦਿੱਤਾ ਹੈ. [4 ]4] ਅੱਜ, ਟੈਲੀਵੀਯਨ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਮੀਡੀਆ ਹੈ; ਉਦਯੋਗ ਦੇ ਅਨੁਮਾਨ ਸੰਕੇਤ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ 2012 ਤੱਕਇੱਥੇ ਪ੍ਰੈਸ (million 350 million ਮਿਲੀਅਨ), ਰੇਡੀਓ (6 3506 ਮਿਲੀਅਨ) ਜਾਂ ਇੰਟਰਨੈਟ (million 37 ਮਿਲੀਅਨ) ਵਰਗੇ ਮੀਡੀਆ ਦੇ ਦੂਜੇ ਰੂਪਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ 55 55 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਟੀਵੀ ਖਪਤਕਾਰਾਂ, ਸੈਟੇਲਾਈਟ ਜਾਂ ਕੇਬਲ ਕੁਨੈਕਸ਼ਨਾਂ ਨਾਲ 462 ਮਿਲੀਅਨ ਹਨ. [405]ਸੁਸਾਇਟੀਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਦਾ ਸਭਿਆਚਾਰਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਸ੍ਰੀਨਗਰ ਦੀ ਇਕ ਮਸਜਿਦ ਵਿਚ ਮੁਸਲਮਾਨ ਨਮਾਜ਼ ਭੇਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।ਰਵਾਇਤੀ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਕਈ ਵਾਰ ਸਮਾਜਿਕ ਲੜੀਬੰਦੀ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਭਾਸ਼ਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਭਾਰਤੀ ਜਾਤ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿਚ ਸਮਾਈ ਸਮਾਜਿਕ stratification ਦੇ ਬਹੁਤ ਹੈ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਪਾਬੰਦੀ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਉਪਮਹਾਦਵੀਪ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ. ਸੋਸ਼ਲ ਕਲਾਸ ਦੇ ਹਜ਼ਾਰ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਭਾਸ਼ਿਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ ਹੁੰਦੇ ਪੀੜੀ ਗਰੁੱਪ, ਅਕਸਰ ਕਰਾਰ jātis , ਜ "ਜਾਤੀ". [6०6] 1947 ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਨੇ ਅਛੂਤਤਾ ਨੂੰ ਗੈਰਕਾਨੂੰਨੀ [407] ਕਰਾਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਅਤੇ ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਤਕਰਾ ਵਿਰੋਧੀ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਭਲਾਈ ਦੀਆਂ ਪਹਿਲਕਦਮੀਆਂ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਹੈ।ਪਰਿਵਾਰਕ ਕਦਰਾਂ ਕੀਮਤਾਂ ਭਾਰਤੀ ਪਰੰਪਰਾ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਹਨ, ਅਤੇ ਬਹੁ-ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਦੇ ਪਿੱਤਰਵਾਦੀ ਸਾਂਝੇ ਪਰਿਵਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਆਮ ਹਨ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਸ਼ਹਿਰੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਪਰਮਾਣੂ ਪਰਿਵਾਰ ਆਮ ਹੁੰਦੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ. [8०8] ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੀ ਇੱਕ ਬਹੁਗਿਣਤੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਹਿਮਤੀ ਨਾਲ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਆਹ ਆਪਣੇ ਮਾਪਿਆਂ ਜਾਂ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬਜ਼ੁਰਗਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕਰਵਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. [409] ਵਿਆਹ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਭਰ ਲਈ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, [409] ਅਤੇ ਤਲਾਕ ਦੀ ਦਰ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ, [410] ਇਕ ਹਜ਼ਾਰ ਵਿਆਹ ਵਿਚ ਇਕ ਤੋਂ ਘੱਟ ਤਲਾਕ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ। [1111१] ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਆਮ ਹਨ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ; ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ 18ਰਤਾਂ 18 'ਤੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵਿਆਹ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਾਨੂੰਨੀ ਵਿਆਹੁਤਾ ਉਮਰ ਹੈ. [412] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ Femaleਰਤ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ, ਅਤੇ ਹਾਲ ਹੀ ਵਿੱਚ ਮਾਦਾ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ , ਲਿੰਗ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਨੂੰ ਬਣਾਇਆ ਹੈ; ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਲਾਪਤਾ womenਰਤਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 2014 ਵਿੱਚ ਖਤਮ ਹੋਈ 50 ਸਾਲਾ ਮਿਆਦ ਵਿੱਚ 15 ਮਿਲੀਅਨ ਤੋਂ 63 ਮਿਲੀਅਨ ਹੋ ਗਈ, ਜੋ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਆਬਾਦੀ ਦੇ ਵਾਧੇ ਨਾਲੋਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੀ 20 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਵੋਟਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਹੈ। [3१3] ਇੱਕ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਅਧਿਐਨ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਵਾਧੂ 21 ਮਿਲੀਅਨ ਕੁੜੀਆਂ ਅਣਚਾਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੋੜੀਂਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ ਹੈ. [4१4] ਸਰਕਾਰੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸੈਕਸ-ਚੁਣਾਵ ਦੇ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ' ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਇਹ ਵਰਤਾਰਾ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਆਮ ਜਿਹਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਪਿੱਤਰਵਾਦੀ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਮੁੰਡਿਆਂ ਦੀ ਤਰਜੀਹ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਹੈ। [415] ਦਾਜ ਦੀ ਅਦਾਇਗੀ , ਭਾਵੇਂ ਗੈਰਕਾਨੂੰਨੀ ਹੈ, ਵਰਗ ਵਰਗ ਵਿਚ ਫੈਲਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ. [6१6] ਦਹੇਜ ਵਿਰੋਧੀ ਸਖਤ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ, ਦਾਜ ਕਾਰਨ ਹੋਈਆਂ ਮੌਤਾਂ , ਜਿਆਦਾਤਰ ਦੁਲਹਨ ਸਾੜਨ ਨਾਲ ਵੱਧ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। [417]ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਤਿਉਹਾਰ ਮੂਲ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਧਾਰਮਿਕ ਹਨ. ਸਭ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ: ਦੀਵਾਲੀ , ਗਣੇਸ਼ ਚਤੁਰਥੀ , ਥਾਈ ਪੋਂਗਲ , ਹੋਲੀ , ਦੁਰਗਾ ਪੂਜਾ , ਈਦ ਉਲ-ਫਿਤਰ , ਬਕਰ-ਆਈਡ , ਕ੍ਰਿਸਮਿਸ ਅਤੇ ਵਿਸਾਖੀ . [418] [419]ਸਿੱਖਿਆਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਿੱਖਿਆ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਾਖਰਤਾ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਉਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ, ਲਗਭਗ 73% ਆਬਾਦੀ ਸਾਖਰ ਸੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਰਦਾਂ ਲਈ 81% ਅਤੇ forਰਤਾਂ ਲਈ 65% ਸੀ. ਇਹ 1981 ਨਾਲ ਤੁਲਨਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਸਬੰਧਤ ਰੇਟ 41%, 53% ਅਤੇ 29% ਸਨ. 1951 ਵਿਚ ਇਹ ਦਰ 18%, 27% ਅਤੇ 9% ਸੀ. 1921 ਵਿਚ ਇਹ ਦਰ 7%, 12% ਅਤੇ 2% ਸੀ. 1891 ਵਿਚ ਉਹ 5%, 9% ਅਤੇ 1% ਸਨ, [420] [1२१] ਲਤੀਕਾ ਚੌਧਰੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, 1911 ਵਿੱਚ ਹਰ 10 ਪਿੰਡਾਂ ਲਈ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਕੂਲ ਸਨ। ਅੰਕੜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਵਧੇਰੇ ਜਾਤੀ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਨੇ ਨਿੱਜੀ ਖਰਚਿਆਂ ਨੂੰ ਘਟਾ ਦਿੱਤਾ. ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਕੂਲ ਨੇ ਸਾਖਰਤਾ ਸਿਖਾਈ, ਇਸ ਲਈ ਸਥਾਨਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਸੀਮਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ. [2२2]ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਦੂਜੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੈ. [3२3] ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 900 ਤੋਂ ਵੱਧ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ, 40,000 ਕਾਲਜ [4२4] ਅਤੇ ਡੇ million ਮਿਲੀਅਨ ਸਕੂਲ ਸਨ। [5२5] ਭਾਰਤ ਦੀ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸਕ ਤੌਰ ਤੇ ਪਛੜੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਹਾਂ-ਪੱਖੀ ਐਕਸ਼ਨ ਪਾਲਿਸੀ ਅਧੀਨ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀਟਾਂ ਰਾਖਵੇਂ ਹਨ। ਹਾਲ ਹੀ ਦੇ ਦਹਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੁਧਾਰੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਅਕਸਰ ਇਸਦੇ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਇਕ ਮੁੱਖ ਯੋਗਦਾਨ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਵਜੋਂ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ . [6२6] [7 427]ਕਪੜੇਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਕੱਪੜੇਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬਾਲਗ ਸਾਖਰਤਾ ਕਲਾਸ ਵਿੱਚ ਸਾੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ Women ਰਤਾਂ ; ਸੱਜਾ: ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਧੋਤੀ ਵਿੱਚ , ਵਾਰਾਣਸੀ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਉੱਨ ਦੀ ਸ਼ਾਲ ਪਾਈਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਆਧੁਨਿਕ ਸਮੇਂ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਤਕ, Indiaਰਤਾਂ ਅਤੇ ਮਰਦ ਦੋਹਾਂ ਲਈ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਿਆਪਕ ਰਵਾਇਤੀ ਪਹਿਰਾਵਾ ਖਿੱਚਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ. [8२8] For ਰਤਾਂ ਲਈ ਆਖਰਕਾਰ ਇਹ ਇੱਕ ਸਾੜ੍ਹੀ , ਇੱਕ ਲੰਬੇ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਟੁਕੜੇ, ਮਸ਼ਹੂਰ ਛੇ ਗਜ਼ ਲੰਬੇ ਅਤੇ ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਫੈਲਾਉਣ ਵਾਲੀ ਚੌੜਾਈ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਗਈ . [8२8] ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਕਮਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਦੁਆਲੇ ਲਪੇਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਫਿਰ ਮੋ shoulderੇ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [8२8] ਇਸ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਆਧੁਨਿਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ, ਇਹ ਸਿਰ ਅਤੇ ਕਈ ਵਾਰ ਚਿਹਰੇ ਨੂੰ coverੱਕਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [428] ਇਹ ਇੱਕ underskirt, ਜ ਭਾਰਤੀ ਦੇ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ petticoat , ਅਤੇ ਹੋਰ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਿਕੜਨ ਲਈ ਕਮਰ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਵਿੱਚ ਿਟਕਾਉਣਾ, ਇਹ ਵੀ ਆਮ ਕਿਸੇ ਭਾਰਤੀ ਨਾਲ ਖਰਾਬ ਹੈ ਬਲਾਊਜ਼, ਜਾਂ ਚੋਲੀ , ਜੋ ਉਪਰਲੇ-ਸਰੀਰ ਦੇ ਮੁ garਲੇ ਕੱਪੜੇ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਸਾੜੀ ਦਾ ਸਿਰੇ - ਕੰਧ ਤੋਂ ਲੰਘਦਾ ਹੈ - ਇਹ ਸਰੀਰ ਦੇ ਉਪਰਲੇ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨੂੰ ਅਸਪਸ਼ਟ ਕਰਨ ਅਤੇ ਮਿਡਰੀਫ ਨੂੰ coverੱਕਣ ਲਈ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ. [8 428]ਆਦਮੀਆਂ ਲਈ, ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਇਕੋ ਜਿਹੀ ਪਰ ਛੋਟੀ ਲੰਬਾਈ, ਧੋਤੀ , ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹੈ. [429] ਇਹ ਵੀ ਕਮਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਅਤੇ ਲਪੇਟਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ. [9२]] ਦੱਖਣ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ, ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਹੇਠਲੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਲਪੇਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਉੱਪਰਲਾ ਸਿਰਾ ਕਮਰ ਪੱਟੀ ਵਿੱਚ ਜਕੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਲਾ ਖੱਬਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ, ਇਸ ਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਪੈਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਲਿਆਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ, ਹਰ ਲੱਤ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਇਕ ਵਾਰ ਲਪੇਟਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਰਵਾਇਤੀ ਲਿਬਾਸ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਰੂਪ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਸਿਲਾਈ ਜਾਂ ਟੇਲਰਿੰਗ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਚੱਦਰ (ਇੱਕ ਸ਼ਾਲ ਜੋ ਦੋਨੋ ਲਿੰਗਾਂ ਦੁਆਰਾ ਠੰਡੇ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਉਪਰਲੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ cover ੱਕਣ ਲਈ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ largeਰਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਿਰ ramੱਕਣ ਲਈ worੱਕਣ ਲਈ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਘੁੰਮਣਾ ) ਅਤੇ ਪਗੜੀ ( ਇੱਕ ਪੱਗਜਾਂ ਕਿਸੇ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਵਜੋਂ ਸਿਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਪਹਿਨਿਆ ਹੋਇਆ ਇੱਕ ਸਕਾਰਫ, ਜਾਂ ਸੂਰਜ ਜਾਂ ਠੰਡ ਨੂੰ ਦੂਰ ਰੱਖਣ ਲਈ). [9 42]]ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਸੱਜੇ ()) Women ਰਤਾਂ (ਐਲ. ਤੋਂ ਆਰ) ਚੂਰੀਦਾਰਾਂ ਅਤੇ ਕਮੀਜ਼ , ਪਿੱਛੇ ਕੈਮਰਾ ਨਾਲ; ਜੀਨਸ ਅਤੇ ਸਵੈਟਰ ਵਿਚ; ਗੁਲਾਬੀ ਸ਼ਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਦੀ ਖਰੀਦਦਾਰੀ ਵਿਚ; (ਬੀ) ਕਸ਼ਮੀਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਕੁੜੀਆਂ ਕroਾਈ ਹੋਈ ਹਿਜਾਬ ਵਿਚ ; (ਸੀ) ਪਗੜੀ ਅਤੇ ਕਮੀਜ਼ ਵਿਚ ਇਕ ਫੈਬਰਿਕ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਬਾਹਰ ਕੰਮ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈਪਹਿਲੀ ਹਜ਼ਾਰ ਸਦੀ ਸਾ.ਯੁ. ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਤੱਕ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਆਮ ਪਹਿਰਾਵਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਿਨਾਂ ਰੁਕੇ ਸੀ. [303030] ਕੇਂਦਰੀ ਏਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਕੁਸ਼ਾਂ ਦੀ ਆਮਦ , ਸੀ.  48 ਈਸਵੀ , ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੱਟ ਅਤੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆਈ ਦੀ ਸ਼ੈਲੀ ਵਿਚ sewn ਕੱਪੜੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪ੍ਰਤਿਸ਼ਠਿਤ ਕੇ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ. [3030०] ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਉਦੋਂ ਤਕ ਮੁਸਲਿਮ ਰਾਜ ਸਥਾਪਤ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਪਹਿਲਾਂ ਦਿੱਲੀ ਸੁਲਤਾਨ ਅਤੇ ਫਿਰ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਨਾਲ , ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਟਾਂਕੇ ਹੋਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਵਧਦੀ ਗਈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਫੈਲ ਗਈ. [430]ਮੱਧਕਾਲੀ ਅਤੇ ਮੁ earlyਲੇ -ਆਧੁਨਿਕ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਕਪੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹੁਣ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ: ਸ਼ਲਵਾਰਾਂ ਅਤੇ ਪਜਾਮਾ ਦੋਨੋ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਟਿicsਨਿਕਸ ਕੁੜਤਾ ਅਤੇ ਕਮੀਜ਼ . [3030०] ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ, ਹਾਲਾਂਕਿ, ਰਵਾਇਤੀ ਡਰੇਪਡ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. [430]ਸ਼ਲਵਾਰ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਕਮਰ' ਤੇ ਚੌੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਇੱਕ ਤਲ੍ਹੇ ਤਲ ਤੋਂ ਤੰਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਉਹ ਇੱਕ ਖਿੱਚੀ ਜਾਂ ਲਚਕੀਲੇ ਪੱਟੀ ਦੁਆਰਾ ਫੜੇ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਹ ਕਮਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਅਨੰਦਮਈ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. [1 431] ਪੈਂਟ ਚੌੜੀ ਅਤੇ ਬੈਗੀ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ, ਜਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਖਪਾਤ 'ਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਤੰਗ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ , ਜਿਸ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚੂਰੀਦਾਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ . ਕਮੀਜ਼ ਲੰਬੀ ਕਮੀਜ਼ ਜਾਂ ਟਿicਨਿਕ ਹੈ. [2 432] ਸਾਈਡ ਸੀਮਜ਼ ਕਮਰ-ਲਾਈਨ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਛੱਡੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ, [3 433] ), ਜੋ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅੰਦੋਲਨ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦਿੰਦੀ ਹੈ. ਕਮੀਜ਼ ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸਿੱਧੇ ਅਤੇ ਸਿੱਧੇ ਕੱਟੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ; ਪੁਰਾਣੇ ਕਮੀਜ਼ ਰਵਾਇਤੀ ਕੱਟਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ; ਆਧੁਨਿਕ ਕਮੀਜ਼ ਵਿਚ ਯੂਰਪੀਅਨ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਸੈੱਟ-ਇਨ ਸਲੀਵਜ਼ ਹੋਣ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ. ਕਮੀਜ਼ ਦਾ ਯੂਰਪੀਅਨ ਸ਼ੈਲੀ ਵਾਲਾ ਕਾਲਰ, ਇਕ ਮੈਂਡਰਿਨ-ਕਾਲਰ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਜਾਂ ਇਹ ਕਾਲਰ ਰਹਿਤ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ; ਬਾਅਦ ਦੇ ਕੇਸ ਵਿਚ, women'sਰਤਾਂ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਜੋਂ ਇਸਦਾ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਇਕ ਕੁਰਤੇ ਵਰਗਾ ਹੈ. [4 434] ਮੁਸਲਿਮ womenਰਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨੇ ਜਾਣ 'ਤੇ, ਸ਼ਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਫੈਲ ਗਈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਖੇਤਰੀ ਸ਼ੈਲੀ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ, [5 435] [6 436] ਖ਼ਾਸਕਰ ਪੰਜਾਬ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ. [7 437] [8 438]ਇਕ ਕੁੜਤਾ , ਜੋ ਕਿ ਆਪਣੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਅਨ ਖਾਨਾਜੰਗੀ ਸੁਰਾਂ ਨੂੰ ਲੱਭਦਾ ਹੈ , ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਟਾਈਲਿਸਟਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਵਿਕਸਤ ਹੋਇਆ ਹੈ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਪਹਿਨਣ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਰਸਮੀ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ. [430] ਇਹ ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਸੂਤੀ ਜਾਂ ਰੇਸ਼ਮ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ; ਇਹ ਸਾਦੇ ਜਾਂ ਕroਾਈ ਵਾਲੇ ਸਜਾਵਟ ਦੇ ਨਾਲ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਚਿਕਨ ; ਅਤੇ ਇਹ ਧੜ ਵਿਚ looseਿੱਲਾ ਜਾਂ ਤੰਗ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਜਾਂ ਤਾਂ ਚੋਰੀ ਦੇ ਗੋਡੇ ਹੇਠਾਂ ਜਾਂ ਤਾਂ ਹੇਠਾਂ ਡਿੱਗਦਾ ਹੈ. [9 439] ਇੱਕ ਰਵਾਇਤੀ ਕੁੜਤੇ ਦੀਆਂ ਸਲੀਵਜ਼ ਬਿਨਾਂ ਤੰਗ ਕੀਤੇ ਗੁੱਟ 'ਤੇ ਡਿੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਹੇਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਪਰ ਕਫ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ; ਕੁੜਤਾ ਆਦਮੀ ਅਤੇ bothਰਤ ਦੋਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ; ਇਹ ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਕਾਲਰ ਰਹਿਤ ਹੈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਖੜ੍ਹੇ ਕਾਲਰ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ; ਅਤੇ ਇਹ ਆਮ ਨਾਲੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈਪਜਾਮਾ , ਢਿੱਲੀ shalwars , churidars , ਜ ਘੱਟ ਰਵਾਇਤੀ ਵੱਧ ਜੀਨਸ . [9 439]ਪਿਛਲੇ 50 ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਫੈਸ਼ਨਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਸੌਦਾ ਬਦਲਿਆ ਹੈ. ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ, ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ਹਿਰੀ ਵਿਵਸਥਾਵਾਂ ਵਿਚ, ਸਾੜ੍ਹੀ ਹੁਣ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਪਹਿਨਣ ਦਾ ਲਿਬਾਸ ਨਹੀਂ ਰਹੀ, ਇਸ ਦੀ ਬਜਾਏ ਰਸਮੀ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ ਇਕ ਵਿਚ ਬਦਲ ਗਈ. [404040] ਰਵਾਇਤੀ ਸ਼ਲਵਾਰ ਕਮੀਜ਼ ਸ਼ਾਇਦ ਹੀ ਮੁਟਿਆਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਚੂਰੀਦਾਰਾਂ ਜਾਂ ਜੀਨਸ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਹਨ. [404040] ਕੂੜਿਆਂ ਨੂੰ ਜਵਾਨ ਮੁੰਡਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਅਕਸਰ ਕੰਨਾਂ 'ਤੇ ਡਿੱਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸਾਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਵ੍ਹਾਈਟ-ਕਾਲਰ ਆਫਿਸ ਸੈਟਿੰਗਾਂ ਵਿਚ, ਸਰਵ ਵਿਆਪੀ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਿੰਗ ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਖੇਡ ਜੈਕਟ ਪਹਿਨਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਿੰਦੀ ਹੈ. [440] ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਰਸਮੀ ਮੌਕੇ, middle- ਅਤੇ ਵੱਡੇ ਕਲਾਸ ਵਿੱਚ, ਲੋਕ ਅਕਸਰ ਵੀਅਰ ਲਈ bandgala ਜ ਛੋਟਾ, ਨਹਿਰੂ ਜੈਕਟ , ਪਟ ਨਾਲ, ਲਾੜੇ ਦੇ ਨਾਲ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਆਪਣੇ ਜਨੇਤੀਆ ਖੇਡਸ਼ੇਰਵਾਨੀ ਅਤੇ ਚੂਰੀਦਾਰ. [440] ਧੋਤੀ, ਇਕ ਵਾਰ ਹਿੰਦੂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਯੂਨੀਵਰਸਲ ਚੋਗੇ, ਜਿਸ ਦੇ ਮੋਟਾ ਅਤੇ handwoven ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹਿਨਣ ਦੀ ਖਾਦੀ ਦਹਿ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਰਾਹੁਲ ਆਗਿਆ ਹੈ, [441] ਘੱਟ ਹੀ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, [440] ਘਟਾ ਹੁਣ, ਕੰocੇ ਨਾਲ ਲੱਗਦੀ ਸਰਹੱਦ ਦੇ ਨਾਲ, ਹਿੰਦੂ ਪੁਜਾਰੀਆਂ ਦੀਆਂ ਧਾਰਮਿਕ ਪੂਜਾਵਾਂ ਲਈ.ਰਸੋਈਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤੀ ਪਕਵਾਨਉੱਪਰ ਤੋਂ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ: ()) ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤੀ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਥਾਲੀ , ਜਾਂ ਥਾਲੀ; (ਅ) ਇਕ ਅਸਾਮੀ ਥਾਲੀ (ਸੀ) ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਤੋਂ ਚਿਕਨ ਬਿਰਿਆਨੀ , (ਡੀ) ਗੋਆ ਤੋਂ ਸੂਰ ਦਾ ਵਿੰਦਾਲੂ , ()) ਘਰ ਵਿਚ ਪਕਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਦੁਪਹਿਰ ਦਾ ਖਾਣਾ ਟਿਫਨ ਵਾਲਾ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ; (f) ਓਡੀਸ਼ਾ ਤੋਂ ਰੇਲਵੇ ਮਟਨ ਕਰੀ .ਭਾਰਤੀ ਪਕਵਾਨ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਖੇਤਰੀ ਅਤੇ ਰਵਾਇਤੀ ਰਸੋਈਆਂ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕਿਸਮ, ਜਲਵਾਯੂ, ਸਭਿਆਚਾਰ, ਨਸਲੀ ਸਮੂਹਾਂ ਅਤੇ ਕਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਮੱਦੇਨਜ਼ਰ, ਇਹ ਪਕਵਾਨ ਸਥਾਨਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਉਪਲਬਧ ਮਸਾਲੇ, bsਸ਼ਧੀਆਂ, ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਅਤੇ ਫਲਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦਿਆਂ ਇਕ ਦੂਜੇ ਤੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਖਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਭਾਰਤੀ ਖਾਣ-ਪੀਣ ਧਰਮਾਂ, ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਹਿੰਦੂ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਚੋਣਾਂ ਅਤੇ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਹਨ. [2 442] ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮੀ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਤੇ ਪੁਰਤਗਾਲੀ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਆਉਣ ਅਤੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ਾਸਨ ਦੁਆਰਾ ਇਸਲਾਮਿਕ ਸ਼ਾਸਨ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਮੁਗਲਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦੁਆਰਾ ਵੀ ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਰੂਪ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਹ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕ੍ਰਮਵਾਰ, ਪਿਲਾਫ ਅਤੇ ਬਿਰੀਆਨੀ ਦੇ ਪਕਵਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਝਲਕਦੇ ਹਨ ; vindaloo; ਅਤੇ ਟਿਫਿਨ ਅਤੇ ਰੇਲਵੇ ਮਟਨ ਕਰੀ . [3 443] ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ, ਕੋਲੰਬੀਆ ਦੇ ਐਕਸਚੇਂਜ ਨੇ ਆਲੂ, ਟਮਾਟਰ, ਮੱਕੀ, ਮੂੰਗਫਲੀ, ਕਾਜੂ, ਅਨਾਸ, ਗਵਾਵਸ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਮਿਰਚ ਮਿਰਚ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਲਿਆਂਦਾ ਸੀ . ਹਰ ਇੱਕ ਵਰਤਣ ਦੀ ਮੁੱਖ ਬਣ ਗਿਆ. [4 444] ਬਦਲੇ ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਯੂਰਪ ਵਿੱਚ ਮਸਾਲੇ ਦਾ ਵਪਾਰ ਯੂਰਪ ਦੀ ਖੋਜ ਦੇ ਯੁੱਗ ਲਈ ਉਤਪ੍ਰੇਰਕ ਸੀ . [5 445]ਅਨਾਜ ਭਾਰਤ, ਆਪਣੀ ਪਸੰਦ, ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਵਧ, ਅਤੇ ਲਾਉਣਾ ਦੇ ਖੇਤਰ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਮਾਨਸੂਨ ਦੇ ਟਾਈਮਿੰਗ, ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਸਬੰਧਿਤ ਬਾਰਸ਼ ਵਿਚ ਉਹ ਖੇਤਰ ਭਰ ਦੇ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕਰਨ ਲਈ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਅਨੁਸਾਰੀ ਹਨ. [6 446] ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸੀਰੀਅਲ ਜ਼ੋਨ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਵੰਡ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮੀਂਹ' ਤੇ ਨਿਰਭਰਤਾ ਦੁਆਰਾ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਨਕਲੀ ਸਿੰਚਾਈ ਦੇ ਆਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੱਕੇ ਤੌਰ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਸੀ. [6 446] ਚਾਵਲ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਾਣੀ ਦੀ ਜਰੂਰਤ ਹੈ, ਰਵਾਇਤੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਉੱਤਰ ਪੂਰਬ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਤੱਟ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਬਾਰਸ਼ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ, ਕਣਕ ਦੇ ਮੱਧਮ ਬਾਰਸ਼ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਮੈਦਾਨੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਬਾਜਰੇ ਘੱਟ ਬਾਰਸ਼ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਡੈੱਕਨ ਪਠਾਰ ਤੇ ਅਤੇ ਰਾਜਸਥਾਨ ਵਿਚ . [7 44 [] [6 446]ਆਮ ਭਾਰਤੀ ਭੋਜਨ ਦੀ ਬੁਨਿਆਦ ਇਕ ਅਨਾਜ ਹੈ ਜੋ ਸਾਦੇ ਫੈਸ਼ਨ ਵਿਚ ਪਕਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਸੁਆਦ ਵਾਲੀਆਂ ਭਰੀਆਂ ਪਕਵਾਨਾਂ ਨਾਲ ਪੂਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. [448] ਬਾਅਦ ਵੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹਨ ਦਾਲ , ਦਾਲ ਅਤੇ ਸਬਜ਼ੀ ਦੇ ਨਾਲ ਆਮ ਮਸਾਲਾ ਅਦਰਕ ਅਤੇ ਲਸਣ , ਪਰ ਇਹ ਵੀ ਹੋਰ ਵੀ discerningly ਅਤਰ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਦੇ ਸੁਮੇਲ ਨਾਲ ਧਨੀਆ , ਜੀਰੇ , ਹਲਦੀ , ਦਾਲਚੀਨੀ , cardamon ਅਤੇ ਹੋਰ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਰਸੋਈ ਸੰਮੇਲਨ ਦੇ ਕੇ ਸੂਚਿਤ ਕੀਤਾ. [8 448] ਅਸਲ ਭੋਜਨ ਵਿੱਚ, ਇਹ ਮਾਨਸਿਕ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਇੱਕ ਥਾਲੀ ਜਾਂ ਥਾਲੀ ਦਾ ਰੂਪ ਲੈਂਦੀ ਹੈ, ਪਕਾਏ ਗਏ ਸੀਰੀਅਲ, ਪੈਰੀਫਿਰਲ ਵਾਲੇ, ਅਕਸਰ ਛੋਟੇ ਕਟੋਰੇ ਵਿਚ, ਸੁਆਦਦਾਰ ਸਹਿਜ ਲਈ, ਅਤੇ ਇਕੋ ਸਮੇਂ, ਖਾਣੇ ਦੇ ਹਰ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦੋਵਾਂ ਦੀ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਨਾ, ਚਾਹੇ ਅਸਲ ਮਿਲਾ ਕੇ - ਚਾਵਲ ਦੀ ਉਦਾਹਰਣ ਲਈ. ਅਤੇ ਦਾਲ - ਜਾਂ ਦੂਜੇ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਇਕ ਰੋਟੀ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪਕਾਏ ਸਬਜ਼ੀਆਂ. [448]ਫਾਈਲ: ਤੁਰਕਮਨ ਗੇਟ ਪੁਰਾਣੀ ਦਿੱਲੀ.ਵੇਬੀਐਮ ਵਿਚ ਤੰਦੂਰ ਵਿਚ ਖਮੀਰ ਰੋਟੀ ਬਣਾਉਣਾਮੀਡੀਆ ਚਲਾਓਵਿੱਚ ਇੱਕ ਤੰਦੂਰ ਸ਼ੈੱਫ Turkman ਗੇਟ , ਪੁਰਾਣੀ ਦਿੱਲੀ , Khameeri ਕਰਦਾ ਹੈ ਰੋਟੀ (ਦੇ ਇੱਕ ਮੁਸਲਮਾਨ-ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਸ਼ੈਲੀ ਆਟੇ ਨੂੰ ਰੋਟੀ ). [449]ਭਾਰਤੀ ਖਾਣਿਆਂ ਦੀ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਕਈ ਵੱਖਰੇ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਹੈ, ਹਰ ਇੱਕ ਇਸਦੇ ਪਾਲਕਾਂ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਹੈ. [5050०] ਅਹਿੰਸਾ ਦੀ ਦਿੱਖ , ਜਾਂ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿੱਚ ਕਈ ਧਾਰਮਿਕ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਜੀਵਨ ਦੇ ਸਾਰੇ ਰੂਪਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਹਿੰਸਾ ਤੋਂ ਪਰਹੇਜ਼ ਕਰਨਾ , ਖ਼ਾਸਕਰ ਉਪਨਿਸ਼ਦਿਕ ਹਿੰਦੂ , ਬੋਧ ਅਤੇ ਜੈਨ ਧਰਮ ਨੂੰ , ਇੱਕ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਣ ਕਾਰਕ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਭਾਰਤ ਦੀ ਹਿੰਦੂ ਆਬਾਦੀ ਦਾ ਖੰਡ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਦੱਖਣੀ ਭਾਰਤ, ਗੁਜਰਾਤ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਮੱਧ ਭਾਰਤ ਦੀ ਹਿੰਦੀ- ਬੋਲਣ ਵਾਲੀ ਪੱਟੀ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਜੈਨਾਂ ਵਿਚ ਵੀ। [450]ਇਹਨਾਂ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ, ਮਾਸ ਖਾਣ ਦੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਤੇ ਭਾਰੀ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, [451] ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਸਮੁੱਚੇ ਖੁਰਾਕ ਲਈ ਮਾਸ ਦੀ ਘੱਟ ਅਨੁਪਾਤ ਸੇਵਨ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [1 451] ਚੀਨ ਦੇ ਉਲਟ, ਜਿਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵੱਧ ਰਹੇ ਆਰਥਿਕ ਵਾਧੇ ਦੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਅਕਤੀ ਮਾਸ ਦੀ ਖਪਤ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਖੁਰਾਕ ਪ੍ਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨੇ ਡੇਅਰੀ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਹੈ, ਮੀਟ ਦੀ ਬਜਾਏ, ਉੱਚ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਨਾਲ ਪਸ਼ੂ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੀ ਖਪਤ ਦਾ ਤਰਜੀਹ ਵਾਲਾ ਰੂਪ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ. . [452]ਪਿਛਲੇ ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਖਾਣਾ ਪਕਾਉਣ ਦੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਆਯਾਤ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੋਇਆ ਸੀ . ਚੌਲਾਂ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਮੱਧ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਪਹਿਲਾਂ ਫੈਲ ਗਈ ਸੀ ; ਪਰ, ਇਸ ਨੂੰ ਮੁਗਲ ਰਾਜ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਗਿਆ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਅਜਿਹੇ ਪਕਵਾਨ, pilaf , [447] ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਅੰਤਰਿਮ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਤ Abbasid ਸ਼ਾਸਨ , [453] ਅਤੇ ਰਸੋਈ ਅਜਿਹੇ ਖੇਤਰ ਤੱਕ ਦਹ ਵਿਚ ਮੀਟ, ਫੈਲਣ ਦੇ marinating ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਤਕਨੀਕ ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ ਪੱਛਮ. [4 454] ਪਰਸੀਆ ਦੇ ਸਾਧਾਰਣ ਦਹੀਂ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜ਼ਹਾਜ਼ ਲਈ, ਪਿਆਜ਼, ਲਸਣ, ਬਦਾਮ ਅਤੇ ਮਸਾਲੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਜਾਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਏ. [454]ਚੌਲ ਮੁਗ਼ਲ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਆਗਰਾ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਵਿਚ ਉਗਾਈ ਗਈ , ਜੋ ਇਸਲਾਮਿਕ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਇਸ ਦੇ ਵਧੀਆ ਅਨਾਜ ਲਈ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ, ਨੂੰ ਅੰਸ਼ਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਪਕਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਬਾਰੀਕ ਤੌਰ' ਤੇ ਪਕਾਏ ਹੋਏ ਮੀਟ ਨਾਲ ਬਰਤਨ 'ਤੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੀਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਅਤੇ ਇਕ ਹੋਰ ਫਾਰਸੀ ਰਸੋਈ ਤਕਨੀਕ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੌਲੀ ਪਕਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ. , ਜੋ ਅੱਜ ਭਾਰਤੀ ਬਿਰਿਆਨੀ ਬਣ ਗਈ ਹੈ, ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ , [4 454] ਭਾਰਤ ਦੇ ਕਈ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਦੀ ਖਾਣਾ ਖਾਣ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਹੈ. [5 455] ਸ਼ਹਿਰੀ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਰੈਸਟੋਰੈਂਟਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰੋਸੇ ਜਾਂਦੇ ਖਾਣੇ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਉੱਤੇ, ਭਾਰਤੀ ਖਾਣਿਆਂ ਦੀ ਭਿੰਨਤਾ ਨੂੰ ਅੰਸ਼ਕ ਤੌਰ ਤੇ ਪੰਜਾਬੀ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੇ ਦਬਦਬੇ ਨੇ ਛੁਪਾਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਉੱਦਮੀ ਜਵਾਬ ਦੁਆਰਾ ਹੋਇਆਉਹ ਖੇਤਰ ਜੋ 1947 ਦੀ ਭਾਰਤ ਵੰਡ ਨਾਲ ਉਜਾੜੇ ਹੋਏ ਸਨ ਅਤੇ ਸ਼ਰਨਾਰਥੀ ਵਜੋਂ ਭਾਰਤ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ। [450] ਦੇ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਪਕਵਾਨ ਦੀ ਪਛਾਣ ਤੰਦੂਰੀ ਚਿਕਨ ਵਿਚ -cooked ਤੰਦੂਰ ਓਵਨ, ਰਵਾਇਤੀ ਦਿਹਾਤੀ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਦਿੱਲੀ ਖੇਤਰ ਦੇ, ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਰੋਟੀ ਬੇਕਿੰਗ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਹੈ, ਪਰ ਹੈ ਜੋ ਮੂਲ ਹੈ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਲਈ -dates ਇਸ ਮਿਆਦ. [450]ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਮਨੋਰੰਜਨਮੁੱਖ ਲੇਖ: ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਖੇਡਭਾਰਤੀ ਕ੍ਰਿਕਟਰ ਸਚਿਨ ਤੇਂਦੁਲਕਰ , ਬੰਗਲੌਰ , 2010 ਵਿੱਚ ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਖਿਲਾਫ ਖੇਡਦਿਆਂ ਟੈਸਟ ਕ੍ਰਿਕਟ ਵਿੱਚ ਰਿਕਾਰਡ 14,000 ਦੌੜਾਂ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲਾ ਸੀ।ਕ੍ਰਿਕਟ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਮਸ਼ਹੂਰ ਖੇਡ ਹੈ. [6 456] ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਰੇਲੂ ਪ੍ਰਤੀਯੋਗਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਡੀਅਨ ਪ੍ਰੀਮੀਅਰ ਲੀਗ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ , ਜੋ ਕਿ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਵੇਖੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਕ੍ਰਿਕਟ ਲੀਗ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰੀਆਂ ਖੇਡ ਲੀਗਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਛੇਵੇਂ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਹੈ। [457]ਕਈ ਰਵਾਇਤੀ ਦੇਸੀ ਖੇਡ ਕਾਫ਼ੀ ਮਸ਼ਹੂਰ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਬੱਡੀ , ਖੋ ਖੋ , ਪਹਿਲਵਾਨੀ ਅਤੇ ਗਿੱਲੀ-ਡਾਂਡਾ . ਏਸ਼ੀਆਈ ਦੇ ਜਲਦੀ ਫਾਰਮ ਦੇ ਕੁਝ ਮਾਰਸ਼ਲ ਆਰਟਸ , ਿਜਵ, Kalarippayattu , musti ਯੁੱਧਾ , ਸਿਲਮਬੈਮ , ਅਤੇ marma ਆਦਿ , ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਏ ਸਨ. ਸ਼ਤਰੰਜ , ਆਮ ਹੈ, ਨੂੰ ਆਯੋਜਿਤ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਉਪਜੀ ਹੈ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ chaturaṅga ਭਾਰਤੀ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਦੇ ਨਾਲ ਫੈਲੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਹਾਸਲ ਹੈ, grandmasters . [458] [459] ਪਚੀਸੀ , ਜਿੱਥੋਂ ਪਰਚੀਸੀਡਰੀਵਜ਼, ਅਕਬਰ ਦੁਆਰਾ ਇਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸੰਗਮਰਮਰ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚ ਖੇਡੀ ਗਈ ਸੀ . [460]ਸਾਲ 2010 ਦੇ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਇੰਡੀਅਨ ਡੇਵਿਸ ਕੱਪ ਟੀਮ ਅਤੇ ਹੋਰ ਭਾਰਤੀ ਟੈਨਿਸ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਟੈਨਿਸ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ. [1 461] ਸ਼ੂਟਿੰਗ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਤੌਰ ਤੇ ਹਾਜ਼ਰੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਨੇ ਓਲੰਪਿਕ , ਵਿਸ਼ਵ ਨਿਸ਼ਾਨੇਬਾਜ਼ੀ ਚੈਂਪੀਅਨਸ਼ਿਪ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰਮੰਡਲ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਕਈ ਤਗਮੇ ਜਿੱਤੇ ਹਨ । [2 462] [3 463] ਹੋਰ ਖੇਡਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਸਫਲਤਾ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ ਹੈ ਵਿੱਚ ਬੈਡਮਿੰਟਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ [4 464] ( ਸਾਇਨਾ ਨੇਹਵਾਲ ਅਤੇ ਪੀਵੀ ਸਿੰਧੂ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਦੋ ਚੋਟੀ ਦੀਆਂ ਰੈਂਕਿੰਗ ਵਾਲੀਆਂ ਮਹਿਲਾ ਬੈਡਮਿੰਟਨ ਖਿਡਾਰੀ ਹਨ), ਬਾਕਸਿੰਗ, [5 465]ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਤੀ. [6 466] ਫੁੱਟਬਾਲ ਪੱਛਮੀ ਬੰਗਾਲ , ਗੋਆ , ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ , ਕੇਰਲ ਅਤੇ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬੀ ਰਾਜਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ . [467]ਗਰਲਜ਼ ਖੇਡਣ ਹੋਪਸਕੌਚ ਵਿਚ Jaora , ਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼. ਹੌਪਸਕੌਚ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਪੇਂਡੂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਕੁੜੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਖੇਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. [468]ਭਾਰਤ ਨੇ ਕਈ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਦੀ ਮੇਜ਼ਬਾਨੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂ ਸਹਿ-ਮੇਜ਼ਬਾਨੀ ਕੀਤੀ: 1951 ਅਤੇ 1982 ਏਸ਼ੀਅਨ ਖੇਡਾਂ ; 1987 , 1996 , ਅਤੇ 2011 ਕ੍ਰਿਕਟ ਵਿਸ਼ਵ ਕੱਪ ਕੱਪ; 2003 ਐਫ਼ਰੋ-ਏਸ਼ੀਆਈ ਖੇਡ ; 2006 ਆਈਸੀਸੀ ਟਰਾਫੀ ; 2010 ਹਾਕੀ ਵਿਸ਼ਵ ਕੱਪ ; 2010 ਰਾਸ਼ਟਰਮੰਡਲ ਖੇਡ ; ਅਤੇ 2017 ਫੀਫਾ ਅੰਡਰ 17 ਵਿਸ਼ਵ ਕੱਪ . ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਾਲਾਨਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਵੱਡੇ ਅੰਤਰ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਵਿਚ ਚੇਨਈ ਓਪਨ , ਮੁੰਬਈ ਮੈਰਾਥਨ , ਦਿੱਲੀ ਹਾਫ ਮੈਰਾਥਨ ਅਤੇ ਇੰਡੀਅਨ ਮਾਸਟਰ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ . ਪਹਿਲਾਫਾਰਮੂਲਾ 1 ਭਾਰਤੀ ਪ੍ਰੀ ਦੇਰ 2011 ਵਿੱਚ ਗੁਣ ਹੈ, ਪਰ ਬਾਅਦ 2014 F1 ਸੀਜ਼ਨ ਦੇ ਕੈਲੰਡਰ ਤੱਕ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ [469] ਤੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਰਵਾਇਤੀ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਦੇਸ਼ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ਿਆਈ ਖੇਡ . ਇਸ ਦਬਦਬੇ ਦੀ ਇਕ ਉਦਾਹਰਣ ਬਾਸਕਟਬਾਲ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੈ ਜਿਥੇ ਭਾਰਤੀ ਟੀਮ ਨੇ ਹੁਣ ਤਕ ਚਾਰ ਵਿਚੋਂ ਤਿੰਨ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ ਜਿੱਤੇ ਹਨ। [470]ਇਹ ਵੀ ਵੇਖੋਭਾਰਤ ਦੀ ਰੂਪਰੇਖਾਨੋਟ^ "[...] ਜਨ ਗਣ ਮਨ ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਹੈ, ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੀਆਂ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਮੌਕਾ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਪ੍ਰਵਾਨਗੀ ਦੇ ਸਕਦੀ ਹੈ; ਅਤੇ ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ਗੀਤ, ਜਿਸਨੇ ਭਾਰਤੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਤਿਹਾਸਕ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ਹੈ। ਆਜ਼ਾਦੀ ਨੂੰ ਜਨ ਗਣ ਮਨ ਨਾਲ ਬਰਾਬਰ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕੀਤਾਜਾਵੇਗਾ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਬਰਾਬਰ ਦਾ ਦਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤਹੋਏਗਾ। ”( ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਭਾਰਤ ) 1950 )^ ਅਨੁਸਾਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੇ ਭਾਗ XVII , ਹਿੰਦੀ ਵਿਚਦੇਵਨਾਗਰੀ ਲਿਪੀ ਹੈ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਯੂਨੀਅਨ ਦੇ, ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵਾਧੂ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ. []] [१] []]ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀ ਹਿੰਦੀ ਜਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਆਪਣੀ ਵੱਖਰੀ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ।^ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਸਰੋਤ ਵਿਆਪਕ ਤੌਰ ਤੇ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਅੰਕੜੇ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਮੁੱਖ ਤੌਰ ਤੇ ਇਸਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ ਕਿ "ਭਾਸ਼ਾ" ਅਤੇ "ਉਪਭਾਸ਼ਾ" ਸ਼ਬਦ ਕਿਵੇਂ ਪਰਿਭਾਸ਼ਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ ਅਤੇ ਸਮੂਹ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ. ਈਥਨੋਲਗ, ਈਸਾਈ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿਸਟ ਸੰਗਠਨ ਐਸਆਈਐਲ ਇੰਟਰਨੈਸ਼ਨਲ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਲਈ 461 ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ (ਵਿਸ਼ਵ ਭਰ ਵਿਚ 6,912 ਵਿਚੋਂ) 447 ਜੀਵਿਤ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ 14 ਅਲੋਪ ਹਨ. [12] [13]^ "ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸਹੀ ਅਕਾਰ ਬਹਿਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਕੁਝ ਸਰਹੱਦਾਂ ਵਿਵਾਦਪੂਰਨ ਹਨ। ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕੁਲ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 3,287,260 ਕਿਮੀ 2 (1,269,220 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਅਤੇ ਕੁੱਲ ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 3,060,500 ਕਿਮੀ 2 (1,181,700 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਦੇਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸੂਚੀਬੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ; ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਕੁੱਲ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 3,287,263 ਕਿਮੀ 2 (1,269,219 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਅਤੇ ਕੁੱਲ ਭੂਮੀ ਖੇਤਰ ਨੂੰ 2,973,190 ਕਿਲੋਮੀਟਰ 2 (1,147,960 ਵਰਗ ਮੀਲ) ਦੇਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ। ”( ਲਾਇਬ੍ਰੇਰੀ ਆਫ ਕਾਂਗਰਸ 2004 )।In ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਤਾਰੀਖ ਅਤੇ ਸਮਾਂ ਸੰਕੇਤ ਵੇਖੋ.^ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਹ ਵੀ ਸੰਬੰਧ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਰਹੱਦ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ, ਇਸ ਨੂੰ ਸਮਝਦਾ ਹੈ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕਸ਼ਮੀਰਭਾਰਤ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਹੈ. ਹਾਲਾਂਕਿ, ਇਹ ਵਿਵਾਦਪੂਰਨ ਹੈ , ਅਤੇ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਦੀ ਸਰਹੱਦ ਨਾਲ ਲੱਗਦੇ ਖੇਤਰ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਸਰੋਤ: "ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰਾਲੇ (ਸਰਹੱਦੀ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਵਿਭਾਗ)" (ਪੀਡੀਐਫ) . 17 ਮਾਰਚ 2015 ਨੂੰ ਅਸਲ (ਪੀਡੀਐਫ) ਤੋਂ ਪੁਰਾਲੇਖ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 1 ਸਤੰਬਰ2008 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ . ^ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਵੇਖ ਸਕਦਾ ਹੈ, "ਇੱਕ ਚੀਨੀ ਨੂੰ ਵੀ ਜਾਤ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਸਬੂਤ ਦਰਜ ਪਿਲਗ੍ਰਿਮ. ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਸਬੂਤ ਇਲਾਜ ਅਛੂਤ ਅਜਿਹੇ ਸਲੂਕ ਤੌਰ Chandalas ਬਹੁਤ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਉਹ ਦੌਰ ਵਿੱਚ ਅਨੁਭਵ ਦੇ ਸਮਾਨ ਸੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ. ਇਹ ਇਸ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਦਾਅਵੇ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦਾ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਸਖ਼ਤ ਰੂਪ ਇਸਲਾਮੀ ਜਿੱਤ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕ੍ਰਿਆ ਵਜੋਂ ਹੀ ਸਾਹਮਣੇ ਆਇਆ। ” [] 35]^ "(ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ ਕਬਰ") ਸ਼ਾਹ ਜਹਾਨ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਉਸ ਦੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ 800 ਕਿਲੋਮੀਟਰ (500 ਮੀਲ) ਆਗਰਾ ਤੱਕ ਰੋਜ਼ਾ-ਏ Munauwara ਵਿਚ ਦਫ਼ਨਾਉਣ ਲਈ ਭੇਜਿਆ. "- ਇੱਕ ਨਿੱਜੀ ਮਸੂਲ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਸ਼ਾਹੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਇੱਕ ਪੱਥਰ ਪ੍ਰਗਟ ਇਸ ਕਬਰ ਦੇ ਤੌਰ 'ਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਪੱਧਰ ਤੇ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਤਾਜ ਮਹਿਲ. " [] 43]Control ਭਾਰਤੀ ਨਿਯੰਤਰਣ ਅਧੀਨ ਉੱਤਰੀ ਬਿੰਦੂ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰਵਿੱਚਵਿਵਾਦਿਤ ਸਿਆਚਿਨ ਗਲੇਸ਼ੀਅਰ ਹੈ; ਹਾਲਾਂਕਿ, ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੀ ਸਾਬਕਾ ਰਿਆਸਤ ਦੇ ਪੂਰੇ ਖੇਤਰ ਨੂੰ, ਜਿਸ ਵਿੱਚਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧਤ ਗਿਲਗਿਤ-ਬਾਲਟਿਸਤਾਨਵੀ ਸ਼ਾਮਲਹੈ, ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਖੇਤਰਮੰਨਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਪੁਆਇੰਟ ਨੂੰ ਵਿਥਕਾਰ ਨੂੰ 37 ° 6 s ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦਾ ਹੈ.^ ਇਕ ਜੀਵ-ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਦਾ ਹਾਟਸਪੌਟ ਇਕ ਜੀਵ-ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੇਤਰ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 1,500 ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਾੜੀ ਵਾਲੀਆਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਹਨ, ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਮੁ primaryਲੇ ਨਿਵਾਸ ਦੇ 30% ਤੋਂ ਵੀ ਘੱਟ ਹਨ. [187]^ ਜੰਗਲ ਦਾ cover ੱਕਣ ਥੋੜਾ ਸੰਘਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੇ ਇਸਦੇ ਖੇਤਰ ਦੇ 40% ਅਤੇ 70% ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਸ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਦੀ ਗੱਡਣੀ ਨਾਲ coveredੱਕਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ.^ 2015 ਵਿੱਚ, ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਕ ਪ੍ਰਤੀ ਦਿਨ $ 1.90 ਤੱਕ ਇਸ ਦੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗਰੀਬੀ ਰੇਖਾ ਉਠਾਇਆ. [325]Specific ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਰਮਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, 2011 ਦੀ ਮਰਦਮਸ਼ੁਮਾਰੀ ਵਿਚ ਆਖਰੀ ਦੋ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ "ਦੂਜੇ ਧਰਮ ਅਤੇ ਰਾਜ਼ੀਨਾਮੇ" (0.65%) ਅਤੇ "ਧਰਮ ਬਿਆਨ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ" (0.23%) ਸਨ.ਹਵਾਲੇ^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਡੀ ਨੈਸ਼ਨਲ ਇਨਫਰਮੇਟਿਕਸ ਸੈਂਟਰ 2005 .^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਡੀ "ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪ੍ਰਤੀਕ | ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੋਰਟਲ". ਇੰਡੀਆ.gov.in. 4 ਫਰਵਰੀ 2017 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 1 ਮਾਰਚ 2017 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ . ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਜਨ ਗਣਾ ਮਨ, ਜਿਸਦਾ ਮੂਲ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬੰਗਾਲੀ ਵਿੱਚ ਰਬਿੰਦਰਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਆ ਗਿਆ ਸੀ, ਨੂੰ ਇਸਦਾ ਹਿੰਦੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਨੇ 24 ਜਨਵਰੀ 1950 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਮੰਨਿਆ ਸੀ।^ "ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ: 'ਜਨ ਗਣਾ ਮਨ ' ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ" . ਨਿ18ਜ਼ 18 . 17 ਅਪ੍ਰੈਲ 2019 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 7 ਜੂਨ 2019 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .Ol ਵੋਲਪਰਟ 2003 , ਪੀ. 1.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ ਗ੍ਰਹਿ 1960 ਦੇ ਮੰਤਰਾਲੇ .^ "ਪ੍ਰੋਫਾਈਲ | ਭਾਰਤ ਦਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੋਰਟਲ" . ਇੰਡੀਆ.gov.in. 30 ਅਗਸਤ 2013 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 23 ਅਗਸਤ 2013 ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ .^ "ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਵਿਵਸਥਾਵਾਂ - ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦਾ ਸਰਕਾਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਭਾਗ -17" . ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ (ਹਿੰਦੀ ਵਿਚ) 18 ਅਪ੍ਰੈਲ 2021 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾਗਿਆ . 18 ਅਪ੍ਰੈਲ 2021 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ ਏ ਬੀ ਖਾਨ, ਸਈਦ (25 ਜਨਵਰੀ 2010) "ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਕੋਈ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੈ: ਗੁਜਰਾਤ ਹਾਈ ਕੋਰਟ" । ਟਾਈਮਜ਼ ਆਫ ਇੰਡੀਆ ਦੀ . 18 ਮਾਰਚ 2014 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 5 ਮਈ 2014 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ ਏ ਬੀ "ਟਾਈਮਜ਼ ਨਾਲ ਸਿੱਖਣਾ: ਭਾਰਤ ਕੋਲ ਕੋਈ 'ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ' ਨਹੀਂ ਹੈ " । 10 ਅਕਤੂਬਰ 2017 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ .^ ਏ ਬੀ ਪ੍ਰੈਸ ਟਰੱਸਟ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ (25 ਜਨਵਰੀ 2010) "ਹਿੰਦੀ, ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ: ਕੋਰਟ" । ਹਿੰਦੂ . ਅਹਿਮਦਾਬਾਦ. 4 ਜੁਲਾਈ 2014 ਨੂੰ ਅਸਲ ਤੋਂ ਆਰਕਾਈਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 23 ਦਸੰਬਰ 2014 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ "ਭਾਸ਼ਾਈ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀਆਂ ਲਈ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ: 50 ਵੀਂ ਰਿਪੋਰਟ (ਜੁਲਾਈ 2012 ਤੋਂ ਜੂਨ 2013)" (ਪੀਡੀਐਫ) . ਭਾਸ਼ਾਈ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀਆਂ ਲਈ ਕਮਿਸ਼ਨਰ, ਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਮਾਮਲਿਆਂ ਦੇ ਮੰਤਰਾਲੇ, ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ। 8 ਜੁਲਾਈ 2016 ਨੂੰ ਅਸਲ (ਪੀਡੀਐਫ) ਤੋਂ ਪੁਰਾਲੇਖ ਕੀਤਾ ਗਿਆ . 26 ਦਸੰਬਰ2014 ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ .^ ਲੇਵਿਸ, ਐਮ. ਪਾਲ; ਸਿਮੰਸ, ਗੈਰੀ ਐਫ.; ਫੇਨੇਗ, ਚਾਰਲਸ ਡੀ., ਐਡੀ. 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(ਪੰਨਾ 1)(ਅ) ਮਾਈਕਲ ਡੀ ਪੈਟ੍ਰਗਲੀਆ; ਬ੍ਰਿਜਟ ਆਲਚਿਨ (22 ਮਈ 2007). ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸ: ਪੁਰਾਤੱਤਵ, ਜੀਵ-ਵਿਗਿਆਨ ਮਾਨਵ-ਵਿਗਿਆਨ, ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਜੈਨੇਟਿਕਸ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਨੀ ਅਧਿਐਨ । ਸਪ੍ਰਿੰਜਰ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਵਪਾਰ ਮੀਡੀਆ. ਪੀ. 6. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-4020-5562-1. ਵਾਈ-ਕ੍ਰੋਮੋਸੋਮ ਅਤੇ ਐਮਟੀ-ਡੀਐਨਏ ਡੇਟਾ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਆਧੁਨਿਕ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਬਸਤੀਵਾਦ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕਰਦੇ ਹਨ. ... ਬਹੁਤੇ ਗੈਰ-ਯੂਰਪੀਅਨ ਆਬਾਦੀਆਂ ਦੀ aਸਤਨ –ਸਤਨ ––-– ka ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਕੋਲੇਸੈਂਸ ਤਾਰੀਖਾਂ ਹਨ. (ਸੀ)ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਪੀ. 23, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2, ਵਿਦਵਾਨ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨਜ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਸਫਲ ਵਿਸਥਾਰ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਪਰੇ ਅਤੇ ਅਰਬ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦੇ ਪਾਰ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ 80,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 40,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇਰ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਸ਼ਾਇਦ ਪਹਿਲਾਂ ਅਸਫਲ ਹੋਏ ਪਰਵਾਸ ਹੋਏ ਸਨ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੁਝ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੇ ਹਰ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਅੱਗੇ ਵਧਾ ਦਿੱਤਾ, ਹਰ ਉਸ ਰਿਹਾਇਸ਼ੀ ਧਰਤੀ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਏ ਜਿਸਦਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਹਮਣਾ ਕੀਤਾ ਸੀ. ਇੱਕ ਮਨੁੱਖੀ ਚੈਨਲ ਫ਼ਾਰਸ ਦੀ ਖਾੜੀ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੀਆਂ ਨਿੱਘੀਆਂ ਅਤੇ ਉਤਪਾਦਕ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ landsੇ ਦੇ ਕੰ alongੇ ਸੀ. ਆਖਰਕਾਰ, ਵੱਖ-ਵੱਖ ਬੈਂਡ 75,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ 35,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚਕਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ ਸਨ. (ਪੰਨਾ 23)^ ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 28, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8^ (ਏ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀਪੀ 4-5, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8; (ਅ)ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 33, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2^ (ਏ)ਲੋਵ, ਜੌਨ ਜੇ. (2015). ਰਿਗਵੇਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਭਾਗੀਦਾਰੀ: ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪਾਂਕ ਅਤੇ ਅਰਥ ਸ਼ਾਸਤਰ . ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੰਨਾ 1-2. ISBN 978-0-19-100505-3. (ਰਿਗਵੇਦ) ਵਿਚ 1,028 ਭਜਨ (ਸੁੱਕਤ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ, ਬਹੁਤ ਹੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਕਾਵਿ-ਰਚਨਾਵਾਂ ਜੋ ਅਸਲ ਵਿਚ ਰਸਮਾਂ ਦੌਰਾਨ ਪਾਠ ਕਰਨ ਅਤੇ ਹਿੰਦ-ਆਰੀਅਨ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰ ਲਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਦਵਤਾਪੂਰਵਕ ਰਾਏ ਇਸ ਗੱਲ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਭਜਨ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਰਚਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਪਹਾੜਾਂ ਤੋਂ ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ ਕਬੀਲਿਆਂ ਦੇ ਪੂਰਬੀ ਵੱਲ ਪਰਵਾਸ ਦੌਰਾਨ ਸੀ।, ਵਿਟਜ਼ਲ, ਮਾਈਕਲ (2008) "ਵੇਦ ਅਤੇ ਉਪਨਿਸ਼ਦ" . ਗਾਵਿਨ ਫਲੱਡ ਵਿਚ (ਐਡ.) ਬਲੈਕਵੇਲ ਕੰਪੇਨਅਨ ਟੂ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ. ਜੌਨ ਵਿਲੀ ਐਂਡ ਸੰਨਜ਼. ਪੰਨਾ 68-70. ISBN 978-0-470-99868-7. ਇਹ ਅੰਦਰੂਨੀ ਪ੍ਰਮਾਣਾਂ ਤੋਂ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਵੈਦਿਕ ਹਵਾਲੇ ਮੌਖਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪਹਿਲਾਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਪਹਿਲਾਂ ਗ੍ਰੇਟਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਉੱਤਰ ਬਿਹਾਰ ਸਮੇਤ ਹੋਰ ਪੂਰਬੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਵੀ ਸੀ.ਏ. 1500 ਬੀਸੀਈ ਅਤੇ ਸੀ.ਏ. 500–400 ਬੀਸੀਈ. ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣਾ ਟੈਕਸਟ, ਰਗਵੇਦ, ਉੱਤਰੀ ਸੀਰੀਆ / ਇਰਾਕ (1450–1350 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ.) ਦੇ ਮਿਤਨਨੀ ਪਾਠਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਘੱਟ ਜਾਂ ਘੱਟ ਸਮਕਾਲੀ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ; ... ਵੈਦਿਕ ਹਵਾਲੇ ਜ਼ੁਬਾਨੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਸਕ੍ਰਿਪਟ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੇ ਬਿਨਾਂ, ਅਧਿਆਪਕ ਤੋਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਤਕ ਸੰਚਾਰ ਦੀ ਇਕ ਅਟੁੱਟ ਲਾਈਨ ਵਿਚ, ਜਿਸਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਅਰੰਭ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ. ਇਸ ਨੇ ਦੂਜੀਆਂ ਸਭਿਆਚਾਰਾਂ ਦੇ ਕਲਾਸੀਕਲ ਟੈਕਸਟ ਨਾਲੋਂ ਉੱਤਮ ਪਾਠ ਟੈਕਸਟ ਸੰਚਾਰ ਨੂੰ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਇਆ; ਇਹ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਟੇਪ-ਰਿਕਾਰਡਿੰਗ ਦੀ ਚੀਜ਼ ਹੈCA ਦਾ 1500–500 ਬੀਸੀਈ. ਕੇਵਲ ਅਸਲ ਸ਼ਬਦ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਬਲਕਿ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਗੁੰਮ ਚੁੱਕੇ ਸੰਗੀਤਕ (ਟੋਨਲ) ਲਹਿਜ਼ੇ (ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਪੁਰਾਣੇ ਯੂਨਾਨ ਵਿੱਚ ਜਾਂ ਜਪਾਨੀ ਵਿੱਚ) ਮੌਜੂਦਾ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ. (ਪੰਨਾ 68-69) ... ਆਰਵੀ ਟੈਕਸਟ ਦੀ ਪਛਾਣ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਵਰਤੋਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬਣਾਈ ਗਈ ਸੀ, ਜੋ ਸੀਏ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੈ. 1200-1000 ਬੀਸੀਈ. (ਪੰਨਾ 70) (ਸੀ) ਡੋਨੀਗਰ, ਵੈਂਡੀ (3 ਫਰਵਰੀ 2014), ਓਨ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਪੀਪੀ. Xviii, 10, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-936009-3, ਏ ਕ੍ਰੋਨੋਲੋਜੀ ਆਫ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ: ਸੀ.ਏ. 1500-1000 ਬੀਸੀਈ ਰਿਗ ਵੇਦ; ਸੀ.ਏ. 1200-900 ਬੀਸੀਈ ਯਜੁਰ ਵੇਦ, ਸਮਾ ਵੇਦ ਅਤੇ ਅਥਰਵ ਵੇਦ (ਪੀ. Xviii); ਹਿੰਦੂ ਲਿਖਤਾਂ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ 00ਗਵੇਦ ('ਸੰਸਕਾਰਾਂ ਦਾ ਗਿਆਨ') ਨਾਲ ਹੋਈ, ਜੋ ਉੱਤਰ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. (ਡੀ) ਲੂਡਨ, ਡੇਵਿਡ (2013), ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ: ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਇਤਿਹਾਸ , ਵਨਵਰਲਡ ਪਬਲੀਕੇਸ਼ਨਜ਼, ਪੀ. 19, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-78074-108-6, ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ, ਪੱਛਮੀ ਹਿਮਾਲਿਆ ਵਿਚ ਪੰਜ ਦਰਿਆ (ਇਸ ਲਈ 'ਪੰਚ' ਅਤੇ 'ਅਬ') ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰੇ ਹੋਏ ਸੁੱਕੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ, ਇਕ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਵਿਚ ਕੋਈ ਪੂੰਜੀ ਨਹੀਂ ਬਚੀ, ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਕੁਝ ਰੀਤੀ ਰਿਵਾਜ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਸਾਲਾਂ ਦੌਰਾਨ ਮੌਖਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ. ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਆਰੀਅਨ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਹਵਾਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਮਾਣ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਯਮੁਨਾ ਅਤੇ ਗੰਗਾ ਨਦੀਆਂ ਦੇ ਰਸਤੇ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਫੈਲਿਆ. ਇਸ ਦੇ ਕੁਲੀਨ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਆਰੀਆ (ਸ਼ੁੱਧ) ਕਿਹਾ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਦੂਜਿਆਂ ਨਾਲੋਂ ਤਿੱਖੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵੱਖਰਾ ਕੀਤਾ. ਆਰੀਅਨ ਘੋੜੇ-ਪਾਲਣ ਵਾਲੇ ਘੁੰਮਣ-ਫਿਰਨ ਵਾਲੇ ਕਬੀਲੇ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸੰਗਠਿਤ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦੇ ਸਨ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਸਮ ਪਾਠ ਨੂੰ ਵੇਦ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਰਚਿਆ ਗਿਆ. ਵੈਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਸਿਰਫ ਬਾਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਦਰਜ ਹੈ ਜੋ ਆਰੀਅਨ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਵੈਦਿਕ ਰਸਮਾਂ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਸਨ। ਸਪੱਸ਼ਟ ਤੌਰ ਤੇ ਆਰੀਅਨ ਬਣਨ ਦਾ ਮਤਲਬ ਪੇਸਟੋਰਲ ਕਬੀਲਿਆਂ ਵਿਚਲੇ ਕੁਲੀਨ ਵਰਗ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਸੀ. ਟੈਕਸਟ ਜੋ ਆਰੀਅਨ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਰਿਕਾਰਡ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਹ ਬਿਲਕੁਲ ਅੰਕੜੇ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਪਰ ਇਹ ਲਗਭਗ 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਅਰੰਭ ਵਿੱਚ ਵੈਦਿਕ ਭਜਨ ਦੇ ਚਾਰ ਸੰਗ੍ਰਹਿ (ਆਰ.ਜੀ., ਸਮਾ, ਯਜੂਰ ਅਤੇ ਆਰਥਰਵ) ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। (ਈ) Dyson, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੇ ਆਬਾਦੀ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੀ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕ ਅੱਜ ਤੱਕ ., ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਸਫ਼ੇ 14-15, ISBN 978-0-19-882905-8ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਕ ਪਾਸੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਹਰਕਤਾਂ, ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਭਾਸ਼ਾ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਗੂੜ੍ਹਾ ਸਬੰਧ ਨਾ ਹੋਵੇ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਜਿਸਦੇ ਨਾਲ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਇੱਕ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਨਵੀਂ ਤਾਕਤ ਉੱਭਰੀ - ਇੱਕ ਵੱਖਰੀ ਵਿਚਾਰਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਲੋਕ ਜੋ ਆਖਰਕਾਰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ 'ਆਰੀਆ' ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ - ਇਹ ਯਕੀਨਨ ਦੋ-ਪੱਖੀ ਸੀ. ਯਾਨੀ ਇਸ ਵਿਚ ਨਵੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਸ਼ਾਮਲ ਸੀ ਜੋ ਬਾਹਰੋਂ ਹੋਰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਆਉਂਦੀ ਸੀ, ਸ਼ਾਇਦ ਕੁਝ ਹੜੱਪਨ ਦੇ ਬਚੇ ਪ੍ਰਭਾਵ - ਜੋ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਮੌਜੂਦ ਸਨ. ਵੈਸੇ ਵੀ, ਇਹ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਲਿਖਣ ਤੋਂ ਕੁਝ ਸਦੀਆਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੋਏਗਾ. ਅਤੇ ਆਰੀਆ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਅਤੇ ਕਥਾਵਾਂ - ਖ਼ਾਸਕਰ ਵੇਦ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ਮਹਾਂਕਾਵਿ - ਇਤਿਹਾਸਕ ਘਟਨਾਵਾਂ ਬਾਰੇ ਮਾੜੇ ਮਾਰਗ ਦਰਸ਼ਕ ਹਨ। ਬੇਸ਼ਕ, ਉਭਰ ਰਹੀ ਆਰੀਆ ਦਾ ਉਪਮਹਾਦੀਪ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹੋਣਾ ਸੀ. ਫਿਰ ਵੀ,(f) ਰੋਬ, ਪੀਟਰ (2011), ਏ ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ , ਮੈਕਮਿਲਨ, ਪੀਪੀ 46–, ਆਈ ਐਸ ਬੀ ਐਨ 978-0-230-34549-2, ਆਰੀਅਨ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਇਹ ਨਹੀਂ ਸੋਚਿਆ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿ ਇਹ ਆਰੀਅਨ ਉੱਭਰਨ (ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਹ ਕੁਝ ਪ੍ਰਵਾਸ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ) ਦਾ ਮਤਲਬ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਜਾਂ ਤਾਂ ਨਵੇਂ ਲੋਕਾਂ ਉੱਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਹੋਣਾ, ਜਾਂ ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਨਾਲ ਸੰਪੂਰਨ ਤੋੜ. ਇਸ ਵਿੱਚ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਵਾਦੀ ਵਿਚਾਰਾਂ ਅਤੇ ਅਭਿਆਸਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਸਮੂਹ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਬੋਲਣ ਵਾਲੇ ਕੁਲੀਨ ਆਰੀਅਨ, ਜਾਂ ਆਰੀਅਨ ਲੋਕ ਮੰਨਦੇ ਹਨ. ਇਸ ਸਮਾਜ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਵੇਦਾਂ ਵਿਚ ਦਰਜ ਹਨ।^ (ਏ)ਜੈਮਿਸਨ, ਸਟੈਫਨੀ ; ਬਰੇਟਨ, ਜੋਅਲ (2020), ਦਿ ਰਿਗਵੇਦ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ, ਪੀ. 2, 4, ਆਈ ਐਸ ਬੀ ਐਨ 978-0-19-063339-4, ਆਰਗਵੇਦ ਚਾਰ ਵੇਦਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਮਿਲ ਕੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਹਵਾਲਿਆਂ ਦਾ ਗਠਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਬਣਨ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਪ੍ਰਮਾਣ ਹਨ। (ਪੀ. 2) ਹਾਲਾਂਕਿ ਵੈਦਿਕ ਧਰਮ ਸ਼ਾਸਤਰੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਾਮਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਵੱਖਰਾ ਹੈ, ਬੀਜ ਉਥੇ ਹਨ. ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਅਤੇ ਸਿਵਾ ਵਰਗੇ ਰੱਬ (ਜੋ ਕਿ ਰੁਦਰ ਦੇ ਨਾਮ ਹੇਠ ਹਨ), ਜੋ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਬਣ ਜਾਣਗੇ, ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਰਾਗਵੇਦ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਭੂਮਿਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਉਹ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਨਿਭਾਉਣ ਵਾਲੇ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਅਤੇ ਵੱਖਰੇ ਹਨ, ਅਤੇ ਇੰਦਰ ਵਰਗੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਰਾਗਵੇਦਿਕ ਦੇਵਤੇ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ. ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਘਟਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵਿਚ (ਪੀ. 4). ; (ਅ)ਹੜ੍ਹ, ਗਾਵਿਨ (20 ਅਗਸਤ 2020), “ਜਾਣ-ਪਛਾਣ” , ਗੈਵਿਨ ਫਲੱਡ (ਐਡ.) ਵਿਚ, ਆਕਸਫੋਰਡ ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਹਿੰਦੂਇਜ਼ਮ: ਹਿੰਦੂ ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ: ਹਿੰਦੂ ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ , ਓਯੂਪੀ ਆਕਸਫੋਰਡ, ਪੀਪੀ 4–, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-105322-1, ਮੈਂ 'ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ' ਸ਼ਬਦ ਨੂੰ ਕਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਈ ਗਈ ਅਭਿਆਸ ਦੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਅਰਥ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਲੈਂਦਾ ਹਾਂ, ਖਾਸ ਤੌਰ 'ਤੇ ਵੈਦਿਕ ਪਾਠ ਅਤੇ ਬਲੀਦਾਨ ਦੇ ਮੁੱins ਦਾ ਹਵਾਲਾ, ਸਮਾਜਿਕ ਇਕਾਈਆਂ (ਜਾਤੀ / ਵਰਣ) ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ, ਅਭਿਆਸਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ ਕਿਸੇ ਦੇਵਤੇ ਨੂੰ ਭੇਟ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਇੱਕ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ (ਪੂਜਾ) ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਪਹਿਲੇ ਪੱਧਰੀ ਸਭਿਆਚਾਰਕ ਬਹੁ-ਵਚਨ (ਹਾਲਾਂਕਿ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੂ ਦੂਸਰੇ-ਪੱਧਰ ਦੇ ਏਕਤਾਵਾਦ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਦੇਵਤੇ ਇੱਕ ਦੇ ਸਰੂਪ ਜਾਂ ਉਸ ਦੇ ਪ੍ਰਗਟਾਵੇ ਵਜੋਂ ਮੰਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ)।; (ਸੀ)ਮਾਈਕਲਜ਼, ਅਕਸਲ (2017). ਪੈਟਰਿਕ ਓਲੀਵੇਲ, ਡੋਨਾਲਡ ਆਰ. ਡੇਵਿਸ (ਐਡ.) ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦਾ ਆਕਸਫੋਰਡ ਇਤਿਹਾਸ: ਹਿੰਦੂ ਕਾਨੂੰਨ: ਧਰਮਸਤ੍ਰ ਦਾ ਨਵਾਂ ਇਤਿਹਾਸ । ਆਕਸਫੋਰਡ: ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੰਨਾ 86-97. ISBN 978-0-19-100709-5. ਤਕਰੀਬਨ ਸਾਰੇ ਰਵਾਇਤੀ ਹਿੰਦੂ ਪਰਿਵਾਰ ਅੱਜ ਤੱਕ ਘੱਟੋ ਘੱਟ ਤਿੰਨ ਸੰਸਕਾਰ (ਦੀਖਿਆ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦੀ ਰਸਮ) ਮੰਨਦੇ ਹਨ. ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਹੋਰ ਰੀਤੀ ਰਿਵਾਜਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਗੁਆ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਰਸਤੇ ਦੇ ਹੋਰ ਸੰਸਕਾਰਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਾਂ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ. ਹਾਲਾਂਕਿ ਸੰਸਕਾਰ ਖੇਤਰ ਤੋਂ ਵੱਖਰੇ ਵੱਖਰੇ, ਵਰਗ ( ਵਰਣ ) ਤੋਂ ਇਕ ਵਰਗ ਅਤੇ ਜਾਤੀ ਤੋਂ ਜਾਤੀ ਤੱਕ ਵੱਖਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਆਮ ਸਰੋਤ, ਵੇਦ ਅਤੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਪੁਜਾਰੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖੀ ਗਈ ਇਕ ਆਮ ਪੁਜਾਰੀ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂਲ ਤੱਤ ਇਕੋ ਜਿਹੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ . (ਪੰਨਾ) 86)(ਡੀ) ਫਲੱਡ, ਗੈਵਿਨ ਡੀ. (1996). ਹਿੰਦੂ ਨਾਲ ਜਾਣ-ਪਛਾਣ . ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੀ. 35. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-521-43878-0. ਇਹ ਸੰਸਾਰੀ, ਵੈਦਿਕ, ਪਰੰਪਰਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੇ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਨਿਰੰਤਰਤਾ ਬਣਾਈ ਰੱਖੀ ਹੈ ਅਤੇ ਜਿਸਨੇ ਹਿੰਦੂ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਰੋਤ ਅਤੇ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ਹੈ. ਵੇਦ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਬੁਨਿਆਦ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਜੋਂ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.^ (ਏ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 25, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8; (ਅ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 16, ਆਈ.ਐੱਸ.ਬੀ.ਐੱਨ 978-0-19-882905-8^ ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 16, ਆਈ.ਐੱਸ.ਬੀ.ਐੱਨ 978-0-19-882905-8^ ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 59, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2^ (ਏ)ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੰਨੇ 16–17, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8; (ਅ)ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. 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(2015). ਰਿਗਵੇਦਿਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਚ ਭਾਗੀਦਾਰੀ: ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪਾਂਕ ਅਤੇ ਅਰਥ ਸ਼ਾਸਤਰ . ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੰਨਾ 1-2. ISBN 978-0-19-100505-3. ਇਸ ਵਿਚ 1,028 ਭਜਨ (ਸੁੱਕਤ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ, ਬਹੁਤ ਹੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਕਾਵਿ-ਰਚਨਾਵਾਂ ਜੋ ਅਸਲ ਵਿਚ ਰਸਮਾਂ ਦੌਰਾਨ ਪਾਠ ਕਰਨ ਅਤੇ ਹਿੰਦ-ਆਰੀਅਨ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ। ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਦਵਤਾਪੂਰਵਕ ਰਾਏ ਇਸ ਗੱਲ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਭਜਨ ਲਗਭਗ 1500 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਅਤੇ 1200 ਸਾ.ਯੁ.ਪੂ. ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਰਚਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ, ਜੋ ਕਿ ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਉੱਤਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਫਗਾਨਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਪਹਾੜਾਂ ਤੋਂ ਇੰਡੋ-ਆਰੀਅਨ ਕਬੀਲਿਆਂ ਦੇ ਪੂਰਬੀ ਵੱਲ ਪਰਵਾਸ ਦੌਰਾਨ ਸੀ।^ ਲੋਵ, ਜੌਨ ਜੇ. (2017). Transitive nouns ਅਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਣ: ਛੇਤੀ ਭਾਰਤ-ਆਰੀਅਨ ਤੱਕ ਸਬੂਤ . ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ. ਪੀ. 58. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-879357-1. ਸ਼ਬਦ 'ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ' ਦੋ ਮਹਾਨ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ. ... ਇਸ ਲਈ, ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ ਕਿ ਵੈਦਿਕ ਸਰੋਤਾਂ ਵਿਚ ਪਾਈ ਗਈ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਵਰਗੇ ਤੱਤ ਅਤੇ ਦੋ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਸਿੱਧਾ ਸਬੰਧ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਇਕੋ ਸਰੋਤ 'ਤੇ ਖਿੱਚੇ ਗਏ, ਕਹਾਣੀ-ਕਥਾ ਦੀ ਇਕ ਮੌਖਿਕ ਪਰੰਪਰਾ ਜੋ ਕਿ ਪਹਿਲਾਂ ਸੀ, , ਅਤੇ ਵੈਦਿਕ ਅਵਧੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ.^ ਡਾਈਸਨ, ਟਿਮ (2018), ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਬਾਦੀ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਪਹਿਲੇ ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ , ਆਕਸਫੋਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 1, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-19-882905-8ਹਵਾਲਾ: "ਅਜੋਕੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ — ਹੋਮੋ ਸੈਪੀਅਨਜ਼ਅਫਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਹਨ। ਫਿਰ, ਰੁਕ ਕੇ, ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ, 60,000 ਅਤੇ 80,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ, ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਛੋਟੇ ਸਮੂਹਾਂ ਨੇ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ. ਅਜਿਹਾ ਜਾਪਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਉਹ ਆਏ ਸਨ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ ਦਾ ਰਸਤਾ. ... ਇਹ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਨਿਸ਼ਚਤ ਹੈ ਕਿ 55,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਵਿੱਚ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨਸ ਸਨ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਜੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਫਾਸਿਲ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਉਹ ਅਜੋਕੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਸਿਰਫ 30,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੀ ਹੈ। (ਪੰਨਾ 1) "^ ਮਾਈਕਲ ਡੀ ਪੈਟ੍ਰਗਲੀਆ; ਬ੍ਰਿਜਟ ਆਲਚਿਨ (22 ਮਈ 2007). ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਮਨੁੱਖੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸ: ਪੁਰਾਤੱਤਵ, ਜੀਵ-ਵਿਗਿਆਨ ਮਾਨਵ-ਵਿਗਿਆਨ, ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਗਿਆਨ ਅਤੇ ਜੈਨੇਟਿਕਸ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਨੀ ਅਧਿਐਨ । ਸਪ੍ਰਿੰਜਰ ਵਿਗਿਆਨ + ਵਪਾਰ ਮੀਡੀਆ . ਪੀ. 6. ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-4020-5562-1. ਹਵਾਲਾ: "ਵਾਈ-ਕ੍ਰੋਮੋਸੋਮ ਅਤੇ ਮੀਟ-ਡੀਐਨਏ ਡੇਟਾ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਬਸਤੀਵਾਦ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ.^ ਫਿਸ਼ਰ, ਮਾਈਕਲ ਐਚ. (2018), ਭਾਰਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ: ਅਰੰਭਕ ਟਾਈਮਜ਼ ਤੋਂ ਵੀਹਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ , ਕੈਂਬਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 23, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-107-11162-2ਹਵਾਲਾ: "ਵਿਦਵਾਨ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਹੋਮੋ ਸੇਪੀਅਨਜ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਸਫਲ ਵਿਸਥਾਰ ਅਫਰੀਕਾ ਤੋਂ ਪਰੇ ਅਤੇ ਅਰਬ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਦੇ ਪਾਰ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਲਗਭਗ 80,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 40,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇਰ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਸ਼ਾਇਦ ਪਹਿਲਾਂ ਅਸਫਲ ਹੋਏ ਪਰਵਾਸ ਹੋਏ ਸਨ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੁਝ. ਇੱਕ ਮਨੁੱਖੀ ਚੈਨਲ ਫ਼ਾਰਸ ਦੀ ਖਾੜੀ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੇ ਨਿੱਘੇ ਅਤੇ ਲਾਭਕਾਰੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੰ landsੇ ਦੇ ਨਾਲ ਸੀ.ਅਖੀਰ ਵਿੱਚ, ਵੱਖ-ਵੱਖ ਬੈਂਡ 75,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ ਸਨ. 35,000 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ (ਪੰਨਾ 23) "^ ਪੈਟਰਗਲੀਆ ਅਤੇ ਆਲਚਿਨ 2007 , ਪੀ. .Con ਏ ਬੀ ਕੋਨਿੰਘਮ ਐਂਡ ਯੰਗ 2015 , ਪੀਪੀ. 104–105.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 21-23.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ 2009 ਸਿੰਘ , ਪੀ. 181.^ ਪੋਸੈਲ 2003 , ਪੀ. 2.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 255.^ ਏ ਬੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 186–187.^ ਵਿਟਜ਼ਲ 2003 , ਪੀਪੀ 68-69.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੰਨਾ 41–43.^ ਏ ਬੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀਪੀ 250-2251.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 260–265.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 53-55.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 312–313.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 54-55.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 21.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 67-68.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 300^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ 2009 ਸਿੰਘ , ਪੀ. 319.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 78-79.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀ. 70^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 367.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀ. 63.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 89-90.^ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੰਨਾ 408–415.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ- 92-95.^ ਕੁਲਕੇ ਐਂਡ ਰੋਟਰਮੰਡ 2004 , ਪੀਪੀ 89-91.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਸਿੰਘ 2009 , ਪੀ. 545.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 98-99.^ ਏ ਬੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 132.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀਪੀ 119-120.^ ਏ ਬੀ ਸਟਿਨ 1998 , ਪੀਪੀ 121–122.^ ਏ ਬੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 123.^ ਏ ਬੀ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 124.^ ਏ ਬੀ ਸਟਿਨ 1998 , ਪੀਪੀ 127–128.^ ਲੂਡੇਨ 2002 , ਪੀ. 68.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 47.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. .^ ਲੂਡੇਨ 2002 , ਪੀ. 67.^ ਆਸ਼ੇਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀਪੀ 50-55.As ਏ ਬੀ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 53.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 12.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀ. 80.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 164.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 115..^ ਰੋਬ 2001 , ਪੰਨਾ 90-91.^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 17.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਆਸ਼ੇਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 152.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 158^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 169.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 186.^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 23-24.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 256.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਆਸ਼ੇਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 286^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 44-49.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀਪੀ 98-100.^ Ludden 2002 , ਸਫ਼ੇ. 128-132.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 51-55.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 68–71.^ ਅਸ਼ਰ ਐਂਡ ਟੈਲਬੋਟ 2008 , ਪੀ. 289.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀਪੀ 151-1515.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ. 94-99.^ ਬ੍ਰਾ 199ਨ 1994 , ਪੀ. 83.^ ਪੀਅਰਜ਼ 2006 , ਪੀ. 50^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ. 100–103.^ ਭੂਰਾ 1994 , ਪੀਪੀ 85-86.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 239.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ. 103–108.^ ਰੌਬ 2001 , ਪੀ. 183.Arkar ਸਰਕਾਰ 1983 , ਪੰਨਾ 1–4.^ ਕੋਪਲੈਂਡ 2001 , pp. Ix – x.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 123.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 260.Ose ਬੋਸ ਐਂਡ ਜਲਾਲ 2011 , ਪੀ. 117.^ ਸਟੀਨ 1998 , ਪੀ. 258^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 126.^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 97.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 163.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 167.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 195–197.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 203.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 231.^ ਏ ਬੀ ਸੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 265–266.^ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਵਿਭਾਗ .^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 266–270.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 253.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 274^ ਏ ਬੀ ਮੈਟਕਾਲਫ ਐਂਡ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀਪੀ 247–248.^ ਮੈਟਕਾਲਫ ਅਤੇ ਮੈਟਕਾਲਫ 2006 , ਪੀ. 304.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ c d ਅਲੀ ਅਤੇ ਐਚੀਸਨ 2005 .Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 7.^ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਏਟ ਅਲ. 2000 .Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 11.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 8.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀਪੀ 9-10.^ ਸੂਚਨਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸਾਰਣ 2007 ਦੇ ਮੰਤਰਾਲੇ , ਪੀ. 1.^ ਨੂੰ ਇੱਕ ਅ ਕੁਮਾਰ et al. 2006 .^ ਮੈਕਗਰੇਲ, ਸੀਨ; ਨੀਲਾ, ਲੂਸੀ; Kentley, ਐਰਿਕ (2003), ਸਾਊਥ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਬੋਟਸ , Routledge , ਪੀ. 257, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-134-43130-4Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 15.^ ਡੱਫ 1993 , ਪੀ. 353.^ ਬਾਸੂ, ਮਹੂਆ; ਐਸ ਜੇ, ਜ਼ੇਵੀਅਰ ਸਾਵਰਿਮੁਥੁ (2017), ਵਾਤਾਵਰਣ ਅਧਿਐਨ ਦੇ ਬੁਨਿਆਦ , ਕੈਮਬ੍ਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 78, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-316-87051-8Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 16.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 17.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 12.Ks ਦੀਕਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਸ਼ਵਾਰਟਬਰਗ , ਪੀ. 13.^ ਏ ਬੀ ਚਾਂਗ 1967 , ਪੀਪੀ 391–394.Ose ਪੋਸੀ 1994 , ਪੀ. 118.Ol ਵੋਲਪਰਟ 2003 , ਪੀ. .^ ਹਿਜ਼ਟਮੈਨ ਐਂਡ ਵਰਡੇਨ 1996 , ਪੀ. 97.^ ਮੈਗਾਡੀਵਰਸੀ ਦੇਸ਼ , ਜੈਵ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਏ – ਜ਼ੈਡ ਅਤੇ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਵਾਤਾਵਰਣ ਵਰਲਡ ਕੰਜ਼ਰਵੇਸ਼ਨ ਨਿਗਰਾਨੀ ਕੇਂਦਰOol ਜੂਲੋਜਿਕਲ ਸਰਵੇ ਆਫ ਇੰਡੀਆ 2012 , ਪੀ. 1.^ ਏ ਬੀ ਪੁਰੀ .^ ਬਾਸਕ 1983 , ਪੀ. 24^ ਏ ਬੀ ਵੈਂਕਟਰਮਨ, ਕੇ.; ਸਿਵਪੇਰਮੁਮਨ, ਸੀ. 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(2013), ਐਨੀਮਲ ਕਿੰਗਡਮ , ਹਾਰਵਰਡ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੀ. 106, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-0-674-07480-4, ਉਸੇ ਸਮੇਂ, ਪੱਤੇਦਾਰ ਪਿੱਪਲ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਅਤੇ ਤੁਲਨਾਤਮਕ ਭਰਪੂਰਤਾ ਜਿਸਨੇ ਮੇਵਾੜੀ ਲੈਂਡਸਕੇਪ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਤ ਕੀਤਾ ਹੋਰਨਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰੀਕਰਨ ਨੂੰ ਸੁਧਾਰਨਯੋਗ ਨਹੀਂ ਬਣਾਇਆ.^ ਅਮੈਰੀ, ਮਾਰਟਾ; ਕੋਸਟੇਲੋ, ਸਾਰਾ ਕਿੱਲਟ; ਜੈਮਿਸਨ, ਗਰੇਗ; ਸਕਾਟ, ਸਾਰਾਹ ਜੈਰਮਰ (2018), ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਸੀਲਜ਼ ਅਤੇ ਸੀਲਿੰਗ: ਨੇੜੇ ਈਸਟ, ਮਿਸਰ, ਈਜੀਅਨ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਕੇਸ ਸਟੱਡੀਜ਼ , ਕੈਮਬ੍ਰਿਜ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪ੍ਰੈਸ , ਪੰਨੇ 156–157, ਆਈਐਸਬੀਐਨ 978-1-108-17351-3 ਹਵਾਲਾ: "ਸੈਂਟੀਅਰਾਂ ਦੇ ਆਖਰੀ ਹਿੱਸੇ ਵਿੱਚ ਮਾਰਖੋਰ ਦੇ ਲੰਬੇ, ਲਹਿਰੇ, ਖਿਤਿਜੀ ਸਿੰਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇੱਕ ਮਨੁੱਖੀ ਚਿਹਰਾ, ਇੱਕ ਭਾਰੀ ਸੈੱਟ ਵਾਲਾ ਸਰੀਰ ਜੋ ਗੋਟਾ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਬੱਕਰੀ ਦੀ ਪੂਛ ... ਇਹ ਅੰਕੜਾ ਅਕਸਰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦ੍ਰਿਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਨਿਰੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਪਿੱਪਲ ਦੇ ਦਰੱਖਤ ਜਾਂ ਬਕਸੇ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਪੂਜਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਿਸ ਨੂੰ ਰਸਮ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਮੋਹੈਂਜੋ-ਡਾਰੋ ਦੀ ਵਿਸ਼ਾਲ 'ਬ੍ਰਹਮ ਪੂਜਾ' ਮੋਹਰ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਵਰਗੇ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਣ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ. 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ਭਾਰਤ By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ਭਾਸ਼ਾ PDF ਡਾ Downloadਨਲੋਡ ਕਰੋ ਦੇਖੋ ਸੰਪਾਦਿਤ ਕਰੋ ਇਹ ਲੇਖ ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰ ਬਾਰੇ ਹੈ। ਹੋਰ ਉਪਯੋਗਾਂ ਲਈ,  ਭਾਰਤ  ਵੇਖੋ  (ਅਪਮਾਨ)  . "ਭਾਰਤ" ਇੱਥੇ ਰੀਡਾਇਰੈਕਟ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਸ਼ਬਦ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ  ਲਈ, ਭਾਰਤ ਲਈ ਨਾਮ  ਵੇਖੋ . ਹੋਰ ਵਰਤੋਂ ਲਈ,  ਭਰਤ ਨੂੰ  ਵੇਖੋ . ਭਾਰਤ  (  ਹਿੰਦੀ  :  ਭਰਤ  ), ਅਧਿਕਾਰਤ ਤੌਰ 'ਤੇ  ਭਾਰਤ ਦਾ ਗਣਤੰਤਰ  (ਹਿੰਦੀ:  ਭਰਤ ਗੌਰਜਾਯ  ),  [23]  ਦੱਖਣੀ ਏਸ਼ੀਆ  ਦਾ ਇੱਕ ਦੇਸ਼ ਹੈ । ਇਹ  ਦੂਜਾ-ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ  ਦੇਸ਼, ਜ਼ਮੀਨੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ  ਸੱਤਵਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਦੇਸ਼  ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਆਬਾਦੀ ਵਾਲਾ  ਲੋਕਤੰਤਰ  ਹੈ। ਇਹ  28 ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ 8 ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ  . ਦੱਖਣ ਵਿਚ  ਹਿੰਦ ਮਹਾਂਸਾਗਰ  , ਦੱਖਣ -ਪੱਛਮ ਵਿਚ  ਅਰਬ ਸਾਗਰ  ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੂਰਬ  ਵਿਚ ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਨਾਲ  ਘਿਰਿਆ ਇਹ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿਚ  ਪਾਕਿਸਤਾਨ  ਨਾਲ ਜ਼ਮੀਨੀ ਸਰਹੱਦਾਂ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦਾ ਹੈ ...

आप सभी को मेरी व मेरे परिवार की ओर से नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं 👍,ईश्वर से सदैव प्रार्थना है कि आप स्वस्थ रहें, खुश रहें, आपका हर दिन हर पल मंगलमय एवं कल्याणकारी हो। प्रभु की कृपा आप और आपके परिवार पर बरसती रहे।सदा मुस्कराते रहिये😊 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब💐💐💐💐💐*हम दुआ करते हैं कि इस नये साल की हर सुबह आपकी उम्मीद जगायें,**हर दोपहर विश्वास दिलाये,**हर शाम खुशिया लाये,**और हर रात सुकून से भरी हो,**नये साल की हार्दिक शुभकामनाएं।**